पहले मन में तोल मियां
फ़िर दिल की तू बोल मियां
जो रब दे मंजूर हमें
हम तो हैं कशकोल* मियां
*कशकोल= भिक्षा पात्र, फकीरों का कटोरा
चाहे कुछ मत काम करो
लेकिन पीटो ढोल मियां
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
"नीरज" सच्चे मीत बिना
जीवन डाँवाडोल मियां
( आप को याद होगा किसी ज़माने में गुरु शिष्य किसी काम से खुश हो कर उसे प्रोहत्साहन के रूप में एक आध टॉफी,मीठी खाने वाली गोली या फ़िर पीठ पर धोल जमा दिया करते थे.....कुछ ऐसा ही इस ग़ज़ल को इस्लाह के भेजने के बाद गुरुदेव पंकज जी ने मेरे लिए किया और खुश हो कर ईनाम स्वरुप चार शेर भेज दिए...आप भी पढिये )
भागो कब तक भागोगे,
दुनिया है ये गोल मियां
मीत अगर ग्राहक हो तो,
बिक जाओ बिन मोल मियां
हिम्मत वालों ने बदला
दुनिया का भूगोल मियां
कोई आया है बाहर
दिल की खिड़की खोल मियां
44 comments:
'जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां।'
बहुत ख़ूब! 'we look before and after, and pine for what is not' की याद ताज़ा हो गई। और पंकज जी का ये शेर भी अनमोल है:-
'भागो कब तक भागोगे,
दुनिया है ये गोल मियां।,
हार्दिक बधाई और आभार।
हिम्मत वालों ने बदला
दुनिया का भूगोल मियां
कोई आया है बाहर
दिल की खिड़की खोल मियां
नीरज जी बहुत बहिया मनभावन रचना लगी. आभार . शुक्रिया .नववर्ष की हार्दिक शुभकामना.
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
" लाजवाब कितना प्यारा सच है की सिर्फ़ बातें ही याद रहती है.... और जितनी मीठी होंगी सच्ची होगीं यादे उतनी ही अच्छी और सुनहरी होंगी...."
Regards
क्या बात है नीरज भाई और चार चाँद लगाते हुए गुरुदेव पंकज जी. आनन्द आ गया.
चाहे कुछ मत काम करो
लेकिन पीटो ढोल मियां
एकदम सच सच कहने लगे हो आप आजकल.
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
neeraj ji ,
kya baat kahi hai .. wah ji wah
जो रब दे मंजूर हमें
हम तो हैं कशकोल* मियां
dil khush ho gaya ji , rab hi to hamen sab kuch deta hai ji .
aapki is baat par hum khush hue miyan ,
aisa hi meetha meetha likha karo miyan .
yahi hamaare dil se nikhli dua hai miyan
aapka
vijay
वाहवा... नीरज जी, बहुत बढ़िया शेर निकाले और पंकज जी का तो कहना ही क्या........ चारों बेहतरीन... आप दोनों को यथायोग्य..
नीरज जी,
लीजिए एक शेर
हमारी तरफ़ से भी...
कडुवाहट मिट जायेगी
मत रह तू अनबोल मियां
=======================
शुक्रिया अच्छी ग़ज़ल के लिए
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
सर्व प्रथम आपको, आपके परिवार तथा आपके सभी ब्लॉग पाठकों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
एक और शेर मैं भी अपनी तरफ़ से ठेलने के ध्र्ष्टता कर रहा हूँ, कृपया झेल लें...............
लगे ब्लॉग कैसा भी पर
टिपियाने में मिश्री घोल मियां
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत शानदार!
सुना है छोटे बहर की गजल लिखना बहुत कठिन है. लेकिन आपके लेखन से ये बिल्कुल नहीं लगता कि आपके लिए कठिन है. आपके गुरुदेव तो अद्भुत लिखते ही हैं.
एक बल-सुलभ शेर मेरी तरफ़ से भी....:-)
दूँ कमेन्ट मैं भी जल्दी
कैसा टाल-मटोल मियां
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां
बहुत खूब नीरज जी ...और इनाम भी बहुत शानदार मिला है आपको ..बहुत बढ़िया
जो रब दे मंजूर हमें
हम तो हैं कशकोल* मियां
waah...! meri dictionary me.n कशकोल shabda ka izafaa karane ka dhanyavaad. bahut sahi jagah prayog kiya ise.
