Monday, November 12, 2012

जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर

आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं




हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर 
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर 

सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा 
जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर 

अपने रकीब को जब देखा वहां तो जाना 
रुसवा किया गया है हमको तो घर बुला कर 

पहले दिए हजारों जिसने थे घाव गहरे 
मरहम लगा रहा है अब वो नमक मिला कर 

गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी 
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर 

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन 
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर 

गर खोट दिल में तेरे बिलकुल नहीं है "नीरज" 
 फिर किस वजह से करता है बात फुसफुसाकर

35 comments:

समय चक्र said...

दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....

Sunil Balani said...

हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
wah kya sadagi se kitni gahri baat kah dee aapne...

Anupama Tripathi said...

सुंदर प्रस्तुति ....
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ....

Vaanbhatt said...

प्रभु, आपकी गजलें बहुत गहरे सन्देश देतीं हैं...आइना दिखा देतीं हैं...

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
हर शेर बहुत ही बेहतरीन है...
अति उत्तम...
आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)

सदा said...

हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर

सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा
जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर
वाह ... बहुत खूब

!! प्रकाश पर्व की आपको अनंत शुभकामनाएं !!

Yashwant R. B. Mathur said...

दीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाएँ सर!

सादर

Shiv said...

ग़ज़ल के साथ तस्वीर के क्या कहने! ऐसी हँसी बहुत कम कैमरे की पकड़ में आती है. दिन का बन जाना यही होता है.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,,
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
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Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह नीरज जी, अच्‍छा लगा पढ़ कर :)

kshama said...

Kharab sehat ke karan aapko padh nahee pa rahee hun...khair!
Diwali aap aapke poore pariwaar ko bahut bahut mubarak ho.

vandana gupta said...

सुन्दर प्रस्तुति.

दीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें

मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब


दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर प्रस्तुति!
--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
--
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Asha Lata Saxena said...

बहुत ही भावपूर्ण रचना |दीपावली शुभ और मंगलमय हो |
आशा

तिलक राज कपूर said...

दीपोत्‍सव की बधाई।
नेक दिल इंसान की नेकदि ग़ज़ल पर और क्‍या कहूँ
शिकवा, गिला, शिकायत, भूलो बताओ हमको
क्या चाहते हो ‘नीरज’ ऐसी ग़ज़ल सुनाकर।

Suman said...

गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! sundar yekse yek,

रविकर said...

दीप पर्व की

हार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर

लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

सच हमेशा बच्चों की तरह ही खिलखिलाता हुआ मासूमियत से हँसता है... :-)
बहुत खबसूरत ग़ज़ल !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !:-)
~सादर !

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
virendra sharma said...


माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर

गर खोट मन में तेरे बिलकुल नहीं है 'नीरज'
फिर किस वजह से करते हो बात फुसफुसाकर

एक ख़ास सारल्य बहाव अर्थ छटा है गजल में यार .बधाई ,दिवाली .

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




क्या बात है नीरज भाईजी !

अच्छी ग़ज़ल कही है
आपके यहां आने का शर्तिया आनंद मिला …
आभार !


Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ


ऋता शेखर 'मधु' said...

हर शे'र लाजवाब!!!
दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!

प्रवीण पाण्डेय said...

खिलखिलाकर यूँ ही हसती रहे जिन्दगी।

sushila said...

"गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर "

लाजवाब !

Asha Joglekar said...

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर

गर खोट दिल में तेरे बिलकुल नहीं है "नीरज"
फिर किस वजह से करता है बात फुसफुसाकर

बहुत खूब ।

Anonymous said...

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर
कुछ ऐसा ही कहना चाहता हूँ-----

हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर
और मतले का तो कहना ही क्या --------
मुद्दत बाद आप तक पहुँच सका हूँ
इतनी प्यारी ग़ज़ल है की जलन होने लगी .
आखिर ऐसे अशआर मैं कब कह सकूंगा !!!
सर्वत एम . जमाल

रश्मि प्रभा... said...

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर ...वाह

Manish Kumar said...

गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर

अच्छा लगा ये शेर !

Vandana Ramasingh said...

सच बोल कर सदा यूँ दिल खुश हुआ हमारा
जैसे की कोई बच्चा हँसता हो खिलखिलाकर
हर बात पे अगर वो बैठेंगे मुंह फुला कर
रूठे हुओं को कब तक लायेंगे हम मना कर

बहुत बढ़िया

Onkar said...

बहुत बढ़िया

प्रदीप कांत said...

माना हूँ तेरा दुश्मन बरसों से यार लेकिन
मेरे भी वास्ते तू एक रोज़ कुछ दुआ कर

- प्रदीप कांत

दिगम्बर नासवा said...

गहरी उदासियों में आई यूँ याद तेरी
जैसे कोई सितारा टूटा हो झिलमिलाकर ...

सुभान अल्ला ... मज़ा आ गया नीरज जी पूरी गज़ल पढ़ने के बाद ...

Dr. Shorya said...

bahut khub , adbhut,