Monday, September 12, 2011

डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो



छोटी बहर में एक निहायत सीधी सादी ग़ज़ल


हमेशा बात ये दिल ने कही है
तुम्‍हारा साथ हो तो जिंदगी है

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो
जड़ों में जिसकी थोड़ी भी नमी है

उजाले तब तलक जिंदा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है


यहां अटके पड़े हैं आप 'नीरज'
वहां मंजिल सदाएं दे रही है



( बिना गुरुदेव पंकज जी की रहनुमाई के ये ग़ज़ल पूरी नहीं होती )

50 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो
जड़ों में जिसकी थोड़ी भी नमी है

बहुत खूबसूरत गज़ल ..

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय नीरज जी
नमस्कार !
लाजवाब बहुत ही प्यारी ग़ज़ल

संजय भास्‍कर said...

हमेशा बात ये दिल ने कही है
तुम्‍हारा साथ हो तो जिंदगी है
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..आभार

सदा said...

उजाले तब तलक जिंदा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

वाह ...बहुत खूब कहा है ... ।

vandana gupta said...

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है

डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो
जड़ों में जिसकी थोड़ी भी नमी है

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

shaandar gazal...........har sher dil ko chhoota hai.

Yashwant R. B. Mathur said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

बहुत ही बढ़िया सर।

सादर

अशोक सलूजा said...

वाह! नीरज भाई जी ,वाह!
कौन न मरे आप की सादगी पे ...

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है

खुश रहिये !
शुभकामनायें! बधाई...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बड़े भाई!
हर शेर एक नयी उम्मीद जगाता, एक फलसफा बयान करता मालूम दे रहा है!! एक और बेहतर कलम पर आपकी कलम को सलाम!!

रश्मि प्रभा... said...

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

aapki gazal ka intzaar hamesha rahta hai jo kaafi dinon baad padhne ko milta hai

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर, सार्थक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

शारदा अरोरा said...

बहुत अच्छी लगी ग़ज़ल ...
सारी बातें हैं खुद के लिए
दुनिया भी तो हमको सिखाने पर तुली है ..

अनूप शुक्ल said...

चकाचक है जी! धांसू च!

‘सज्जन’ धर्मेन्द्र said...

बहुत खूब नीरज जी, बहुत खूब

दिगम्बर नासवा said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है ...

वह नीरज जी ... क्या कमाल किया है ...साफ़ सीधे सरल शब्दों में गहरी बातें कहने की कला में आप माहिर हैं वैसे भी ... और गुरु देव का तडका लग जाए तो बात की क्या ... लाजवाब गज़ल ..

Anonymous said...

छोटी बहार की खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर उम्दा ............पर माफ़ी के साथ अर्ज़ है आखिरी शेर कुछ ग़ज़ल की रवानगी से अलग सा लगा|

देवेन्द्र पाण्डेय said...

उम्दा गज़ल के लिए हमारी बधाई भी स्वीकार करें।

रेखा said...

बहुत शानदार और लाजबाब गजल लिखी है ....आभार

pran sharma said...

TERE HAR SHER MEIN KYA

DIKASHI HAI

LAGAA JAESE KI CHHITKEE

CHANDNI HAI

Ankit said...

नमस्कार सर,
मतला खूब कहा है और उस पे मतले का सानी तो क्या कहने.........तुम्‍हारा साथ हो तो जिंदगी है वाह वाह
"किसी के दर्द में आंसू बहाना................", बहुत खूबसूरत शेर सर.
ये शेर तो लाजवाब बना है, बारहं पढ़ रहा हूँ. जिंदाबाद शेर.
उजाले तब तलक जिंदा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है
दिली दाद क़ुबूल करें.

डॉ टी एस दराल said...

ग़ज़ल के भाव बहुत सुन्दर हैं ।

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है

बेहतरीन ।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

बिलकुल सही कहा आपने!

Anupama Tripathi said...

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है
sunder bhav ...
har sher lajawab...

Anju (Anu) Chaudhary said...

उजाले तब तलक जिंदा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है


waha bahut khub..........

दो आंसुओं में कैद हो गई जिन्दगी
एक ही लम्हे में गुज़र गई ये जिन्दगी ||

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

बहुत उम्दा ग़ज़ल...
कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है
सीधा सच्चा शेर...

यहां अटके पड़े हैं आप 'नीरज'
वहां मंजिल सदाएं दे रही है...
हक़ीक़त है....मुबारकबाद नीरज जी.

तिलक राज कपूर said...

प्राण शर्मा साहब ने मेरे दिल की बात कह दी
तेरे हर शेर में क्‍या दिलकशी है
लगा जैसे कि छिटकी चांदनी है।
अब ये तो प्राण साहब ने कह दिया, मैं कहता हूँ:
तेरे हर शेर में वो रौशनी है
सुनी सी बात भी लगती नयी है।

ताऊ रामपुरिया said...

डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो
जड़ों में जिसकी थोड़ी भी नमी है

बहुत खूबसूरत रचना.

रामराम

'साहिल' said...

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

सत्य वचन,
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल!

प्रवीण पाण्डेय said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

सच में बड़ी ही सीधी और गहन बात कही है।

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

हर शेर अपनी कहानी आप कह रहा है। पंकज भाई के मार्गदर्शन में, छोटी सी बहर में गढ़ी गई इस ग़ज़ल में आपने कम्माल किया है भाई जी कम्माल। किसी एक शेर को quot नहीं कर पा रहा, तो आप समझ सकते हैं कि कितनी अच्छी लगी है यह ग़ज़ल मुझे। बहुत बहुत बधाई।

अपनी वही ज़ुबान जो कि है हिन्दुस्तानी

S.N SHUKLA said...