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
haqueekat hai ye...!
aur ...
मीत अगर ग्राहक हो तो,
बिक जाओ बिन मोल मियां
guru ji to Guru Ji hi hai.n...! naman
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
bahut khoob ...neeraj ji....khas tur se ye do sher....seedhe sadhe zindgi se uthaaye hue....
वाह-वाह !
गुरु और शिष्य दोनों के लिए ।
चाहे कुछ मत काम करो
लेकिन पीटो ढोल मियां-
-जग की यही रीत हो गई है!
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
सत्य वचन-
आज बहुत अलग रंग दिख रहे हैं ग़ज़ल में-नीरज जी--
बहुत ही कामयाब ग़ज़ल
-गुरु जी के शेर भी उम्दा हैं चारों के चारों.
आज तो मिश्री ही घोळ दी जी आपने और गुरुजी ने.
घणी रामराम जी.
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
"नीरज" सच्चे मीत बिना
जीवन डाँवाडोल मियां।
बहुत प्यारे शेर कहे हैं, बधाई।
नीरज जी
आप और गुरुदेव...............अब ये समझना मुश्किल हो रहा है कोन शक्कर है कौन चीनी, आप दोनों को ही नमन है. बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बोलता हुवा हर शेर, कुछ न कुछ सार्थक चेताता हुवा. बहुत बहुत बधाई
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
भागो कब तक भागोगे,
दुनिया है ये गोल मियां
दोनों के दोनों शेर एक ही तीर से निकले लगते हैं ..............
बहुत बढिया !
क्या लिखा है नीरज जी। गजब।
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
सच कह रहे है आप। और आपको मिला ईनाम तो वाकई अनमोल है।
नीरज जी, आपकी गजल पढ अशोक अंजुम जी की गजल याद आ गई...
ऊपर वाले बडे मजे से खींच रहे हैं माल मियाँ
लेकिन हमको नहीं मयस्सर हर दिन रोटी दाल मियाँ
गुण्डों ने जो पीट दिया,थाने जाने की जिद मत कर
अगर गया तो खींच जायेगी,और भी तेरी खाल मियाँ
अलमस्त गजल।
यूँ ही जोड़ रहा हूँ-
दुनिया एक तमाशा है
भूल गए क्या रोल मियॉ....
मेरी तरफ़ से भी ( एक आप बीती)
मिश्री बोल के लूटे दुनिया,
दुनिय फ़िर भी अनमोल मियां .
बहुत सुंदर , आप दोनो को ही नमन बहुत ही सुंदर एक से बढ कर एक.
धन्यवाद आप का ओर पंकज जी का
अरे वाह जी वाह
गुरु शिष्य ने क्या जुगलबँदी की है
सारे शेर तीर से निशाने पे जा कर
सही सही लगे हैँ
बहुत अच्छे --
- लावण्या
जहे-नसीब नीरज जी...क्या बात है....
नन्हीं बहर पे गज़ब का विस्तार,वाह
और गुरू जी के प्रसाद रूप वाले चारों शेर तो उफ़्फ़्फ़
हम लाजवाब हो गयें
बातें रहतीं याद सदा
उनमें मिशरी घोल मियां
अहा! नीरज दा क्या बात है! आज तो आपने और गुरूजी ने दिल ही जीत लिया। बहुत, बहुत, बहुत बेहतरीन। जिस दिन आमने सामने मिलेंगे इस शानदार कविता की मिठाई तो पक्का खाएंगे। ड्यू रही।
लीजिए हमारी तरफ़ से भी बतौरे-दादो-ताज़ीम ये मिसरे ---
इस ग़रीब की गुदड़ी पर,
नहीं चढ़ेगा खोल मियाँ
हमने सच्ची बात कही,
वो समझेंगे झोल मियाँ
बहुत खूब नीरज जी
एक शेर मेरी और से भी जोड़ लीजिए :
पूरी दुनिया भरी सयानों से
तुम मत बनाना बकलोल मियां .
जो रब दे मंजूर हमें
हम तो हैं कशकोल मियां
'नीरज' कैसे कहते हो
शे'र ऐसे अनमोल मियाँ
मालिक ! प्रणाम !!
