कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरुरी है
समंदर ओक में अपनी, कभी भरना जरुरी है
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
कहीं है भेद "नीरज" आपके कहने व करने में
छिपाना आंख को सबसे, कहां वरना जरुरी है
( श्री पंकज सुबीर जी की अनुमति से प्रकाशित ग़ज़ल )
45 comments:
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम कब था की, यहां मरना जरूरी है
बहुत अच्छी रचना है...
किसी की अनुमति से सही मगर अच्छी ग़ज़ल पेश की है!
बहुत खूबसूरत गजल है.
कितना बड़ा भण्डार है आपके पास. शब्दों का?, विचारों का?
जीवन जीने के रस्ते कहाँ-कहाँ से गुजार देते हैं आप.
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम कब था की, यहां मरना जरूरी है
लाजवाब ! प्रणाम !
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम कब था की, यहां मरना जरूरी है
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
बस बार बार पढ़ रहा हूँ .....
जाहिर सूचना
श्री राकेश खण्डेलवाल जी पर गीत लिखने को लेकर तथा श्री नीरज गोस्वामी पर ग़ज़ल लिखने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया जाता है । कारण ताकि और लिखने वालों को भी कुछ प्रशंसा मिल सके ।
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
बहुत बहुत बेहतरीन लिखा है आपने नीरज जी
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
श्रीमान जी अति सुंदर .
बहुत सुन्दर।
इतना बढ़िया लिखते हैं आप कि किसी की अनुमति की आवश्यकता ही नहीं!
'किया यूं प्यार……'
बहुत ख़ूब!
ये अनुमति वाली बात समझ में नहीं आई।
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है....bahut hi badhiyaa khyaal
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
wah wah bahut hi badhiya,badhai
kya baat hai
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
bahut bahut acchey..
बहुत संदर!! आपके लिये-
यहाँ कितने गमों के बोझ से बेहाल है दुनिया
गजल की तान छेड़ो, पीर ये हरना जरूरी है
क्या कहे कई बार पढा।
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
वाह .......
भाई नीरज जी,
ग़ज़ल के सभी शेर लाज़वाब हैं, तारीफ किस-किस की करुँ.
आपके निम्न शेर पर
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
मै यह टिपियाना (कहना) चाहता हूँ कि दिल कब , कैसे किसका दुःख जाय , मालूम ही नही पड़ता, यदि इसकी चिंता माँ-बाप, गुरु, कुम्हार करने लगे तो क्या होगा?????????????
कबीर दास जी तो बहुत पहले ही कह चुके हैं कि
गुरु कुम्हार, शिष्य कुम्भ है, गढ़-गढ़ काढे खोट
अन्तर हाथ सहार दे , बहार बाहे चोट
निंदक नियरे राखिए, आँगन -कुटी छवाय
बिन-पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय.
समझ अपनी-अपनी, भावनाय अपनी-अपनी.
अगर दिल दुखा हो तो क्षमा-प्रार्थी हूँ
चन्द्र मोहन गुप्त
अति सुंदर ..तारीफ में शब्द नही मेरे पास नीरज जी,छापने का धन्यवाद.
बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम कब था की, यहां मरना जरूरी है
एक एक शव्द जेसे दर्द मै पिरो दिया हो बहुत ही सुन्दर.
धन्यवाद
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
satya ka yatharth chitran hai aap ki rachna......
Tapashwani
बेहद सुँदर
आपकी गज़ल शैली से
बहुत प्रभावित हूँ !
इसी तरह लिखते रहीयेगा
स स्नेह्,
- लावण्या
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
बहुत बढ़िया शेर निकाले हैं नीरज जी,
बधाई...
शुभकामनाएं..
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
"kehna mushkil hai kaun sher pehle likhun, ek se badh kr ek.....jindge kee sach se rubru hotee khubsuret rachna, radha krishna kee tasveer ne mun moh liya'
regards
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है।
बहुत प्यारे शेर हैं। बधाई स्वीकारें।
नमस्कार नीरज जी,
आपका हर शेर अपने में एक मुकम्मल शेर है, मैं लफ्जों की कमी महसूस कर रहा हूँ, कुछ कहने के लिए भी.
देर से आने के लिए मुआफी ....समंदर लगता है रोज कुछ शेर आपकी झोली में डाल जाता है..ये शेर अच्छे लगे .....
