Monday, June 29, 2009

क़ैद में पंछी फडफडाते हैं




हम तो बस अटकलें लगाते हैं
कब किसे यार जान पाते हैं

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं

लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं

चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं

हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं

( गुरुदेव प्राण शर्मा जी के आर्शीवाद से संवरी ग़ज़ल )

72 comments:

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई नीरज जी ,

सीधे, सपाट और सच्चे अनुभव एवं अहसास का अद्भुत खजाना है आपकी ये छोटे बहर की अद्वितीय ग़ज़ल

बधाई स्वीकार करें.

चन्द्र मोहन गुप्त

Dr. Amar Jyoti said...

'लाख इनका करो ख़याल…'
बहुत ख़ूब!

MANVINDER BHIMBER said...

bahut sunder kikha hai...dil ko chu gaya hai bhaaw ...har shere sunder hai...bahut khoob

Anil Pusadkar said...

नाम मां का………………………………। बहुत खूब्।

डॉ. मनोज मिश्र said...

लाख इनका करो ख्याल मगर
कैद में पंछी ........
बहुत उम्दा लाइनें ,बधाई .

Murari Pareek said...

लाख इनका करो ख़याल मगर कैद मैं पंछी, फडफडाते हैं!!
सोने की जंजीर से भी बांध दो पर हैं तो बंधन!!
बहुत लाजवाब लिखा है आपने!!

ओम आर्य said...

एक एक पंक्तियाँ ...............दिल को छूते चली गयी ...........बहुत ही बढिया लिखी है आपके लेखन का जबाव नही है ..............अतिसुन्दर नीरज जी

Ashutosh said...

bahut sundar kavita.

हिन्दीकुंज

अमिताभ मीत said...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं

Kamaal hai Saahab. Bahut acchii ghazal hai Bhai.

सदा said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं


बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

सुशील छौक्कर said...

हर पंक्ति दिल को छूती हुई।

ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं

सच कहा। बहुत खूब।

संजीव गौतम said...

bahut achchhee. dil ko chhootee hui.
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं


ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं
in donon sheron ke liye badhaaee.

Shiv Kumar Mishra said...

बहुत खूब!

हमेशा की तरह एक से बढ़कर एक शेर. आप केवल लिखते नहीं ज़िन्दगी जीने की राह दिखाते हैं.

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

बहुत खुब .......
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ

अनिल कान्त said...

मज़ा आ गया पढ़कर

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया रचना . नीरज जी बधाई.

M VERMA said...

बेहतरीन गज़ल के लिये मुबारकबाद

कंचन सिंह चौहान said...

हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं

khoob...!

राज भाटिय़ा said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

जबाब नही नीरज जी, बहुत गहरे तक आप के शव्द जाते है.
धन्यवाद

मोहन वशिष्‍ठ said...

नीरज जी बहुत ही बेहतरीन रचना बहुत ही बधाई हो

प्रदीप मानोरिया said...

ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं


bahut lazbaab gazal sahj prastuti karan

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
आप इतने आसान और खूबसूरत लफ्जों में बात कह जाते हैं उसके क्या कहने.
यही खूबी है आपकी जिसकी जितनी तारीफ की जाये उतना कम है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर भाव,
बेहतरीन गज़ल।
बधाई।

Abhishek Ojha said...

एक से बढ़कर एक !

admin said...

आपकी गजल हमेशा लाजवाब कर जाती है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रंजन (Ranjan) said...

बहुत सुन्दर रचना.. बधाई

निर्मला कपिला said...

लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं
बहुत सुन्दर लाजवाब गज़ल के लिये बधाई

पंकज सुबीर said...

अच्‍छी और सीधी सादी ग़जल जैसे कोई बहुत सुंदर युवती बिना कोई सिंगार किये जा रही हो और उसके सामने सिंगार की हुई युवतियों का रंग फीका पड़ रहा हो । प्राण जी जैसे उस्‍ताद की संगत में ये रंग तो आना ही है ।

Mansoor ali Hashmi said...

खूबसूरत ग़ज़ल सुनाते है……

[आप जब ग़म मे मुस्कुराते है।]

-मन्सूर अली हाश्मी

परमजीत सिहँ बाली said...

नीरज जी,
बहुत ही खूबसूरत और उम्दा गज़ल है।बधाई ।

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं

Vinay said...

