गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
बारिश अब सायोनारा कहने के मूड में आ चुकी है. अब देखिये ना कहीं तो वो सिर्फ दूर से हाथ हिला जा रही है और कहीं ससुराल जाती बेटियों सी फूट फूट कर आँखों से पानी बरसाती हुई. जाती बरसात ने गुजरात, हरियाणा,उत्तर प्रदेश और देल्ही को तर- बतर कर दिया.मुंबई में हालाँकि जाती बरसात थोडा सा पानी लायी लेकिन जितना चाहिए था उतना नहीं.
खैर मेरा मकसद मौसम की जानकारी देने का नहीं है. मेरा मकसद सायोनारा कहती बरसात में आपको घुमाने का है. घुमाने के लिए बन्दे के पास अभी सिर्फ और सिर्फ खोपोली और उसके आस पास के खूबसूरत इलाके ही हैं, जिन्हें मेरे जैसे बहुत कम खुशकिस्मत ब्लोगर ही देख पायें हैं.
लोनावला का नाम तो आप सुने ही होंगे, क्या कहा नहीं?चलिए मान लेते हैं की नहीं सुने लेकिन खंडाला का नाम नहीं सुने हैं ये नहीं मान सकते. इस रविवार को सोचा की लोनावला खंडाला की सैर की जाये दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए स्थान हैं. हमारे घर से मात्र बीस की.मी दूर एक झील है "भुशी झील" जिसे भुशी डैम के नाम से जाना जाता है. मुंबई वासियों के लिए ये किसी स्वर्ग से कम जगह नहीं है. बरसातों में झील से होने वाले पानी के ओवरफ्लो के स्थान पर सीडियां बनाई हुई हैं. लोग सैंकडों की तादाद में उन सीडियों पर बैठ कर भीगते हुए भुट्टे खाते हैं और चाय पीते हैं.ऐसा नज़ारा शायद ही आपको कहीं देखने को मिले.
झील के साथ साथ चलते हुए अगर आप उसके पीछे वाले हिस्से में चले जाएँ तो पहाडों से गिरते झरने आपको सम्मोहित कर देंगे.आप इन झरनों के नीचे बैठ कर घंटों नहाने का आनंद उठा सकते हैं.
इस खूबसूरत सफ़र में अब आपके साथ सिर्फ चुनिन्दा शेर होंगे और होंगी चंद तस्वीरें.
बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए
मौसम के हाथ भीग के शफ्फाक हो गए
:'परवीन शाकिर'
कागज़ की कश्ती, जुगनू, झिलमिल झिलमिल
शौहरत क्या है इक नदिया बरसाती है
:बशीर बद्र
तुम्हारे साथ में ये मौसम फरिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा
:बशीर बद्र
पेडों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूं
बादल की तरह झूम के घिर आओ किसी दिन
फूल खुशबू झील मौसम धूप तितली और हवा
सब के चेहरों पर उदासी है तेरे जाने के बाद
मुझे उन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पर लिखा है
:'बशीर बद्र'
जाती है किसी झील की गहराई कहाँ तक
आँखों में तेरी डूब के देखेंगे किसी दिन
:'अमजद इस्लाम अमजद'
दिल हो रहा है देर से खामोश झील सा
क्या दोस्तों के हाथ में पत्थर नहीं कोई
:'सागर आज़मी'
सुनाई दे तिरे क़दमों की आहट
ये रस्ता मुस्कुराना चाहता है
:वसीम बरेलवी
तू की दरिया है मगर मेरी तरह प्यासा है
मैं तेरे पास चला आऊँगा बादल की तरह
:'अमीर कजलबाश'
कूचे तो तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर
जंगल तेरे परबत तेरे बस्ती तेरी सेहरा तेरा
:'इब्ने इंशा'
घरों में रह के कोई रास्ता नहीं मिलता
घरों को छोड़ के निकलो तो क्या नहीं मिलता
:वसीम बरेलवी
ज़मीं भीगी हुई है आंसुओं से
यहाँ बादल इबादत कर रहे हैं
:बशीर बद्र
तिरे क़दमों से रोशन हैं सफ़र की रौनकें सारी
तू जिस रस्ते पे चलना छोड़ दे वीरान हो जाये
:वसीम बरेलवी
ये ख्वाब है खुशबू है के झोंका है के पल है
ये धुंध है बादल है के साया है के तुम हो
:'अहमद फ़राज़'
और अब आखिर में
इन बादलों से दोस्ती अच्छी नहीं फ़राज़
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख्याल कर
:'अहमद फ़राज़'
(ये सभी चित्र मेरे द्वारा एक साधारण मोबाईल कैमरे से खींचे हुए हैं: चित्रों का असली आनंद लेने के लिए इन्हें बड़ा करके देखें)
71 comments:
भाई नीरज जी ,
फिर एक और कमाल ये गज़ब कर दिया.
