कह ना पायें, जो उनके लब
वो आँखें, कह देती हैं सब
पहले तो सबका इक ही था
अब सबका अपना अपना रब
हालत तो देखो इन्सां की
खुद ही से डरता है वो अब
तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
नीरज आँखें, खोलो देखो
हर सू उसके ही, हैं करतब
वो आँखें, कह देती हैं सब
पहले तो सबका इक ही था
अब सबका अपना अपना रब
हालत तो देखो इन्सां की
खुद ही से डरता है वो अब
तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
नीरज आँखें, खोलो देखो
हर सू उसके ही, हैं करतब
( गुरु देव पंकज सुबीर जी के आशीर्वाद से लिखी ग़ज़ल )
61 comments:
पहले तो सबका इक ही था
अब सबका अपना अपना रब
हालत तो देखो इन्सां की
खुद ही से डरता है वो अब
bahut sahi kaha aaj rab badal gaye sab ke,aur kartab dikhanewala bhi to wo hai,bahut achhi lagi ye gazal badhai
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
बहुत खूबसुरती से सत्य कहा है आपने !
रामराम !
वाह नीरज जी वाह। बहुत सुन्दर। सच कह गए।
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
अद्भुत।
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
Very good, Neeraj ji.
neeraj ji , aapki ye gazal bhavuk kar gayi ....
कह ना पायें, जो उनके लब
वो आँखें, कह देती हैं सब
kya baat kahi hai aapne .... wah wah ... aankho ki bhasah hi to sab kuch hai sir..
तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
wah , wah , jab khud par gujare to pata lage ki tanhai kya hai ...
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
this is best ... simply superb.. wah
bahut badhai , itni achi gazal ke liye.......
aapka vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं
बस भी किजीये नीरज जी,अब तो शब्द-कोश भी खत्म हो गये मेरी तारीफों के....और अभी तारीफ किसकी करूँ पहले मिष्टी की आखों की,एक जबरदस्त मतले की या फिर इन तमाम शेरों की
उलझन ! उलझन !! उलझन !!!
neeraj ji abhivadan ,
gazal bahut achchhi ban padi hai ,aur aapne apni kalam ke hunar ko bhi usakaa kartab kah kar apni namrta parichay diya .
meri shubh kamnaayen .
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
"जितने सुंदर भाव उतने ही सुंदर शब्द और मनमोहक और मासुम चित्र..
Regards
पहले तो सबका इक ही था
अब सबका अपना अपना रब
.......
बहुत अच्छी सच्ची बात कह दी,
बहुत अच्छी लगी
bahut accha ....is gazhal ko share karne ke liye bahut bahut thanks..kaafi sundar gazhal hai..
पहले तो सबका इक ही था
अब सबका अपना अपना रब..
एक छोटे से शेर में इतनी बड़ी बात??? ये सिर्फ़ आप ही कर सकते है..
नीरज जी
खूबसूरत ग़ज़ल. हर शेर बोलता हुवा
आप लिखते बहुत ही इतना अच्छा हैं. मज़ा आ जता है पढ़ कर
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
अति सुन्दर संशयहीन शे'र!
बहूत खूब ...
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
हर शेर बहुत ही सुंदर है...
भावभरी बेहद खुबसूरत ग़ज़ल.
किसी मासूम को देखा
तेरी याद आ गयी तब
हम तो इंतज़ार कर लेंगे
मिलना याद आयेगी जब
एक-एक शेर में सागर की गहराई, चाँदनी की शीतलता, फूलों की मादकता और रंगों की रिमझिम बरसात नजर आती है। तारीफ़ करूँ तो कैसे करूँ, गूंगे के गुड़ सी मेरी स्थिति हो रही है।
बहोत ही बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने बहोत सुंदर ,मासूमियत भरी बिल्कुल मिष्टी की तरह मासूम ....
नीरज जी आप मेरी baaton ko अन्यथा ना ले आप तो श्रेष्ठ है मैं तो छोटा भाई हूँ आपका और आप meri गलती पे अधीकार पूर्वक कह सकते है ... बस मैं उत्तेजित हूँ अभिलाषी हूँ जानने के लिए ....आपका अनुज ........
अर्श
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
बिलकुल सच लिखा है आप ने बहुत सुंदर भाव लिये है आप की कविता, ओर बहुत ही सुंदर लगी मिष्टी का चित्र.
धन्यवाद
नीरज आँखें, खोलो देखो
हर सू उसके ही, हैं करतब
ye sabse acChaa lagaa.
भाई नीरज जी,
एक बार फ़िर से कमाल कर दिया
चन्द लफ्जों में धमाल कर दिया
जिंदगी की हकीकत को सारगर्भित अंदाज़ में पेश करने का अनूठा अंदाज़ पसंद आया, पर आदत से मजबूर टिपियाने के लिए कुछ तो चाहिए ही सो पेश है आपकी ही इस ग़ज़ल के कुछ शेर कुछ इस तरह .....
अपने फ़रमाया है कि
कह ना पायें, जो उनके लब
वो आँखें, कह देती हैं सब
इसीलिये जब ये आँखे ख़ुद के भीतर ताक-झाक करती हैं तो
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
आज जब आदमी को न कानून से डर है न किसी सख्स से और बे-शर्म सा होकर जिए जा रहा है अपने हर उस कुकर्म के साथ जिसे शायद वह स्वयं बर्दाश्त न कर पाता, ऐसे हालत में निम्न शेर कुछ पच नही पा रहा है ....
