नर्म लहज़े में दर्द का इज़हार
गो दिसंबर में जून की बातें
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जुर्म था पर बड़े मज़े का था
जिसको चाहा वो दूसरे का था
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ज़ेहन की झील में फिर याद ने कंकर फेंका
और फिर छीन लिया चैन मिरे पानी का
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जब भी चाहें उदास हो जाएँ
शुक्र है इतना इख़्तियार मिला
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कोई मंज़िल न मुझको रोक सकी
खुद मिरा घर भी मेरी राह में है
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जो छुपाने की थी बात बता दी मुझको
ज़िन्दगी तूने बहुत सख्त सज़ा दी मुझको
अंदर का शोर अच्छा है थोड़ा दबा रहे
बेहतर यही है आदमी कुछ बोलता रहे
मिलता रहे हंसी ख़ुशी औरों से किस तरह
वो आदमी जो खुद से भी रूठा हुआ रहे
बिछुडो किसी से उम्र भर ऐसे कि उम्र भर
तुम उसको ढूंढो और वो तुम्हें ढूंढता रहे
उस्ताद शायर जाँ निसार अख्तर के 31 जुलाई 1946 को लखनऊ में जन्में बेटे और जावेद अख्तर साहब के छोटे भाई "सलमान अख्तर" साहब की किताब "नदी के पास " का जिक्र हम आज इस श्रृंखला में करेंगे। ज़ाहिर सी बात है सलमान साहब को अदबी माहौल विरासत में मिला।
कौन समझा कि ज़िन्दगी क्या है
रंज होता है क्यों, ख़ुशी क्या है
जिन के सीनों पे ज़ख्म रोशन हों
उनके रातों की तीरगी क्या है
लोग, किस्मत, खुदा, समाज, फ़लक
आगे इन सबके आदमी क्या है
हम बहुत दिन जियें हैं दुनिया में
हम से पूछो कि ख़ुदकुशी क्या है
कब लौट के आओगे बता क्यों नहीं देते
दीवार बहानों की गिरा क्यों नहीं देते
तुम पास हो मेरे तो पता क्यों नहीं चलता
तुम दूर हो मुझसे तो सदा क्यों नहीं देते
बाहर की हवाओं का अगर खौफ है इतना
जो रौशनी अंदर है, बुझा क्यों नहीं देते
तीर पहुंचे नहीं निशानों पर
ये भी इल्ज़ाम है कमानों पर
जिस ने लब सी लिए सदा के लिए
उसका चर्चा है सब ज़बानों पर
सर झुकाये खड़े हैं सारे पेड़
और फल सज गए दुकानों पर
सच की दौलत न हाथ आई कभी
उम्र कटती रही बहानों पर
थोड़े बड़े हुए तो हकीकत भी खुलगयी
स्कूल में सुना था कि भारत महान है
देखूं मिरे सवाल का देता है क्या जवाब
सुनता हूँ आदमी बड़ा जादू बयान है
गो देखने में मुझसे बहुत मुख्तलिफ है वो
अंदर से उसका हाल भी मेरे समान है
फर्क इतना है कि आँखों से परे है वर्ना
रात के वक्त भी सूरज कहीं जलता होगा
खिड़कियां देर से खोलीं, ये बड़ी भूल हुई
मैं ये समझा था कि बाहर भी अँधेरा होगा
कौन दीवानों का देता है यहाँ साथ भला
कोई होगा मिरे जैसा तो अकेला होगा
17 comments:
bahut khoob...
आपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
अच्छी रचनाएँ पढ़वाने का आभार।
Msg Received on e-mail :-
Dear neeraj ji-
Namstey, ur write up abt Salmaan Akhtar saab is very illustrative and worth reading-
congrats for the same.
And, especially these lines are worth quotable--
सर झुकाये खड़े हैं सारे पेड़
और फल सज गए दुकानों पर
सच की दौलत न हाथ आई कभी
उम्र कटती रही बहानों पर
again congrats --
--om sapra,
delhi-9
m- 9818180932
एक बार फिर से सफ़र शुरू किया है अब मुलाक़ात होती रहेगी . आपकी समीक्षा गागर में सागर ही है हमेशा से
जो छुपाने की थी बात बता दी मुझको
ज़िन्दगी तूने बहुत सख्त सज़ा दी मुझको
तीर पहुंचे नहीं निशानों पर
ये भी इल्ज़ाम है कमानों पर
बिछुडो किसी से उम्र भर ऐसे कि उम्र भर
तुम उसको ढूंढो और वो तुम्हें ढूंढता रहे
बहुत ही सुन्दर शेर है
इतनी शानदार शायरी से रूवरू करने के लिए आपको साधूवाद
जो छुपाने की थी बात बता दी मुझको
ज़िन्दगी तूने बहुत सख्त सज़ा दी मुझको
तीर पहुंचे नहीं निशानों पर
ये भी इल्ज़ाम है कमानों पर
बिछुडो किसी से उम्र भर ऐसे कि उम्र भर
तुम उसको ढूंढो और वो तुम्हें ढूंढता रहे
बहुत ही सुन्दर शेर है
इतनी शानदार शायरी से रूवरू करने के लिए आपको साधूवाद
kya baat hai Neeraj ji
ye shayar hai gumnam
par dusre shayro se bada hai naam
jakhira.com par bhi in par ek article hai pdhiyega
(Salman Akhtar lajawab shayar http://www.jakhira.com/2012/01/blog-post_12.html)
मेरा निजि अनुभव तो यही कहता है कि शायरी से कठिन है किसी शायर को प्रस्तुत करना; और यह काम जिस खूबसूरती से आप करते हैं वह बेमिसाल है।
बहुत खूब |
bahut badhiya ...bhawon se bharpoor .....
Received on mail :-
तुम पास हो मेरे तो पता क्यों नहीं चलता
तुम दूर हो मुझसे तो सदा क्यों नहीं देते
जैसा कि शायरों के इन्तखाब में आप को महारत हासिल है इस बार भी आप ने एक दिलकश अंदाज़ वाले बेहतरीन शायर से आप ने हमें रूबरू कराया .अच्छी शायरी ,
हम बहुत दिन जियें हैं दुनिया में
हम से पूछो कि ख़ुदकुशी क्या है
जिस ने लब सी लिए सदा के लिए
उसका चर्चा है सब ज़बानों पर
सलमान अख्तर को दिलकश शायरी के लिए मुबारकबाद
और
आपको उनसे मिलवाने के लिए बधाई
रमेश 'कँवल'
जुर्म था पर बड़े मज़े का था
जिसको चाहा वो दूसरे का था....बहुत सुंदर...
NEERAJ JI , AAPKEE JITNEE TAAREEF HO UTNEE KAM HAI . AAPNE EK AUR
ASHAAR KI KITAB SE PARICHAY KARWAAYAA HAI . ADHIKAANSH SHER UMDAA HAIN . PADH KAR LUTF AAYAA HAI .
beautiful
Wah !!
बहुत सुंदर
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