Wednesday, February 25, 2009

धमाकेदार खुश खबरी

जी हाँ ये धमाकेदार खुश खबरी मेरे लिए तो है ही बल्कि सच कहूँ तो सारे ब्लॉग जगत के लिए है. आप पूछे बिना मानेगे थोडी की क्या खुश खबरी है? आप न भी पूछे तो भी मैं कहाँ बताये बिना छोड़ने वाला हूँ. ये खबर ऐसी है जिसे सुन कर कुछ लोग कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे, कुछ मुहं बिचका देंगे, कुछ हलके से मुस्कुराएंगे, कुछ इसे पढ़ कर ऐसे दिखायेंगे जैसे पढ़ा ही न हो, कुछ आश्चर्य व्यक्त करेंगे और कुछ मेरे जैसे तालियाँ बजायेंगे. अब आप किस श्रेणी में हैं ये तो मैं नहीं कह सकता लेकिन मैं आपको, अगर आप अब तक नहीं हैं तो, अंतिम श्रेणी में आने का आग्रह करता हूँ. याने मेरे साथ तालियाँ बजाने का आग्रह.

आप की उत्सुकुता खीज में बदल जाये इस से पूर्व ही मैं सीधे ही मुद्दे पर आता हूँ. कुछ दिनों पहले मेरे पास सूचना आयी की मेरे गुरु और ब्लॉग जगत के सुपरिचित रचनाकार श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है बल्कि उनका कहानी संग्रह "ईस्ट इंडिया कम्पनी" भी "भारतीय ज्ञानपीठ" से प्रकाशित होकर आ गया है । "भारतीय ज्ञान पीठ" ने तीन कहानी संग्रह प्रकाशित करने हेतु देश भर के युवा कहानीकारों से पांडुलिपियां आमंत्रित कीं थीं । इनमें से जिन तीन कहानीकारों की पांडुलिपियों का चयन प्रकाशन के लिये किया गया उनमें से एक मध्यप्रदेश के सीहोर के लेखक पंकज सुबीर हैं.




सुधि पाठको आप तो जानते ही हैं "भारतीय ज्ञान पीठ " का स्थान हमारे देश में नोबल पुरुस्कारों के समकक्ष रखा जाता है. इसी सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा युवा साहित्यकारों को बढ़ावा देने हेतु पिछले वर्ष से ही ये नवलेखन पुरुस्कार योजना प्रारंभ की गई है जिसके तहत देश भर के युवा कहानीकारों तथा कवियों से पांडुलिपियां आमंत्रित की जाती हैं तथा उसमें से श्रेष्ठ कहानीकारों तथा कवियों की पांडुलिपियों का चयन वरिष्ठ साहित्यकारों की समिति करती है जिसमें देश के शीर्षस्थ कथाकार श्री रविन्द्र कालिया सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकार हैं । इस वर्ष जिन तीन कथाकारों का चयन किया गया है उनमें श्री "पंकज सुबीर" शामिल हैं

सब से अधिक ख़ुशी की बात ये है की "पंकज जी" हमारे ब्लॉग परिवार के सदस्य हैं. अब हम ताल ठोक कर के कह सकते हैं की ब्लॉग जगत के लेखक भी दमदार लेखन कर सकते हैं. याने ब्लोगर सिर्फ समय बिताने के लिए ही लेखन नहीं करता बल्कि अपने लेखन से समाज को एक नई और सही दिशा देने में भी प्रयास रत है. इस खबर को अधिक से अधिक प्रसारित करें ताकि ब्लोगर्स को समाज इज्ज़त की नज़र से देखे. समाज को हर ब्लोगर में विशेषता नजर आये.

