आप की उत्सुकुता खीज में बदल जाये इस से पूर्व ही मैं सीधे ही मुद्दे पर आता हूँ. कुछ दिनों पहले मेरे पास सूचना आयी की मेरे गुरु और ब्लॉग जगत के सुपरिचित रचनाकार श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है बल्कि उनका कहानी संग्रह "ईस्ट इंडिया कम्पनी" भी "भारतीय ज्ञानपीठ" से प्रकाशित होकर आ गया है । "भारतीय ज्ञान पीठ" ने तीन कहानी संग्रह प्रकाशित करने हेतु देश भर के युवा कहानीकारों से पांडुलिपियां आमंत्रित कीं थीं । इनमें से जिन तीन कहानीकारों की पांडुलिपियों का चयन प्रकाशन के लिये किया गया उनमें से एक मध्यप्रदेश के सीहोर के लेखक पंकज सुबीर हैं.
सुधि पाठको आप तो जानते ही हैं "भारतीय ज्ञान पीठ " का स्थान हमारे देश में नोबल पुरुस्कारों के समकक्ष रखा जाता है. इसी सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा युवा साहित्यकारों को बढ़ावा देने हेतु पिछले वर्ष से ही ये नवलेखन पुरुस्कार योजना प्रारंभ की गई है जिसके तहत देश भर के युवा कहानीकारों तथा कवियों से पांडुलिपियां आमंत्रित की जाती हैं तथा उसमें से श्रेष्ठ कहानीकारों तथा कवियों की पांडुलिपियों का चयन वरिष्ठ साहित्यकारों की समिति करती है जिसमें देश के शीर्षस्थ कथाकार श्री रविन्द्र कालिया सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकार हैं । इस वर्ष जिन तीन कथाकारों का चयन किया गया है उनमें श्री "पंकज सुबीर" शामिल हैं
सब से अधिक ख़ुशी की बात ये है की "पंकज जी" हमारे ब्लॉग परिवार के सदस्य हैं. अब हम ताल ठोक कर के कह सकते हैं की ब्लॉग जगत के लेखक भी दमदार लेखन कर सकते हैं. याने ब्लोगर सिर्फ समय बिताने के लिए ही लेखन नहीं करता बल्कि अपने लेखन से समाज को एक नई और सही दिशा देने में भी प्रयास रत है. इस खबर को अधिक से अधिक प्रसारित करें ताकि ब्लोगर्स को समाज इज्ज़त की नज़र से देखे. समाज को हर ब्लोगर में विशेषता नजर आये.
सुधि पाठको मैं देख रहा हूँ की अधिकांश अब मेरे साथ तालियाँ बजाने में शामिल हो गए हैं, मुझे आप से येही आशा थी, जो अब तक संकोच वश या किसी और कारण से दोनों हाथों को एक दूसरे से जोर से जोड़ कर ध्वनि निकालने में समर्थ नहीं हो पाए हैं उनके लिए मुझे और समय देने में कोई आपत्ति नहीं है, क्यूँ की मुझे यकीन है की वो ही अभी नहीं तो कुछ समय बाद सबसे जोरदार तालियाँ बजायेंगे....
अब एक छोटी सी जानकारी किताब के विषय में:
इस कहानी संग्रह में अलग अलग रंगों की पन्द्रह कहानियां शामिल की गईं हैं । तथा संग्रह में ही शामिल एक कहानी के आधार पर इस कथा संग्रह का नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी रखा गया है । संग्रह में शामिल अन्य कहानियां कुफ्र, अंधेरे का गणित, घेराव, ऑंसरिंग मशीन, हीरामन, घुग्घू, तस्वीर में अवांछित, एक सीप में, ये कहानी नहीं है, रामभरोस हाली का मरना, तमाशा, शायद जोशी, छोटा नटवरलाल, तथा और कहानी मरती है.
