tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post1497795465994119909..comments2024-02-28T15:39:34.085+05:30Comments on नीरज: लेकिन पीटो ढोल मियांनीरज गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-59846155879783650792009-01-30T09:55:00.000+05:302009-01-30T09:55:00.000+05:30आपके शेरों के नहले पर पंकज जी के शेरों का दहला भी ...आपके शेरों के नहले पर पंकज जी के शेरों का दहला भी खूब रहे। बढ़िया गजल बन पड़ी।तरूश्री शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14633011423481155460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-81929285745991383612009-01-29T19:20:00.000+05:302009-01-29T19:20:00.000+05:30बहुत खूब नीरज जीबहुत खूब नीरज जीपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-89003869197269813922009-01-29T17:48:00.000+05:302009-01-29T17:48:00.000+05:30हिम्मत वालों ने बदलादुनिया का भूगोल मियांकोई आया ...हिम्मत वालों ने बदला<BR/>दुनिया का भूगोल मियां<BR/><BR/>कोई आया है बाहर<BR/>दिल की खिड़की खोल मियां<BR/> BAHUT ACHHI RACHNA.Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-8920020968941589912009-01-29T11:54:00.000+05:302009-01-29T11:54:00.000+05:30किन रिश्तों की बात करेंसबमें दिखती पोल मियांबहुत ब...किन रिश्तों की बात करें<BR/>सबमें दिखती पोल मियां<BR/><BR/>बहुत बहुत,बहुत,बहुत बेहतरीन...........।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-71408816885745801912009-01-29T11:53:00.000+05:302009-01-29T11:53:00.000+05:30neeraj jee,saraltam fir bhee gahantam !hamare jais...neeraj jee,<BR/><BR/>saraltam fir bhee gahantam !<BR/>hamare jaise hamesha apna ' kashkol ' uthaye aapke ird gird hee mandrate rahenge.<BR/><BR/>rab kee to rab jane.<BR/><BR/>'naato jholee hee apnee tang hai na to tere yahan kamee koyee'<BR/><BR/>aur aapke dar par koyee dhol ham kya peeten ? yahan to ardaas ke bina hee sab pa jaa raha hoon.<BR/><BR/>aage bhee intezar rahega .shukria !RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-75989492355657729092009-01-29T09:05:00.000+05:302009-01-29T09:05:00.000+05:30जो भी आता हाथ नहींलगता है अनमोल मियांबहुत सुंदर, न...<A>जो भी आता हाथ नहीं<BR/>लगता है अनमोल मियां</A><BR/>बहुत सुंदर, नीरज जी. इब्न-ऐ-इंशा याद आ गए.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-49768334411194621222009-01-28T20:32:00.000+05:302009-01-28T20:32:00.000+05:30मीत अगर ग्राहक हो तो,बिक जाओ बिन मोल मियांहिम्मत ...मीत अगर ग्राहक हो तो,<BR/>बिक जाओ बिन मोल मियां<BR/><BR/>हिम्मत वालों ने बदला<BR/>दुनिया का भूगोल मियां<BR/><BR/>कोई आया है बाहर<BR/>दिल की खिड़की खोल मियां <BR/><BR/><BR/>बहुत ही शानदार ग़ज़ल है नीरज जी !!!!!!!विक्रांत बेशर्माhttps://www.blogger.com/profile/07105086711896834472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-76000480046746841402009-01-28T18:54:00.000+05:302009-01-28T18:54:00.000+05:30सभीको धन्यवाद । और नीरज जी का आभार मुझे नहीं मालू...सभीको धन्यवाद । और नीरज जी का आभार मुझे नहीं मालूम था कि सलाह के रूप में जो लिखा था वो एसा रूप ले लेगा । <BR/>द्विज जी की सलाह बिल्कुल ठीक है <BR/>यह भी अच्छी इस्लाह-परम्परा का एक दस्तूर है कि इस्लाह के दौरान जो भी शेर उस्ताद को सूझे वो शागिर्द (साहब-ए-ग़ज़ल) का ही माना जाता है.