Monday, February 8, 2010

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे



मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

( गुरुदेव प्राण शर्मा जी की रहनुमाई में मुकम्मल हुई ग़ज़ल )

64 comments:

Sanjay Grover said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं


गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं


बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

bas पूजती दुनिया wale masle ko bhula duN to (:) ukt teen sher zyada achchhe lage.

श्यामल सुमन said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

वाह वाह नीरज भाई। क्या बात है? मुग्ध हो जाता हूँ आपको पढ़कर।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ताऊ रामपुरिया said...

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

बहुत लाजवाब. शुभकामनाए.

रामराम.

संजय भास्‍कर said...

बहुत लाजवाब. शुभकामनाए

निर्मला कपिला said...

नीरज जी कमाल की गज़ल बनी है। भाई साहिब का साथ हो तो बने भी क्यों न ?
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
ये अलग पहचान है आप दोनो की भी इस शेर मे
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं
वाह वाह बहुत सुन्दर लगी ये गज़ल
मतला तो कमाल का है
बहुत बहुत बधाई

vandana gupta said...

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

yun to poori gazal behtreen hai magar ye 2 sher dil mein utar gaye...........lajawaab.

सागर said...

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

आहा ! बढ़िया महफ़िल जमी है यहाँ.

seema gupta said...

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं


उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

"bhut sundar"

regards

अनिल कान्त said...

आनंद आ गया .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

बहुत ही सुन्दर, लाजबाब !

shikha varshney said...

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
वाह बहुत खुबसूरत रचना रोज़ डे पर...बहुत ही खुबसूरत..

vijay kumar sappatti said...

neeraj ji , namaskar , sabse pahle kaan pakadkar maafi ji ...deri se aur bahut dino ke baad aane ke liye .. aap karan jaante hai hai ..


dusra sher mere man ko bha gaya ji. waise to poori gazal hi manmohak aur saral bhasha me kahi gayi abhivyakti ban gayi hai ...

aabhar

vijay

Shiv said...

बहुत बढ़िया गजल.

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं


अद्भुत!!!

kshama said...

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
Kya baat hai! Sirf yahi sher nahi,sabhi ashar ekse badhke ek hain!

Renu goel said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं
सारी जिन्दगी की हकीकत कह डाली है आपने इन दो लाईनों में अगर कोई समझे तो ....

डॉ टी एस दराल said...

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं


गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ।

डॉ. मनोज मिश्र said...

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं

बेहतरीन.

तिलक राज कपूर said...

अब समझा कि कहॉं गुम थे।

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं

बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

आपके ये तीन शेर तो दिल के पार हो गये।

वाह करूँ या आह भरूँ अभी तय नहीं कर पा रहा।

तय हो जाये तो ई-मेल पर आता हूँ।

सुशीला पुरी said...

विभोर हूँ पढ़कर .........

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

आदरणीय नीरज जी, आदाब
हर इक शेर अपनी अलग खुशबू बिखेर रहा है,
मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
वाह.
मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
वाह वाह
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं
वाह वाह वाह
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
लाजवाब, हर इक शेर पर दाद कबूल फरमायें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

बहुत सुन्दर!
गजल में आपने शब्द मोती से टाँक दिये हैं!

Udan Tashtari said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

--वाह वाह!! बहुत खूब..आनन्द आ गया.

मनोज कुमार said...

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं
आप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

Anonymous said...

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं......
उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं......
नीरज जी ! बहुत प्यारी ग़ज़ल है आपकी , आम तौर पर शब्द रचते, शब्द पढ़ते हैं
कोई 'जी' ले इन शब्दों को ,जिंदगी सफल हो जाये और जाये तो भी एक सुकून लेके .
बडबोलापं ना समझिएगा इसे मेरा ,पर मैंने शब्दों को जीना ,
धर्म को पूजना नही उस पर चलना सीखा .बड़े काँटों भरे हैं ये रास्ते पर दिलिसुकुन देते है
आपकी गजल की कई पंक्तिया मुझे एक राह दिखा रही है.
जियो ,खूब लिखते हैं ,खूब लिखिए

Urmi said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं..
वाह वाह क्या बात है! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब रचना के लिए बधाई!

वीनस केसरी said...

नीरज जी
हमेशा की तरह सदाबहार गजल कही है आपने
मतला में जो चमत्कार उत्पन्न किया मक्ता तक कायम रहा
शेर कोट करने चला तो फिर कुछ सोच कर रहने दिया

इस गजल को मैंने ५-६ बार पढ़ा और हर बार बड़ी शिद्दत से लगा कि इसे आपने पहले भी पोस्ट किया है या और कही मैंने इसे पढ़ा है बड़ी दुविधा में हूँ आपकी पुराणी पोस्ट को भी दो बार खंगाला मगर नतीजा सिफर रहा
और कमेन्ट पर भी किसी ने ये बात नहीं कही
अब आप ही शंका समाधान कीजिये

वीनस केशरी

कडुवासच said...

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
....बहुत सुन्दर,प्रसंशनीय गजल !!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
हर शेर बढ़िया लगा
आप बस ,
इसी तरह लिखते रहीये
स स्नेह,

- लावण्या

देवेन्द्र पाण्डेय said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
...अच्छी गज़ल का सबसे बेहतरीन शेर. वाह!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

-----आनंद आ गया.

नीरज गोस्वामी said...

