Monday, August 17, 2009

गीत बारिश के गाइये साहब

तेरह अगस्त की रात के बारह बज कर तीन मिनट हुए थे जब मोबाईल की घंटी बजी...घडी में चौदह तारिख आ चुकी थी...हंसते हुए पाबला जी लाइन पर थे...उसके ठीक चार मिनट के बाद कुश की खिड़की के रास्ते से फेंकी हुई बधाई की टोकरी सीधी खोपडी से आ टकराई, फलस्वरूप प्यार से उभरे हुए गूमड़ को छू कर मुझे एहसास हो गया था की अगली सुबह से क्या होने वाला है लेकिन इतना कुछ होगा इसका अनुमान नहीं था. मेरे अनुज और गुरु पंकज सुबीर जी ने जहाँ एक ग़ज़ल और लता जी द्वारा गाये और पंडित नरेन्द्र शर्मा जी द्वारा रचित गीत से मुझे स्नेह सिक्त किया वहीँ पाबला जी ने डंके की चोट पर सब को मेरे जन्म दिन के बारे में सूचित कर दिया.

मैं दिल से आभारी हूँ आप सब का जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी शुभ-कामनाएं दीं और मेरे एक साधारण से दिन को अपने स्नेह से असाधारण बना दिया. इस अवसर पर आदरणीय महावीर शर्मा जी का लन्दन से, अमेरिका से दीदी सुधा धींगरा जी और भाई राकेश खंडेलवाल जी का फोन किसी आर्शीवाद से कम नहीं था . मुझे डाक्टर अनुराग और प्रिय गौतम एवं रवि कान्त जी से पहली बार बात करने का अवसर प्रदान करने वाला ये दिन कभी नहीं भूलेगा .नन्हीं बहिन कंचन चौहान की खिलखिलाती आवाज़ मुझे हमेशा खुश रहने को प्रेरित करती रहेगी .

लीजिये अब प्रस्तुत है एक ताज़ा ग़ज़ल




झूठ को सच बनाइये साहब
ये हुनर सीख जाइये साहब

खाक भी डालिये शराफत पर
आप दौलत कमाइये साहब

भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब

तेज तपती हुई दुपहरी में
गीत बारिश के गाइये साहब

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

आप कहते हैं जो उसे 'नीरज'
आचरण में भी लाइये साहब



( इस ग़ज़ल को गुरुदेव पंकज जी का स्नेह प्राप्त हुआ है )

68 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

बहुत बढ़िया लिखा साहब,
सुंदर अभिव्यक्ति..

विवेक सिंह said...

फोटू भी गजल से कम नहीं साहब !

Unknown said...

umda ghazal !

अमिताभ मीत said...

भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

Hamesha ki tarah laajavaab.

रंजू भाटिया said...

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

बहुत बहुत सही बहुत खूब ....बहुत ही बढ़िया कहा आपने नीरज जी ..सुन्दर गजल

पंकज सुबीर said...

बात कर लीं बहुत जनमदिन की
अब मिठाई खिलाइये साहिब

आना जाना अगर नहीं मुमकिन
डाक से ही भिजाइये साहिब

दाद हम भी ग़ज़ल पे दे देंगें
गा के पहले सुनाइये साहिब

खेल तो सब है मिष्‍टी बिटिया का
आप कव्‍वे उड़ाइये साहिब

केक पर की शमाएं बुझने लगीं
अब तो तशरीफ लाइये साहिब

बात सुनिये ओ मिष्‍टी के बाबा
भाव ऐसे न खाइये साहिब

और क्‍या दूं भला जनमदिन पर
बस यूं ही मूस्‍कुराइये साहिब

कंचन सिंह चौहान said...

पसंदीदा शेरों को चुन के प्रशंसा करने ही जा रही थी कि बक्से में गुरु जी की टिप्पणी दिख गई।
अब सोच रहे हैं कि बड़ाई किसकी करें शेर किसे कहें और सावा शेर किसे ....! हम बहुत कन्फूज हूँ...! :)

विनय ओझा 'स्नेहिल' said...

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब kya jordaar baat kahee hai neeraj jee. mai bahut mutassir hun aapse.aap vaakaee bahut salees aur dhardaar likhte hain.

विनय ओझा 'स्नेहिल' said...