ग़ज़लों की किस कदर चित्रमय कर दिया
बधाई!, बधाई!!, बधाई!!!.......
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
मेरे पूर्व के कमेंट को इस तरह पढ़ा जाये.....
भाई नीरज जी ,
फिर इक और कमाल ये गज़ब का ही कर दिया
शेरों को किस कदर दिलकश चित्रमय कर दिया
बधाई!, बधाई!!, बधाई!!!.......
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
वाह ! बहुत सुन्दर नीरज जी ! ऐसा लगा मानो आपने तो हमें चारो धाम की यात्रा करा दी हो!
अद्भुत पोस्ट है. एक से बढ़कर एक फोटो और उसके साथ इतने बढ़िया शेर.
शानदार ग़ज़ल है.
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है....sab kuchh udas hai tere jane ke baad...bahut achhi post lagi...
वाह.समाँ बाँध दिया आपने बस..
हम जैसे ऒफ़िसों मे बैठे उकताये हुए लोग आपकी खुशी के गवाह मस्त नजारों को फोटोज् मे देख कर आपसे रश्क कर सकते हैं बस
हमारी तरफ़ से भी एक शेर नासिर साहब का..
भरी बरसात खाली जा रही है
सर-ए-अब्र-ए-रवाँ देखा न जाये
गज़लों के मतलों की प्रस्तुति बढ़िया रही।
बधाई!
अहा ! ईद की इस सुबह को इससे अच्छा नजारा और क्या हो सकता था....पुरानी यादें ताजा हो आयीं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में अपने तीन साल के प्रशिक्षण के दौरान जाने कितनी दफ़ा इन जगहों पर गये थे हम, लेकिन इन लाजवाब अशआरों के साथ इन तमाम जगहों की खूबसूरती में और इजाफ़ा हो गया।
एक अद्भुत और संग्रहणीय पोस्ट, नीरज जी!
अद्भुत, एक एक तस्वीर एक कविता है अपने आप में और फिर एक काव्यात्मक टिप्पणी जोड़कर हो गया है सोने पर सुहागा. .
नीरज जी, सही मायनों में 'मज़ा आ गया'.
मेरी एक गज़ल का एक शेर यूं है-
मैं हूं एक बून्द तो दरिया में समा जाने दो
और दरिया हूं तो सागर में मिलाना मुझको
एक साधारण मोबाईल कैमरे से इतनी सुंदर तस्वीर खींची गयी .. गजब के चित्र और शेर .. विवरण को मिला दिया जाए .. तो कमाल की पोस्ट .. इतने खूबसूरत भुशी डैम का इतने कोणों से दर्शन कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!
बहुत बहुत सुन्दर चित्र हैं। साथ लिखी पंक्तियों ने चार चाँद लगा दिए।
घुघूती बासूती
वाह नीरज जी प्यारे सुन्दर शेर के साथ अच्छी फोटो जो तालमेल बनाया है सच दिल खुश हो गया।
सुनाई दे तिरे क़दमों की आहट
ये रस्ता मुस्कुराना चाहता है
घरों में रह के कोई रास्ता नहीं मिलता
घरों को छोड़ के निकलो तो क्या नहीं मिलता
इन बादलों से दोस्ती अच्छी नहीं फ़राज़
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख्याल कर
ये शेर कुछ ज्यादा अच्छे लगे जी।
नीरज जी
बेहद खूबसूरत है, मुम्बई की बारिश। हमारे यहाँ तो इस बार तरसाकर चले गयी। बस पहाड़ हरे हो गए। मैंने भी अपनी पोस्ट पर एक गाँव के चन्द फोटो लगाए हैं, देखिएगा और जानिए एक जनजातीय गाँव को।
हम यूँ ही तकते रहे विदेशी झरने
देश की बदली तो कमाल निकली
खंडाला की वादियों का बहुत खूबसूरत मौसमी चित्रण.
