मेरी ये पोस्ट समर्पित है हम सब के लाडले जाबांज मेजर गौतम राजरिश और उनके साथियों की हिम्मत, बहादुरी और देश प्रेम के जज्बे को. काश हर माँ का बेटा उनके जैसा हो.
जिंदगी की राह में हो जायेंगी आसानियां
मुस्कुराएं याद कर बचपन की वो शैतानियां
होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
तेरी यादें तितलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां
तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ
जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना-फर्मानियाँ
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
{तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ गुरुदेव "पंकज सुबीर" जी का जिन्होंने बहुत ज़्यादा मसरूफ़ियत होने के बावज़ूद इस ग़ज़ल के लिए अपना कीमती वक्त निकाला और इसे प्रकाशन योग्य बनाया}
50 comments:
Neeraj ji
namaskar..
Gautam aur hamaare tamaam fauzi bhaiyo par mujhe naaz hai . mera salaam un sabhi ko ....
gautam , aap jaldi theek ho jaye , hame aapka besabri se intjaar hai ..
vijay
-Neeraj जी, gazal तो बहुत ही achchhee है ,kisi ek sher ko highlight karna nainsafi hogi....
-Gautam जी के लिए duayen हैं की वे jald swasth हो jayen.
-Mishti ko tasveer badi pyari hai..
--aap sabhi ko विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं
neeraj ji
misthi to bahut sundar gudiya jaisi hai ...
aap to dashhara usi ke sath mana rahe honge..
meri bhi shubkaamnaaye aapke pariwaar ko ..
ab jaldi se ek baar mishti se milna hai ji ..
regards
vijay
गौतम जी बहुत जल्द अच्छे हो जायेंगे
और गज़ल बहुत अच्छी है
आपको सपरिवार दशहरे पर हमारी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाये.
गौतम जी के लिए ईश्वर से हार्दिक प्रार्थना कि वो उन्हें शीग्र से शीग्र स्वस्थ करें.
आपकी ग़ज़ल तो बेहतरीन होती ही है, हर शेर तारीफ के काबिल पर इसके तो कहने क्या.........
जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना - फर्मानियाँ
हार्दिक आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
प्रभु की कृपा से अपने खाते में जमा जो भी अच्छे कर्म हों उन सबको अपने भाई गौतम को अर्पित करता हूं और परम पिता से प्रार्थना करता हूं कि हमारे भाई को शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ करे.
ग़ज़ल बहुत अच्छी है. हमेशा की तरह. दिली मुबारक़बाद क़बूल करें.
लाजवाब रचना. इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
बहुत बढ़िया रचना
नवरात्र और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना
गौतम जी जल्दी से ठीक हो जाऐगे क्योंकि हमारी दुआएं उनके साथ है। जी कर रहा है कि एक बार मिल आऊँ जाकर। हमें नाज है गौतम जी और तमाम अपने फोजियों पर जो अपना तन मन लगा देते है हमारे लिए।
ग़जल के तो कहने, आप लिखे और हमें पसंद ना ऐसा हो नही सकता। हर शेर पसंद है। कई बार पढी आपकी ग़जल। और मिष्ठी बेटी की फोटो बहुत सुन्दर है। और उसकी शैतानियाँ भी उसकी तरह सुन्दर होगी। साथ ही आप और आपके परिवार को दशहरा की बधाई।
neeraj ji
har sher lajawaab hai.........kisi ek ki tarif doosre se nainsaafi hogi.majaor saheb bahut jaldi thik ho jayenge unke jab itne ajeej dost hain to unki duaayein kaam kaise na aayengi...........hum sab ki duaayein bhi unke sath hain.......desh ko aur hum sabko unki abhi bahut jaroorat hai............mishti ko bahut bahut pyar.
गुलज़ार साहब की एक त्रिवेणी है ....उससे ज्यादा कुछ कहने को नहीं है ......दुःख होता है जब लोग ऐसी पोस्टो पे दशहरे की शुभकामनाये देकर निकल जाते है .....
जिस्म ओर जां टटोल कर देखे
ये पिटारी भी खोल कर देखे
टूटा फूटा अगर खुदा निकले ..!
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
सत्य वचन.
गौतम जी देश की शान हैं. इश्वर से प्रार्थना करते हैं, जल्दी ठीक हो जायेंगे.
नीरज जी बहुत ही लाजवाब !!! गौतम जी को हमारी शुभः कामनाए !!
Din hamee ne behtar banane hain !
Gautam ji ko post samarpit karke aapne man seench diya..
आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
गोतम जी की राजी खुशी का जल्द पता दे, हम उन् के लिय़े भगवान से प्राथना करते है.
धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना है।
असत्य पर सत्य की जीत के पावन पर्व
विजया-दशमी की आपको शुभकामनाएँ!