ये सारी ही कहानियां वर्तमान पर केन्द्रित हैं । शीर्षक कहानी ईस्ट इंडिया कम्पनी उस मानसिकता की कहानी है जिसमें उंगली पकड़ते ही पहुंचा पकड़ने का प्रयास किया जाता है ।
कुफ्र कहानी में धर्म और भूख के बीच के संघर्ष का चित्रण किया गया है । अंधेर का गणित में समलैंगिकता को कथावस्तु बनाया गया है तो घेराव और रामभरोस हाली का मरना में सांप्रदायिक दंगे होने के पीछे की कहानी का ताना बाना है । आंसरिंग मशीन व्यवस्था द्वारा प्रतिभा को अपनी आंसरिंग मशीन बना लेने की कहानी है । हीरामन ग्रामीण परिवेश में लिखी गई एक बिल्कुल ही अलग विषय पर लिखी कहानी है । घुग्घू कहानी में देह विमर्श कथा के केन्द्र में है जहां गांव से आई एक युवती के सामन कदम कदम पर दैहिक आमंत्रण हैं । तस्वीर में अवांछित कहानी एक ऐसे पुरुष की कहानी है जो कि अपनी व्यस्तता के चलते अपने ही परिवार में अवांछित होता चला जाता है । एक सीप में तीन लड़कियां रहती थीं मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें एक ही घर में रहने वाली तीन बहनों की कहानी है जो एक एक करके हालात का शिकार होती हैं । ये कहानी नहीं है साहित्य के क्षेत्र में चल रही गुटबंदी और अन्य गंदगियों पर प्रकाश डालती है । तमाशा एक लड़की के अपने उस पिता के विद्रोह की कथा है जो उसके जन्म के समय उसे छोड़कर चला गया था । शायद जोशी मनोवैज्ञानिक कहानी है । छोटा नटवरलाल में समाचार चैनलों द्वारा समाचारों को लेकर जो घिनौना खेल खेला जाता है उसे उजागर करती है । और कहानी मरती है लेखक की हंस में प्रकाशित हो चुकी वो कहानी है जिसमें कहानी के पात्र कहानी से बाहर निकल निकल कर उससे लड़तें हैं और उसे कटघरे में खड़ा करते हैं । ये पंद्रह कहानियां अलग अलग स्वर में वर्तमान के किसी एक विषय को उठाकर उसकी पड़ताल करती हैं और उसके सभी पहलुओं को पाठकों के सामने लाती हैं ।
पुस्तक की कीमत 130 रुपये है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली 110003, Email : sales@jnanpith.net से प्राप्त किया जा सकता है । पुस्तक का ISBN नंबर 978-81-263-1691-5 है.
जो पाठक मेरी इस जानकारी से हर्षित हुए हैं उनसे अनुरोध है की अगर वो श्री "पंकज सुबीर जी" को बधाई देने में, यहाँ मेरे ब्लॉग पर, संकोच कर रहे हैं तो वो उन्हें उनके ब्लॉग http://subeerin.blogspot.com पर बधाई दे सकते हैं.
उन पाठकों से जो सार्वजनिक बधाई देने में संकोच करते हैं, अनुरोध है की वे उन्हें उनके ई-मेल subeerin@gmail.com पर अथवा उनके मोबाईल 09977855399 पर नितांत गोपनीय रूप से संपर्क कर सकते हैं.
श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है . ये ख़बर एक ऐसे खुशी लेकर आई है जिसके लिए जितनी तालियाँ बजाई जाए कम है ......दिल से बधाई और शुभकामना ...मेरे हर्ष की सच में कोई सीमा नही है ....पंकज जी की ये उपलब्धि हम भारतियों और ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार से कम नही है..नीरज जी बहुत बहुत आभार हम सब से ये खुशी को बाँटने का ...
ReplyDeleteRegards
नीरज जी ,ये खबर मुझे कल ही मिल गई थी जब मैंने गुरु जी से बात की थी ,वो इस पुस्तक की बिमोचन के लिए दिल्ली भी आरहे है मुझे तो मिलना भी है उनसे और जरुर मिलूँगा ,क्यूँ न मिलूं वो मेरे गुरु है तो प्रभु से भी बढ़ के होते है ... बस उनके दर्शन हो जाए यही उम्मीद करता हूँ ... वाकई बहोत बहोत ही ख़ुशी की बात है ये तो .... ढेरो बधाई .....