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब
un siyasee nagfaniyon ka kyaa karen sahab jo EVM kee gadbadee se sadanon men aa gaye hain.

प्रीतीश बारहठ said...

देरी के लिये क्षमा करते हुये
जन्मदिन की बधाई स्वीकार करें..

ओम आर्य said...

खाक भी डालिये शराफत पर
आप दौलत कमाइये साहब

भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब


बहुत ही सुन्दर लिखी है साहब .......इन पंक्तियो का जबाव नही .......बहुत ही सुन्दर

रंजन (Ranjan) said...

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब

सुन्दर गजल..

जन्मदिन की बधाई.. (माफी़ देरी के लिये)..

गौतम राजऋषि said...

अब वक्त हो चला है नीरज जी कि इन "मोगरे की डालियों" को किताब की शक्ल दी जाये...ये लैपटाप खोलकर बार-बार पढ़ने की जोहमत हमसे नहीं होती....हम भी आपकी "किताबों की दुनिया" में भटकने वालों में हैं। गुरूजी, अगर मेरी गुहार सुन रहे हों.....

...और हमने तो ये दिन ही चुन कर रखा था आपसे बातचीत की शुरूआत करने को।

सदा said...

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब

हर पंक्ति में जीवन की सच्‍चाई से रूबरू कराती हुई आपकी यह रचना बहुत ही बेहतरीन बधाई ।

Shiv said...

बहुत गजब. हमेशा की तरह.

मैं तो वही कहूँगा जो हमेशा कहता हूँ;

आप ऐसे ही जीवन जीने का
रस्ता सबको दिखाइये साहेब

अर्चना तिवारी said...

बहुत सुन्दर गजल..

रविकांत पाण्डेय said...

देर से गज़ल पढ़ने का ये फ़ायदा भी हो सकता है, सोचा भी न था!!! एक तो आपके कातिलाना शेर ऊपर से गुरूदेव के शेर!!!! हमने तो इसे ही बर्थडे ट्रीट समझ लिया! बहुत आनंद आया।

संजीव गौतम said...

माफ करियेगा देर से हाज़िर हूं जन्मदिवस की शुभकामनाएं लेकर लेकिन पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ. देर आयद दुरुस्त आयद.
एक दो शेर नहीं चुन पा रहा हूं जिन्हे कोट कर सकूं. ग़ज़ल को पढते हुए ऐसा लगा जैसे साक्षात दादा प्रदीप चौबे जी से सुन रहा होऊं. आनन्द आ गया.

daanish said...

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

अब ऐसी नफ़ासत और कहाँ मिल पाएगी भला !!
ज़हीन-तरीन शख्सियत का नफीस-तरीन कलाम
एक-एक शेर में सदाक़त , शिगुफ्त्गी ,
और शाईस्त्गी की झलक
आपके तखय्युल को मुफलिस का सलाम !

और......

आपकी राए हौसलाकुन है
बात ये मान जाइए साहब

जन्म दिन आपको मुबारक हो
बस यूं ही मुस्कराइए साहब

---मुफलिस ---

Renu goel said...

दिल को छु गयी ग़ज़ल ...जन्म दिन की बधाई स्वीकार करें ...

Gyan Dutt Pandey said...

इस ग़ज़ल को गुरुदेव पंकज जी का स्नेह प्राप्त हुआ है
-----------
हमारा भी स्नेह लीजिये जी!

समयचक्र said...

बहुत ख़ूबसूरत मन को छू जाने वाली रचना आभार नीरज जी

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

सोलह आने सच्ची बात .

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत नायाब रचना. शुभकामनाएं

रामराम.

हरकीरत ' हीर' said...

नीरज जी , सबसे पहले जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ...अब पाबला जी के ब्लॉग पे निगाह रखनी पड़ेगी .....

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

जीवन की एक कड़वी सच्चाई है इन पंक्तियों में .....

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

और ये तो लाजवाब कर गया ....!!

आप कहते हैं जो उसे 'नीरज'
आचरण में भी लाइये साहब

बस यही तो कोई कर नहीं पता ....!!

सुशील छौक्कर said...