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है
khoobsoorat bhavon se bhari sundar rachana.

Himanshu said...

आदरणीय नीरज जी,आप का कलाम ,एक कमाल ही है, स्टील की कंपनी में काम करना और तितलियों से नाज़ुक अहसासों को लफ़्ज़ों में पीरों देना वाकई कमाल ही है|आपने वसीम साहेब की परंपरा बुक्स प्राइवेट लिमिटेड, ४१२, कोणार्क, अपार्टमेन्ट. २२, पटपड़गंज रोड, आई.पी. एक्टेंशन दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक "मेरा क्या" का ज़िक्र किया था , लेकिन मेरी कमनसीबी जानियें कि , किताब वालों का कोई नंबर नहीं मिल पाया है, और खतों-खिताब करने का सब्र मुझमें नहीं है, सो गर आप कोई नंबर भी मुहैय्या करा दें तो ईनायत होगी| सधन्यवाद- हिमांशु

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत खूबसूरत गज़ल ..,प्रस्तुति हेतु आभार.

Maheshwari kaneri said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है....बहुत खूबसूरत गज़ल ..,

संजय @ मो सम कौन... said...

ऐसे कलाम पढ़कर धन्य होते हैं। नीरज साब, यू आर ग्रेट।

रचना दीक्षित said...

उछालो ज़ोर से कितना भी यारों
उछल कर चीज़ हर नीचे गिरी है
बेहतरीन शेरो से सजी लाजवाब गज़ल

Pawan Kumar said...

नीरज जी
बढ़िया ग़ज़ल.......
मतले से ही बात बन गयी.... बाकी शेर तो बोनस में मिले....!!!
हमेशा बात ये दिल ने कही है
तुम्‍हारा साथ हो तो जिंदगी है

यह शेर काश सब समझ सकते.....---
किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है
मक्ता भी बहुत सादगी से भरा है....----

यहां अटके पड़े हैं आप 'नीरज'
वहां मंजिल सदाएं दे रही है
.
क्या बढ़िया लहजा है.....!!!! बेहतरीन

Asha Joglekar said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

जब भी आपके ब्लॉग पर आती हूँ आना वसूल हो जाता है । बेहद खूबसूरत गज़ल ।

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on e-mail from sh.Vishal


किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

अंकल नमस्ते, यही बात पहले आपने यूं कही थी -

जो पराई नीर में नीरज बहा,
अश्क का कतरा वही गंगा हुआ

मेरा पसंदीदा शेर बना हुआ है।
~ विशाल

ashokjairath's diary said...

जाड़ों की खुशनुमा भोर के स्पर्श ले आये हमारे ब्लॉग पर ... अनेक धन्यवाद ... ऊंघते को बढ़िया सी चाय की चुस्की मिल जाए जैसे ... आते रहिये ...

कभी मत भूल कर भई आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

'किसी के दर्द में आंसू बहाना ...' रुक कर ठहरी हवाओं को देखा रहे हैं ... बहुत उम्दा ...

सर्वत एम० said...

मैं तो बहुत बहुत बहुत दिनों के बाद आया हूँ लेकिन आपकी ग़ज़लगोई तो माशाअल्लाह सोने पर सुहागे जैसी हुई जा रही है. थोड़ा सा नज़र-ए-सानी करते तो अशआर और खूबसूरत हो जाते.

Shiv said...

बहुत-बहुत बढ़िया ग़ज़ल.

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

बिलकुल. सारे शेर एक से बढ़कर एक. आपके गुरुदेव की कृपा आप पर बनी रहे, यही कामना है.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'उजाले तब तलक जिन्दा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है'
..........बेहतरीन शेर
छोटी बहर की उम्दा ग़ज़ल

अर्यमन चेतस पाण्डेय said...

namaste uncleji...

bhale hi ye thoda alag raha ho, lekin mujhe to aakhiri sher hi sabse achchhaa laga..ek kataaksh dikhta hai ismein..

:):)

डॉ .अनुराग said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

aisa sa hi khyaal kabhi likha tha...vaise aazmaish chode zamana hua...

हरकीरत ' हीर' said...

इक-इक शेर नगीना है नीरज जी ....
सादगी में भी कमाल की गहराई है ..

किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है

वाह.....
डरेगा बिजलियों से क्‍यों शजर वो
जड़ों में जिसकी थोड़ी भी नमी है

सुभानाल्लाह .....
उजाले तब तलक जिंदा रहेंगे
बसी जब तक दिलों में तीरगी है

क्या बात है .....

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है

कहाँ से लाते हैं सादगी में पिरोकर ये नगीने ....?

akash lalwani said...

dilkush

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on e-mail from Om Prakash Sapra Ji:-


shir neeraj ji
namstey
gud gazal, congrats,
pl send ur poetry by email to following add also, if also, he is regualr organiser of mushaira-kavi goshthi in delhi every month:

poetravinder@gmail.com

regards,
-om sapra, delhi-9

Pratik Maheshwari said...

जीवन की छोटी-छोटी, पर अहम बातों को इस ग़ज़ल के जरिये बताने की अच्छी कोशिश!

आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...

पारुल "पुखराज" said...

कभी मत भूल कर भी आजमाना
ये बस कहने को ही दुनिया भली है :))

Suman Dubey said...

नीरज जी नमस्कार, क्या खूब लिखा है।किसी के दर्द में आंसू बहाना
इबादत है खुदा की, बंदगी है