सभी फोटो और शेर लाज़वाब.
कृपया, हमारी चित्रकथा भी देखें और आनंद लें.
लाज़वाब है चित्र और उससे साथ की पंक्तियाँ
बहुत सुन्दर
बारिश के मौसम में लोनावाल-खंडाला घूमना स्वर्गिक आनंद से कम नहीं है
अद्भुत चित्रों के साथ बेहतरीन शेर..बधाई!!!
शेरों ने तस्वीरों की खूबसूरती बढा दी ...या तस्वीरों ने शेरों को नए अर्थ दिए ..कहना मुश्किल है.
बहुत ही सुन्दर पोस्ट
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
ek se badhkar ek sher aur usse bhi badhkar photo........lajawaab prastuti ............dil mantrmugdh ho gaya.
plz visit my new blog also:
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
क्या पोस्ट है !! बहुत बढ़िया फोटू और उतने ही उम्दा शेर.
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
बहुत खुब जी आप ने बहुत सुंदर चित्र दिये, इन चित्रो के संग हम ने भी बारिस का मजा ले लिये.
धन्यवाद
आज एक नए नीरज के फिर दर्शन हुए . शायर विद केमरा .
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
खंडाला की वादियों का बहुत खूबसूरत चित्रण...
खंडाला के चीर परिचित तस्वीरो के साथ आपने जिन रचनाओ का चुनाव किया है वह अदभूत एहसास करा रहे है .......महान हस्तियो के चुनिन्दा रचना दिल को छू गये ........इसके लिये बहुत बहुत आभार!
अब तो कहा जाये सरस्वती आपके हाथो में ही बसती हैं....
सुन्दर गजलो के साथ ये फोटोग्राफी......
माशा अल्लाह....
आपने बस बैठे ही सैर करा दी......
चित्र मय कविता है या कवितामय चित्र!
हमें तो एक गुनगुनाती सर्दी का इंतजार है - उमस का पसीना पोंछते आया ख्याल!
कितने मनभावन चित्र हैं... और उतनी ही उम्दा हैं शे'र सारे...
वाह.. उस्ताद, वाह...
अद्भुत..........
शेरों व चित्रों का महासंगम..
बस्स....... वाह..
नीरज जी अद्भुत पोस्ट है मगर अब आप तैयार रहें मेहमान नवाज़ी के लिये इतनी सुन्दर तस्वीरें देख कर किस का मन ना ललचायेगा इस जगह को देखने के लियरउर शेअ र चुनने मे तो आप माहिर हैं ही । लाजवाब पोस्ट है बधाई
नीरज जी ,
कवितामय चित्र!बहुत ही सुन्दर पोस्ट.कितने मनभावन चित्र हैं.बधाई!!!
शुक्र है इस बेरंग ज़माने में रोजमर्रा की खीचतान में आपके पास खपोली है .ओर कुछ शेर....
कमाल की फोटोग्राफी, वह भी एक साधारण कैमरे से? यदि कैमरा असाधारण होता तब क्या गजब ढाते...? हम तो इसी के आनन्दसागर में गोते लगा रहे हैं।
तब क्या किसी सुनामी में बहा कर ले जाते...?
आपने जिन शेरों को बीच-बीच में जमा रखा है उन्होंने पूरा वातावरण अद्भुत बना दिया है। वाह...। आनन्द आ गया। शुक्रिया।
इन बादलों से दोस्ती अच्छी नहीं फ़राज़
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख्याल कर
बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिकरण
अति सुन्दर चित्रमय पोस्ट......कवितामय भी:)
आभार!