सुधि पाठको मैं देख रहा हूँ की अधिकांश अब मेरे साथ तालियाँ बजाने में शामिल हो गए हैं, मुझे आप से येही आशा थी, जो अब तक संकोच वश या किसी और कारण से दोनों हाथों को एक दूसरे से जोर से जोड़ कर ध्वनि निकालने में समर्थ नहीं हो पाए हैं उनके लिए मुझे और समय देने में कोई आपत्ति नहीं है, क्यूँ की मुझे यकीन है की वो ही अभी नहीं तो कुछ समय बाद सबसे जोरदार तालियाँ बजायेंगे....

अब एक छोटी सी जानकारी किताब के विषय में:

इस कहानी संग्रह में अलग अलग रंगों की पन्द्रह कहानियां शामिल की गईं हैं । तथा संग्रह में ही शामिल एक कहानी के आधार पर इस कथा संग्रह का नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी रखा गया है । संग्रह में शामिल अन्य कहानियां कुफ्र, अंधेरे का गणित, घेराव, ऑंसरिंग मशीन, हीरामन, घुग्घू, तस्वीर में अवांछित, एक सीप में, ये कहानी नहीं है, रामभरोस हाली का मरना, तमाशा, शायद जोशी, छोटा नटवरलाल, तथा और कहानी मरती है.

ये सारी ही कहानियां वर्तमान पर केन्द्रित हैं । शीर्षक कहानी ईस्‍ट इंडिया कम्‍पनी उस मानसिकता की कहानी है जिसमें उंगली पकड़ते ही पहुंचा पकड़ने का प्रयास किया जाता है ।

कुफ्र कहानी में धर्म और भूख के बीच के संघर्ष का चित्रण किया गया है । अंधेर का गणित में समलैंगिकता को कथावस्‍तु बनाया गया है तो घेराव और रामभरोस हाली का मरना में सांप्रदायिक दंगे होने के पीछे की कहानी का ताना बाना है । आंसरिंग मशीन व्‍यवस्‍था द्वारा प्रतिभा को अपनी आंसरिंग मशीन बना लेने की कहानी है । हीरामन ग्रामीण परिवेश में लिखी गई एक बिल्‍कुल ही अलग विषय पर लिखी कहानी है । घुग्‍घू कहानी में देह विमर्श कथा के केन्‍द्र में है जहां गांव से आई एक युवती के सामन कदम कदम पर दैहिक आमंत्रण हैं । तस्‍वीर में अवांछित कहानी एक ऐसे पुरुष की कहानी है जो कि अपनी व्‍यस्‍तता के चलते अपने ही परिवार में अवांछित होता चला जाता है । एक सीप में तीन लड़कियां रहती थीं मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें एक ही घर में रहने वाली तीन बहनों की कहानी है जो एक एक करके हालात का शिकार होती हैं । ये कहानी नहीं है साहित्‍य के क्षेत्र में चल रही गुटबंदी और अन्‍य गंदगियों पर प्रकाश डालती है । तमाशा एक लड़की के अपने उस पिता के विद्रोह की कथा है जो उसके जन्‍म के समय उसे छोड़कर चला गया था । शायद जोशी मनोवैज्ञानिक कहानी है । छोटा नटवरलाल में समाचार चैनलों द्वारा समाचारों को लेकर जो घिनौना खेल खेला जाता है उसे उजागर करती है । और कहानी मरती है लेखक की हंस में प्रकाशित हो चुकी वो कहानी है जिसमें कहानी के पात्र कहानी से बाहर निकल निकल कर उससे लड़तें हैं और उसे कटघरे में खड़ा करते हैं । ये पंद्रह कहानियां अलग अलग स्‍वर में वर्तमान के किसी एक विषय को उठाकर उसकी पड़ताल करती हैं और उसके सभी पहलुओं को पाठकों के सामने लाती हैं ।

पुस्‍तक की कीमत 130 रुपये है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्‍स्‍टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्‍ली 110003, Email : sales@jnanpith.net से प्राप्‍त किया जा सकता है । पुस्‍तक का ISBN नंबर 978-81-263-1691-5 है.