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
हम तो ऐसा ही मानते है . और सच मे बरकते बरस ही रही है गवाह है आपके शेर की सच्चाई के
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
तेरी यादें तितलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां
बहुत सुन्दर गज़ल है गौतम जी जल्दी हमारे बीच होंगे ऐसा मेरा विश्वास है उनकी लम्बी आयू और खुशी के लिये भगवान से प्रार्थना करते हैं मेरे मन से तो एक मिनट भी उनका हंसता हुया चेहरा नहीं हटता। बहुत बहुत अधन्यवाद और शुभकामनायें
'तब रहा करता था…।'
लगातार संवेदनाशून्य होते जा रहे समाज का सटीक चित्र। बधाई
Mishti Rani Badi Sayani... Oye hoye..
Iska taste fir se kuch alag..
Abb..
"Taarif karun kya iski..
jisko aapne likhaa hai.."
:-)
नीरज जी हमें तो ये पता था कि आप तो छुट्टियां मना रहे हैं । मगर आप तो सुंदर ग़ज़लें लिखने में जुटे हैं । बहुत ही सुंदर ग़ज़ल जिसमें हर शेर बोल रहा है । किन्तु एक बात कहूं आप यदि बुरा न मानें तो, और मानें तो मानते रहें 'मिष्टी की तस्वीर ग़ज़ल से ज्यादा सुंदर है' । हा हा हा । चलिये ये भी अच्छा है कि लोग मिष्टी की तस्वीर देखने आयेंगें और साथ में ग़ज़ल भी पढ़ लेंगें 'फिसल गये तो हर हर गंगे।
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
waah.........janbaajon ko khoobsurat tohfa diya hai
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
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बहुत सही...बेहतरीन
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
मेजर साब की घटना ने एक तरह से हिला के रख दिया था और उससे जुडी किसी भी पोस्ट पर टिपण्णी करने का मन ही नहीं हो पा रहा था. समझ में ही नहीं आता था क्या लिखें? काश हम भी आप की तरह लिख पाते !
बहुत सुन्दर गज़ल. जिसे चाहने वाले इतने हों उसे जल्दी स्वस्थ होना ही होगा.
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
नीरज जी
आपके ख्याल बहुत ही सुन्दर ही नही अति सुन्दर है उपरोक्त शेर यही बताती है कि आप एक सुन्दर विचार के इन्सान हो जिसको मै नमन करता हूँ,मुझे भी यही लगता है कि लड्कियो से ही यक दुनिया सुन्दर बनती है और घरो मे रौनक .....प्यार और स्नेह इनका अधिकार है! बाकी के सभी शेर लाज़वाब है ...........ढेरो बधाई!
नीरज भाई
ग़ज़ल में नए नए प्रयोग हैं शब्द हैं जो ग़ज़ल में किसी ने इस्तेमाल नहीं किये हैं
आपके अंदर छुपा ग़ज़लकार हर शेर को ज़बान दे जाता है ऐसा लगता है के
शेर पढ़ा नहीं जा रहा बल्के सुना जा रहा है
यू स्पीक थ्रू दी माउथ आफ़ यौर पेन
तेरे लहजे की खनक ऐसे फजाओं में घुली
घंटियाँ बजती हों जैसे कहीं बुतखानो में
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
कहीं पर दाद देनी हो, कहीं पर बात करनी हो..अक्सर देर कर देता हूँ मैं..
कहीं पढ़ने को जाना हो, कहीं पर टिपटिपाना हो..अक्सर देर देता हूँ मैं.
-किसी बड़े शायर की तर्ज ही है जी!! :)
मेजर को सलाम!!
आप को बधाई!!
फर्ज़, देश की अस्मिता की खातिर प्राणों की बजी लगाने वाले जवान एक तरफ, देश की अस्मिता को गिरवी रख देने पर तुले सियासतदान एक तरफ. आप के जज्बे को सलाम. आप और कुछ लोगों ने गौतम राजरिशी को याद तो किया. यहाँ जो हालात हैं उन पर मुझे अपने एक मित्र का शेर याद आता है-
अमर शहीदों के घर का वतन में है वो हाल
जो जह्नो-दिल से तिरंगा उतार देता है.
आपकी गजल की कोई प्रशंसा नहीं करूंगा. हीरे को हीरा ही कहा जाता है, न भी कहा जाये तो उसकी चमक ही बता देने के लिए काफी है.
तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ
जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना-फर्मानियाँ
नीरज जी ,
बेहतरीन!!आपको बधाई!!
गजल बहुत ही अच्छी लगी ..गौतम जी जल्दी अच्छे हो जाए यही दुआ है मेरी भी ..
