(पेशे खिदमत है ,छोटी बहर में एक निहायत सादा सी ग़ज़ल)
ये कैसी मजबूरी है
जो लोगों में दूरी है
क्यूँ फिरता पगलाया सा
तुझमें ही कस्तूरी है
बात सुई से ना सुलझे
तो तलवार जरूरी है
तुम बिन मेरे जीवन की
हर तस्वीर अधूरी है
जाता है जो मंजिल तक
वो रस्ता बेनूरी है
देख किसी को मुस्काना
अब केवल दस्तूरी है
अब केवल दस्तूरी है
देखा 'नीरज' को मुड़ कर
ये क्या कम मशहूरी है ?
27 comments:
तुम बिन मेरे जीवन की
हर तस्वीर अधूरी है
जाता है जो मंजिल तक
वो रस्ता बेनूरी है
रोना धोना भावुकता
अब केवल दस्तूरी है
देखा 'नीरज' को मुड़ कर
ये क्या कम मशहूरी है ?
Superb.
छोटी बहार में नापी,
'नीरज' ने लम्बी दूरी है :)
लिखते रहिये ..
लाजवाब ,सरल सहज शब्दों में उत्तम अभिव्यक्ति नीरज जी
latest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
ये सादा सी गजल है सर ? कमाल गज़ल है
बात सुई से ना सुलझे
तो तलवार जरूरी है
देखा 'नीरज' को मुड़ कर
ये क्या कम मशहूरी है ? वाह वाह .....
पीड़ा का बातें आधी पर,
चुभती मन में पूरी हैं।
क्यूँ फिरता पगलाया सा
तुझमें ही कस्तूरी है
क्या बात है नीरज साहेब,
तुझमे ही कस्तूरी है.
शुभकामनाएं
Received on mail:-
Namaste Neeraj Uncle..
Donon Virodhabhasee ashar hain.. ek aur to logon men doori ki majboori aur dusari aur "Neeraj G" aur aise hee anya logon ko Mudkar dekhana logon-logon men fark ko darsha raha hai. Aanad aa gaya..
ये कैसी मजबूरी है
जो लोगों में दूरी है
देखा 'नीरज' को मुड़ कर
ये क्या कम मशहूरी है?
Rgds Vishal
वाह वाह !!! छोटी बहर बहुत सुंदर गजल ,,,
RECENT POST : पाँच( दोहे )
बहुत बढ़िया ...
बहुत खूब,
" 'नीरज' ही कस्तूरी है,
यह ख़ुश्बू जिससे फैली है."
http://mansooralihashmi.blogspot.com
छोटी बह्र में ग़ज़ल कहना गहरे समंदर में तैरने के सहस से कम साहस नहीं मॉंगता है।श्
लाजवाब ग़ज़ल।
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है दोनों ही सामूहिक ब्लौग है। कोई भी इनका रचनाकार बन सकता है। इन दोनों ब्लौगों का उदेश्य अच्छी रचनाओं का संग्रहण करना है। कविता मंच पर उजाले उनकी यादों के अंतर्गत पुराने कवियों की रचनआएं भी आमंत्रित हैं। आप kuldeepsingpinku@gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक रचनाकार का हृद्य से स्वागत है।
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Received on mail:-
सादगी की भी अपनी खूबसूरती है !
कुछ ही लफ्जों में गयी गज़ल बहुत ही उम्दा गज़ल !
Sarvjeet Sarv
छोटे-छोटे शब्दों भले बात समाई पूरी है !
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
क्यूँ फिरता पगलाया सा
तुझमें ही कस्तूरी है
वाह! छोटी बह्र, गहरा असर ..
छोटी बहर का जादू , बहुत सिखने को मिला, सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
sundar gazal .. jiwan ke kayi rang samet diye apne is chhoti si gazal me :)
ये कैसी मजबूरी है
जो लोगों में दूरी है
क्यूँ फिरता पगलाया सा
तुझमें ही कस्तूरी है
sadar jai shree krishna
जाता है जो मंजिल तक
वो रस्ता बेनूरी है
देख किसी को मुस्काना
अब केवल दस्तूरी है
बहुत सुन्दर.
(http://dehatrkj.blogspot.com)
लाजवाब..
bhai, namasty
very gud, regds
- om sapra
Regards
O P Sapra
9818180932
छोटी बहर की इस लाजवाब गज़ल पे वाह वाह ही निकलता है नीरज जी ... कमाल के सभी शेर हैं ...
sundar rachna
तुम बिन मेरे जीवन की
हर तस्वीर अधूरी है
देख किसी को मुस्काना
अब केवल दस्तूरी है
बहुत ख़ूब नीरज भैया !
बहुत प्रभावी पंक्तियाँ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार २६ मई 2016 को में शामिल किया गया है।
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
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