जो पाठक मेरी इस जानकारी से हर्षित हुए हैं उनसे अनुरोध है की अगर वो श्री "पंकज सुबीर जी" को बधाई देने में, यहाँ मेरे ब्लॉग पर, संकोच कर रहे हैं तो वो उन्हें उनके ब्लॉग http://subeerin.blogspot.com पर बधाई दे सकते हैं.

उन पाठकों से जो सार्वजनिक बधाई देने में संकोच करते हैं, अनुरोध है की वे उन्हें उनके ई-मेल subeerin@gmail.com पर अथवा उनके मोबाईल 09977855399 पर नितांत गोपनीय रूप से संपर्क कर सकते हैं.

66 comments:

seema gupta said...

श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है . ये ख़बर एक ऐसे खुशी लेकर आई है जिसके लिए जितनी तालियाँ बजाई जाए कम है ......दिल से बधाई और शुभकामना ...मेरे हर्ष की सच में कोई सीमा नही है ....पंकज जी की ये उपलब्धि हम भारतियों और ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार से कम नही है..नीरज जी बहुत बहुत आभार हम सब से ये खुशी को बाँटने का ...

Regards

"अर्श" said...

नीरज जी ,ये खबर मुझे कल ही मिल गई थी जब मैंने गुरु जी से बात की थी ,वो इस पुस्तक की बिमोचन के लिए दिल्ली भी आरहे है मुझे तो मिलना भी है उनसे और जरुर मिलूँगा ,क्यूँ न मिलूं वो मेरे गुरु है तो प्रभु से भी बढ़ के होते है ... बस उनके दर्शन हो जाए यही उम्मीद करता हूँ ... वाकई बहोत बहोत ही ख़ुशी की बात है ये तो .... ढेरो बधाई .....


अर्श

कुश said...

तो मतलब इस बार हमे ये पुस्तक मिलने वाली है.. हम बैठे है जी कॉफी का प्याला हाथ में लेकर..

ताऊ रामपुरिया said...

गुरुजी को बहुत बहुत बधाई और आपका आभार इस खबर के लिये.

रामराम.

Shiv Kumar Mishra said...

बहुत ही हर्ष की बात है. इसके लिए हम भी आपके साथ खड़े हैं. तालियाँ बजा रहे हैं. पंकज जी को ढेर सारी बधाई. उनकी यह उपलब्धि हमसब के लिए गर्व का विषय है. हमारे लिए गर्व की बात है कि वे हमलोगों के बीच हैं.

बहुत खुशी हुई इस खबर से.

222222222222 said...

पंकजजी को बधाई और आपको इस खबर को हम सब कें संज्ञान में लाने के लिए।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई और आप को धन्यवाद कि आपने यह सुवार्ता अपने ब्लाग के ज़रिये हम तक पहुंचाया। ज्ञानपीठ पुरस्कार पर तो किसी भी लेखक को गौरवान्वित करेगा- जलन का सवाल ही कहां पैदा होता है जी:)

Vinashaay sharma said...

talia hi talia

Gyan Dutt Pandey said...

प्रसन्नता की बात है, बधाई।

रंजू भाटिया said...

बहुत ख़ुशी हुई इस बात से बहुत बहुत बधाई पंकज जी को

Vinay said...

हम सुबीर जी के ब्लॉग पे टिप्पणी बधाई दे आयें वह आपको मिलें तो एक बार और बधाई संदेश पहुँचा दें।

---
चाँद, बादल और शाम

Udan Tashtari said...

हम तो ईमेल से पहले ही खूब तालियाँ बजा आये थे. आपके साथ फिर धुन मिला कर बजा रहे हैं. उअह ब्लॉगजगत के लिए गौरव का विषय है कि हमारे बीच के ब्लॉगर इस तरह सम्मानित हुए और फिर, पंकज साहेब से तो इतनी छड़ी खा चुके हैं क्लास में कि किस हिम्मत से ताली न बजायें. :)

Alpana Verma said...

