मेरे मित्र विजय जी ने मिष्टी की फोटो देख कर ही उसपर इक रचना लिख कर मुझे भेजी है जिसे मैं ज्यूँ की त्यूँ आप सब को पढ़वा रहा हूँ. उनकी रचना कैसी लगी ये आप उन्हें जरूर बताएं
है प्यारी सी अपनी मिष्टी
जिसमें सारी अपनी सृष्टि
सपनो को साकार किया है
हमसब को उपहार दिया है
बिखरे बिखरे से जीवन को
इक सुंदर आकार दिया है
सारे घर की शान है मिष्टी
घर वालों की जान है मिष्टी
ठुमक ठुमक कर नाच दिखाए
तितली की जैसे मंडराए
छोटे छोटे से पावों से
लम्बी लम्बी दौड़ लगाये
लगती तो नादान है मिष्टी
पर बेहद शैतान है मिष्टी
बड़ी बड़ी हैं आँखें चंचल
जिनमें हरपल देखूं हलचल
मीठे मीठे गीत सुनाती
जैसे घर में गाती कोयल
सब का दिल बहलाए मिष्टी
ये सबकी कहलाये मिष्टी
39 comments:
niraj ji
vijay ji ne haqeeqat bayan kar di hai .........ab uske aage kahne ko kya bacha hai.........bahut sundar kavita hai satya ko dikhati.
aadarniya neeraj ji
mishti hai hi itni sundar ki wo apne aap men ek kavita hai ..aur sach kahun ,mujhe baccho par kavita likhna bahut pasand hai ..
lekin meri choti si kavita ko apna waradhast dekhar aapne use aur bhi pyaari bana diya hai ..ye kamaal sirf aap hi kar sakte hai ..
aap guru hai sir ji ..
mishti bhi aapki , poem bhi aapki .. aur main bhi aapka
bahut dhanyawad..
aapka
vijay
वाह मिष्टी बिटिया के लिए इतनी प्यारी कविता.. विजय जी को हमारी तरफ से बधाई दिजियेगा.. कविता सुंदर है.. और आप कहा है इन दिनो.. हमसे पर्मिशन लिए बिना जयपुर आ जा रहे है.. क्या बात है?
है प्यारी सी अपनी मिष्टी
प्यारी सी मीठी रचना लिखी है उन्होंने मिष्टी पर ..बहुत सुंदर मिष्टी जैसी ही :)
Behtareen....badi hi pyari si rachna hain.....Mishti.....padhkar ankonh mein aasu hi aa gaye...Mishti jaldi hi badi hoe...or khud se ye rachna padhe...
Ruby
विजय जी का जवाब नही कितनी सुन्दर कविता लिख दी मिष्टी पर। मुझे भी फोटो देखकर यही लगता है कि विजय जी ने पूरे सच्चे दिल से सही चित्रण किया है मिष्टी बिटिया का।
सपनो को साकार किया है
हमसब को उपहार दिया है
बिखरे बिखरे से जीवन को
इक सुंदर आकार दिया है
सारे घर की शान है मिष्टी
घर वालों की जान है मिष्टी
सच अद्बुत लिखा है। मंत्रमुग्ध कर दिया विजय जी ने। और मिष्टी को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद।
सारे घर की शान है मिष्टी
घर वालों की जान है मिष्टी
"बेहद सुंदर रचना...... सच कहा है विजय जी ने...मिष्टी की मुस्कान वैसे ही मनमोहक है....एक मासूम सी चंचलता जो चहरे से झलकती है अनायास ही मंत्रमुग्ध कर देती है ...." बिटिया को ढेरो आशीर्वाद और प्यार.."
Regards
प्यारी --प्यारी---प्यारी मिष्टी
नीरज जी
मिष्टी बिटिया है ही इतनी प्यारी की कविता अपने आप बहने लगे. और फ़िर विजय जी की कलम ने उसको और सुंदर रूप दे दिया है. सुंदर कविता,
चार लाइने मेरी तरफ़ से
मीठी सी मुस्कान लिए हंसती है मिष्टी
छूट न जाएँ वो लम्हे तुम खोलो दृष्टि
वो प्रतीक आने वाले उज्वल भविष्य की
सिन्दूरी रंगों से महकेगी यह श्रृष्टि
मिष्टी की बातें हैं ऐसी
शहद घुली हो मिश्री जैसी
मुस्काहट जैसे चंदा हो
और हंसी जैसे झरने सी
पापा जी की प्यारी मिष्टी
मां की राजदुलारी मिष्टी
अव्वल सबसे शैतानी में
आग लगा दे वो पानी में
सुख मिलता है जीवन भर का
उसकी तोतल सी बानी में
परियों की है रानी मिष्टी
गीता और गुरबानी मिष्टी
दादाजी की आंख का तारा
न्यौछावर उसपे जग सारा
जीवन के इस घटाटोप में
उसके दम से है उजियारा
चंचल चंचल तितली मिष्टी
धूप सुबह की उजली मिष्टी
क्यूट !
नीरज जी मिष्टी बहुत प्यारी है और विजय जी की कविता मिष्टी जितनी ही प्यारी है।
बहुत सुन्दर व प्यारी कविता लिखी है।बधाई।
मिष्टी के होने से पूरी रचना मिष्टी है,
शरारती,चुलबुली,तितली जैसी........सबकी प्यारी ,
फोटो भी मिष्टी.......