<BR/>पंकज जी ने सच्चे अर्थोँ में उस्ताद-शागिर्द परम्परा का दस्तूर निभाया किया है, क्योंकि ये शेर आप ही ग़ज़ल की इस्लाह के दौरान हुए हैं.<BR/>ये शेर आपके ही हैं इन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है क्योंकि आपकी ज़मीन थी ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78691804788124999412009-01-28T18:50:00.000+05:302009-01-28T18:50:00.000+05:30मिसरी जैसे मीठी रचना---चाँद, बादल और शाममिसरी जैसे मीठी रचना<BR/><BR/>---<BR/><A HREF="http://prajapativinay.blogspot.com" REL="nofollow">चाँद, बादल और शाम</A>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-7434288397822100622009-01-28T09:27:00.000+05:302009-01-28T09:27:00.000+05:30जनाबे नीरज साहिब छोटे बहर में आपकी ग़ज़ल एक मिसरी की...जनाबे नीरज साहिब <BR/>छोटे बहर में आपकी ग़ज़ल एक मिसरी की डली की मानिंद है <BR/>अश्यार पढ़ते पढ़ते लुत्फ़ अन्दोज़ कर जाती है हिन्दी ग़ज़ल में <BR/>शायद पहली बार "कश्कोल" लफ्ज़ का इस्तेमाल हुआ है <BR/>में आपके कासे में "डेनमार्क" से दुआओं का जहाज़ रवाना करता हूँ <BR/>कबूल फरमायें <BR/>तेरी बला को मैं अपनी बला समझता हूँ <BR/>तू क्या समझता है तुझको मैं क्या समझता हूँ <BR/><BR/>चाँद शुक्ला हदियाबादी डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-79689305162446825402009-01-28T07:48:00.000+05:302009-01-28T07:48:00.000+05:30आपकी शायरी ने नीरजजी कर दिया चिठ्ठा जगतको डामाडोल ...आपकी शायरी ने नीरजजी <BR/>कर दिया चिठ्ठा जगतको डामाडोल मियां <BR/>-हर्षद जांगला <BR/>एटलांटा युएसएHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-83410420295009897002009-01-28T06:29:00.000+05:302009-01-28T06:29:00.000+05:30आदरणीय भाई नीरज जी,यह भी अच्छी इस्लाह-परम्परा का ...आदरणीय भाई नीरज जी,<BR/><BR/><BR/>यह भी अच्छी इस्लाह-परम्परा का एक दस्तूर है कि इस्लाह के दौरान जो भी शेर उस्ताद को सूझे वो शागिर्द (साहब-ए-ग़ज़ल) का ही माना जाता है.<BR/> पंकज जी ने सच्चे अर्थोँ में उस्ताद-शागिर्द परम्परा का दस्तूर निभाया किया है, क्योंकि ये शेर आप ही ग़ज़ल की इस्लाह के दौरान हुए हैं.<BR/><BR/><BR/>यह उनका बड़प्प्न है.द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-5985609053841177662009-01-28T05:09:00.000+05:302009-01-28T05:09:00.000+05:30वाह नीरज जी। छोटे बहर में ऐसी बड़ी बातें कह जाना आस...वाह नीरज जी। छोटे बहर में ऐसी बड़ी बातें कह जाना आसान नहीं। सुबीर जी के शेर भी बहुत अच्छे।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-90417884936919725652009-01-28T01:21:00.000+05:302009-01-28T01:21:00.000+05:30कविता और फ़िर वो चार शेर...सभी बेहतरीन हैं..मन मोह ...कविता और फ़िर वो चार शेर...सभी बेहतरीन हैं..<BR/>मन मोह लिया..<BR/>शुभकामनाएं..Pratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-40442637487994747312009-01-28T01:09:00.000+05:302009-01-28T01:09:00.000+05:30baaton ki mishri vaali behad meethi si gazal. bahu...baaton ki mishri vaali behad meethi si gazal. bahut accha likha hai aapne.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-26927846740236872572009-01-28T00:13:00.000+05:302009-01-28T00:13:00.000+05:30किन रिश्तों की बात करेंसबमें दिखती पोल मियां.........किन रिश्तों की बात करें<BR/>सबमें दिखती पोल मियां......<BR/>waah,sachchi baat kah diरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-68235230135588014042009-01-27T23:49:00.000+05:302009-01-27T23:49:00.000+05:30मालिक ! प्रणाम !!