ReplyDeleteअर्श
तो मतलब इस बार हमे ये पुस्तक मिलने वाली है.. हम बैठे है जी कॉफी का प्याला हाथ में लेकर..
ReplyDeleteगुरुजी को बहुत बहुत बधाई और आपका आभार इस खबर के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही हर्ष की बात है. इसके लिए हम भी आपके साथ खड़े हैं. तालियाँ बजा रहे हैं. पंकज जी को ढेर सारी बधाई. उनकी यह उपलब्धि हमसब के लिए गर्व का विषय है. हमारे लिए गर्व की बात है कि वे हमलोगों के बीच हैं.
ReplyDeleteबहुत खुशी हुई इस खबर से.
पंकजजी को बधाई और आपको इस खबर को हम सब कें संज्ञान में लाने के लिए।
ReplyDeleteपंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई और आप को धन्यवाद कि आपने यह सुवार्ता अपने ब्लाग के ज़रिये हम तक पहुंचाया। ज्ञानपीठ पुरस्कार पर तो किसी भी लेखक को गौरवान्वित करेगा- जलन का सवाल ही कहां पैदा होता है जी:)
ReplyDeletetalia hi talia
ReplyDeleteप्रसन्नता की बात है, बधाई।
ReplyDeleteबहुत ख़ुशी हुई इस बात से बहुत बहुत बधाई पंकज जी को
ReplyDeleteहम सुबीर जी के ब्लॉग पे टिप्पणी बधाई दे आयें वह आपको मिलें तो एक बार और बधाई संदेश पहुँचा दें।
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
हम तो ईमेल से पहले ही खूब तालियाँ बजा आये थे. आपके साथ फिर धुन मिला कर बजा रहे हैं. उअह ब्लॉगजगत के लिए गौरव का विषय है कि हमारे बीच के ब्लॉगर इस तरह सम्मानित हुए और फिर, पंकज साहेब से तो इतनी छड़ी खा चुके हैं क्लास में कि किस हिम्मत से ताली न बजायें. :)
ReplyDeleteवाह! यह तो सच में खुश खबरी है.अभी हाल ही में कविता जी को एक सम्मान मिला था और अब सुबीर जी को इतना बड़ा सम्मान मिला है जान कर अत्यंत प्रसन्नता हुई.
ReplyDeleteसभी ब्लॉग जगत वासियों के लिए गर्व की बात है.
सुबीर जी को ढेर सारी बधाईयाँ .
[नीरज जी आप के ब्लॉग के जरिए ही सही -सुबीर जी से अनुरोध है कि वे अपनी ग़ज़ल कक्षाएं फिर से शुरू करें.]
बहुत ख़ुशी हुई नीरज जी यह जानकर. पंकज सुबीर तो बधाई है ही, आपको भी बधाई.
ReplyDeleteइस कामयाबी के लिए सुबीर को हार्दिक बधाईयाँ।
ReplyDeleteपंकज जी को हार्दिक बधाई और आपको भी।
ReplyDeleteनिश्चय ही ये हम सब के लिए गौरव की बात है। पंकज जी को हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteनीरज जी
ReplyDeleteतालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ
जय हो गुरु देव की जय हो
बहुत बहुत बधाई, आपको और सब ब्लॉग जगत को, हम सब के लिए गर्व की बात और अब तो सब को मैं भी गर्व से कह सकता हूँ की इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले मेरे भी जानकार हैं.
सुबीर जी को इतना बड़ा सम्मान मिला है जो भारत में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल से कम नहीं है, सब को एक बार फिर से बधाई
आपकी खुशखबरी का राज जान गए सरकार
बधाई !
ReplyDeleteइस सफलता हेतु पंकज जी को हार्दिक शुभकामनाऎं और नीरज जी अवगत कराने हेतु आपका भी धन्यवाद......
ReplyDeleteवाकई तालियाँ बजाने वाली खुशखबरी है। ये लो हमारी तरफ से तालियाँ। और हमारी तरफ से सुबीर जी को बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत बधाई.. यह हम सबके लिये गर्व की बात है...
ReplyDeleteपुस्तक जरुर पढे़गें..
