अच्छा !!!आपने क्या समझा की "किताबों की दुनिया " श्रृंखला को विराम दे दिया तो आपको मुझसे छुट्टी मिल गयी? -वाह जी वाह -ऐसे कैसे ? कितने भोले हो आप ? लीजिये एक ग़ज़ल झेलिये - न न लाइक करने या कमेंट की ज़हमत मत उठायें -पढ़ लें ,यही बहुत है।
मुझको कोई अलम नहीं होता
जो तुम्हारा करम नहीं होता
अलम =दुःख, दर्द
ज़िस्म तक ही अगर रहे महदूद
तो सितम फिर सितम नहीं होता
महदूद=सीमित
तू नहीं याद भी नहीं तेरी
हादसा क्या ये कम नहीं होता
उसकी आँखों में झांक कर सोचा
क्या यही तो इरम नहीं होता
इरम =स्वर्ग
मेरी चाहत पे हो मुहर तेरी
प्यार में ये नियम नहीं होता
कहकहों को तरसने लगता हूँ
जब मेरे साथ ग़म नहीं होता
इश्क 'नीरज' वो रक़्स है जिसमें
पाँव उठने पे थम नहीं होता
36 comments:
वाहहह
वाह
ग़ज़ब,,खतर,,बड़े भाई
बहुत ही सुन्दर ! वाह नीरज जी !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (04-12-2018) को "गिरोहबाज गिरोहबाजी" (चर्चा अंक-3175) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लाजवाब ग़ज़ल और बहुत खूब क़वाफी
"क्या यही तो इरम नहीं होता"
यह शेर् दिल ले गया
"जब मेरे साथ ग़म नहीं होता"
यह भी
सादर
Bahut Shukriya Om Ji
Shukriya Avenindra Ji
Thanks a lot Nakul
Shukriya Sadhna Ji
डाली मोगरे की के बाद आज आपकी ग़ज़ल पढ़ी वो भी आपके ब्लॉग
बेहतरीन गजल
पूरी ग़ज़ल ही बेहतरीन है पर मुझे जो पसंद आया
कहकहों को तरसने लगता हूँ
जब मेरे साथ ग़म नहीं होता
जिस्म पे गर सितम हो तो वो सितम नहीं कहलाता है; सितम तो तब है जब इस दिल पे कोई जख्म हो
ज़िस्म तक ही अगर रहे महदूद
तो सितम फिर सितम नहीं होता
क्या करम है मेहरबानी है
मुझको कोई अलम नहीं होता
जो तुम्हारा करम नहीं होता
बहुत ही गज़ब लिखते है आप
बहुत बहुत शुक्रिया इस बेहतरीन गजल के लिए
Bahut shukriya Amit Bhai...Aap ke lafzon se likhne ka hausla paida hota hai...
वाह्ह्ह्ह्ह
लाजवाब है..
नीरज भाई बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया आते ही मन खुश हो गया यह पढ़कर
ज़िस्म तक ही अगर रहे महदूद
तो सितम फिर सितम नहीं होता
बहुत खूब जनाब
Shukriya bhai 🙏🙏🙏
बहुत खूब!
बहुत खूब !
Waah ..Kya baat hai ☺️
बहुत खूब
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Jhakasss क्या खूब जवाब नहीं आपका
Wah
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ये गजल और तस्वीर बहुत कुछ कह देती है
वाह
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