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां......
waah,sachchi baat kah di
baaton ki mishri vaali behad meethi si gazal. bahut accha likha hai aapne.
कविता और फ़िर वो चार शेर...सभी बेहतरीन हैं..
मन मोह लिया..
शुभकामनाएं..
वाह नीरज जी। छोटे बहर में ऐसी बड़ी बातें कह जाना आसान नहीं। सुबीर जी के शेर भी बहुत अच्छे।
आदरणीय भाई नीरज जी,
यह भी अच्छी इस्लाह-परम्परा का एक दस्तूर है कि इस्लाह के दौरान जो भी शेर उस्ताद को सूझे वो शागिर्द (साहब-ए-ग़ज़ल) का ही माना जाता है.
पंकज जी ने सच्चे अर्थोँ में उस्ताद-शागिर्द परम्परा का दस्तूर निभाया किया है, क्योंकि ये शेर आप ही ग़ज़ल की इस्लाह के दौरान हुए हैं.
यह उनका बड़प्प्न है.
आपकी शायरी ने नीरजजी
कर दिया चिठ्ठा जगतको डामाडोल मियां
-हर्षद जांगला
एटलांटा युएसए
जनाबे नीरज साहिब
छोटे बहर में आपकी ग़ज़ल एक मिसरी की डली की मानिंद है
अश्यार पढ़ते पढ़ते लुत्फ़ अन्दोज़ कर जाती है हिन्दी ग़ज़ल में
शायद पहली बार "कश्कोल" लफ्ज़ का इस्तेमाल हुआ है
में आपके कासे में "डेनमार्क" से दुआओं का जहाज़ रवाना करता हूँ
कबूल फरमायें
तेरी बला को मैं अपनी बला समझता हूँ
तू क्या समझता है तुझको मैं क्या समझता हूँ
चाँद शुक्ला हदियाबादी डेनमार्क
मिसरी जैसे मीठी रचना
---
चाँद, बादल और शाम
सभीको धन्यवाद । और नीरज जी का आभार मुझे नहीं मालूम था कि सलाह के रूप में जो लिखा था वो एसा रूप ले लेगा ।
द्विज जी की सलाह बिल्कुल ठीक है
यह भी अच्छी इस्लाह-परम्परा का एक दस्तूर है कि इस्लाह के दौरान जो भी शेर उस्ताद को सूझे वो शागिर्द (साहब-ए-ग़ज़ल) का ही माना जाता है.
पंकज जी ने सच्चे अर्थोँ में उस्ताद-शागिर्द परम्परा का दस्तूर निभाया किया है, क्योंकि ये शेर आप ही ग़ज़ल की इस्लाह के दौरान हुए हैं.
ये शेर आपके ही हैं इन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है क्योंकि आपकी ज़मीन थी ।
मीत अगर ग्राहक हो तो,
बिक जाओ बिन मोल मियां
हिम्मत वालों ने बदला
दुनिया का भूगोल मियां
कोई आया है बाहर
दिल की खिड़की खोल मियां
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है नीरज जी !!!!!!!
जो भी आता हाथ नहीं
लगता है अनमोल मियां
बहुत सुंदर, नीरज जी. इब्न-ऐ-इंशा याद आ गए.
neeraj jee,
saraltam fir bhee gahantam !
hamare jaise hamesha apna ' kashkol ' uthaye aapke ird gird hee mandrate rahenge.
rab kee to rab jane.
'naato jholee hee apnee tang hai na to tere yahan kamee koyee'
aur aapke dar par koyee dhol ham kya peeten ? yahan to ardaas ke bina hee sab pa jaa raha hoon.
aage bhee intezar rahega .shukria !
किन रिश्तों की बात करें
सबमें दिखती पोल मियां
बहुत बहुत,बहुत,बहुत बेहतरीन...........।
हिम्मत वालों ने बदला
दुनिया का भूगोल मियां
कोई आया है बाहर
दिल की खिड़की खोल मियां
BAHUT ACHHI RACHNA.
बहुत खूब नीरज जी
आपके शेरों के नहले पर पंकज जी के शेरों का दहला भी खूब रहे। बढ़िया गजल बन पड़ी।
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