मैं राजी तू राज़ी है
पर ग़ुस्से में क़ाज़ी है
आंखें करती हैं बातें
मुंह करता लफ्फाजी है
जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है
तुम बिन मेरे इस दिल को
दुनिया से नाराजी है
कड़वा मीठा हम सब का
अपना अपना माजी है
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
( ये ग़ज़ल गुरु देव पंकज सुबीर जी का मिडास टच लिए हुए है )
38 comments:
अखियन में
फागुन लहराया!
शरमाई
फूलो में पंखुरियाँ
अलसाई
रतनारी आँखरियाँ!
अधरों पर
अनव्याहा छंद मुखर आया
चहक रही
तितली सी चितवन,
ठुमकी पायल
खनके कंगन!
भूला-सा एक नाम
सुधियों में आया!
अखियन में फागुन लहराया!
RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
ये प्रोफेशनल लेखन है प्रभु...स्वान्तः सुखी नहीं...उम्दा ग़ज़ल...चुनिन्दा शेर...
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है
उसको हो इनकार भले ही
अपनी तो हांजी हांजी है
:-)
सच्ची मिडास टच है.....दमकती हुई गज़ल...
सादर
अनु
आंखें करती हैं बातें
मुंह करता लफ्फाजी है
..यह शेर अच्छा लगा।
अहा, प्रभावी..सुन्दर..
बहुत प्रभावशाली ग़ज़ल
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है---बहुत सुन्दर
Bahut sundar! Kuchh choten hamesha taazee rahtee hain shayad....
जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है
बहुत सुंदर गज़ल....
ईद के मौके पर ग़ज़ल ईदी का काम कर गयी.... सलाम नीरज भाई. ईद की मुबारकबाद!
बहुत सुन्दर ......
Aapki gazelen ab dil lootne lagi hein, qatl to bahut pahle se karti rahi hein.
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
कुछ जख्म जिदगी भर इंसान को परेशान करते रहते हैं.
आपकी ग़ज़लों की खुशबू,
आज भी कितनी ताज़ी है.
/
छोटी बहर में इतनी खूबसूरत गज़ल आप ही कह सकते हैं!!!
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है,छोटी बहर की इस गजल में बहुत सुन्दर व्यंजना और रूपक का निर्वाह हुआ है . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
आंखें करती हैं बातें
मुंह करता लफ्फाजी है
इतनी छोटी बहर में इतनी बड़ी बात...नीरज जी बहुत बड़ा फ़न है ये...बधाई
कड़वा मीठा हम सब का
अपना अपना माजी है...
ये शेर तो दिल को छू गया...वाह
GAAGAR MEIN SAAGAR BHAR DIYA HAI
AAPNE . MUBAARAQ .
कड़वा मीठा हम सब का
अपना अपना माजी है
बहुत खूब कहन......
हर शेर शानदार है....
सबमे रब दिखता जिसको वो ही सच्चा हाजी है !
बेहतरीन !
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
वाह! सुन्दर ग़ज़ल.
आपको और गुरुदेव पंकज सुबीर का धन्यवाद् इस ग़ज़ल के लिए.
.
छोटी बह्र में कही गई आपकी यह ग़ज़ल दिल ले गई …
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है
बहुत सच कहा नीरज भाईजी आपने …
पूरी ग़ज़ल बहुत ख़ूब कही है
बहुत बहुत शुभकामनाएं …
कड़वा मीठा हम सब का
अपना अपना माजी है
वाह ... छोटी बहर में आपका कमाल देख रहा हूं ... हर शेर दिल में उतर जाता है नीरज जी ... बधाई ...
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
bahut hi khoobsurat gazal
जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है
वाह ... बेहतरीन ... उत्कृष्ट प्रस्तुति
bhaut hi khubsurat....
kya baat hai halki phulki mazedar ghazal
सब में रब दिखता जिसको
वो ही सच्चा हाजी है
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है सर :-)
खूब गजल कही है
नीरज जी .....
दर्द अभी कम है ‘नीरज’
चोट अभी कुछ ताज़ी है
........सच है ..
तुम बिन मेरे इस दिल को
दुनिया से नाराजी है....दोनों
बहुत ही लाजवाब शेर
लाजवाब....
कुँवर जी,
बहुत खूब नीरज भाई |
जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है
बहुत सुंदर...सभी शेर खूबसूरत !!
बढिया है बहुत ये गज़ल
और फिर ताज़ी ताज़ी है ।
बहुत खूब, उम्दा ग़ज़ल
नीरज साहब,
वाह वाह...इस सादगी का जवाब नहीं. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है...तबीयत खुश हो गयी...अच्छे अशआर....
"जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है"
क्या कहने...
कड़वा मीठा हम सब का
अपना अपना माजी है
वाह वाह...
दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं.
सादर,
सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
जुहू , मुंबई - 49.
अरे सर आपने तो बस बोलती बंद कर दी क्या खूब लिखा है मज़ा आ गया पढ़ कर | सच बताऊँ तो कम ही मिलती है ऐसी रचना इन ब्लॉगस की बरसातों में |
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Chhoti behr men achhi ghazal bhai!
ye do ashaar bahot achhe lage :-
आंखें करती हैं बातें
मुंह करता लफ्फाजी है
जीतो हारो फर्क नहीं
ये तो दिल की बाज़ी है
Bahut Khoob!
क्या समझें गज़ल, हमारा
मनवा एक दम पाजी है।
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