जी बहुत खुशी हुई .. पहले भी पढा .. बधाई भी दे दिया है उनको .. सचमुच हमारे लिए बहुत गर्व की बात है।
ReplyDeleteपंकज जी की ये उपलब्धि ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार से कम नही है.बहुत बधाई
ReplyDeleteअशेष अनवरत शुभाकांक्षाएं
ReplyDeleteअपनी सी लग रही है सफलताएं
पंकज जी के लिए पुन:हार्दिक मंगल भाव
सहित पोस्ट के लिए आभार
पंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteहम भी शामिल हैं बधाई देने वालों में!
ReplyDeleteइस संग्रह की कहानी 'तस्वीर से बाहर' ने मुझे बहुत ही 'हाण्ट' किया था।
ReplyDeleteइस कथा संग्रह के प्रकाशन की पूर्व सूचना 'नया ज्ञानोदय' से मिली थी। सुबीरजी को तब ही फोन पर बधाई दे दी थी।
किन्तु अच्छा काम दूसरी बार करने में कोई हर्ज नहीं।
सो, आपके बहाने, सुबीरजी को लख-लख बधाइयां।
कब से प्रतिक्षा मेम था मैं तो इस किताब की....महीने-दर-महीने भारतीय ग्यानपीठ से छपने वाली मासिक नया ग्यानोदय में घोषणा पढ़-पढ़ कर झुंझलाहट होने लगी थी।
ReplyDeleteगुरू जी को यूं तो बधाई फोन पर ही दे आया,यहाँ भी। दुआ है किताब सहस्त्रों एडिशन में जाये।
पंकज सुबीर जी कॊ मेरी तरफ़ से भी बहुत बहुत बधाई , ओर आप का धन्यवाद इस खबर को हम तक पहुचाने के लिये
ReplyDeletebadhaaiyaan ...pataakhe......khushimili
ReplyDelete"भारतीय ज्ञान पीठ " द्वारा श्री पँकज भाई की पुस्तक का प्रकाशन बेहद प्रसन्नाता का विषय है यह समाचार मुझे भी बहुत खुशी दे रहा है :)
ReplyDeleteपँकज भाई,
आपकी पुस्तक बहुत ख्याति पाये ये मेरी शुभ कामना है !
नीरज जी आभार इस समाचार के लिये
स स्नेह,
- लावण्या
पंकज सुबीर को बहुत-बहुत बधाई और नीरज जी आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteBahut bahut badhaiyaan Panjak Subeer Ji ko.
ReplyDeleteJust from the name of the book, I am so interested & excited to read this book..
-Ratan
मेरी और से भी पंकज सुबीर जी को बधाई. अब शायद ब्लोगर्स को भी गंभीरता से लिया जाने लगे.
ReplyDeleteसुबीर जी को भारतीय ज्ञानपीठ मिलने की बधाई, बहुत ख़ुशी हुई, तहे दिल से बधाई...
ReplyDeleteसुबीर जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeletebahut saari taaliyon ke saath bahut saari badhaiyaan subir ji ko...
ReplyDeletebahut bahut badhai ji
ReplyDeleteओम प्रकाश सपरा जी प्राप्त मेल:
ReplyDeleteDear niraj ji
Namastey
It is good news that pankaj subeer has been honoured by jnanpeeth prize for his collection east india company.
Congratulations to you for giving this news to readers of your blog and also especially to the writer Mr. pankaj ji.
I plan to get this book soon and go through the same, as iam in Delhi.
Again congratulations.
- Om Sapra
N-22, Dr. Mukherji Nagar,
Delhi-9
9818180932
नीरज जी
ReplyDeleteतालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ तालियाँ
बहुत बहुत बधाई, सुबीर जी को , आपको और सब ब्लॉग जगत को, हम सब के लिए गर्व की बात
aapke saath main taali bajane me dil se shareek hun,shree pankaj ji ko dil se badhaai.........waakai yah garv ki baat hai
ReplyDeleteपंकज सुबीर
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई
शुभाकांक्षाएं
आपने जो रोचक प्रसंग बताया है उसके लिए आपको बधाई । यह पुरस्कार हमारे यहां नोबेल की तरह होता है । ढेर सारी बधाईयां
ReplyDeleteब्लॉग-जगत में सब के चहेते आलिम-फ़ाज़िल रचनाकार श्री पंकज सुबीर जी के कहानी संग्रह को भारतीय ज्ञानपीठ दुआरा नव-लेखन पुरस्कार योजना हेतु सम्मिलित किया गया है , ये जान कर बहुत ही ख़ुशी हुई ....
