Monday, September 28, 2009

बचपन की वो शैतानियां

मेरी ये पोस्ट समर्पित है हम सब के लाडले जाबांज मेजर गौतम राजरिश और उनके साथियों की हिम्मत, बहादुरी और देश प्रेम के जज्बे को. काश हर माँ का बेटा उनके जैसा हो.



जिंदगी की राह में हो जायेंगी आसानियां
मुस्‍कुराएं याद कर बचपन की वो शैतानियां

होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

तेरी यादें ति‍तलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां

तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ

जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना-फर्मानियाँ

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ


{तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ गुरुदेव "पंकज सुबीर" जी का जिन्होंने बहुत ज़्यादा मसरूफ़ियत होने के बावज़ूद इस ग़ज़ल के लिए अपना कीमती वक्त निकाला और इसे प्रकाशन योग्य बनाया}

50 comments:

vijay kumar sappatti said...

Neeraj ji

namaskar..

Gautam aur hamaare tamaam fauzi bhaiyo par mujhe naaz hai . mera salaam un sabhi ko ....

gautam , aap jaldi theek ho jaye , hame aapka besabri se intjaar hai ..

vijay

Alpana Verma said...

-Neeraj जी, gazal तो बहुत ही achchhee है ,kisi ek sher ko highlight karna nainsafi hogi....

-Gautam जी के लिए duayen हैं की वे jald swasth हो jayen.

-Mishti ko tasveer badi pyari hai..

--aap sabhi ko विजयदशमी की ढेरो शुभकामनाएं

vijay kumar sappatti said...

neeraj ji
misthi to bahut sundar gudiya jaisi hai ...

aap to dashhara usi ke sath mana rahe honge..
meri bhi shubkaamnaaye aapke pariwaar ko ..

ab jaldi se ek baar mishti se milna hai ji ..

regards

vijay

अनिल कान्त said...

गौतम जी बहुत जल्द अच्छे हो जायेंगे
और गज़ल बहुत अच्छी है

Mumukshh Ki Rachanain said...

आपको सपरिवार दशहरे पर हमारी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाये.
गौतम जी के लिए ईश्वर से हार्दिक प्रार्थना कि वो उन्हें शीग्र से शीग्र स्वस्थ करें.
आपकी ग़ज़ल तो बेहतरीन होती ही है, हर शेर तारीफ के काबिल पर इसके तो कहने क्या.........
जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना - फर्मानियाँ

हार्दिक आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

संजीव गौतम said...

प्रभु की कृपा से अपने खाते में जमा जो भी अच्छे कर्म हों उन सबको अपने भाई गौतम को अर्पित करता हूं और परम पिता से प्रार्थना करता हूं कि हमारे भाई को शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ करे.
ग़ज़ल बहुत अच्छी है. हमेशा की तरह. दिली मुबारक़बाद क़बूल करें.

ताऊ रामपुरिया said...

लाजवाब रचना. इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया रचना
नवरात्र और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना

सुशील छौक्कर said...

गौतम जी जल्दी से ठीक हो जाऐगे क्योंकि हमारी दुआएं उनके साथ है। जी कर रहा है कि एक बार मिल आऊँ जाकर। हमें नाज है गौतम जी और तमाम अपने फोजियों पर जो अपना तन मन लगा देते है हमारे लिए।
ग़जल के तो कहने, आप लिखे और हमें पसंद ना ऐसा हो नही सकता। हर शेर पसंद है। कई बार पढी आपकी ग़जल। और मिष्ठी बेटी की फोटो बहुत सुन्दर है। और उसकी शैतानियाँ भी उसकी तरह सुन्दर होगी। साथ ही आप और आपके परिवार को दशहरा की बधाई।

vandana gupta said...

neeraj ji

har sher lajawaab hai.........kisi ek ki tarif doosre se nainsaafi hogi.majaor saheb bahut jaldi thik ho jayenge unke jab itne ajeej dost hain to unki duaayein kaam kaise na aayengi...........hum sab ki duaayein bhi unke sath hain.......desh ko aur hum sabko unki abhi bahut jaroorat hai............mishti ko bahut bahut pyar.

