Monday, January 3, 2011

रात में चाँद है

आप सब को नव वर्ष की शुभ कामनाएं


दोस्‍त सब जान से भी प्‍यारे हैं
जब तलक दूर वो हमारे हैं

जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं

मुस्‍कुराते हैं हम तो पी के इन्‍हें
आप कहते हैं अश्क खारे हैं

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं

बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं

उसकी नज़रों के वार क्‍या कहिये
तीर तरकश के सब उतारे हैं


जिनमें शामिल नहीं हो तुम हमदम
वो नज़ारे भी क्‍या नज़ारे हैं


जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं

58 comments:

vijay kumar sappatti said...

sir ji ,

Good Morning ...

जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं

bas iske siwa kuch nahi kahna ..

badhayi..

vijay

Vandana Singh said...

simran ka adject mean nahi catch kar pa rahi hoon plz

kuch padhne ka man karke blog khola to kuch bahut accha hi paya ..badhai :)

सदा said...

जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं ...

बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का संगम है इस रचना में ।

Unknown said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं

shyam gupta said...

बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं।

---वाह क्या बात है, नीरज़ जी. शानदार गज़ल...

एस एम् मासूम said...

नीरज जी नव वर्ष की पहली पोस्ट जसको पढने मैं अच्छा लगा. हर एक शेर कीमती है..
दोस्‍त सब जान से भी प्‍यारे हैं
जब तलक दूर वो हमारे हैं

.
धन्यवाद्

शारदा अरोरा said...

बहुत पसंद आई ये ग़ज़ल ..
नया साल मुबारक हो ..

स्वप्निल तिवारी said...

nav varsh kee dher sari shubhkamnayen...
maqta khub achha laga.. :)matle men chhipa vyang bhi sahi hai ...

प्रवीण पाण्डेय said...

यह अकेलापन चाँद सितारों से न कटेगा।

दिगम्बर नासवा said...

जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं ..

Vaah Neeraj ji ... naye saal mein gazab ka tohfa diya hai aapne ...
aapko aur aapke samast pariwaar ko naya saal mubaarak ho ...

vandana gupta said...

वाह वाह वाह वाह ………………अब और क्या कहूँ? हर शेर लाजवाब है हमेशा की तरह्।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

नीरज जी,
हमेशा की तरह खूबसूरत और मुक़म्मल ग़ज़ल ,

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं

वाह,क्या कहने !

-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

अरुण चन्द्र रॉय said...

बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं....



नए साल की शुरुआत बहुत आशावादी सोच से... बढ़िया ग़ज़ल...

केवल राम said...

उसकी नज़रों के वार क्‍या कहिये
तीर तरकश के सब उतारे हैं

अपना तो मन खुश हो गया नीरज जी यहाँ आकर .....नज़रों के वार....क्या बात है ....पूरी गजल लाजबाब ...बहुत बहुत आभार

Anonymous said...

नीरज जी,

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल.......सारे शेर बढ़िया लगे...दाद कबूल करें|

राजेश उत्‍साही said...

नीरज जी अगर पहले शेर में हमारे जैसों की बात हो रही है तो निश्‍िचंत रहिए, हम पास आकर भी उतने ही प्‍यारे रहेंगे।
*
और अगर आपके 'वो' की बात हो रही है तो हम कभी भी आपके और उनके बीच नहीं आएंगे।

महेन्‍द्र वर्मा said...

दिन अकेले ही काट लो नीरज
रात में चाँद है सितारे हैं

वाह, नीरज जी,
बहुत ही खू़बसूरत ग़ज़ल है, हर शे‘र बेमिसाल।।


।।नूतन वर्षाभ्निंदन।।

निर्मला कपिला said...

मुस्‍कुराते हैं हम तो पी के इन्‍हें
आप कहते हैं अश्क खारे हैं
वाह बहुत ही खूबसूरत शेर है।

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं
सच बात है कमाल की गज़ल है। सभी शेर ही बहुत अच्छे हैं। बधाई आपको।

तिलक राज कपूर said...

शब्‍द से रंग, भाव से कूची
दृश्‍य 'नीरज' ने क्‍या उतारे हैं।

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत सुंदर.

संजय @ मो सम कौन... said...

