दोस्तों होली का त्योंहार सर पर है और उसकी मस्ती सर चढ़ कर बोलना शुरू कर चुकी है. भारत के इस अद्भुत रंग बिरंगे पर्व पर आईये आपको जनाब "नजीर अकबराबादी" साहब की एक होली पर लिखी रचना पढवाता हूँ. 'नज़ीर' दिल्ली में सन 1740 में पैदा हुए थे याने आज से लगभग दौ सौ सत्तर साल पहले. हम ये कह सकते हैं के नीचे दी हुई रचना कोई ढाई सौ साल पुरानी तो होगी ही...ये रचना आज भी उतनी ही प्रमाणिक है जितनी उस वक्त शायद होगी.रचना काफी लम्बी है लेकिन मैं उसके सिर्फ चार बंद ही आपके सामने पेश कर रहा हूँ. आईये होली के इस पर्व को हम आपसी भाई चारे और प्यार के रंगों से सरोबार कर मनाएं.
है सब में मची होली अब तुम भी ये चर्चा लो
रखवाओ अबीरे ऐ जां ! और मय को भी मंगवा लो
हम हाथ में लोटा लें तुम हाथ में लुटिया लो
हम तुम को भिगो डालें तुम हमको भिगो डालो
होली में यही धूमें लगतीं हैं बहुत भलियाँ
है तर्ज़ जो होली की उस तर्ज़ हंसो -बोलो
ये छेड़ ही इशरत की अब तुम भी वही छेड़ो
हम डालें गुलाल ऐ जां ! तुम रंग इधर छिडको
हम बोले 'अहाहाहो ' तुम बोलो 'उहोहोहो'
होली में यही धूमें लगतीं हैं बहुत भलियाँ
इस दम तो मियां हम तुम इस ऐश की ठहरावें
फिर रंग से हाथों में पिचकारियाँ चमकावें
कपड़ों को भिगो देवें और ढंग कई लावें
भीगे हुए कपड़ों से आपस में लिपट जावें
होली में यही धूमें लगतीं हैं बहुत भलियाँ
तुम रंग इधर लाओ और हम भी उधर आवें
कर ऐश की तैय्यारी धुन होली की बर लावें
और रंग के छीटों की आपस में जो ठहरावें
जब खेल चुके होली फिर सीनों से लग जावें
होली में यही धूमें लगतीं हैं बहुत भलियाँ
52 comments:
नज़ीर अद्भुत थे ..... उन का कोई सानी नहीं ...
होली की हज़ार शुभकामनाएं !
बेनज़ीर...नज़ीर साहब और उनका कलाम.
और लाजवाब हैं नीरज जी...
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
होली में यही धूमें लगतीं हैं बहुत भलियाँ
holi ki shubhkamnayen
कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
Neeraj Ji,
ise dekhen...
http://bairang.blogspot.com/2010/09/blog-post_18.html
सुन्दर रचना।
जोरदार
वाह नीरज जी.....बहुत खूबसूरत....आपको अग्रिम बधाई इस रंग भरे पर्व की.....खूब हुल्लड़ करें|
250 साल पहले होली का यही उन्माद था।
लाजवाब बहुत ..सुन्दर रचना।
NAZEER SAHIB KO RASHTRIYA KAVI KAHAA JAAYE TO KOEE ATISHYOKTI
NAHIN HAI . HAR TYAUHAAR PAR UNKEE
LEKHNI NE ADBHUT RANG DIKHAAYE HAIN . HOLI PAR UNKEE KAVITA PADH
KAR RANGON KEE MASTEE MEIN DOOB
GAYAA HOON MAIN .
बेहतरीन आलेख, होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम
आज जब होली का हुडदंग और उल्लास में भारी कमी आई है इस दशक में.. यह कविता उस पुराने युग की ओर ले जा रही है .. होली की शुभकामना सहित !
हम बोले 'अहाहाहो ' तुम बोलो 'उहोहोहो'
ओह हो ! क्या बात है ।
जब खेल चुके होली फिर सीनों से लग जावें
यही सद्भावना है होली में ।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
तुम रंग इधर लाओ और हम भी उधर आवें
कर ऐश की तैय्यारी धुन होली की बर लावें
और रंग के छीटों की आपस में जो ठहरावें
जब खेल चुके होली फिर सीनों से लग जावें
लाज़वाब..होली के अवसर पर इतनी सुन्दर रचना से परिचय कराने के लिये आभार ..
