लगभग एक पखवाडे के जयपुर प्रवास के दौरान ब्लॉग जगत और उसकी गतिविधियों से दूर रहा...जयपुर में मिष्टी के साथ बिताये वक्त में और कुछ याद ही नहीं रहा(अगर कुछ याद आने दे तो फ़िर वो मिष्टी ही क्या).प्राण साहेब के आशीर्वाद से एक ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ, उम्मीद है पसंद आएगी.
अगर दिल टूटने का डर सताए, प्यार मत करना
नहीं मजबूत बाजू तो, समंदर पार मत करना
नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना
कयामत से क़यामत तक, की बातें यार झूटी हैं
यहाँ पल का भरोसा भी, मेरे सरकार मत करना
दिखाई दे वोही सच हो, नहीं मुमकिन हमेशा ही
गरजती सब घटाओं का, कभी इतबार मत करना
ग़लत है बात ये कोई अगर, कहता है उल्फत में
कभी फरियाद मत करना, कभी तकरार मत करना
सलीका सीखिए, दुश्मन से पहले आप लड़ने का
कि उसकी पीठ पर, भूले से भी तुम वार मत करना
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलाम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
37 comments:
आपकी अनुपस्थिति जिन लोगो ने महसूस की ..उनमे से एक हम भी है.....ये दो शेर मुझे ख़ास पसंद आये........
सलीका सीखिए, दुश्मन से पहले आप लड़ने का
कि उसकी पीठ पर, भूले से भी तुम वार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
अपना मेल id भेज दे ...मै आपको आर्यन की फोटो भेज दूँगा ...आपके ब्लॉग पर आने के बाद पहली नजर इस नन्ही परी पर ही जाती है ....."मे गोड ब्लेस हर" ....
हर एक शेर अनुभव का नगीना है नीरज जी। बहुत धन्यवाद प्रस्तुति के लिये।
कई बार यहां आया मेमने को लगा पाया। तब लगा कि पता नहीं आप कहां गए फिर आज पढ़कर आपको मजा आया।
कैसी रही। सिर्फ कविता से ही जयपुर का टरका देंगे या सफरनामा भी चलेगा। पर ये लाइनें अच्छी लगी।
नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना
बहुत ही बढ़िया गजल
धन्यवाद
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
मजा आ गया पढ़कर, क्या सबक दी है,
शुक्रिया।
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
भाईसाहब बहुत शानदार रचना है ! बस आपको
प्रणाम करने की इच्छा हो रही है ! इतनी सुंदर
रचना के लिए मेरे प्रणाम स्वीकारें ! धन्यवाद !
सच ही कह रहे हो नीरज जी।
अगर दिल टूटने का डर सताए, प्यार मत करना
नहीं मजबूत बाजू तो, समंदर पार मत करना
बहुत ही उम्दा।
अगर दिल टूटने का डर सताए, प्यार मत करना
नहीं मजबूत बाजू तो, समंदर पार मत करना
" nothing can be said in front of these words, great lines from the depth of heart and touched the deep feelings of love and insecurity , commendable"
Regards
कयामत से क़यामत तक, की बातें यार झूटी हैं
यहाँ पल का भरोसा भी, मेरे सरकार मत करना
बहुत खूब ..आए वापिस तो पूरे रंग के साथ आप वापिस आए :) मिष्टी के साथ और कुछ याद करने की सोचना भी नही चाहिए था जी :) बहुत सुंदर लगी आपकी यह गजल
मुझे ना , कविता से ज्यादा अच्छी आपकी ये पंक्ति लगी.....अगर कुछ याद आने दे तो फ़िर वो मिष्टी ही क्या
हौसले और समझ की बातें
आपकी इस ग़ज़ल में चार चाँद
लगा रही हैं.....बधाई हो भाई.
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कहूँ एक बात मैं लेकिन इसे इन्कार मत करना
न दिखना इस तरह चिट्ठे पे तुम हर बार मत करना
नीरज जी,
आपका इंतज़ार रहता है.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
कयामत से क़यामत तक, की बातें यार झूटी हैं
यहाँ पल का भरोसा भी, मेरे सरकार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
वाह साहब! बहुत खूब फ़रमाया है!
आपकी गज़लों के मक्ते का तो बेशक कोई जवाब नही!!!
हमे भी यही पंक्ति ज़्यादा पसंद आई.. अगर कुछ याद आने दे तो फ़िर वो मिष्टी ही क्या...
जयपुर प्रवास में आपसे मिलना सुखद रहा.. और हां इस बार ग़ज़ल लंबे बहर की बन पड़ी है..
नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना..bahut khuub..neeraj ji ..aapka geet jald hi sunvaungi...
सलीका सीखिए, दुश्मन से पहले आप लड़ने का
कि उसकी पीठ पर, भूले से भी तुम वार मत करना
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलाम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
वाह बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।
बहुत बेहतरीन-पूरे जोर शोर से लौटे. मिष्टी को आशीष!!! :)
waah bha kya baat hai, badi dhamekedaar wapasi ki hai aapne. har sher dilchasp laga.