हम ही पिछे रह गए नीरज जी आपको जन्मदिन की बधाई देने में तो लीजिए हमारी तरफ से ढेरों बधाई और शुभकामनाएं। और आज की ग़ज़ल तो वाकई बहुत ही अच्छी लगी।
झूठ को सच बनाइये साहब
ये हुनर सीख जाइये साहब

खाक भी डालिये शराफत पर
आप दौलत कमाइये साहब

भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

कमाल का लिखते है हर शेर पर वाह ही निकलती है।

रश्मि प्रभा... said...

der hui? to kya hua....janamdin ki shubhkamnayen
phir kahungi...shandaar gazal

"अर्श" said...

बधाई तो गुरु जी के ब्लॉग पे दे आया था मगर बात हो जाती तो तस्कीं हो जाती ... शायद मेरे हिस्से ये नहीं था... केक की तरह पूरी तरह से सजी आपकी ग़ज़ल इतनी स्वादिष्ट है के क्या कही जाये,,, ऊपर से कमेन्ट बॉक्स में गुरु देव के शे'र केक पे अंजीर का काम कर रहे हैं... मैं तो बहोत चाव ले रहा हूँ... गौतम जी ने सही कहा है नीरज जी के अब इन मोगरे की डालियों को किताब की शक्ल दे दी जाए... ये गुजारिश या बर्थ दे का तोहफा हम छोटों के लिए... आपके तरफ से .. हा हा हा ... ग़ज़ल के बारे में कुछ भी कहना मेरे बस का नहीं है हुजूर...

आपका
अर्श

Manish Kumar said...

जन्मदिन की हार्दिक बधाई नीरज जी...

वीनस केसरी said...

ये तो डबल बोनान्जा आफर हो गया नीरज जी की गजल के साथ गुरु देव वाली मुफ्त मुफ्त मुफ्त :)

नीरज जी वास्तव में आपकी गजलें पढ़ कर वैसे भी डबल फायदा होता है आनंद भी मिलता है और कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहता है

वीनस केसरी

Neeraj Kumar said...

Neeraj ji,
Gazal ko padha aur padhta hi rah gaya...gambhir baaton ko itni saralta evam sundarta ke saath prastut kar diya hai aapne aur Sahab ka kya pragog kiya hai...Sahab sun len aur gun saken to kitna achchha ho...

Ratan said...

Beautiful.................


Neeraj Uncle,
Ek news hai.. "Main hunn Don.. Thaainn.." wala jo post hai aapka wo Stage par bhi pahunch gaya..

Ye karamat hai aapne Golu ji ki, jinhone ye show aapne college (Jahana wo lecturar hain..) ke function mein prastoot kiya.. :-) Maine yahan se online direction de kar ke prepare karaya tha.. haha!

Haan hamse ek choti si bhul jaroor hui hai.. hamne aapke copyright law kaa ullanghan kiya hai..
Khsama karein.. hamein...

Jai Ho.

-R

निर्मला कपिला said...

कई दिन कम्प्यूटर खराब रहा जि कारण 5-6 दिन कोई काम नहीं कर पाई ।मगर भगवाब का शुक्र है कि आपको जन्मदिन की बधाई भेज चुकी थी। आपकी गज़ल पर कुछ कहूँ इतनी कलम मे शक्ति नहीं है । पूरी की पूरी गज़ल लाजवाब है। और साथ ही पंकज सुबीर जी की गज़ल सोने पर सुहागा साबित हुई । बहुत बहुत शुभकामनायें और आभार्

नीरज गोस्वामी said...

Message received through e-mail from Shri Om Prakash Sapra Ji:

SHRI NEERAJ JI,
namastey
it is a good gazal on "barish" , i really liked it and wish to appreciate it,
especially following lines are very touching and have emotional message:-


तेज तपती हुई दुपहरी में
गीत बारिश के गाइये साहब
दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

HAPPY Birthday - 14th august, 2009
Although belated, please accept my congratulations for a happy life awaiting for
all prosperity and successful life in future, with love and affection from not only family members
but also from all friends, all near and dears.

with best wishes,
-om sapra, delhi-9
9818180932

Prem Farukhabadi said...

is tarh ki behtareen ghazalen kahke
blogaron ke dilon par chhaiye sahab

bahut hi behtar ghazal kahi hai apne Neeraj bhai.badhai!!

पारुल "पुखराज" said...