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
नीरज जी पूरी की पूरी गजल इतनी खूबसूरत है कि किसी एक शेर की तारीफ़ करना बाकी शेरों के साथ नाइंसाफ़ी होगी। आप की आज्ञा लिए बिना ही इसे अपने पी सी में सहेज कर रख रही हूँ बार बार पढ़ने के लिए, आशा है आप बुरा नहीं मानेगें।
पंकज जी, सक्सेना जी की एक कविता है हम तो बांस है जितना काटोगे उतना हरियायेगें…उसी तर्ज पर हम कहेगें हम तो शब्दों के रसिया हैं जितनी वाह वाही लूटोगे उतनी और लुटायेगें। आप इन दोनों प्रतिभाओं पर प्रतिबंध लगायेगें तो हम तो (मानसिक रुप से ) भूखे ही मर जाएगें।
भाई नीरज जी,
आप मेरे ब्लॉग पर बहुत दिनों के बाद आए, पर जिस तरह से दिली टिपण्णी की है, ह्रदय को छू गई. मुझे लगा कि आपकी इसी गजल का एक शेर
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
सिर्फ़ आंखों से ही नही, ह्रदय से और खट-खट (कंप्युटर के की बोर्ड से निकलने वाली ध्वनि) से झर कर मेरे ब्लॉग पर आकर मुझे नमित कर चुका है.
टिपियाने के लिए धन्यवाद.
चन्द्र मोहन गुप्त
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है.
बहुत ही सुंदर पंक्तिया,बहुत ही सुंदर रचना. बधाई
bahut sundar ghazal....ek ek sher laajawab hai.
बेहतरीन-
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
किसी का खौफ़ दिल पर, आजतक तारी न हो पाया
किया यूं प्यार अपनों ने, लगा डरना ज़रूरी है
aap ki prashansha kya keee jaye.... hamesha hi awwal rahate hai.n
हमारे पोते की बधाई स्वीकारें
जय हो
बहुत बहुत मुबारक
बहू-बेटे के सिर पर हाथ फेरियेगा
नीरज तृतीय को सारे आशीष
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
vakae aap shbadon ke jaadugar hai, dhnyabad.
तमन्ना थी गुज़र जाता, गली में यार की जीवन
हमें मालूम ही कब था यहां मरना ज़रूरी है
बहुत खूब नीरज जी ! एक बेहतरीन ग़ज़ल !
गुरू जी ने यूं ही नहें आपको गज़ल का सरताज की उपाधी दी है.शिवना की अगली प्रस्तुती अब इन गज़लों की होनी चाहिये कि बार-बार पढ़ने के लिये कम्पुअटर की बुटिंग की प्रतिक्षा न करना पड़े.
नीरज जी, बेहद खूबसूरत गज़ल है । एक एक शेर मोती के समान है और पूरी गजल एक सुंदर माला ।
नीरज जी,
बहुत...बहुत...बहुत खूब !
इस ग़ज़ल का हर शेर सुभाषित की
मानिंद है....सैलाब की तरह यादों को
आहूत करती और आदमी के दोहरेपन को भी
उन्हीं आँखों से देख सकने का मुक़म्मल बयां करती
यह ग़ज़ल सच कहूँ एक नायाब तोहफा है
जिंदगी का....जिंदगी को...जिंदगी की खातिर.
===================================
शुक्रिया
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
दुखाना मत किसीका दिल,खुशी चाहो अगर पाना
ज़रा इस बात को बस, ध्यान में धरना जरुरी है
हमेशा की तरह ... लाजवाब!
Waah
The 3rd sher is especially fantastic.....
कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरुरी है
समंदर ओक में अपनी,कभी भरना जरुरी है.
Mere dil ki baat cheen li apne neeraj ji . badhaai .
पूरी गजल इतनी खूबसूरत है कि किसी एक शेर की तारीफ़ करना .........आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें
बहुत खूब.
अति सुंदर.
चमत्कृत करती रचना.
आपका जवाब नहीं वड्डे पप्पाजी.
क्या बात है।
उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है
बहुत अच्छे नीरज जी। आपकी और भी गज़ल पढ़ती रहती हूँ। बहुत बढ़िया।
"उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आंख से झरना ज़रुरी है.."
Bahut hinn achchi lagi ye pankti aapki..
-Ratan
Post a Comment