'लगती तो नादान है मिष्टी
पर बेहद शैतान है मिष्टी'
:)
मिष्टी को हमारा भी ढेर सारा प्यार।
बकौल विजय जी के
"mishti bhi aapki , poem bhi aapki .. aur main bhi aapka "
अर्थात मिष्टी भी आपकी , कविता भी आपकी ... और मैं भी आपका"
हम सब पाठक भी उसी तरह आपके.
विजय जी को हमारी हार्दिक बधाई, जो उन्होंने इस प्यारी बच्ची को कविता में गढ़ दिया.
शायद गढ़ने में बंधन का आभास होता है और बच्चों को कोई बंधन पसंद नही सो मुझे अपने शब्द वापस लेते हुए यह कहना पड़ रहा है कि यह "मिष्टी" के हर चिर-परिचित के लिए "मधुर मिष्टी" से कम सौगात नही है.
और हम इस सौगात का तहे दिल से स्वागत करते हैं.
चंद्र मोहन गुप्ता
विजय जी ने बहुत ही सुंदर कविता लिखी है..मिष्टी है ही इतनी प्यारी..
मिष्टी को बहुत सा स्नेह और आशीर्वाद दीजीयेगा.
वाकई छोटे बच्चे उनकी शैतानिया और प्यार सभी जायज है ,ये तो भगवान की देन होते है .. उनके हर चीज में प्यार आता है ... मिष्टी पे लिखी कविता बहोत ही खुबसूरत है ऊपर से विजय जी के कविता एक क्या कहने वो भी मिष्टी पे .. बहोत खुबसूरत ढेरो बधाई आप दोनों को...
अर्श
एक नन्ही एंजल है मिष्टी....उसे काला टीका लगाकर रखे ..
मक ठुमक कर नाच दिखाए
तितली की जैसे मंडराए
छोटे छोटे से पावों से
लम्बी लम्बी दौड़ लगाये
लगती तो नादान है मिष्टी
पर बेहद शैतान है मिष्टी
मिष्टी को बहुत प्यार आशीष. उसके जैसी ही खूबसूरत और प्यारी कविता.
रामराम.
betiyan aisi hi hoti hai pyari mishti ki trah
बड़ी होती मिष्टी को बहुत स्नेह।
है प्यारी सी अपनी मिष्टी, बहुत ही सुंदर कविता, ओर सच मै मिष्टी है भी प्यारी.
धन्यवाद
Niraj jee,
Abhee Noah ko bhee batlaya hamaree Mishti bitiya ka photo aur use dekh khush ho raha hai :)
Mere dheron ashish dena ...
Jeete raho ...khoob khush raho !!
बाबा पर गयी है मिष्टी की सूरत ! आप भी बचपन में इतने ही सुन्दर थे क्या !
वैसे सुन्दर तो आप अब भी हैं !
Bahut hinn achchi lagi aapki kavita, Vijay ji.
"
ठुमक ठुमक कर नाच दिखाए
तितली की जैसे मंडराए
छोटे छोटे से पावों से
लम्बी लम्बी दौड़ लगाये
लगती तो नादान है मिष्टी
पर बेहद शैतान है मिष्टी"
hahaha!
Bahut bahut dhanyawaad..
-R
Neeraj ji bohot raat guzar gayee...behad pareshaaneeme din kat rahe hain..apko phone bhee kiya, par "out of reach" aayaa.
Par aapke blogpe aake, is niragastaa ko dekha, rachana padhee aur khusheese aankhen nam ho gayeen...eeshwar use, aur uske saare apnoko har tarah se mehfooz rakhe....khush rakhe...tahe dilse duaa niklee hai...ek aur kaam aapko saupana tha....gar aapki ijaazat ho to...kal to mai do roz nahee hun....lautke e-mail dwara sampark zaroor karungee...
snehsahit
Shama
बहुत सुंदर रचना.
मिष्टी बिटिया को हमारा भी
ढेर सारा स्नेह-आशीष.
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चन्द्रकुमार
बस इतना ही कहूँगा, हर दिल का अरमार है मिष्टी। सुंदर कविता।
बहुत सुन्दर भाव हैं.आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ, अच्छा लगा.अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा..
बहुत प्यारी है मिष्टि- बंगाली नाम?
आपकी गज़लों की तरह ही मिष्टी बिटिया तो जान है पूरे ब्लौग जगत की......
जितनिई सुन्दर मिष्टी है उतनी ही सुन्दर विजय जी की कविता है बधाई
jaldi se najar utariye ji aur hamari tarf se kaali bindi bhi laga dijiye . dher sara pyaar mishthi ko ....
अद्भुत कविता है. विजय जी का कविता-लेखन सचमुच बेजोड़ है. मिष्टी के ऊपर कविता लिखकर उन्होंने एकबार फिर से साबित कर दिया कि कविताई में उनका जवाब नहीं.
इतनी बढ़िया कविता लिखने के लिए विजय जी को बधाई.
''ऊँ......म्...मा'' आपकी मिष्ठी के लिए...!
... दिल को छू-लेने वाली रचना, बेहद मीठी-मीठी।
प्यारी बच्ची
संयोग ही है कि हमारे बच्ची भी मिष्टी है इतनी ही उम्र इतनी ही प्यारी
आपका नाम करेगी रोशनी जग में यह राजदुलारी.. ईश्वर नन्ही को खूब खुशियाँ दे, हरदम खिलखिलाती रहे और लोग आपको ''मिष्टी के पापा'' के नाम से ज्यादा जानें।
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