(नहीं नहीं आप आईना नहीं देख रहे....ये मेरी ओरिजनल तस्वीर है )
सुनो जी सुनो....हमारी भी सुनो....अजी मेहरबां हमारी भी सुनो.
देवियों और सज्जनों...दोस्तों और दुश्मनों...
आप सब के लिए एक सूचना है...सूचना क्या...
गुजारिश...
प्रार्थना...
रिक्वेस्ट...है...की यदि आप एक
साधारण मानव ( याने मैं ) की
अति साधारण बातें जानना चाहते हैं तो
कल याने 14 मई को परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय
ताऊ जी के ब्लॉग पर क्लिक करें और उनके द्वारा लिया एक
असाधारण साक्षात्कार पढें...पसंद आये तो वहां टिपियाये न आये तो यहाँ टिपियायें...न भी टिपियायें तो भी चलेगा क्यूंकि पाठक तो मन का स्वामी होता है उस पर जोर ज़बरदस्ती तो की नहीं जा सकती ....टिपण्णी दे दे ना दे ना दे .
38 comments:
हम तो यहाँ भी टिपण्णी देंगे और वह भी देंगे.. आखिर हम अपने मन के स्वामी है.. बट लेकिन किन्तु परन्तु.. हमको मंटो की किताब चाहिए.. गरमा गरमकॉफी के साथ :)
5 बजकर 55 मिनट पर जरूर मिलेंगे। आभार।
JARUR JI JARUR.......
ठीक है जी जरूर मिलेंगे सूचना देने के लिए शुक्रिया
दोनो जगह टिपियायेंगे।
पर फोटो तो आपने अपनी लगाई होती!
poorv soochna ke liye dhanyavaad..........jaroor padhenge.
टाईम नोट कर लिया है, सरकार.
जरुर कल शाम को मिलते है जी।
जी हजूर !
पहले तो मै कन्फ्यूजिया गया कि क्या ही मेरे अग्रज श्री नीरज जी की फोटो है । फिर मैंने सोचा कि क्या सुबूत है कि ये ही वे हैं । बहुत नख शिख अवलोकन किया कि कहीं से कोई सुराग मिले । आप तो ऐसे न थे । आखिरकार जिस बात ने पुष्टि की वो ये कि केवल फोन पर बात कर के जितना जाना उससे ये तो कह सकता हूं कि इस प्रकार खिलखिला कर हंसने वाले मेरे जिंदादिल अग्रज नीरज जी ही हो सकते हैं । हर हाल में स्वयं भी हंसना और औरों को भी हंसने की प्रेरणा देना । ताऊ जी का साक्षात्कार अवश्य पढ़ा जायेगा तथा उस पर आवश्यक रूप से टिपियाया भी जायेगा इंशाअल्लाह । मिष्टी इस बार फोटो में उदास क्यों है क्या दादाजी उसके लिये टाफी नहीं ले कर गये । बहुत गुस्से में नजर आ रही है देखियेगा कहीं कांच वांच का सामान उसके सामने न पड़ जाये । एक नई ग़ज़ल लिख रहा हूं वो आपको समर्पित करूंगा ।
क्या अंदाज़ है अब तो तिप्पणी देनी ही पडेगी हाँ ये जो आपकी मिश्ठी है ना बहुत प्यारी है
theek hae kal milenge
neeraj जी
कल क्यूँ हम तो रोज़ ही आपकी मुस्कुराती तस्वीर देखने को आपके blog पर आते हैं ...........फिर कल तो आप saakshaat interview denge
ये भी कोइ कहने की बात है... हम तो बेसब्री से इंतजार कर रहे है...
कल ५:५५ AM पर हम वहीं मिलेंगे जी सबकी अगवानी करने. और मेरा दावा है लोगों ने आपकी लिखी गजल पढी होगी पर गाई हुई नही सुनी होगी. जो सुन लेगा वो बस गुनगुनाता ही रह जायेगा. हम तो अभी तक गुनगुना रहे हईं......
याद करना खुदा को भूल गए
नाम पर उसके बस बवाल रहाबहुत मजा आया आपका इंटर्व्यु करके. बहुत धन्यवाद आपका.
जी सर जी .
कड़बड़-कड़बड़-कड़बड़-कड़बड़... अगले सौ पन्नों तक और नावेल पूरा... ;)
कोशिश तो पूरी करेगें ....!!
ताऊ जी के साक्षात्कार का हमेँ भी इँतजार है नीरज भाई
- लावण्या
हम भी पहुँचेंगे...साक्षात्कार पढ़ने के लिए
जी नोट कर लिया है- मिलना तो पडेगा ही
हार्दिक मगल भावनाओ सहित-आभार
हे प्रभुश तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
वाह !! मैं तो अवश्य पढूंगी .. सबके पढती हूं ।
yes sir....point noted.
आप मना करते तो भी मैं पढता :)
हम भी पढ़ेंगे और टिपियायेंगे भी। जो होगा देखा जायेगा।
हमें भी उसी का इंतज़ार है, सर.
हम तो सुबह ५.५५ पर ही ताऊ जी के ब्लॉग पर आपका इंटरव्यू पढ़ लिए.