हालत तो देखो इन्सां की
खुद ही से डरता है वो अब
जय सिया राम जी की,
चन्द्र मोहन गुप्त
मिष्टी रानी बडी सयानी :)
और आपका हरेक शेर लाजवाब -
आपको २००९ के
आगामी नव -वर्ष की
बहुत शुभ कामनाएँ -
- लावण्या
padhkar bahut achha laga...
bahut achha likha hai aapne...
"तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब"
किस शेर की तारीफ करूं समझ नही आता सभी दिल के भीतर कैद हैं और समझ भी नही आ रहा की किन शब्दों से संबोधित करूं इस बोलती आँखों के सबब को
बहुत ही अच्छा लिखा है..फ़िर से.......
अक्षय-मन
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
हमेशा की तरह शानदार!
बहुत सुन्दर! और नये शब्द कहां से गढ़ें प्रशंसा में आपकी। आप तो अनूठे कवि हैं।
नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.
'खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब'
सुंदर पंक्तियाँ.
बहुत सुंदर ! नव वर्ष की शुभकामनायें स्वीकार करें !
आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....
अर्श
'अब सबका अपना-अपना रब'
इतनी गहरी बात इतने कम शब्दों में!
हार्दिक बधाई।
Bahut badiya, naye saal ki hardik subhkamnayein.
नीरज आँखें, खोलो देखो
हर सू उसके ही, हैं करतब
बस यही तो रस है आपकी कविता में नीरज जी।
सदैव सुन्दर, ह्र्दय स्पर्शी ।
First of all Wish u Very Very Happy New Sir...
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
नीरज आँखें, खोलो देखो
हर सू उसके ही, हैं करतब
kitani gahri feelings hai ki bhav umad padete hai.. yahi aap ki kavita ki kubbi hai ki bhav jag jate hai...
Regrds..
बहुत अच्छा िलखा है आपने । नए साल में यह सफर और तेज होगा, एेसी उम्मीद है ।
नए साल का हर पल लेकर आए नई खुशियां । आंखों में बसे सारे सपने पूरे हों । सूरज की िकरणों की तरह फैले आपकी यश कीितॆ । नए साल की हािदॆक शुभकामनाएं-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
regards
कुछ रहा वही दर्द का काफिला साथ
कुछ स्नेह भरा आप सब का सर पर हाथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ रहा था इक और वर्ष का साथ....
नव वर्ष की शुभ कामनायें...
तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
बहूत खूब ...
आपको एवं आपके समस्त मित्र/अमित्र इत्यादी सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎं.
ईश्वर से कामना करता हूं कि इस नूतन वर्ष में आप सबके जीवन में खुशियों का संचार हो ओर सब लोग एक सुदृड राष्ट्र एवं समाज के निर्माण मे अपनी महती भूमिका का भली भांती निर्वहण कर सकें.
बहुत खूबसूरत....
नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं...
behad pyara likha hai aapne
bahut sundar.
tanha katoge to puchenge hoti hai kitni lambi shab...........jisne kati hoti hai wahi janta hai...........bahut sundar abhivyakti
HAPPY NEW YEAR
बेटियाँ होती ही है इतनी प्यारी......आपकी अभिव्यक्ति भी बड़ी भावपूर्ण है......
आपके पिछले तीन लेख पढ़े, बहुत अच्छा लगा, एक बात कहना चाहता हूं, आदमी वही कहला सकता है जिसके अन्दर आदमियत हो और आदमियत केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती, आदमी का नजरिया कैसा होना चाहिये यह आप से सीखा जा सकता है, आप मेरे ब्लाग पर आकर मुझे धन्य करते हैं.
आपको व आपके परिवार को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं
उम्मीदों-उमंगों के दीप जलते रहें
सपनों के थाल सजते रहें
नव वर्ष की नव ताल पर
खुशियों के कदम थिरकते रहें।
नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना
"ये संसार नश्वर ज़रूर है, पर नष्ट होता नहीं। यही बीता वर्ष भी है और नव वर्ष भी यही.
न बदला है, न बदलेगा.
इसलिए वर्तमान को ही गत और नवागत मानते हुए प्रसन्नचित्त जीवन जिए जाइए ....
नव-वर्ष पर्व पर ढेर सारी बधाइयों सहित"
---समीर "लाल" और "बवाल"
http://udantashtari.blogspot.com
http://lal-n-bavaal.blogspot.com
happy new year to you all
हरदम आंसू, मत छलकाओ
मन मर्ज़ी का, होता है कब
बहुत ही सुंदर कविता के लिए बारम्बार बधाई
नीरज भाई को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
आपने बढ़िया ग़ज़ल लिखी है। उसके लिए अलग से ढेरों बधाई।
तनहा काटो तब पूछेंगे
होती है कितनी लम्बी शब
खुद को भी मुजरिम पाओगे
अपने भीतर, झांकोगे जब
बहुत सुंदर रचना.....
भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
itne kamaal ke sher hain ki kisi ek ho quote nahi kar paa rahi
har sher apni ek kahani kah raha hai aur dil wah wah kar raha hai
aap waqayi kamaal hai jitna padti hoon utna hi prabahvit hui jaati hoon
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
चरण-स्पर्श नए साल के आगमन पर बडो का आशीर्वाद
और आपको छोटों का खूब सारा प्यार.....
अक्षय-मन
बहुत सुंदर
कह ना पायें, जो उनके लब
वो आँखें, कह देती हैं सब
शब्दों का कितना अच्छा मेल है..
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल..
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