Gajal bahut achchee hai . aapka highlighted sher to lajawab hai hee par ue mera pasadeeda haiबरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
बस यह ग़ज़ल तो मोगरे की डाली हो गयी..गौतम साहब के जिक्र से..
होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ
बहुत उम्दा अश‘आर..एक से एक
गौतम जी के लिए शुभकामनाये ...
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
हर शेर में बहुत ही गहरी बात छुपी है ......दिल को झकझोर देने वाली .....
ऐसे ही लिखते रहिये नीरज जी ...लेखनी से निकली ये बाते समाज पर जरूर कुछ असर छोडेंगी .
गौतम भाई के लिए समर्पित यह पोस्ट वाकई इसके लिए कुछ कहना मेरे पास तो शब्द नहीं है .. वेसे भी आप तो उस्ताद शाईर है कुछ भी कहना मुनासिब नहीं होता ... हर शे'र खुद बोल रहा है ... जैसे बगल से मिष्टी बिटिया आवाज़ लगा रही हो और खुद गुनगुना रही हो... इस ग़ज़ल को.. मिष्टी बेटा को ब्लॉग पे बड़ा होता देख ही मन को बहुत ख़ुशी देता है बहुत बहुत आर्शीवाद नन्ही ब्लॉग परी को ... और आपको सलाम करता चलूँ...
अर्श
आदरणीय नीरज जी,
गज़ल इतनी सुंदर है कि मैं सोच में पड़ गया हूं-"करूं तारीफ़ मुरली की या मुरलीधर कन्हैया की"
गज़ल के गुन गाऊं या गज़ल लिखने वाले की? फिलहाल दोबारा पढ़ने का आनंद लेता हूं...
ये इश्क़ की कहानियां, ये रसभरी जवानियां
उधर से मेहरबानियां, इधर से लन्तरानियां
बेहद उम्दा रचना
http://rohitler.wordpress.com
बहुत मेहनत से लिखते हैं आप!
तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ
हुज़ूर !
आपके ब्लॉग पर आना , ग़ज़ल पढ़ना
एक अजीब-सी उलझन में डाल देता है
वो उलझन ये
क समझ में ही नहीं आता
क किस शेर की तारीफ़ ना की जाए
हर शेर अपने आप में
ला-जवाब ,
दिल-फरेब
और....
"मरजानियाँ" का इस्तेमाल तो बस
नीरज की ही क़लम का कमाल हो सकता है
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं
मेजर गौतम के लिए हम सब दुआगो हैं ...आमीन...
---मुफलिस---
vमेजर गौतम को हमारा सलाम --बहुत संतोष होता है किसी फौजी को कुछ सम्मान मिलते देख .इस सुंदर रचना के लिए बधाई ।
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिये आभार
.
बधाई.
बहुत दिनों बाद इधर आना हो पाया लेकिन अब नियमित रूप से आता रहूँगा.
बहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
बस चुप हूं नीरज इस स्नेह-वर्षा पर, मिष्टी की तस्वीर पर और ग़ज़ल की अनोखी बुनाई पर....
नमस्कार नीरज जी,
गौतम जी जल्द ही स्वस्थ हो जायेंगे हम सब लोगों की दुआएं उनके साथ सदैव बनी थी, बनी हैं और बनी रहेंगी.
ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है और ज्यादा बेहतरीन हो गई है क्योंकि इसमें बचपन की बातें और ज़िक्र आ गया है, वही बचपन का भोलापन और सच्चाई हर शेर में झलक रही है.
बहुत खूबसूरत गजल. गौतम जी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. वे तो खुद शेर हैं. ऐसे शेर के लिए जितनी गजलें लिखी जाय, कम ही होंगी.
वे तो खुद भी कहते हैं कि;
पाल ले कोई रोग नादाँ ज़िन्दगी के वास्ते
सिर्फ सेहत के सहारे ज़िन्दगी कटती नहीं.
और यह शेर पूरी दुनियाँ को राह दिखायेगा.
बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
जिंदगी की राह में हो जायेंगी आसानियां
मुस्कुराएं याद कर बचपन की वो शैतानियां
Kya kahoon
Neeraj Bhai ki gazal par koi tippni n karna khud ko mehfooz rakhna hai
Shaan mein bas...
ढेर से तोहफ़े हमें देती है हर पल ज़िंदगी
मिट गई है इस तरह अपनी सभी दुश्वारियाँ
Devi nangrani
होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ
waah kya baat kahi hai
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
hmm sach kahte hain rooh dukhti hogi
तेरी यादें तितलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां
marjaaniyan waah ............
तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ
kitna ajeeb hai n ham itni jaldi har cheez ke aadi ho jaate hain
bahut hi shaandaar gazal
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
जांबाज़ गौतम जी को नमन .....!!
देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
जांबाज़ गौतम जी को नमन .....!!
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