सच्चे मन की बात

---
चर्चा । Discuss INDIA

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

बेहतरीन गज़ल

प्रिया said...

achci gazal hain aapki.... aur aapki awaaz bhi achchi hai. Hindyugm ke podcast kavi sammelan mein suna aapko ...... achcha gate hain aap

Manish Kumar said...

sahjta se kahe aise ashaar jinse hum sabhie relate kar sakte hain

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत खूबसूरत गजल और सारे ही शेर एक से बढकर एक. सलाम है आपको.

रामराम.

Yogesh Verma Swapn said...

हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं

wah neeraj ji, behatareen abhivyakti, bahut bahut badhai.

Udan Tashtari said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं



-वाह!! बहुत खूब!!

ये हमारे तोता राम को कहाँ से आप पा गये जी?

वीनस केसरी said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

दिल का हर कोना झंकृत हो गया ये शेर पढ़ कर,
बहुत खूब

वीनस केसरी

नीरज गोस्वामी said...

E-Mail received from Om Sapra Ji:

dear neeraj ji
namastey
your post regarding" kaid mein panchi pharpharete hain" is a good one, especially the
following lines:-

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

pl convey my gratitude and thankfulness for gurudev shri pran sharma ji, for giving inspiration
and energy to your poem/ghazal.

Again congratulations,
-om sapra, delhi-9

Urmi said...

बहुत ही ख़ूबसूरत, लाजवाब और दिल की गहराई से लिखी हुई आपकी ये कविता बहुत अच्छी लगी!

Alpana Verma said...

लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं
बहुत खूब!

सभी शेर उम्दा हैं..ग़ज़ल अच्छी लगी.

पारुल "पुखराज" said...

poori ghazal khubsurat hai neeraj ji...

डॉ .अनुराग said...

लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं


बात तो वाजिब है हजूर ....पर आदमी प्यार भी तो अपनी शर्तो पे करना चाहता है आजकल....

गौतम राजऋषि said...

ग़ज़ल तो हर बार आप नयी अंदाज़ में ले आते हैं नीरज जी, हम तारीफ़ के नये अंदाज़ कहाँ से लायें? वही वाह-वाह, क्या खूब से कुछ हट कर कहन चाहता हूँ आपके सब शेरों पर...
मक्ते पे अब लुटाने को जी चाहे

शारदा अरोरा said...

हर पंक्ति सीधी सच्ची लाजवाब

दिगम्बर नासवा said...

चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं

neeraj जी........ आपका अंदाज़ बहुत niraala है ............. लाजवाब gazal, seedhe saadhe khilte huve शेर........... ustaadon का aashirvaad............. सब कुछ एक साथ नज़र आता है........... बहुत खूब

cartoonist anurag said...

bahuta hishandar rachna......
maine ek cartoon banaya hai pita putri k rishte par....
jaroor dekhen...
aour apne amoolya sujhav dekar mujhe upkrat kare...
anurag......

Prem Farukhabadi said...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
neeraj bhai
aapki soch dil ke kareeb hai.
bina pyar ki soch ke jiya jaye to kaise. bahut mast. badhai

vijay kumar sappatti said...

आदरणीय नीरज जी

प्रणाम

पूरी ग़ज़ल को मैं कल से कई बार पढ़ चूका हूँ , जब भी मैं इस शेर को पढता हूँ तो आँखे नाम हो जाती है ...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

सर , इतनी सीधी और सहज ढंग से इतनी गहरी बात कह दी है आपने .... मेरा सलाम काबुल करे आपकी लेखनी के लिए ...

और हाँ , ये शेर भी बहुत मन को छु गया ...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं


नमन है आपको

आपका
विजय

Gyan Dutt Pandey said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

----------
क्या नीरज जी, इन पंक्तियों से हम बोल्ड हो जाते हैं!

प्रकाश पाखी said...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं


लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं


नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं


हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं
सारे अशआर खूबसूरत है...पर ये चार शेर ...तो बस जान छिडकने को जी चाहता है..

shobhana said...

चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं

b had sundar upma di hai aapne .
khubsurat gajal.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहुत सुँदर लफ्ज़ोँ मेँ बात कही आपने - यूँ ही कहते रहीये -
चि. मिष्टी बिटीया को आशिष
- लावण्या

अजित वडनेरकर said...