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
इसे मैं प्रस्तुत करता तो कहता बाअदब, बामुलाहिज़ा होशियार, नीरज़ भाई आ रहे हैं, बेनज़ीर ला रहे हैं।
होली पर यह ऐतिहासिक रचना लाजवाब है।
बहुत भावमयी सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर रचना!
होली की शुभकामनाएँ!
Bhai ji, Ram-Ram......
adbhut prastuti.....rang jama diya aapne...
sadhuwad..
neeraj ji , holi ke mauke par isse jyada mubarak rachna ho hi nahi sakti thi ..
badhayi sweekar kare.
vijay
aur haan , holi ki shubhkaamanye
नीरज जी ... बहुत जुड़ा अंदाज़ में होली का त्योहार मनाया ही नही लिखा है ...
आपका कमाल नही ...
होली की बहुत शुभकामनाएं
भाई नीरज जी होली पर आपका अद्भुत चयन नजीर अकबराबादी भारतीय संस्कृति के महान उद्गाता हैं |इस पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई |होली की शुभकामनाएं |
होली के रंग बरस रहे हैं शब्दों मे। धन्यवाद। होली की हार्दिक शुभकामनायें।
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
neeraj ji ,
nazeer akbarabadi sahab ki
rang bhari rachna padhwane ka bahut-bahut aabhar.
लाजवाब
आनन्द आ गया होली का.
होली ऐसा त्योहार है , जिसके ऊपर जो भी लिखी जाय...वह हमेसा वक्त के साथ ..प्रासंगिक ही होता है ..बेहद मजा आया ..आप को होली की हार्दिक बधाई !
वाह बहुत ही लाजवाब पेशकश इतने पुराने गीत की..
होली की शुभकामनाएं..
आभार
चलता जीवन पर आपके विचारों का इंतज़ार है
होली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग से संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
पुरानी कविता है तो क्या रंग जमा गई
होली का लुत्फ़ दे के हुडदंग मचा गयी
आपको और सभी ब्लोगर जन को होली की हार्दिक
शुभ कामनाएँ.
'ऐसी वाणी बोलिए'पर आपका इन्तजार है.
holi par ek sundar rachana parhavane ke liye dhanyvaad. badhai holi ki bhi.
होली की ढेरों शुभकामनाएं.
आदरणीय नीरज जी
होली के अवसर पर रंगारंग मधुर स्मृतियां !
सादर सस्नेहाभिवादन !
नज़ीर साहब की रचना के लिए तो हृदय से आभार है ही … अवसर विशेष पर हमारे पूर्ववर्ती श्रेष्ठ रचनाकारों का स्मरण आप जैसे पावन पवित्र हृदय वाले ही करते हैं … प्रणाम है आपके गुरुत्व को !!
हार्दिक बधाई !
आपकी भी ताज़ा रचना की प्रतीक्षा रहेगी …
♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
होली पर शस्वरं की विशेष पोस्ट आज किसी भी एग्रीगेटर पर नहीं दिख रही है … पता नहीं किसे क्या नाराज़गी है मुझसे ??
होली की हार्दिक शुभकामनाएं....!!
Holee bahut mubarak ho!
BAHUT KHOOB.
हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
तन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर होली की रंगारंग प्रस्तुति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
आज दैनिक भास्कर में आपकी प्रस्तुति 'लगा के ठुमके तेरी गली में' गजल पढ़कर बहुत अच्छा लगा.. धन्यवाद
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
बहुत सुन्दर और मनमोहक रचना !
आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें !
नज़ीर बेनज़ीर!
होली की हार्दिक शुभकामनायें!
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
जानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याख्या।
Comment received on mail:-
dear neeraj ji
i could read nazir akbarabadi 's gazal after a long time.
about ten years ago, there was a sequence of programmes on nazir's poetry on TV for about 7-8 weeks continuously. he was a wonderful poet and also had a great social concern for social problems.
congrats.
-om sapra,
delhi-9
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