वाह! यह तो सच में खुश खबरी है.अभी हाल ही में कविता जी को एक सम्मान मिला था और अब सुबीर जी को इतना बड़ा सम्मान मिला है जान कर अत्यंत प्रसन्नता हुई.
सभी ब्लॉग जगत वासियों के लिए गर्व की बात है.
सुबीर जी को ढेर सारी बधाईयाँ .

[नीरज जी आप के ब्लॉग के जरिए ही सही -सुबीर जी से अनुरोध है कि वे अपनी ग़ज़ल कक्षाएं फिर से शुरू करें.]

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

बहुत ख़ुशी हुई नीरज जी यह जानकर. पंकज सुबीर तो बधाई है ही, आपको भी बधाई.

Science Bloggers Association said...

इस कामयाबी के लिए सुबीर को हार्दिक बधाईयाँ।

Dr. Amar Jyoti said...

पंकज जी को हार्दिक बधाई और आपको भी।

Manish Kumar said...

निश्चय ही ये हम सब के लिए गौरव की बात है। पंकज जी को हार्दिक बधाई !

दिगम्बर नासवा said...

नीरज जी
तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ
जय हो गुरु देव की जय हो
बहुत बहुत बधाई, आपको और सब ब्लॉग जगत को, हम सब के लिए गर्व की बात और अब तो सब को मैं भी गर्व से कह सकता हूँ की इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले मेरे भी जानकार हैं.
सुबीर जी को इतना बड़ा सम्मान मिला है जो भारत में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल से कम नहीं है, सब को एक बार फिर से बधाई
आपकी खुशखबरी का राज जान गए सरकार

पारुल "पुखराज" said...

बधाई !

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

इस सफलता हेतु पंकज जी को हार्दिक शुभकामनाऎं और नीरज जी अवगत कराने हेतु आपका भी धन्यवाद......

सुशील छौक्कर said...

वाकई तालियाँ बजाने वाली खुशखबरी है। ये लो हमारी तरफ से तालियाँ। और हमारी तरफ से सुबीर जी को बधाई और शुभकामनाएं।

रंजन (Ranjan) said...

बहुत बधाई.. यह हम सबके लिये गर्व की बात है...

पुस्तक जरुर पढे़गें..

संगीता पुरी said...

जी बहुत खुशी हुई .. पहले भी पढा .. बधाई भी दे दिया है उनको .. सचमुच हमारे लिए बहुत गर्व की बात है।

महेन्द्र मिश्र said...

पंकज जी की ये उपलब्धि ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार से कम नही है.बहुत बधाई

Girish Kumar Billore said...

अशेष अनवरत शुभाकांक्षाएं
अपनी सी लग रही है सफलताएं
पंकज जी के लिए पुन:हार्दिक मंगल भाव
सहित पोस्ट के लिए आभार

डॉ .अनुराग said...

पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई

अनूप शुक्ल said...

हम भी शामिल हैं बधाई देने वालों में!

विष्णु बैरागी said...

इस संग्रह की कहानी 'तस्‍वीर से बाहर' ने मुझे बहुत ही 'हाण्‍ट' किया था।
इस कथा संग्रह के प्रकाशन की पूर्व सूचना 'नया ज्ञानोदय' से मिली थी। सुबीरजी को तब ही फोन पर बधाई दे दी थी।
किन्‍तु अच्‍छा काम दूसरी बार करने में कोई हर्ज नहीं।
सो, आपके बहाने, सुबीरजी को लख-लख बधाइयां।

गौतम राजऋषि said...

कब से प्रतिक्षा मेम था मैं तो इस किताब की....महीने-दर-महीने भारतीय ग्यानपीठ से छपने वाली मासिक नया ग्यानोदय में घोषणा पढ़-पढ़ कर झुंझलाहट होने लगी थी।
गुरू जी को यूं तो बधाई फोन पर ही दे आया,यहाँ भी। दुआ है किताब सहस्त्रों एडिशन में जाये।

राज भाटिय़ा said...