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब bahut khuub...sahi bhi..परखने से याद आई वो ग़ज़ल.....परखना मत परखने से कोई अपना नहीं होता

vijay kumar sappatti said...

aadarniy neeraj ji ,

maafi dijiyenga ki , main aapke janamdin ki badhai late de raha hoon .. aap guru hai , kshama kar denge...

aapko aapke janmdin ki der saari shubkaamnaye ... bahut badhai ho sir .... aap yun hi muskaraate aur hanste rahe....

aapka

vijay

vandana gupta said...

janamdin ki hardik shubhkamnayein chahe deri se sahi kyunki pata hi nhi tha.........bahut hi dil ko choo lene wali gazal likhi hai.

kshama said...

चोट तो अपने ही दे सकते हैं ..यही बयाँ हो रही दास्ताँ ..'बिखरे सितारे ' पे !

रहनुमाई करें, तो हौसला बढेगा...!

आपके लेखन पे क्या लिखूँ ?शामिल हूँ ,इन दिग्गजों से सहमत हूँ!...!

janam din kee anek shubhkamnayen!

दिगम्बर नासवा said...

तेज तपती हुई दुपहरी में
गीत बारिश के गाइये साहब

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब
नीरज जी ..... आपने तो मिठाई की तरह ही लाजवाब ग़ज़ल से मुंह मीठा करा दिया ........... साथ में गुरु देव ने भी ...... जलेबी का tadka लगा दिया ........... maza aa गया ...

Nipun Pandey said...

नीरज जी ,
जन्मदिन की बहुत सारी शुभ कामनाये ....
इस ग़ज़ल को पढ़ के लगा की कितने सरल शब्दों में भी कितनी गहरी बाते कही जा सकती हैं ....बहुत ही भावपूर्ण ग़ज़ल और उस पर पंकज जी की ग़ज़ल पढ़ी तो अब तो कुछ कह ही नहीं पा रहा सच !

पिछले दिनों से आप सब को पढ़ के बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है ....और बहुत अच्छा भी ...:)

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

नीरज जी,मुझे कहना तो अवश्य कुछ था....मगर आपकी इस ताजा ग़ज़ल ने मेरे भेजे से सब कुछ उदा दिया...अब मैं बावला-सा बना बैठा हूँ....अब मुझे अपने आप में लाईये साहब...!!!

haidabadi said...

जनाबे नीरज साहिब
आपकी खुबसूरत ग़ज़ल के लिए
खलूसे दिल से दाद देता हूँ
ख्याल की पुख्तगी से भरपूर आपके कलाम
को मैं तहे दिल से सलाम पेश करता हूँ
किबला आप ज़िन्दगी की हकीकत बयान कर जाते हो
और इन्सान को सोचने पर मजबूर कर जाते हो
अपने मौला से यह गिला होता
अगर मैं तुमसे न मिला होता

चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क

Ria Sharma said...

Neeraj ji maine bhee shubhkamnaeyn de thee na udhar ....:)))(FB par )

भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

भूखे पेट रहने का दर्द व अपनों से खाई चोट

दर्द को बखूबी उकेरा !!

श्रद्धा जैन said...

Bahut der ho gayi aane mein

Janamdin ki hardik shubhkamanye sweekar karen

aur itni der se aane ke liye kshma kare

श्रद्धा जैन said...

झूठ को सच बनाइये साहब
ये हुनर सीख जाइये साहब

kya baat hai


खाक भी डालिये शराफत पर
आप दौलत कमाइये साहब

hmmmm aajkal sabne shuru kar diya hai


भूख से बिलबिलाते लोगों को
कायदे मत सिखाइये साहब

bahut khoob

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

wah wah


दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब


तेज तपती हुई दुपहरी में
गीत बारिश के गाइये साहब


दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब

wah wahhhhhh

आप कहते हैं जो उसे 'नीरज'
आचरण में भी लाइये साहब


bahut hi shaandaar gazal
zindgi ke kayi saare teekhe sabak
vayang aap khoob kahte hain

जितेन्द़ भगत said...

हमेशा की तरह यर्थाथ।

Akshitaa (Pakhi) said...

Badhai to hamne bhi di thi...par ap dikhe hi nahin.

Urmi said...