नीरज साहब,
एक बार फ़िर से छा गये हो आप।
बचपन में कभी पढ़ी थी एक अंग्रेजी की कविता
'looser knows the victory well'
शायद ऐसी ही कुछ थी, फ़िर से याद ताजी कर दी इन पंक्तियों ने
"जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं"
एक एक शेर नायाब।
गज़ल पर वाह वाह कहने का रिवाज है वैसे तो, अपन तो सैल्यूट मारते हैं:)

डॉ .अनुराग said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं



अजीब चीज़ है न ये चाँद .......तमाम उम्र इससे इश्क तारी रहता है .

Mansoor ali Hashmi said...

चाँद सी है तेरी ग़ज़ल 'नीरज',
शेर इसके जो है सितारे है.
बात अपने ही दिल की लगती है,
इसके जज़्बात भी हमारे है.

-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद

डॉ टी एस दराल said...

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं

बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं

बहुत बढ़िया बात कही है ।
हमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

जिनमें शामिल नहीं हो तुम हमदम
वो नज़ारे भी क्‍या नज़ारे हैं
क्या नज़ाकत है...वाह
जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं
वाह...वाह...वाह
दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं
कितना सकारात्मक संदेश है नीरज जी...
नए साल पर हार्दिक शुभकामनाएं.

Sadhana Vaid said...

नीरज जी हर शेर एक से एक बढ़ कर है ! बहुत ही खूबसूरत गज़ल है !
जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं !

बहुत ही सुन्दर ! समझ नहीं आता किसे सराहें और किसे छोड़ें ! इतनी सुन्दर रचना के लिये आभार एवं शुभकामनायें ! नव वर्ष आपके लिये मंगलमय एवं कल्याणकारी हो यही प्रार्थना है !

राजेश चड्ढ़ा said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं ........वाह जी..बहुत खूब.

राजेश चड्ढ़ा said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं ........वाह जी..बहुत खूब.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कौन से शेर की तारीफ करूँ
सब ही बेहतर हैं सारे प्यारे हैं.
मेरा दीवान है फ़कीरों सा
और नीरज के वारे न्यारे हैं!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह नीरज जी ... हर शेर उम्दा है ... किसी एक/दो को चुनना मुश्किल है ...
पूरी ग़ज़ल ही मुकम्मल है ...
आप हमेशा ऐसे कमाल कैसे कर लेते हो ?

Anupama Tripathi said...

बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं।


लाजवाब -
बहुत अच्छा लिखा है -
शुभकामनाएं .

स्वाति said...

जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं..
nishabd...

नया सवेरा said...

... behatreen !!

वाणी गीत said...

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं....
सच है हार कर जीतने वाला ही जानता है जीत का उल्लास...

दिन अकेले ही काट लो , रात में चाँद हैं , सितारे हैं ...
कुछ अलग से भाव है ...धारा के विपरीत ...वर्ना लोग कहते हैं की दिन तो निकल जाता है , शामें कटती नहीं ...
लाजवाब !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नीरज जी, बहुत ही प्‍यारी गजल कही है। आपको भी नव वर्ष की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। आप हमें इसी तरह प्‍यारी प्‍यारी गजलें पढ़वाएं।

---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?

DR.ASHOK KUMAR said...

जिँदगी नाम उन पलोँ का है
तेरे सिमरन मेँ जो गुजारे हैँ ।
बहुत ही प्यारी गजल है । सीखने के लिए बहुत कुछ है इसमेँ ।
बहुत बहुत आभार नीरज जी !

आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ ।

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" खुदा से भी पहले हमेँ याद आयेगा कोई...........गजल "

रचना दीक्षित said...

हर शेर इक गहरी बात लिए हुए है मेरे दिल में इन दो शेरों ने गहरी जगह बनाई है

"जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं'"

"बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं"
आपको व आपके परिवार को व नव वर्ष कि मंगल कामनाएं

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

हमेशा की तरह बेहतरीन

Kunwar Kusumesh said...

पूरी ग़ज़ल बेहतरीन.

मुस्‍कुराते हैं हम तो पी के इन्‍हें
आप कहते हैं अश्क खारे हैं

जवाब नहीं इस शेर का.

Ankit said...

ये शेर बहुत खूब कहा है नीरज जी,
"बाजुओं पर यकीन है जिनको
दूर उनसे कहां किनारे हैं"

और मक्ता तो कमाल है.

M VERMA said...

जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं

यकीनन वही एक लम्हा है जिन्दगी

बहुत सुन्दर शेर ... लाजवाब

मेरे भाव said...

जिनमें शामिल नहीं हो तुम हमदम
वो नज़ारे भी क्‍या नज़ारे हैं

जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं

bahut hi khoobsoorat sher hain. shubhkamna

बाल भवन जबलपुर said...

anupam

Sunil Kumar said...

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं
वाह जी..बहुत खूब.

जयकृष्ण राय तुषार said...

bhai niraji navvarsh ki dher saari shubhkamnayen achchi rachna ke liye aapko dher saari badhai.aapke blog per kitabon ki duniyan dekhkar ek behtreen koshish se man aur khush hua thanks with regards

Satish Saxena said...

वाह वा वाह वा !
बेहतरीन आनंद .....कविवर शुभकामनायें !

Shiv said...

जीत का मोल पूछिए उनसे
बाजियां जो हमेशा हारे हैं

हमेशा की तरह बेहतरीन ग़ज़ल. जीवन जीने के तरीके बताती हुई.

आपकी ग़ज़ल पर टिप्पणी के लिए नए वाक्य/शब्द खोजना बहुत कठिन होता है.

रजनीश तिवारी said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं
ye bhi bahut achcha hai
दोस्‍त सब जान से भी प्‍यारे हैं
जब तलक दूर वो हमारे हैं
बहुत अच्छी लगी आपकी ये गज़ल !धन्यवाद!!और शुभकामनाएँ

Dr Xitija Singh said...

मुस्‍कुराते हैं हम तो पी के इन्‍हें
आप कहते हैं अश्क खारे हैं

वाह क्या खूब लिखा है नीरज जी .... हर शेर कमाल का है ...

आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ...

mridula pradhan said...

wah. bahut sunder.

Khushdeep Sehgal said...

दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं...

लेकिन हमने चांद और सितारों की तमन्ना ही कब की है...

जय हिंद...

deepti sharma said...

wah bahut sunder

mere blog par
"main"
kabhi yaha bhi aaye

apko nav varsh ki hardik badhayi

Neelam said...

जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं ,


मुस्‍कुराते हैं हम तो पी के इन्‍हें
आप कहते हैं अश्क खारे हैं,


दिन अकेले ही काट लो ‘नीरज’
रात में चाँद है सितारे हैं .uffff....Jitni tareef ki jaaye kam hai. behdd umda.

Parul Singh said...

uski najro ke var kya kahiye
teer tarkash ke sab utare hai
jinme shamil nahi ho tum vo najare bhi kya najare hai
..............
just want to say one word..BEHATREEN
halaki mai aapse shayar ke kalam ke liye khuch likhne ki haqdar to nahi..

राकेश खंडेलवाल said...

जनाब
सही फ़रमाया आपने

जब तलक दूर वो हमारे हैं

Rajeev Bharol said...

"अब किसे दाद दें किसे छोड़ें,
इक् से इक् बढ़ के शेर सारे हैं."

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय नीरज जी भाई साहब

कमाल की ग़ज़ल लिखी है , एक एक शे’र कोट करने को जी कर रहा है …


दोस्‍त सब जान से भी प्‍यारे हैं
जब तलक दूर वो हमारे हैं

बहुत ख़ूब !
मतले से ही बांध लेते हैं आप अपने पाठक को ।

मेरे मिजाज़ का, मेरी पसंद का विषय है …
जो भी चाहूं वहीँ से मिलता है
मॉं के हाथों में वो पिटारे हैं

# मैंने मेरी एक राजस्थानी ग़ज़ल में कहा है -
धन कुणसो था'सूं बधको ?
निरधन री टकसाल है मा !

अर्थात् कौनसा धन मां से बढ़कर है , गरीब की तो टकसाल है मां !
वाह वाह ! आपके साथ अपनी भी पीठ थपथपा लेता हूं … :)

हर शे’र काबिले-तारीफ़ है …
जिंदगी नाम उन पलों का है
तेरे सिमरन में जो गुजारे हैं

इश्क़े मजाज़ी के लुत्फ़ से इश्क़े-हक़ीक़ी के फ़लसफ़े को बयां करते इस शे’र के वैराट्य के आनन्द में खोया हुआ आपकी लेखनी को सलाम करता हुआ विदा लेता हूं … … …

- राजेन्द्र स्वर्णकार