E-mail received from Sh.Om prakash Sapra Ji:-

shri neeraj ji, namastey,
This is a good gazal, especially following lines:-
पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

for this you as well as shri pran sharma (gurudev ji) also deserve applaud and heart-felt appreciation.
Have you received mitra sangam patika of fefruary, 2009 issue it has your gazal and photo also. congrats.
pl confirm.

regards,
-om sapra,

Neeraj Kumar said...

bahut hi umda baat kahi hai aapne ...isi tarah samaj aur vyakti ke tallukaat sada santulit rah sakta hai...yahi jindagi ka saar hai...

डॉ .अनुराग said...

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं

zamane ka dastoor hai sahab......

दिगम्बर नासवा said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

लाजवाब नीरज जी .......... ग़ज़लों के ऐसे ही पथिक हैं आप भी .......... खूबसूरत ग़ज़लों से हर दिल को महकाते हैं आप ...... सारे शेर कमाल के हैं ......

शारदा अरोरा said...

बहुत लोग हैं तारीफ़ करने वाले , हम भी हैं उनमे से ही एक , दाद देते हैं |

Kusum Thakur said...

नीरज जी ,
आपकी रचनाएँ होती ही हैं लाज़वाब , बस इतना ही कहूँगी !!

नीरज गोस्वामी said...

E-mail received from Navniit G.:-

am impressed with this line :

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं

NP

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
जो शेर मुझे पसंद आया और आप से मिलता जुलता लगा वो है,
"मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं"

सदा said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

बहुत ही सुन्‍दर गजल हर शेर एक से बढ़कर एक,बधाई

Yogesh Verma Swapn said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं..

neeraj ji, behatareen /lajawaab gazal ke liye dheron badhaai.

श्रद्धा जैन said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं


waah kya pate ki baat kah di

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह, दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी, जो झूटी शान रखते हैं

bahut sach sateek


उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

waah waah


गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

khoobsurat maqta Neeraj ji

matla bhi bahut shaandaar laga


बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं

Roshani said...

क्या बात है!...

Sunil Balani said...

kabile tareef......ati sundar.....

manu said...

कल भी आये थे और आज सुबह भी...

जब कमेन्ट देने का मूड हो तो आपका कमेन्ट बोक्स नहीं खुलता हम से...
इस वक़्त सिर्फ दोबारा कमेन्ट बोक्स चेक करने आये हैं जी...
अब ठीक है..

इस्मत ज़ैदी said...

neeraj ji ,samajh nahin pa rahi hoon tareef ka aaghaz kaise aur kahan se karoon ,har sher apne aap men mukammal aur baamaani hai ,behad khoobsoorat ghazal ,mubarakbad qubool farmayen .

रंजन (Ranjan) said...

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं


बहुत खूब नीरज भाई..

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं

कुछ हम छोटो के लिए आशीर्वाद भी....

Parul kanani said...

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं

wah sir!

डिम्पल मल्होत्रा said...

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं
वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं.kitna sach hai.apki kitabo ki jankari ki tarah gazal bhi lazwaab.

Gyan Dutt Pandey said...

बस सफलता का यही सूत्र गांठ बांध लिया है -

पथिक पाते वही मंजिल, भले हों खार राहों में
जो तीखे दर्द में लब पर, मधुर मुस्कान रखते हैं

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर गजल!

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं

वाह नीरज जी। क्या बात है।

Dr. Amar Jyoti said...

हमेशा की तरह बहुत ख़ूब!
बहुत ही ख़ूब!

Prem Farukhabadi said...

मुहब्बत,फूल,खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की
सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं
बहुत ही ख़ूब!

Urmi said...

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !

Apanatva said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं



Bahoot khoob................



महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !

"अर्श" said...

gazal ko padhta hun aur laut jaata hun bagair kuchh kahe... kya kahun samajh nahi aarahaa neeraj ji ,.. shayad kuchh kah nahi paa rahaa ..



arsh

रचना दीक्षित said...

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द .मनभावन,अद्भुत

पूनम श्रीवास्तव said...

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे, उसको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी, बहुत अरमान रखते हैं

बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज'
खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं
आदरणीय नीरज जी, वैसे तो आपकी पूरी गजल ही बहुत खूबसूरती से रची गयी है---पर ये पंक्तियां मन को छू गयीं। पूनम

गौतम राजऋषि said...

विलंब से आ रहा हूँ सर जी कि सफर में हूँ। बेमिसाल, नायाब, लाजवाब अशआरों से लदी एक और ग़ज़ल...वाह! क्या शेर बुने हैं सरकार। मजा आ गया।

मतले की बुनाई, दूसरे शेर का अंदाज़े-बयां, तीसरे शेर का काफ़िया, चौथे शेर की मुस्कान, पांचवें शेर का तेवर, छठे शेर की पहचान, सातवें शेर की चुभन और मक्ते की आशिकी....आहहा! सलाम नीरज जी!

रावेंद्रकुमार रवि said...

सबसे अलग अंदाज़!
--
कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
--
संपादक : सरस पायस

संजय भास्‍कर said...

नमस्कार नीरज जी,
जो शेर मुझे पसंद आया

Kulwant Happy said...

उसी की बात होती है, उसी को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी, अलग पहचान रखते हैं

दिल को छू गई। विशेषकर उक्त पंक्तियाँ।

आपका ब्लॉग यहाँ ब्लॉगवुड जोड़ दिया गया है शायद आपको जानकार खुशी हो। शायद न भी हो।

Unknown said...

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ, दुआ इसके बाद किसी को और क्या चाहिए। इसी चाहत में बार-बार पलटकर आपके ब्लॉग पर आ जाते हैं।