इस बार दिवाली के शुभ अवसर पर गुरुदेव पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर तरही मुशायरा आयोजित किया गया. तरही का मिसरा था "घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे" इस मिसरे के साथ शिरकत करने वाले शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं से अचंभित कर दिया. मुशायरे का पूरा मज़ा तो आप गुरुदेव के ब्लॉग पर जा कर ही ले सकते हैं यहाँ पढ़िए वो ग़ज़ल जो मैंने उस तरही में भेजी थी. उम्मीद है पसंद आएगी:
तुझे किसी से प्यार हो तो हो रहे तो हो रहे
चढ़ा हुआ ख़ुमार हो तो हो रहे तो हो रहे
जहाँ पे फूल हों खिले वहां तलक जो ले चले
वो राह, खारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे
उजास हौसलों की साथ में लिये चले चलो
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे
बशर को क्या दिया नहीं खुदा ने फिर भी वो अगर
बिना ही बात ख़्वार हो तो हो रहे तो हो रहे
मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे
चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे
आबदार: चमकीला
जहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष
न डर जो कारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे
कारज़ार : युद्ध
फ़कीर हैं मगर कभी गुलाम मत हमें समझ
भले तू ताज़दार हो तो हो रहे तो हो रहे
पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
तुझे किसी से प्यार हो तो हो रहे तो हो रहे
चढ़ा हुआ ख़ुमार हो तो हो रहे तो हो रहे
जहाँ पे फूल हों खिले वहां तलक जो ले चले
वो राह, खारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे
उजास हौसलों की साथ में लिये चले चलो
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे
बशर को क्या दिया नहीं खुदा ने फिर भी वो अगर
बिना ही बात ख़्वार हो तो हो रहे तो हो रहे
मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे
चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे
आबदार: चमकीला
जहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष
न डर जो कारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे
कारज़ार : युद्ध
फ़कीर हैं मगर कभी गुलाम मत हमें समझ
भले तू ताज़दार हो तो हो रहे तो हो रहे
पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
29 comments:
वाह , बहुत ही बढ़िया ...जितनी तारीफ़ की जाए कम है ...
"फ़कीर हैं मगर कभी गुलाम मत हमें समझ
भले तू ताज़दार हो तो हो रहे तो हो रहे"
पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
वाह ... बहुत खूब
हमेशा की तरह ... अनुपम प्रस्तुति
सच की राह को पकड़ने का पैगाम देती लाजवाब गज़ल ... गुरुदेव के ब्लॉग पे सभी का आनद लिया है ... कमाल ये है की ताजगी बढती ही जाती है इस गज़ल की ...
वाह...........
बहुत खूब नीरज जी..
चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे
लाजवाब...
सादर
अनु
चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे
क्या बात है हमेशा की तरह "आबदार" ग़ज़ल ,लेकिन ये आब जुग्नू की है चाँद की नहीं :)
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (11-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह\\
सभी बहुत बढियां..
;-)
वाह जी, वाकई पसंद आई
बहुत ख़ूब , वाह
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 12/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
अभी तक सीहोर में हुई मुलाकात का असर बरकरार है। काश अब आप ग़ज़ल के साथ ऑडियों भी पाठकों तक पहुँचा दें पाठक श्रोता बनने का आनंद भी प्राप्त कर सकें।
प्रस्तुत ग़ज़ल में कठिन रदीफ़ का निर्वाह आपने जिस खूबसूरती से किया है वह लाजवाब है।
वाह ,,, बहुत उम्दा,लाजबाब गजल ....
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति :
मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है
Received on e-mail:
achcha laga
thanks
sajeevan
बहुत उम्दा अशआर हैं जनाब के .
पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
bhav bhari ek behtareen rachna
मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे
बहुत सुन्दर.सराहनीय भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं
kya baat hai sir!
behtreen.
बेहतरीन....हर शेर दूसरे पर भारी ...बहुत उम्दा ...!
बेहतरीन गज़ल
गजल की ले मशाल तुम बढे चलो बढ़े चलो,
घना जो अंधकार हो तो हो रहे तो हो रहे।
सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
सुन्दर रचना
चाँद, बादल और शाम
मुझे आपके ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में नहीं मिला, क्या आपने शामिल नहीं किया?
http://hindiblogs.charchaa.org/
क्या बात है हुजूर आपने तो आज दिल ही लूट लिया। जुगनू वाला शेर तो दिल के आरपार हो गया। भगवान आपकी लेखनी को यूँ ही धारदार बनाए रखें।
बहुत सुन्दर
मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे
खूबसूरत अशआर, हर शेर लाजवाब.
उजास हौसलों की साथ में लिये चले चलो
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे
बशर को क्या दिया नहीं खुदा ने फिर भी वो अगर
बिना ही बात ख़्वार हो तो हो रहे तो हो रहे
वाह! एक-एक शेर बहुत खूब!
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