पंकज सुबीर जी कॊ मेरी तरफ़ से भी बहुत बहुत बधाई , ओर आप का धन्यवाद इस खबर को हम तक पहुचाने के लिये

अनिल कान्त said...

badhaaiyaan ...pataakhe......khushimili

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

"भारतीय ज्ञान पीठ " द्वारा श्री पँकज भाई की पुस्तक का प्रकाशन बेहद प्रसन्नाता का विषय है यह समाचार मुझे भी बहुत खुशी दे रहा है :)
पँकज भाई,
आपकी पुस्तक बहुत ख्याति पाये ये मेरी शुभ कामना है !
नीरज जी आभार इस समाचार के लिये

स स्नेह,

- लावण्या

राजीव तनेजा said...

पंकज सुबीर को बहुत-बहुत बधाई और नीरज जी आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद

Ratan said...

Bahut bahut badhaiyaan Panjak Subeer Ji ko.

Just from the name of the book, I am so interested & excited to read this book..

-Ratan

अभिषेक मिश्र said...

मेरी और से भी पंकज सुबीर जी को बधाई. अब शायद ब्लोगर्स को भी गंभीरता से लिया जाने लगे.

अखिलेश सिंह said...

सुबीर जी को भारतीय ज्ञानपीठ मिलने की बधाई, बहुत ख़ुशी हुई, तहे दिल से बधाई...

admin said...

सुबीर जी को हार्दिक बधाई।

pallavi trivedi said...

bahut saari taaliyon ke saath bahut saari badhaiyaan subir ji ko...

Bhawna Kukreti said...

bahut bahut badhai ji

नीरज गोस्वामी said...

ओम प्रकाश सपरा जी प्राप्त मेल:

Dear niraj ji
Namastey
It is good news that pankaj subeer has been honoured by jnanpeeth prize for his collection east india company.

Congratulations to you for giving this news to readers of your blog and also especially to the writer Mr. pankaj ji.

I plan to get this book soon and go through the same, as iam in Delhi.

Again congratulations.

- Om Sapra
N-22, Dr. Mukherji Nagar,
Delhi-9
9818180932

Anita kumar said...

नीरज जी
तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ

बहुत बहुत बधाई, सुबीर जी को , आपको और सब ब्लॉग जगत को, हम सब के लिए गर्व की बात

रश्मि प्रभा... said...

aapke saath main taali bajane me dil se shareek hun,shree pankaj ji ko dil se badhaai.........waakai yah garv ki baat hai

गर्दूं-गाफिल said...

पंकज सुबीर
बहुत-बहुत बधाई
शुभाकांक्षाएं

kumar Dheeraj said...

आपने जो रोचक प्रसंग बताया है उसके लिए आपको बधाई । यह पुरस्कार हमारे यहां नोबेल की तरह होता है । ढेर सारी बधाईयां

daanish said...

ब्लॉग-जगत में सब के चहेते आलिम-फ़ाज़िल रचनाकार श्री पंकज सुबीर जी के कहानी संग्रह को भारतीय ज्ञानपीठ दुआरा नव-लेखन पुरस्कार योजना हेतु सम्मिलित किया गया है , ये जान कर बहुत ही ख़ुशी हुई ....
ऐसे विद्वान् रचनाकारों का सम्मानित होना हम सब के लिए फख्र की बात है .....
उन्हें ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं . . . .
और हुज़ूर !
आपको इस खुश-खबरी देने के लिए अभिवादन . . . . .
---मुफलिस---

कडुवासच said...

... प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!!!

manu said...

नीरज जी,
नमस्कार,,,,,,,अपने गुरु जी को हमारी तरफ से भी बधाई कहियेगा,,,,,
कुछ तालियाँ इस नाचीज़ की भी पेश किजीयेगा........
बधाई

पंकज सुबीर said...

