दूर होंठों से तराने हो गये
हम भी आखिर को सयाने हो गये
यूं ही रस्ते में नज़र उनसे मिली
और हम यूं ही दिवाने हो गये
दिल हमारा हो गया उनका पता
हम भले ही बेठिकाने हो गये
खा गई हमको भी दीमक उम्र की
आप भी तो अब पुराने हो गये
फिर से भड़की आग मज़हब की कहीं
फिर हवाले आशियाने हो गये
खिलखिला के हंस पड़े वो बेसबब
बेसबब मौसम सुहाने हो गये
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
लौटकर वो आ गये हैं शहर में
आशिकों के दिन सुहाने हो गये
देखकर "नीरज" को वो मुस्का दिये
बात इतनी थी, फसाने हो गये
30 comments:
बढ़िया-
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-
खा गई हमको भी दीमक उम्र की
आप भी तो अब पुराने हो गये
खिलखिला के हंस पड़े वो बेसबब
बेसबब मौसम सुहाने हो गये
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
देखकर "नीरज" को वो मुस्का दिये
बात इतनी थी, फसाने हो गये
बढ़िया !!
खा गई हमको भी दीमक उम्र की
आप भी तो अब पुराने हो गये
वाह ... बहुत खूब कहा आपने इन पंक्तियों में
सादर
जब दिल इतने जवाँ हों तो पुराने कैसे हो सकते हैं आप ... और सयाने तो कभी भी नहीं ...
सुन्दर प्रस्तुति
वाह वाह बेहद उम्दा शानदार जानदार ग़ज़ल ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.
badhiya
मैं दिगंबर जी की बातों से सहमत हूँ।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल है बड़े भाई।
जीते रहिए।
बहुत खूब! बहुत ही सुन्दर!
खिलखिला के हंस पड़े वो बेसबब
बेसबब मौसम सुहाने हो गये
देखकर "नीरज" को वो मुस्का दिये
बात इतनी थी, फसाने हो गये
आते है मेरे शहर में वो मगर
और भी उनके ठिकाने हो गये
badhiya ...
dekh kar neeraj ko vo muskaa diye
baat itnee thee , fasaane ho gaye
kyaa baat hai !
chitra bhee kamaal kaa hai
chasm-e-baddoor
खिलखिला के हंस पड़े वो बेसबब
बेसबब मौसम सुहाने हो गये
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
वाह नीरज सर बहुत बढ़िया ग़ज़ल
देखकर "नीरज" को वो मुस्का दिये
बात इतनी थी, फसाने हो गये
ये इतनी सी बात है;क्या बात करते हैं जनाब।
वाह सर सबसे ऊपर आपकी और मैम की
फोटो देखकर दिल खुश हो गया।
ये खूबसूरत गजल लगता है आपने बतौर
शादी की सालगिरह का तौहफा
मैम के लिए लिखी है बढिया तौहफा है जी
मगर पुराने होने वाली बात पर आपके और
मैम के लिए आपका ही एक शेर नजर है.....
प्यार हमारा ना होगा अगर
हम बुलाते रहे वो लजाते रहे ��
शेर कृपया ऐसे पढे..
प्यार बासी हमारा ना होगा अगर
हम बुलाते रहे वो लजाते रहे ��
वाह वाह बहुत खूब
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
बहुत खूब !
वक्त का तकाजा है ..समय के साथ एक जैसा कुछ भी रह जाता है!
बहुत सुन्दर रचना ..
लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ................
कल 20/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
दिल हमारा हो गया उनका पता
हम भले ही बेठिकाने हो गये
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
लौटकर वो आ गये हैं शहर में
आशिकों के दिन सुहाने हो गये सुन्दर अभिव्यक्ति.
कहना चाहूंगा,करें क्या उनका जो हमारी जरा सी बात पर बेगाने हो गए.
तिरछी टोपी वाले और उनके साथी कभी पुराने नहीं होते सर :-)
फिर शायरों की तो बात ही और है..
बेहतरीन ग़ज़ल..
सादर
अनु
Jab se aapne hame bhula diya tab se kaafi dinon baad aapko padh raha hoon..
Wahi nasha hai.. Makta kamaal!!
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये...
लाजवाब...
वाह॥वाह...वाह वाह ...वाह वाह
सुन्दर ग़ज़ल
बहट ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ..
'Cowboy' आप तो बेग़म 'Sherif'
शहर में अब जाने-माने हो गये .
http://mansooralihashmi.blogspot.in
आइये मिलकर चरागां फिर करें
आंधियां गुजरे, ज़माने हो गये
बहुत बेहतरीन ....
Charanbandna Sir Ji
खा गई हमको भी दीमक उम्र की
आप भी तो अब पुराने हो गये
खिलखिला के हंस पड़े वो बेसबब
बेसबब मौसम सुहाने हो गये
लौटकर वो आ गये हैं शहर में
आशिकों के दिन सुहाने हो गये
bahut hi sunder kya baat hein..
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