बहुत खूब। सचमुच इस गजल का हर शेर तारीफ के काबिल है। आपकी शायरी को पढ़ना सुखद अनुभव होता है।
एक से बढकर एक शेर हैँ नीरज जी
.. अब लिखते रहीयेगा ...
मिष्टी बिटीया को, ढेरोँ आशिष !
- लावण्या
lajabab neeraj ji badhai achchi rachana ke liye.
नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना
नीरज जी हमेशा की तरह से एक उम्दा गजल , हर शॆर एक से बढ कर एक
मिष्टी को हमारी तरफ़ से ठेर सा प्यार दे,
आप का धन्यवाद
हर लाइन कमाल की है ! मिष्टी को आशीष कहने की जरुरत नहीं वो तो सदा ही है !
अगर दिल टूटने का डर सताए, प्यार मत करना
नहीं मजबूत बाजू तो, समंदर पार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
bahut khub neeraj ji..behatarin
Bahut sundar likha hai sir aapne..
maza aa gaya padhkar.. khaskar antim lines behtarin hai
New Post :
मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
हमेशा की तरह बेहतरीन गजल. हर एक शेर अद्भुत है.
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
वैसे ये शेर कहीं मेरे लिए तो नहीं लिखा गया है....:-)
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलाम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
नीरज जी , बहुत अच्छी ग़ज़ल है !!!!!!!!!!!!!!!!
नीरज जी बहुत खूब लिखा है आपकी रचना बहुत सुन्दर है
Neerajbhai
Waiting for your come back is worth after reading this gazal.
Great. Plz keep writing.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
दिखाई दे वोही सच हो, नहीं मुमकिन हमेशा ही
गरजती सब घटाओं का, कभी इतबार मत करना
ग़लत है बात ये कोई अगर, कहता है उल्फत में
कभी फरियाद मत करना, कभी तकरार मत करना
देर से आपके ब्लॉग पर आया . सच पूछिए अंतर्मन तक आपकी रचना गहरे से छु गयी. ब्लॉग पर कई लोग रचनाये लिख रहे हैं मगर आपकी रचना निसंदेह उत्कृष्ट है.... बधाई हो. मसूरी ट्रेनिंग के लिए आपने शुभकामनाये दी आपका धन्यबाद.
अगर दिल टूटने का डर सताए, प्यार मत करना
नहीं मजबूत बाजू तो, समंदर पार मत करना
...........
sahi kaha, bahut shaandaar rachna ke saath aaye
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलाम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
शराफत का तकाजा है, तभी खामोश है "नीरज"
फिसल जाए जबां इतना, कभी लाचार मत करना
बहुत सुंदर भाव और उतने ही सुंदर शब्द, नीरज जी! बधाई!
नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना
ek badi chinta hat gai bhai saab
सलीका सीखिए, दुश्मन से पहले आप लड़ने का
कि उसकी पीठ पर, भूले से भी तुम वार मत करना
kya khoob saleeke se kaha aapne
is behtreen gazal ke liye babhai
PRAN saab ko saadhuwad
shesh shubh
दिखाई दे वोही सच हो, नहीं मुमकिन हमेशा ही
गरजती सब घटाओं का, कभी इतबार मत करना...
.सही लिखा है नीरज जी.... अच्छी गज़ल।
.
Agar unki yaad sataye
to fariyaad n karna .
सही लिखा है.
pahli baar aapka blog dekha bina tippanyaye vaapas jaaon to galat hoga, mujhe jharna-jharni ne tazadum kar diya.
कटा कर सर कमाई है, बुजुर्गों ने ये आज़ादी
इसे नीलाम तुम यारों, सरे बाजार मत करना
Behatareen. Poori gazal hi umda hai.
हुज़ूर एक टिप्पणी देने की गुस्तख़ी कर रहा हूँ
भाव खूबसूरत हैं किंतु मीटर में मुझे थोड़ी कमी लगी
रोहित जी
(ग़ज़ल: कभी फरियाद मत करना)
यूँ तो मैंने ये ग़ज़ल प्राण साहेब को दिखला दी थी इसलिए मीटर की गलती होनी नहीं चाहिए लेकिन जब आप कह रहे हैं तो जरूर कुछ कमी रह गयी होगी...सीखना एक सतत प्रक्रिया है और ये जीवन भर चलती है, मैं भी अभी सीख ही रहा हूँ इसलिए गलती होनी स्वाभाविक है. आप कृपया बताएं की कौनसा मिसरा या शेर मीटर में नहीं लग रहा ताकि उसे ठीक करने की कोशिश की जाए.
कमियों पर ध्यान दिलाने के लिए आप का तहे दिल से शुक्रिया. सच्चा पाठक वो ही है जो लेखक को और अच्छा लिखने को प्रेरित करे.
नीरज
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