मैं अभिभूत हूं इन सारी टिपपणियो को देखकर । मैं पहले भी कह चुका हूं कि नीरज जी का ब्‍लाग तो यशराज फिल्‍मस की तरह है जिस पर हर फिलम हिट ही होती है । किन्‍तु जिस प्रकार से सभी ने शुभकानाएं दी हैं उससे मन में जो अनुभूति हुई है उसे शब्‍दों में व्‍यक्‍त नहीं कर सकता । धन्‍यवाद या आभार शब्‍द बहुत छोटा है इस प्रेम के सामने और मैं इन छोटे शब्‍दों का उपयोग करके आपके प्रेम का अपमान नहीं करना चाहता । ऐसा लगता है कि पूरा ब्‍लाग जगत मेरे साथ है । मैं अपने ही शहर की कहूं तो यहां कई सारे लेाग हैं ऐसे जो कि मेरे मित्र होने का दावा करने के बाद समाचार पत्रों में पढ़कर मुझे बधाई देने भी नहीं आये । नीरज जी ने कम से कम मुझे एक बात तो सिखा दी है कि निष्‍छल होने के कितने फायदे होते हैं । और नीरज जी ने जो एक और बात मुझे सिखाई है वो ये कि उस पुराने गीत का अर्थ क्‍या है जिसका मुखड़ा कुछ यूं था ''मधुवन खुश्‍बू देता है सागर सावन देता है, जीना उसका जीना है जो औरों को जीवन देता है'' । नीरज जी तो अपने ब्‍लाग पर कई बार कह चुके हैं कि मैं उनको ग़ज़लें सिखाता हूं किन्‍तु मैंने आज तक अपने ब्‍लाग पर जो नहीं लिखा वो यहां लिख रहा हूं कि भले ही नीरज जी मुझसे ग़ज़लें लिखना सीख रहे हों किन्‍तु बदले में मैं भी उनसे कुछ सीख रहा हूं और वो है लोक व्‍यवहार की कला । नीरज जी ने मुझे सिखाया है कि व्‍यवहार एक रबर की गेंद होता है जो आप दूसरे को देंगें वही लौट कर आपको मिलेगा । नीरज जी ने मुझे विनम्रता के कई पाठ पढ़ाये हैं । नीरज जी ने मुझे सिखाया है कि ठहाके लगा कर हंसना किसे कहते हैं और उस हंसी के क्‍या लाभ हैं । तो ये बातें मैं कभी अपने ब्‍लाग पर लिखना चाहता था किन्‍तु नहीं लिख पाया आज से अच्‍छा समय नहीं था सो आज लिख रहा हूं । पुन: कहूंगा कि आप सब स्‍नेही जन जिन्‍होंने टिप्‍पणियां दी हैं उनको आभार कह कर मित्रता का अपमान नहीं करूंगा पर ये ज़रूर कहूंगा कि आपके प्‍यार से मन भर आया है दुनिया भर के पुरुस्‍कार जीत लो पर अपनों के प्रेम से बड़ा कुछ नहीं होता ।
आपका ही
सुबीर

रवि शर्मा एक जागरूक पत्रकार said...

pankaj ji ko badhai gyan peeth milna apne aap me 1 big uplabdhi hoti he .

हिंदी की सेवा करने वाला said...

पंकज जी की ये उपलब्धि प्रशंसनीय है छोटे कस्‍बे में रहकर ये उपलब्धि प्राप्‍त करना और बड़ा काम है । मेरी बधाईयां

नीरज गोस्वामी said...

Janab Mansoor Ali Saheb ki tippani jo mujhe e-mail se mili...

"Bahut - bahut dhanyawaad neerajji aapko aur subeerji ko sahstra badhaiiyaan is shaandar uplabdhi par."

Mansoor Ali Hashmi

Dr. Chandra Kumar Jain said...