डॉ .अनुराग said...

गुलज़ार साहब की एक त्रिवेणी है ....उससे ज्यादा कुछ कहने को नहीं है ......दुःख होता है जब लोग ऐसी पोस्टो पे दशहरे की शुभकामनाये देकर निकल जाते है .....

जिस्म ओर जां टटोल कर देखे
ये पिटारी भी खोल कर देखे

टूटा फूटा अगर खुदा निकले ..!

डॉ टी एस दराल said...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

सत्य वचन.
गौतम जी देश की शान हैं. इश्वर से प्रार्थना करते हैं, जल्दी ठीक हो जायेंगे.

Murari Pareek said...

नीरज जी बहुत ही लाजवाब !!! गौतम जी को हमारी शुभः कामनाए !!

kshama said...

Din hamee ne behtar banane hain !
Gautam ji ko post samarpit karke aapne man seench diya..

राज भाटिय़ा said...

आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
गोतम जी की राजी खुशी का जल्द पता दे, हम उन् के लिय़े भगवान से प्राथना करते है.
धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना है।
असत्य पर सत्य की जीत के पावन पर्व
विजया-दशमी की आपको शुभकामनाएँ!

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ

हम तो ऐसा ही मानते है . और सच मे बरकते बरस ही रही है गवाह है आपके शेर की सच्चाई के

निर्मला कपिला said...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

तेरी यादें ति‍तलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां
बहुत सुन्दर गज़ल है गौतम जी जल्दी हमारे बीच होंगे ऐसा मेरा विश्वास है उनकी लम्बी आयू और खुशी के लिये भगवान से प्रार्थना करते हैं मेरे मन से तो एक मिनट भी उनका हंसता हुया चेहरा नहीं हटता। बहुत बहुत अधन्यवाद और शुभकामनायें

Dr. Amar Jyoti said...

'तब रहा करता था…।'
लगातार संवेदनाशून्य होते जा रहे समाज का सटीक चित्र। बधाई

Ratan said...

Mishti Rani Badi Sayani... Oye hoye..

Iska taste fir se kuch alag..

Abb..

"Taarif karun kya iski..
jisko aapne likhaa hai.."

:-)

पंकज सुबीर said...

नीरज जी हमें तो ये पता था कि आप तो छुट्टियां मना रहे हैं । मगर आप तो सुंदर ग़ज़लें लिखने में जुटे हैं । बहुत ही सुंदर ग़ज़ल जिसमें हर शेर बोल रहा है । किन्‍तु एक बात कहूं आप यदि बुरा न मानें तो, और मानें तो मानते रहें 'मिष्‍टी की तस्‍वीर ग़ज़ल से ज्‍यादा सुंदर है' । हा हा हा । चलिये ये भी अच्‍छा है कि लोग मिष्‍टी की तस्‍वीर देखने आयेंगें और साथ में ग़ज़ल भी पढ़ लेंगें 'फिसल गये तो हर हर गंगे।

रश्मि प्रभा... said...

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
waah.........janbaajon ko khoobsurat tohfa diya hai

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
==================================
बहुत सही...बेहतरीन
===================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

Abhishek Ojha said...

मेजर साब की घटना ने एक तरह से हिला के रख दिया था और उससे जुडी किसी भी पोस्ट पर टिपण्णी करने का मन ही नहीं हो पा रहा था. समझ में ही नहीं आता था क्या लिखें? काश हम भी आप की तरह लिख पाते !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर गज़ल. जिसे चाहने वाले इतने हों उसे जल्दी स्वस्थ होना ही होगा.

ओम आर्य said...

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ
नीरज जी
आपके ख्याल बहुत ही सुन्दर ही नही अति सुन्दर है उपरोक्त शेर यही बताती है कि आप एक सुन्दर विचार के इन्सान हो जिसको मै नमन करता हूँ,मुझे भी यही लगता है कि लड्कियो से ही यक दुनिया सुन्दर बनती है और घरो मे रौनक .....प्यार और स्नेह इनका अधिकार है! बाकी के सभी शेर लाज़वाब है ...........ढेरो बधाई!

haidabadi said...