मालिक ! प्रणाम !!अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-39476057230340900652009-01-27T23:06:00.000+05:302009-01-27T23:06:00.000+05:30जो रब दे मंजूर हमेंहम तो हैं कशकोल मियां'नीरज' कैस...जो रब दे मंजूर हमें<BR/>हम तो हैं कशकोल मियां<BR/><BR/><BR/>'नीरज' कैसे कहते हो <BR/>शे'र ऐसे अनमोल मियाँद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-89042404235247040322009-01-27T23:00:00.000+05:302009-01-27T23:00:00.000+05:30बहुत खूब नीरज जीएक शेर मेरी और से भी जोड़ लीजिए :प...बहुत खूब नीरज जी<BR/>एक शेर मेरी और से भी जोड़ लीजिए :<BR/>पूरी दुनिया भरी सयानों से <BR/>तुम मत बनाना बकलोल मियां .इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-78858622110095810012009-01-27T22:56:00.000+05:302009-01-27T22:56:00.000+05:30बातें रहतीं याद सदाउनमें मिशरी घोल मियां अहा! नीरज...बातें रहतीं याद सदा<BR/>उनमें मिशरी घोल मियां <BR/>अहा! नीरज दा क्या बात है! आज तो आपने और गुरूजी ने दिल ही जीत लिया। बहुत, बहुत, बहुत बेहतरीन। जिस दिन आमने सामने मिलेंगे इस शानदार कविता की मिठाई तो पक्का खाएंगे। ड्यू रही।<BR/>लीजिए हमारी तरफ़ से भी बतौरे-दादो-ताज़ीम ये मिसरे ---<BR/><BR/>इस ग़रीब की गुदड़ी पर,<BR/>नहीं चढ़ेगा खोल मियाँ<BR/><BR/>हमने सच्ची बात कही,<BR/>वो समझेंगे झोल मियाँबवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-57289667985921024542009-01-27T22:33:00.000+05:302009-01-27T22:33:00.000+05:30जहे-नसीब नीरज जी...क्या बात है....नन्हीं बहर पे गज़...जहे-नसीब नीरज जी...क्या बात है....<BR/>नन्हीं बहर पे गज़ब का विस्तार,वाह<BR/><BR/>और गुरू जी के प्रसाद रूप वाले चारों शेर तो उफ़्फ़्फ़<BR/><BR/>हम लाजवाब हो गयेंगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-67729904471802176822009-01-27T22:32:00.000+05:302009-01-27T22:32:00.000+05:30अरे वाह जी वाह गुरु शिष्य ने क्या जुगलबँदी की है स...अरे वाह जी वाह<BR/> गुरु शिष्य ने क्या जुगलबँदी की है<BR/> सारे शेर तीर से निशाने पे जा कर<BR/> सही सही लगे हैँ <BR/>बहुत अच्छे --<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-50614712032736255972009-01-27T22:28:00.000+05:302009-01-27T22:28:00.000+05:30मेरी तरफ़ से भी ( एक आप बीती)मिश्री बोल के लूटे दुन...मेरी तरफ़ से भी ( एक आप बीती)<BR/>मिश्री बोल के लूटे दुनिया,<BR/>दुनिय फ़िर भी अनमोल मियां .<BR/> बहुत सुंदर , आप दोनो को ही नमन बहुत ही सुंदर एक से बढ कर एक.<BR/>धन्यवाद आप का ओर पंकज जी काराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-25898757548037560762009-01-27T22:12:00.000+05:302009-01-27T22:12:00.000+05:30अलमस्त गजल।यूँ ही जोड़ रहा हूँ-दुनिया एक तमाशा ह...अलमस्त गजल।<BR/>यूँ ही जोड़ रहा हूँ-<BR/><BR/>दुनिया एक तमाशा है<BR/>भूल गए क्या रोल मियॉ....जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6207361069321453067.post-51307701567909626452009-01-27T22:02:00.000+05:302009-01-27T22:02:00.000+05:30नीरज जी, आपकी गजल पढ अशोक अंजुम जी की गजल याद आ गई...नीरज जी, आपकी गजल पढ अशोक अंजुम जी की गजल याद आ गई...<BR/><BR/>ऊपर वाले बडे मजे से खींच रहे हैं माल मियाँ<BR/>लेकिन हमको नहीं मयस्सर हर दिन रोटी दाल मियाँ<BR/><BR/>गुण्डों ने जो पीट दिया,थाने जाने की जिद मत कर<BR/>अगर गया तो खींच जायेगी,और भी तेरी खाल मियाँहरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com