खूबसूरत प्रस्तुति …नीरज जी …शुक्रिया
What an artistic post Neeraj bhai ..
pictures + all the Shers made it
Memorable & Unique !!
Keep writing such wonderful posts
warm rgds,
- L
क्या बात है!
मन भिगो दिया आपने।
हर्दिक बधाई और आभार।
अमर
is yayavari post pe ek sher hamari taraf se bhi....
"Lonavla main chikki khaiyenge water park main jaiyenge,
Khandala ke ghaat ke uppar photu kheench ke aaiyenge"
badhiya post aur badhiya Snaps.
Share karne ke liye dhanya vaad !!
शानदार और लाजवाब पोस्ट है नीरज जी! आपने बड़े ही सुंदर रूप से ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ विस्तार किया है जो काबिले तारीफ है! नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें!
लाजवाब चित्र और लाजवाब शेर. बहुत नायाब लगी आपकी यह पोस्ट. शुभकामनाएं.
रामराम.
Comment received on e-mail from Om Prakash Sapra Ji:-
shri neeraj ji
namastey,
Good - very good, i agree with you that "baadlon ke dosti achhi nahiin".
Hats off to you for this nice and very nice mail
about various colours of rain (BARSAAT). congrats.
Shri Ahmad faraz was really a top ranker among indian and pakistani writers/poets who expired last year.
i must inform you that prof kuldip salil has just completed his new book on "ahmad faraz- life and poetry "
which is going to be published by ;-
shri vishwa nath ji, prop of m/s rajpal and sons, madarsa road, delhi-6 and i
ts print copy has been edited and corrected/ prepared by me.
it is expected to come with in two months and i would present its copy to you.
Again congratulations.
regards,
-om sapra, delhi-9
98181 80932
वाह बहुत सुन्दर नीरज जी बहुत सुन्दर चित्र और उतने ही सुन्दर लफ्ज़
नमस्कार नीरज जी,
पुरानी यादें ताज़ा हो गई जब पुणे में था तो गया था.
खूबसूरत चित्रों के साथ उस्ताद शायरों के लाजवाब शेरों ने जान डाल दी है.
ANGINAT NAAYAAD SHERON KE SAATH AAPKI PHOTOGRAPHY KI KALA ..... JAISE DONO (SHER AUR CHITR) AAPAS MEIN AATMSAAT HOTE HUVE .... LAJAWAAB..... SACH KAHO TO KATAL HAI AAPKI YE POST .....
नीरज भाई
खूबसुरत तसावीर देखीं एक से बढ़ कर एक
तेरी चश्मेतर का कमाल है जिसने करिश्मा कर दिया
आपकी दरियादिली के मंज़र हसीनतर हैं
कागजी फूलों से कमरों को सजाने वाले
देख लेंगे तुझे तस्वीर बनाने वाले
आदाब
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
बारिश से अबकी दिल्ली को भी कोई शिकायत नहीं...
आपको चाहने वाले भी बहुत हैं... कमेन्ट करने के लिए बहुत स्क्रॉल करना पड़ता है... और आपने हमारे लिए अभी आसाम के चाय बगान से कुछ खास पत्तियां चुन कर लाये है... इसने ताजगी भर दी है जनाब..
ये शेर प्रस्तुत करने का नया चित्र वाला अंदाज अच्छा लगा. और ये वाला शेर पसंद आया. अभी ऐसा ही कुछ बात करके आ रहा हूँ एक मित्र से.
'दिल हो रहा है देर से खामोश झील सा
क्या दोस्तों के हाथ में पत्थर नहीं कोई '
मज़ा आ गया नीरज जी!