नीरज भाई
ग़ज़ल में नए नए प्रयोग हैं शब्द हैं जो ग़ज़ल में किसी ने इस्तेमाल नहीं किये हैं
आपके अंदर छुपा ग़ज़लकार हर शेर को ज़बान दे जाता है ऐसा लगता है के
शेर पढ़ा नहीं जा रहा बल्के सुना जा रहा है
यू स्पीक थ्रू दी माउथ आफ़ यौर पेन

तेरे लहजे की खनक ऐसे फजाओं में घुली
घंटियाँ बजती हों जैसे कहीं बुतखानो में

चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क

Udan Tashtari said...

कहीं पर दाद देनी हो, कहीं पर बात करनी हो..अक्सर देर कर देता हूँ मैं..
कहीं पढ़ने को जाना हो, कहीं पर टिपटिपाना हो..अक्सर देर देता हूँ मैं.


-किसी बड़े शायर की तर्ज ही है जी!! :)

मेजर को सलाम!!

आप को बधाई!!

सर्वत एम० said...

फर्ज़, देश की अस्मिता की खातिर प्राणों की बजी लगाने वाले जवान एक तरफ, देश की अस्मिता को गिरवी रख देने पर तुले सियासतदान एक तरफ. आप के जज्बे को सलाम. आप और कुछ लोगों ने गौतम राजरिशी को याद तो किया. यहाँ जो हालात हैं उन पर मुझे अपने एक मित्र का शेर याद आता है-
अमर शहीदों के घर का वतन में है वो हाल
जो जह्नो-दिल से तिरंगा उतार देता है.
आपकी गजल की कोई प्रशंसा नहीं करूंगा. हीरे को हीरा ही कहा जाता है, न भी कहा जाये तो उसकी चमक ही बता देने के लिए काफी है.

Prem Farukhabadi said...

तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ

जी हुजूरी जब तलक है तब तलक वो आपका
फेर लेता है नज़र जब भी हों ना-फर्मानियाँ
नीरज जी ,
बेहतरीन!!आपको बधाई!!

रंजू भाटिया said...

गजल बहुत ही अच्छी लगी ..गौतम जी जल्दी अच्छे हो जाए यही दुआ है मेरी भी ..

Asha Joglekar said...

Gajal bahut achchee hai . aapka highlighted sher to lajawab hai hee par ue mera pasadeeda haiबरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ

अपूर्व said...
This comment has been removed by the author.
अपूर्व said...

बस यह ग़ज़ल तो मोगरे की डाली हो गयी..गौतम साहब के जिक्र से..

होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ

बहुत उम्दा अश‘आर..एक से एक

Nipun Pandey said...

गौतम जी के लिए शुभकामनाये ...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

हर शेर में बहुत ही गहरी बात छुपी है ......दिल को झकझोर देने वाली .....

ऐसे ही लिखते रहिये नीरज जी ...लेखनी से निकली ये बाते समाज पर जरूर कुछ असर छोडेंगी .

"अर्श" said...

गौतम भाई के लिए समर्पित यह पोस्ट वाकई इसके लिए कुछ कहना मेरे पास तो शब्द नहीं है .. वेसे भी आप तो उस्ताद शाईर है कुछ भी कहना मुनासिब नहीं होता ... हर शे'र खुद बोल रहा है ... जैसे बगल से मिष्टी बिटिया आवाज़ लगा रही हो और खुद गुनगुना रही हो... इस ग़ज़ल को.. मिष्टी बेटा को ब्लॉग पे बड़ा होता देख ही मन को बहुत ख़ुशी देता है बहुत बहुत आर्शीवाद नन्ही ब्लॉग परी को ... और आपको सलाम करता चलूँ...

अर्श

रविकांत पाण्डेय said...

आदरणीय नीरज जी,
गज़ल इतनी सुंदर है कि मैं सोच में पड़ गया हूं-"करूं तारीफ़ मुरली की या मुरलीधर कन्हैया की"
गज़ल के गुन गाऊं या गज़ल लिखने वाले की? फिलहाल दोबारा पढ़ने का आनंद लेता हूं...