बहुत उम्दा...
छोटी बहर बहुत भाती है...

संजय सिंह said...

भईया प्रणाम

शब्द नहीं मिल रहे है - आपकी गजल के लिए
बस इतना ही कह सकता हूँ. -- "आपकी ये गजलें आप की तरह ही अति सरल और सुन्दर है"

रश्मि प्रभा... said...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं
.........
laajawaab

प्रकाश गोविंद said...

बेहद ह्रदयस्पर्शी गजल !

गजल की हर एक पंक्ति ओस की बूँद सी
पवित्र और पारदर्शी नजर आती है !


आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं

या फिर

ज़िन्दगी है गुलाब की डाली
साथ फूलों के खार आते हैं

सभी शेर सीधे दिल पे दस्तक देते हैं !

आज की आवाज

आशा जोगळेकर said...

चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
वाह नीरज जी ,अति अति सुंदर ।

विवेक सिंह said...

बहुत इमोशनल किये हो जी !

PREETI BARTHWAL said...

क्या खूब लिखा है नीरज जी बहुत बढ़िया ।
चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं

Akshitaa (Pakhi) said...

Mishti kaisi hai..aur ye parrot ko pinjare men kyon band kar rakha hai.

बवाल said...

हुस्न निखरे है कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं
वाह वाह वाह नीरज साहब, कितनी ही बेहतरीन बात कह गए जी ! बड़ा ही सादा तिलिस्म है जी आपकी कहन में।
सच है,
नीरज, नीरज ही होता है। बहुत आभार इतनी सुन्दर रचना के लिए।

श्रद्धा जैन said...

Puri gazal kamaal ki kahi hai aapne Neeraj ji aapko padhna waqayi itna sukhad hota hai man jhoom uthta hai

ye sher zubaaN par hi rahega
नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं

bahut khoob bharat se aane ke baad aapko padhna bahut achha laga

daanish said...

लाख इनका करो ख्याल मगर
क़ैद में पंछी फडफडाते हैं

सुबहान-अल्लाह !
हुज़ूर ,,,,,
इतनी प्यारी और इतनी मेआरी ग़ज़ल !!!
खूबसूरती ....सादगी .....शाइस्तगी ....
सब कुछ एक जगह समेट कर आपने नायाब
तोहफा दिया है हम सब को .....
पंकज जी ने सही फ़रमाया है क खूबसूरती को
गहनों की ज़रूरत नहीं होती .....

मान लीजे , कि हम तो फुर्सत में
आप के शेर गुनगुनाते हैं

मुबारकबाद .
---मुफलिस---

अनुपम अग्रवाल said...

आप खुश हैं मेरे बगैर अगर
अश्क छुप छुप के क्यूँ बहाते हैं

नज़र आखिर नज़र है

लाख रख लूँ सीने में मगर
अश्क़ कहाँ तुम से छुप पाते हैं

सागर said...

कॉमेंट देने में मैं बहुत कंजूस हूँ नीरज जी, पर कसम से अबकी कॉमेंट इस आग्र्ह पर दे रहा हूँ

''तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे''

यह तो मज़ाक था जी... (इसे राजकपूर के स्टाइल में पढ़िएगा जी.)

रचना बेहद उम्दा है नीरज जी. खुदा आपको और आगे ले जाए....

kumar Dheeraj said...

हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं
नीरज जी अदभुत लिखा है आपने । क्या लिखूं । बाकई बेमिसाल है धन्यवाद

दर्पण साह said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं


wah pehli baar is sacchai ko sher ke roop main dekhkar atyant khushi hui...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"हुस्न निखरे कई गुना 'नीरज'
फूल जब ओस में नहाते हैं"
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगी....
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...

मेरी नई रचनाएं हर ब्लाग पर जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा... क्या बात है...

Dileepraaj Nagpal said...

चाँद आता नजर अमावस में
आप जब ग़म में मुस्कुराते हैं
Bahut Khoob Sir jee...

manu said...

नाम माँ का जबां पे आता है
दर्द में जब भी बिलबिलाते हैं
क्या खूb कहा है ,,,
और मक्ता बेहद हसीं है,,,
मुफलिस जी से सहमत,,,
( गीत लता के गाने का,,,)