सगर्व अली
================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

महावीर said...

सच बात तो यह है कि सुबीर जी को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सम्मानित किए जाने में कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वे इसके योग्य हैं। इससे भी बड़ा सम्मान उन्हें लोगों ने दिया है जो उनकी योग्यता, साहित्य के प्रति उनका प्रेम और कर्मठता के कारण हर समय याद करते हैं।
सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई और आपका आभार।
महावीर शर्मा

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

सुबीर जी को हमारी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई। उनके ग़्ज़ल पर लिखे लेखों के तो हम बहुत बड़े फ़ैन हैं।

Prakash Badal said...

महावीर जी के विचारों से सहमत हूँ। सुबीर भाए बहुत अच्छे और सुपरिचित साहित्यकार हैं। उन्हें सम्मानित किया जाना हमारे लिए भी ख़ुशी का विषय है इससे सभी ख़ासकर युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलता है। मैने सुबीर जी को फोन करके बधाई तो दे दी लेकिन अब उनके ब्लॉग पर जाकर बधाई देना चाहूँगा। नीरज भाई आपने बहुत ही सुकून पहुँचाने वाली बात कही।

प्रदीप मानोरिया said...

पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई

Asha Joglekar said...

बहुत बहुत बधाई पंकज जी को । और आपका जानकारी के लिये शुक्रिया ।

अजित वडनेरकर said...

पंकज जी को बहुत बहुत बधाइयां...पुस्तक प्रकाशन किसी भी लेखक के लिए खास मौका होता है। देश के प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा प्रकाश होना तो गर्व की बात है...
सूचना के लिए आपका भी शुक्रिया ....

अनूप भार्गव said...

पंकज जी को इस सम्मान के लिये बधाई । अभी कुछ समय पहले एक और ब्लौगर ’प्रत्यक्षा सिन्हा’ का भी कहानी संग्रह ’भारतीय ज्ञानपीठ से ही प्रकाशित हुआ था ।

बवाल said...

आदरणीय नीरज जी, हम तो सुबीर साहब को आपके ही ब्ला॓ग पर बधाई देंगे। बहुत खुशी हो रही है, सुनकर। आभार आपका बहुत बहुत।

हरकीरत ' हीर' said...

पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई....!!

श्रद्धा जैन said...

आदरणीय नीरज जी,
बहुत बहुत आभार हम सब से ये खुशी को बाँटने का

श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है . ये ख़बर एक ऐसे खुशी लेकर आई है जिसके लिए जितनी तालियाँ बजाई जाए कम है,
दिल से बधाई और शुभकामना

हम भारतियों और ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार है

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत देर से यहाँ आना हुआ उसका अफसोस रहेगा...
मेरी ओर से इतने बड़े सम्मान के लिए हार्दिक बधाई...

Devi Nangrani said...

Subeer ji
Dohari mubarakbaad akabool ho. Is sanmaan se liye hardik badhayi ho. neeraj is khushi ko blog ke members ke saath share karne ke liye bahut bahut dhanywaad

Devi Nangrani

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

मैं तो यही चाहूँगा की बधाईयों का सिलसिला जारी रहे. हमारे गुरूजी का कद बहुत उंचा है.
और नीरज सर का अनुगामी तो मैं पहले ही से हूँ. सो एक बार फिर से तालियाँ..........

Asha Joglekar said...

नीरज जी देर से ही सही (गलती मेरी जो देर से आई) खुश खबरी पाकर बहुत ही प्रसन्नता हुई कि सुबीर जी जिस ब्लॉग जगत से जुडे हैं उसका मै भी हिस्सा हूँ । सुबीरजी को इन उपलब्धियों के लिये बहुत बधाई ।
उन्होने खुद को इतना बुलंद किया है
ज्ञान पीठ आगे झुक गया है ।
फिर एक बार अनेक शुभ कामनाओं के साथ बधाई पंकज सुबीर जी को ।