Omnivocal Loser said...

ये इश्क़ की कहानियां, ये रसभरी जवानियां
उधर से मेहरबानियां, इधर से लन्तरानियां


बेहद उम्दा रचना


http://rohitler.wordpress.com

मुकेश said...

बहुत मेहनत से लिखते हैं आप!

daanish said...

तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ

हुज़ूर !
आपके ब्लॉग पर आना , ग़ज़ल पढ़ना
एक अजीब-सी उलझन में डाल देता है

वो उलझन ये
क समझ में ही नहीं आता
क किस शेर की तारीफ़ ना की जाए
हर शेर अपने आप में
ला-जवाब ,
दिल-फरेब
और....
"मरजानियाँ" का इस्तेमाल तो बस
नीरज की ही क़लम का कमाल हो सकता है
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं

मेजर गौतम के लिए हम सब दुआगो हैं ...आमीन...

---मुफलिस---

Prem said...

vमेजर गौतम को हमारा सलाम --बहुत संतोष होता है किसी फौजी को कुछ सम्मान मिलते देख .इस सुंदर रचना के लिए बधाई ।

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां.



बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिये आभार
.

बधाई.

बहुत दिनों बाद इधर आना हो पाया लेकिन अब नियमित रूप से आता रहूँगा.

Urmi said...

बहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

गौतम राजऋषि said...

बस चुप हूं नीरज इस स्नेह-वर्षा पर, मिष्टी की तस्वीर पर और ग़ज़ल की अनोखी बुनाई पर....

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
गौतम जी जल्द ही स्वस्थ हो जायेंगे हम सब लोगों की दुआएं उनके साथ सदैव बनी थी, बनी हैं और बनी रहेंगी.
ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है और ज्यादा बेहतरीन हो गई है क्योंकि इसमें बचपन की बातें और ज़िक्र आ गया है, वही बचपन का भोलापन और सच्चाई हर शेर में झलक रही है.

Shiv said...

बहुत खूबसूरत गजल. गौतम जी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. वे तो खुद शेर हैं. ऐसे शेर के लिए जितनी गजलें लिखी जाय, कम ही होंगी.

वे तो खुद भी कहते हैं कि;

पाल ले कोई रोग नादाँ ज़िन्दगी के वास्ते
सिर्फ सेहत के सहारे ज़िन्दगी कटती नहीं.

और यह शेर पूरी दुनियाँ को राह दिखायेगा.

बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ

Devi Nangrani said...

जिंदगी की राह में हो जायेंगी आसानियां
मुस्‍कुराएं याद कर बचपन की वो शैतानियां

Kya kahoon
Neeraj Bhai ki gazal par koi tippni n karna khud ko mehfooz rakhna hai

Shaan mein bas...
ढेर से तोहफ़े हमें देती है हर पल ज़िंदगी
मिट गई है इस तरह अपनी सभी दुश्वारियाँ
Devi nangrani

श्रद्धा जैन said...

होशियारी भी जरूरी मानते हैं हम मगर
लुत्फ़ आता ज़िन्दगी में जब करें नादानियाँ

waah kya baat kahi hai


देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां
hmm sach kahte hain rooh dukhti hogi


तेरी यादें ति‍तलियां बन कर हैं हरदम नाचतीं
चैन लेने ही नहीं देतीं कभी मरजानियां


marjaaniyan waah ............

तब रहा करता था बरसों याद सबको हादसा
अब नहीं होती किसी को जान कर हैरानियाँ

kitna ajeeb hai n ham itni jaldi har cheez ke aadi ho jaate hain


bahut hi shaandaar gazal

हरकीरत ' हीर' said...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

जांबाज़ गौतम जी को नमन .....!!

हरकीरत ' हीर' said...

देख हालत देश की रोकर शहीदों ने कहा
क्‍या यही दिन देखने को हमने दीं कुर्बानियां

जांबाज़ गौतम जी को नमन .....!!