शेरों में दिए जवाब जहा छायावाद दर्शा रहे थे वहीं हर्षा भी रहे थे.
अगर इंटरव्यू लेने वाल ताऊ जैसा तेज़ दिमाग तो इंटरव्यू देने वाला भी तकनीक विधा का बेताज बादशाह और ऊपर से शायर और. न कोई जीता न कोई हारा.........पर हम ब्लागर को मज़ा आ गया सवाल-जवाब से.
पर पूरा इंटरव्यू मुझे कहीं से भी पूर्ण नहीं लगा कारण कि भाभी जी के वहां मौजूद होते हुए भी ताऊ ने उनसे मुखातिव होकर कुछ प्रश्न जो न पूछे.
आशा है भविष्य में ऐसी गलती न होगी.
कुल मिलकर इंटरव्यू काफी रोचक, ज्ञानवर्धक और मज़ेदार रहा, सुबह हसीं हो गयी.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
आपने जानकारी दी है अब जाते है वहां पर शुक्रिया.
एक क्षण के लिए लगा कि ई का तकनीक है? अपनी ब्लॉग पोस्ट पर आईना कैसे लगा लिया आपने. हमें तो एक क्षण के लिए लग गया था कि हमरी ही तस्वीर है. वो तो सफाई पढी तो पता चला कि भैया का चेहरा भी मेरे चेहरे से मिलता है....:-)
neeraj ji
aapkaandaaj bhi bahut khoob hai ... maine kal hi jaan liya tha ki aapka interview hai , isliye maine bhi apni gurudakhsina aapko di hai , aaj , mere blog par apni ek kavita aapko dedicate kiya hai
pranaam sweekar karen ..
aapka
vijay
किसने किया क्लिक? तस्वीर मस्त है,.....अवश्य टिप्पणी देंगे आपके कहने का मान रखेंगे...
भैया बहुते सुन्दर तस्बीर है. इ-तकनिकी लाजबाब है
हमने इसमे अपने आपको भी देखा, और सोचा, हँसता हुआ हर चीज़ लाजबाब होता है.
क्या गुरु मंत्र हैं -- "हसना जरुरी हैं"
चाहे वो निगातिव का पोसिटिव हो या फिर पोसिटिव का निगातिव.
Aapke likhepe comment karnekee qabiliyat nahee rakhtee...aap mere likhepe likhnekee qabiliyat aur ikhtiyar zaroor rakhte hain...!
Khair, Vijay ji kee "hasy" rachnaa padh badaa mazaa aayaa...usee tippaneeme aapkaabhee zikr huaa..
Meree kavitaa to nahee, lekin unke blogkee tippanee, samay nikalke zaroor paden, ye aagrah numaa binatee hai...!
kavita-thelightbyalonelypath.blogspot.com
apnaa URL mai khud bhool jaatee hun, kyonki "The light by.." ye to active nahee rakha...
Ab 13 blogskee URL kaise yaad rakhun? Koyi rehnuma to hai nahee...ye bewaqoofee bharee karamaat mereehee thee...Haan..."The light by.." to perforce of circimstances, inactive karna pada..usparkaa kaafee deletebhee kar diyaa...balki, taqreeban sabhi..jo,ab "lalitlekh, sansmaran, aajtak yahaantak, adi,adi me bant gayaa...
Ab aap jaise diggaj rehnumayee nahee karenege to mere blog pe bhee "naukaa",yaa "hawayee jajaaz" dikhne lagenege...!
Aapki rachnaon pe kya tippanee karun..? aur wobhee jab itne saare diggaj itnaa kuchh keh gaye..alagse alfaaz kahanse le aaoon?
Maan pe likha padhke laga,ki kaash meree bhee aisee qismat ho,ki, mereebhee aulaad isee tarah mujhe isee tarah yaad kare...
Anurodg/bintee karne aayee hun,"mere lalitlekh is blogpe, "matru diwas" is sheershak,tehet shuru kee maalikaaki 3 kadiyaan hain..
12 mai ko meree beteekaa janm din hotaa hai..likhte,likhte naa jaane kitne rumaal bhigo diye maine...
Guzaariash ye,ki aap zaroor padhen aur rehnumaayee karen..ek maan kaa rhiday usme undel diyaa hai..
जानकारी के लिए आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
खैर टिपिया तो देंगे पर आप ये बताइए की ये फोटो आपने अपनी ऊपर लगाईं है, आखिर इस सुन्दरता का राज क्या है, dare एंड गूगली क्रीम है या मुक्स ब्यूटी सो़प सो़प का कमाल आपकी त्वच्छा से आपकी उम्र का पता ही नहीं चलता !!
amitosh.mishra81@gmail.com
नीरज जी , ताऊ जी के माध्यम से आपको निकट से जानना बहुत अच्छा लगा ! पांडू की भाषा में ग़ज़ल का प्रयोग सुन्दर बन पड़ा है !' जीना मुश्किल है तो क्या इस डर से मर जाने का " कितने गहन भावों को कितने सरल ढंग से कह दिया है !यहीं पर लेखन सार्थक होता है नीरज जी ! आपकी सभी रचनाएँ श्रेष्ठ हैं !
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