ReplyDeleteऐसे विद्वान् रचनाकारों का सम्मानित होना हम सब के लिए फख्र की बात है .....
उन्हें ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं . . . .
और हुज़ूर !
आपको इस खुश-खबरी देने के लिए अभिवादन . . . . .
---मुफलिस---
... प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!!!
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteनमस्कार,,,,,,,अपने गुरु जी को हमारी तरफ से भी बधाई कहियेगा,,,,,
कुछ तालियाँ इस नाचीज़ की भी पेश किजीयेगा........
बधाई
मैं अभिभूत हूं इन सारी टिपपणियो को देखकर । मैं पहले भी कह चुका हूं कि नीरज जी का ब्लाग तो यशराज फिल्मस की तरह है जिस पर हर फिलम हिट ही होती है । किन्तु जिस प्रकार से सभी ने शुभकानाएं दी हैं उससे मन में जो अनुभूति हुई है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता । धन्यवाद या आभार शब्द बहुत छोटा है इस प्रेम के सामने और मैं इन छोटे शब्दों का उपयोग करके आपके प्रेम का अपमान नहीं करना चाहता । ऐसा लगता है कि पूरा ब्लाग जगत मेरे साथ है । मैं अपने ही शहर की कहूं तो यहां कई सारे लेाग हैं ऐसे जो कि मेरे मित्र होने का दावा करने के बाद समाचार पत्रों में पढ़कर मुझे बधाई देने भी नहीं आये । नीरज जी ने कम से कम मुझे एक बात तो सिखा दी है कि निष्छल होने के कितने फायदे होते हैं । और नीरज जी ने जो एक और बात मुझे सिखाई है वो ये कि उस पुराने गीत का अर्थ क्या है जिसका मुखड़ा कुछ यूं था ''मधुवन खुश्बू देता है सागर सावन देता है, जीना उसका जीना है जो औरों को जीवन देता है'' । नीरज जी तो अपने ब्लाग पर कई बार कह चुके हैं कि मैं उनको ग़ज़लें सिखाता हूं किन्तु मैंने आज तक अपने ब्लाग पर जो नहीं लिखा वो यहां लिख रहा हूं कि भले ही नीरज जी मुझसे ग़ज़लें लिखना सीख रहे हों किन्तु बदले में मैं भी उनसे कुछ सीख रहा हूं और वो है लोक व्यवहार की कला । नीरज जी ने मुझे सिखाया है कि व्यवहार एक रबर की गेंद होता है जो आप दूसरे को देंगें वही लौट कर आपको मिलेगा । नीरज जी ने मुझे विनम्रता के कई पाठ पढ़ाये हैं । नीरज जी ने मुझे सिखाया है कि ठहाके लगा कर हंसना किसे कहते हैं और उस हंसी के क्या लाभ हैं । तो ये बातें मैं कभी अपने ब्लाग पर लिखना चाहता था किन्तु नहीं लिख पाया आज से अच्छा समय नहीं था सो आज लिख रहा हूं । पुन: कहूंगा कि आप सब स्नेही जन जिन्होंने टिप्पणियां दी हैं उनको आभार कह कर मित्रता का अपमान नहीं करूंगा पर ये ज़रूर कहूंगा कि आपके प्यार से मन भर आया है दुनिया भर के पुरुस्कार जीत लो पर अपनों के प्रेम से बड़ा कुछ नहीं होता ।
ReplyDeleteआपका ही
सुबीर
pankaj ji ko badhai gyan peeth milna apne aap me 1 big uplabdhi hoti he .
ReplyDeleteपंकज जी की ये उपलब्धि प्रशंसनीय है छोटे कस्बे में रहकर ये उपलब्धि प्राप्त करना और बड़ा काम है । मेरी बधाईयां
ReplyDeleteJanab Mansoor Ali Saheb ki tippani jo mujhe e-mail se mili...
