नीरज
Monday, October 13, 2025

किताब मिली -शुक्रिया -23

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हमारी आंख में खद्दर के ख़्वाब बिकते थे  तुम आए और यहां बोस्की के थान खुले  ये कौन भूल गया उन लबों का ख़ाका  यहां ये कौन छोड़ गया गुड़ के मर...
Monday, December 2, 2024

किताब मिली - शुक्रिया - 22

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दुखों से दाँत -काटी दोस्ती जब से हुई मेरी  ख़ुशी आए न आए जिंदगी खुशियां मनाती है  *  किसी की ऊंचे उठने में कई पाबंदियां हैं  किसी के नीचे गि...
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Monday, November 25, 2024

किताब मिली --शुक्रिया - 21

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जो तू नहीं तो ये वहम-ओ-गुमान किसका है  ये सोते जागते दिन रात ध्यान किसका है  कहां खुली है किसी पे ये वुसअत-ए -सहारा  सितारे किसके हैं ये आसम...
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Monday, November 11, 2024

किताब मिली - शुक्रिया - 20

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तू है सूरज तुझे मालूम कहां रात का दुख  तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद  लौट आए ना किसी रोज़ वो आवारा मिज़ाज  खोल रखते हैं इसी आस पे ...
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Monday, November 4, 2024

किताब मिली -शुक्रिया - 19

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ऐ हमसफ़र ये याद रख, तेरे बिना यह ज़िंदगी  कि सिर्फ़ धड़कनों की खींच-तान है, थकान है  रहे जब उसके दिल में हम, तो हम को ये पता चला  वो बंद खिड...
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ये हूँ मैं

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नीरज गोस्वामी
जयपुर, राजस्थान, India
अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति. इंजीनियरिंग करने के बाद ,जीवन के 44 साल स्टील कंपनियों में मौज मस्ती के साथ सफलता पूर्वक, गुज़ारने के बाद अब जयपुर अपने घर पूर्ण विश्राम की अवस्था को प्राप्त। कल का पता नहीं।लेखन, अपने को लेखक होने का भ्र्म पाले रखने के लिए।
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