खपोली तो नहीं पर लोनावाला और खंडाला जाने का अवसर मिला है। पर बरसात के इस मौसम में इसका रूप और रमणीक हो गया है।
आदरणीय नीरज भाई,
इन बादलो की सैर तीसरी बार कर चुका हूँ.हर बार टिप्पणी लिखने का सोचता हूँ तो मन बादलों से नीचे ही नहीं आता है.वैसे विशवास नहीं हो रहा है कि तस्वीरें मोबाइल केमरे की इतनी सुन्दर हो सकती है.भाई श्री...!तस्वीरें जरूर मोबाइल की होगी पर उसको खींचने वाले की नजर तो ख्यातनाम शायर की थी.
sadharan mobile ka kamaal aur chuninda sher...bas yahi kahna hai...
तुम्हारे साथ में ये मौसम फरिश्तों जैसा है
बेहतरीन तस्वीरें और गुनगुनाते शेर...क्या चुन चुन कर लगाये हैं..बहुत खूब चयन!! वाह!!
wah kya khna hai aapka......
काश इन चित्रों में बेठा जा सकता | आनंद आ गया चित्र और साथ में शेर नहीं सवा शेर !!
Ye badal hai ya tere gesoo ye nadiya hai ki payal hai
Ye mausam hai kya barish ka, ki aasaman bhee ghayal hai.
aapke chitr aur unke sath ke sateek sher bahut anand aaya.
bahut hi sundar prastuti hai.
स्तब्ध हो गया. चित्रों की तारीफ करूं, अशआर की प्रशंसा करूं या ब्लॉगर की चालाकी के गुण गाऊँ. यह सच है कि ऐसी तस्वीरें और ऐसे शेर किसी का भी मन मोहेंगे ही. लेकिन थोड़ी देर बाद जब सम्मोहन टूटा तो ख्याल आया कि अच्छे शायर ने कितने आसानी से चकमा दे दिया और दूसरों के शेरों के साथ कुछ चित्रों से बहलाकर निकल भागा. नीरज जी आप को मैं शरीफ इन्सान समझे बैठा था, आप इमोशंस का फायदा उठा रहे हो.
मेरे ब्लॉग पर आने, पढ़ने, कमेन्ट देने का शुक्रिया लेकिन ऐसे भी तारीफ न करें कि प्रार्थी मगरूर हो जाए.
bhai mazaa aa gaya...khoobsurat nazare aur ehsaas padh kar
नीरज जी ,
गौतम जी सीमा पर घायल हो अस्पताल में हैं ....मन भारी है ....मौत कितने करीब से उन्हें छू कर निकल गयी.... ऐसे में क्या टिप्पणी करूँ ....उस मासूम बच्ची का चेहरा सामने आता है जो उनकी जान है...ज़िन्दगी है .....आह ....क्यों होता है ये सब ....??
WAO!
मुझे तो इस बात पर आश्चर्य लग रहा है आखिर मुझ पर ऐसा घिनौना इल्ज़ाम क्यूँ लगाया गया? मैं भला अपना नाम बदलकर किसी और नाम से क्यूँ टिपण्णी देने लगूं? खैर जब मैंने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो फिर इस बारे में और बात न ही करूँ तो बेहतर है! आप लोगों का प्यार, विश्वास और आशीर्वाद सदा बना रहे यही चाहती हूँ!
इस पोस्ट को देख कर ऐसा लगता है कि ये केवल और केवल मेरे लिये ही लिखी गई है । कि निगोड़े तुम नहीं आये और देखो कैसे कैसे मौसम बीत रहे हैं । हा हा हा ।
खैर ये तो हंसी की बात । बहुत ही मेहनत से लिखी हुई पोस्ट हैं ये । और हर फोटो के साथ जो शेरो का समन्वय किया गया है वो तो अदभुत है । पहला ही शेर तो परवीन शाकिर जी का लिया गया है वो और उसके साथ का चित्र दोनों ही कमाल के हैं । जाती है किसी झील की गहराई कहां तक क्या शेर छांट के निकाला है आपने । आनंद ही ला दिया है । सागर आज़मी तो खैर वो नाम है जिसने सीहोर के लोगों पर ऐसा जादू फेरा कि लोग आज भी उनके नाम की माला जपते हैं दिल हो रहा है देर से खामोश झील सा आपने एक और नायाब हीरा छांटा है ।
जंगल तेरे परबत तेरे बस्ती तेरी सेहरा तेरा । इब्ने इंशा का खूब शेर छांटा है । समापन में अहमद फराज का जो शेर लिया है वो भी अनोखा है ।
मेरी तरफ से इस संग्रहणीय पोस्ट के लिये बधाई ।
Maine Pune 4 saal rah kar ke bhi Lonawala Khandala miss kiya.. jiska pachtaawa mujhe aaj tak hai.. :-(
Aur abb aapki blog padh kar to sabse pahli khwaishh jaagi wo thi.. Iss baar jaroor jaana hai.. :-)
Aur. .ek baat kahun, inn khoobsurat taswiroon mein gazal ki panktiyoon ne 4 chand laga diye hain.. sach mein..