ReplyDelete"Bahut - bahut dhanyawaad neerajji aapko aur subeerji ko sahstra badhaiiyaan is shaandar uplabdhi par."
Mansoor Ali Hashmi
सगर्व अली
ReplyDelete================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
सच बात तो यह है कि सुबीर जी को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सम्मानित किए जाने में कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वे इसके योग्य हैं। इससे भी बड़ा सम्मान उन्हें लोगों ने दिया है जो उनकी योग्यता, साहित्य के प्रति उनका प्रेम और कर्मठता के कारण हर समय याद करते हैं।
ReplyDeleteसुबीर जी को बहुत बहुत बधाई और आपका आभार।
महावीर शर्मा
सुबीर जी को हमारी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई। उनके ग़्ज़ल पर लिखे लेखों के तो हम बहुत बड़े फ़ैन हैं।
ReplyDeleteमहावीर जी के विचारों से सहमत हूँ। सुबीर भाए बहुत अच्छे और सुपरिचित साहित्यकार हैं। उन्हें सम्मानित किया जाना हमारे लिए भी ख़ुशी का विषय है इससे सभी ख़ासकर युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलता है। मैने सुबीर जी को फोन करके बधाई तो दे दी लेकिन अब उनके ब्लॉग पर जाकर बधाई देना चाहूँगा। नीरज भाई आपने बहुत ही सुकून पहुँचाने वाली बात कही।
ReplyDeleteपंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई पंकज जी को । और आपका जानकारी के लिये शुक्रिया ।
ReplyDeleteपंकज जी को बहुत बहुत बधाइयां...पुस्तक प्रकाशन किसी भी लेखक के लिए खास मौका होता है। देश के प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा प्रकाश होना तो गर्व की बात है...
ReplyDeleteसूचना के लिए आपका भी शुक्रिया ....
पंकज जी को इस सम्मान के लिये बधाई । अभी कुछ समय पहले एक और ब्लौगर ’प्रत्यक्षा सिन्हा’ का भी कहानी संग्रह ’भारतीय ज्ञानपीठ से ही प्रकाशित हुआ था ।
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी, हम तो सुबीर साहब को आपके ही ब्ला॓ग पर बधाई देंगे। बहुत खुशी हो रही है, सुनकर। आभार आपका बहुत बहुत।
ReplyDeleteपंकज सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई....!!
ReplyDeleteआदरणीय नीरज जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हम सब से ये खुशी को बाँटने का
श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है . ये ख़बर एक ऐसे खुशी लेकर आई है जिसके लिए जितनी तालियाँ बजाई जाए कम है,
दिल से बधाई और शुभकामना
हम भारतियों और ब्लॉग जगत के लिए एक उपहार है
बहुत देर से यहाँ आना हुआ उसका अफसोस रहेगा...
ReplyDeleteमेरी ओर से इतने बड़े सम्मान के लिए हार्दिक बधाई...
Subeer ji
ReplyDeleteDohari mubarakbaad akabool ho. Is sanmaan se liye hardik badhayi ho. neeraj is khushi ko blog ke members ke saath share karne ke liye bahut bahut dhanywaad
Devi Nangrani
मैं तो यही चाहूँगा की बधाईयों का सिलसिला जारी रहे. हमारे गुरूजी का कद बहुत उंचा है.
ReplyDeleteऔर नीरज सर का अनुगामी तो मैं पहले ही से हूँ. सो एक बार फिर से तालियाँ..........
नीरज जी देर से ही सही (गलती मेरी जो देर से आई) खुश खबरी पाकर बहुत ही प्रसन्नता हुई कि सुबीर जी जिस ब्लॉग जगत से जुडे हैं उसका मै भी हिस्सा हूँ । सुबीरजी को इन उपलब्धियों के लिये बहुत बधाई ।
ReplyDeleteउन्होने खुद को इतना बुलंद किया है
ज्ञान पीठ आगे झुक गया है ।
फिर एक बार अनेक शुभ कामनाओं के साथ बधाई पंकज सुबीर जी को ।