बहुत बढ़िया और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने! पढकर बहुत अच्छा लगा!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

Prem said...

belated happy birthday sunder rachna झूठ बोलने का हुनर तो फिर कभी सीखेंगे ,यह इतनी सारी वाह वाह बटोरने का हुनर हमें भी सिखा दीजिये .ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी । शुभकामनायें .

डॉ .अनुराग said...

उस रोज के निकले आज कम्पूटर में पहुंचे .है..बस ऐसा होता है .अपने पेशे से मुताल्लिक़ कुछ चीजे देख आपका मूड चेंज होता है ...कुछ मस्र्रोफ़ रहे कुछ मन नहीं किया इधर ब्लोगों में झाँकने का ....होता है कई बार ऐसा......आज सोचा नन्ही मिष्टी को भी देख ले ओर एक आध शेर भी पढ़ लेगे....उस रोज उम्र नहीं पूछी थी हमने ....
सोचा रूबरू बैठेगे तो गुस्ताखी कर लेगे.....
शेर का क्या कहे ..हमसे पहले लोग दाद दे चुके है

महेंद्र मिश्र said...

दुनिया मे आये हैं तो
रीत निभाइये साहब
फ़रेबी नहीं आती तो
अपने घ्रर जाइये साहब!

सादर
महेन्द्र मिश्र

अर्चना said...

किस पन्क्ति को विशेश तरजिह दू. पूरी गजल ही प्रभावशाली है.

डिम्पल मल्होत्रा said...

दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब ...boht sunder rachna....

सुशीला पुरी said...

thodi der se hi shi.....janamdin ki bahut bhut badhai, gazal ke mubarakbaad

manu said...

खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब

दीजिये खाद जब तलक फल दे
वरना आरी चलाइये साहब

bahur shaandaar she'r....
khaad waalaa to samjhiye ki jhinjhodtaa hai...


ab happy b'day.....

:)

happy birthday aur good morning kahne mein ham time aur din nahin dekhaa karte huzooooooor.......

Asha Joglekar said...

Belated happy Birthday.
Aapki gajal to hai hee achchi, Pankaj subir sahab kee uske jawab wali bhee kamal hai.
Janamdin par hamari mubarken
der se hee sahi sweekariye sahab.

अशरफुल निशा said...

Ye mausam hi aisa hai.
Think Scientific Act Scientific

महावीर said...

नायाब हीरा है आपकी यह ग़ज़ल.
बहुत खूबसूरत मतला है:
झूठ को सच बनाइये साहब
ये हुनर सीख जाइये साहब
ये आशा'र तो कमाल के हैं:-
दर्द की इंतिहा परखने को
चोट अपनों से खाइये साहब
खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
फूल सा मुस्कुराइये साहब
हाँ, यह भी कहना पड़ेगा कि आपके ब्लॉग पर मधुबाला के नए नए अंदाज़ में तस्वीरें देख कर दिल कह उठता है, 'कौन कहता है कि मधु दुनिया छोड़ गयी!'
महावीर शर्मा

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

देर से पर दुरुस्त आये। जन्मदिन की अनेकानेक शुभकामनायें। हर शेर अच्छा लगा। वाह! क्या लिखते हैं आप।

शोभना चौरे said...

der se hi shi janmdin ki bhut bhut bdhai aur shubhkamnaye .
sundar gajal keliye sadhuvad .
abhar

प्रवीण पराशर said...

झूठ को सच बनाइये साहब
ये हुनर सीख जाइये साहब

खाक भी डालिये शराफत पर
आप दौलत कमाइये साहब

धन्यबाद आपने सच ही लिखा है सर जी !

Ankit said...

नमस्कार नीरज जी,
काफी दिनों बाद आना हो पाया, इसलिए देर से ही सही मगर मेरी तरफ से आपको ढेरो जन्मदिन की शुभकामनयें.
ग़ज़ल के तो हर वक़्त ही तरह क्या कहने, गौतम जी की बातों का मैं पूरी तरह समर्थन करता हूँ, इन मोतियों को एक हार बना दीजिये.

Udan Tashtari said...

देर से ही सही...जन्मदिन की बधाई स्वीकार करें..

समयचक्र said...

श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiyaa

Udan Tashtari said...

रामसनेही जी किताब रोचक लग रही है और आपकी गज़ल..माशा अल्लाह!! बहुत खूब कही!!

PREETI BARTHWAL said...

बहुत खूब है साहब।