Bahut khooob...
Insa Allah aapki har muraad puri kare.. Khuda Haafiz.
-R
नीरज जी ! आपके ब्लॉग पर आकर इस दुनिया में रहते हुए भी दीनो दुनिया से बेखबर हो जाते हैं !
' तेरा ज़लवा हो तेरी महफ़िल हो और क्या चाहिए नज़र के लिए " खूबसूरत ज़लवा और बेहतरीन महफ़िल दौनों का ही खजाना खुला पड़ा है यहाँ तो , और उससे भी बड़ी बात है भाई नीरज जी का सहज सरल स्नेह !
गुनगुनाती हुई गिरती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाजेब से टकराई है
बड़ी प्यारी अभिव्यक्ति हैं... साथ ही बड़े उम्दा शेर और छायाचित्रों का संकलन वाह !!
Kya gazab dhaya hai...shayaree aur tasveeren dono ne..!
Kisee khoye blogger ko khojna ho to aapke blog pe aanaa kaafee hai!
Waise yhan dee gayee taqreeban har tasveer ko apne fiber art me tabdeel karneka man karta hai...kya baat hai!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
नीरज जी,
बरसात में सह्याद्री की सुन्दरता ने तो मेरा भी मन मोह लिया है | सच मानिये इतना कुछ है पानी , झरने और जंगल की मेरा बस चले तो हर सप्ताहांत वहीँ गुजार दूँ....
लोनावाला के पास ही एक जगह है लोहगढ़ किला...कुछ दिन पहले गया था | यहाँ पर एक झरने का विडियो देखिएगा ....बहुत ही खूबसूरत एहसास था ये तो...झरने का पानी उड़ कर उपर आ रहा था हवा के साथ ...
http://www.youtube.com/watch?v=V7mMrRhZquU
बहुत सुन्दर तस्वीरें
kamaal karte hain aap bhi ...........
duniya ki khoobsurti aur sher ka sangam
din ban gaya aaj ka
सुंदर चित्र और संगत देते शब्द मिलकर और सुंदर लग रहे हैं।
आदरणीय नीरज सर ,
प्रणाम निवेदित करता हूँ।
आज यूँही अनायास कुछ पुरानी यादों को टटोलने का मन हुआ तो ब्लॉग दर ब्लॉग घूमते घूमते आपके ब्लॉग तक जा पहुँचा तो एक जानी पहचानी स्याही की खुशबू से मेरा अंतर्मन महक उठा।
...मैं तो भूल ही गया कि मैं खोज क्या रहा था और पूरा ब्लॉग पढ़ डाला।
बेहद सुंदर और जीवंत फ़ोटोज और हर फ़ोटो के जानिब उम्दा सुकनवरो के बेजोड़ अशआर। मानो प्रकृति को इससे पहले किसी ने उसके सौंदर्यबोध से रूबरू नही करवाया।
ये ब्लॉग आपने 2009 में लिखा है, तब मैं अपने जीवन की बनावट को समझ रहा था और आज 10 साल बाद जब मैं आपसे मिला तो वही ताजगी और जिंदादिली महसूस कर रहा हूँ जो इस ब्लॉग को पढ़ कर हुई।
आपकी सतत ऊर्जा और जीवन जीने की कला को
कोटिश प्रमाण करता हूँ और आपके सानिध्य में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूँ।
सादर प्रणाम।
आपका
अनुरागी मन
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