जब दिलों में रौशनी भर जायेगी
वो दिवाली भी कभी तो आएगी
खोल कर रखिये किवाड़ों को सदा
फिर खुशी ना लौट जाने पायेगी
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फिर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
बेगुनाही ही तेरी, इस दौर में
इक वजह बनकर,सजा दिलवायेगी
सोच बदलो तो तुम्हारी जिंदगी
फूल खुशियों के सदा बरसायेगी
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज़्ज़त नजर आ जायेगी
गुनगुनाते हैं वही "नीरज" ग़ज़ल
बात जो दिल की ज़बाँ पे लायेगी
(नमन पंकज जी को जिन्होंने मेरी बार बार की जाने वाली गलतियों को मुस्कुराते हुए सुधारा )
45 comments:
भाई नीरज जी,
धीरे - धीरे आप तो गजल के उस्ताद बनते जा रहे हैं, लगन भी आदमी को क्या से क्या बना देती है.
शानदार ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए आप बधाई के पात्र है. तभी तो कहना पड़ रहा है कि
रात की रानी सी तेरी ग़ज़ल है
हो सुबह या शाम सदा ही महकायेगी
चन्द्र मोहन गुप्त
और पहला कमेंट भी कर रहा हूं । बधाई एक और सुंदर ग़ज़ल के लिये । आपका ब्लाग अब सुंद ग़ज़लों का एक गुलदस्ता होता जा रहा है । गीत पढ़ने हों तो राकेश जी का ब्लाग, व्यंग्य पढ़ना हो तो समीर जी का ब्लाग, और ग़ज़लें पढ़ना हों तो आपका ब्लाग ।
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
" i am speechless on this particular words, so deep and tocuhing..... how to appreciate i dont know..."
Regards
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
सुभान अल्लाह ....गुनगुनाने जैसी है .
जब दिलों में रौशनी भर जायेगी
वो दिवाली भी कभी तो आएगी
खोल कर रखिये किवाड़ों को सदा
फ़िर खुशी ना लौट जाने पायेगी
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
बहुत ख़ूब...
हमेशा की तरह बहुत अच्छा लिखा हैं।
जब दिलों में रौशनी भर जायेगी
वो दिवाली भी कभी तो आएगी
बिल्कुल जी वो दिवाली जरुर आऐगी।
bahut khuub..aur pankaj ji ki baat se sahmat bhii
बहुत खूब.
गजलों का ऐसा गुलदस्ता सजा दिया है आपने कि क्या कहूं....
गुनगुनाते हैं वही "नीरज" ग़ज़ल
बात जो दिल की जबां पे लायेगी
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .
दिवाली की बहुत बधाई और शुभकामनाएं .
बहुत सुंदर ! धन्यवाद !
सोच बदलो तो तुम्हारी जिंदगी
फूल खुशियों के सदा बरसायेगी
बहुत सुंदर ..बहुत ही बढ़िया लिखी है आपने यह गजल ..
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
हर शेर लाजवाब है भाई. क्या कहूँ ?
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फ़िर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
बेगुनाही ही तेरी, इस दौर में
इक वजह बनकर,सजा दिलवायेगी
bejod....!
ये हुई न बात..गायब रहे तो अब कारण भी समझ आया कि गज़ल सधा रहे थे. :)
ईमेल भेजी, बाऊंस ह गई. फोन नम्बर जुगाड़ा, लगाया-लगा नहीं. अब तसल्ली हो गई.
शुभकामनाऐं.
बहुत बेहतरीन गज़ल!!
'बेगुनाही ही तेरी……'
बहुत ख़ूब!
neeraj ji sundar rachna.. "दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी"
bahut khoob sir
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खो देना चहती हूँ तुम्हें..
बिल्कुल दिल की बात जुबां तक !
बहुत सुंदर, नीरज जी!
खोल कर रखिये किवाड़ों को सदा
फ़िर खुशी ना लौट जाने पायेगी
दो बातों के सद्भाव को विरोधाभास अलंकार में कह पाना मुझे हमेशा से ही बहुत अच्छा लगता है.
सही कहा नीरज जी, बस सोच बदलने की जरूरत है। जिन्दगी सोच बदलने से ही खुश नुमा बनेगी।
सुन्दर।
भीनी भीनी खुशबु सी
रात रानी की महक लिये
ये गज़ल
बहुत बढिया लिखी है
आपने नीरज भाई -
स स्नेह,
- लावण्या
Bahut badiya
इतनी सुंदर कविता के लिये सुंदर सुंदर शव्द कहा से लाऊ, जो थोडे बहुत थे वो सब ने ले लिये... एक महकती हुयी रात की रानी सी है यह आप की कविता.
धन्यवाद
नीरज जी,
हर शेर बढ़िया है। ख़ास कर ये बहुत अच्छा लगा
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
मानोशी
Neerajbjai
Wonderful gazal.
Plz keep writing.
Could you plz let me know the meaning of Tishnagi and Shiddat plz?
Thanks in advance.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
beshak....
behtareen rachna...
khoobsurat...saanche me dhali hui..
wah.............
neeraj bhaiya ,
din ki sabse khoobsoorat rachna padhi aapke blog par ,
sundartam........
waah ....aur kuch kahu is kaabil nahee.shesh gurujee ne to sab kah diyaa hai
हमेशा की तरह खूबसूरत गजल। बधाई।
और हॉं, आजकल आप दिखते नहीं, कोई नारागजी है क्या।
"Bhoolne ka to ik kaaran na milaa,
Yaadke laankhon bahane ho gaye"!
Kaash maibhi itna sundar likh paatee !
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
बहुत खूब! पूरा जीवन-दर्शन इस शेर में सिमट आया है। आभार सुंदर गजला पढ़वाने का।
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फ़िर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
aapki kahi hui ye panktiya aapki har aane wali rachna ke roop ko nikharti jati hai.
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फ़िर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
kya baAT HAI...BEHAD UMDA.
बहूत सुंदर लिखा है आपने
बधाई स्वीकार करे
मेरे ब्लॉग पर भी पधारे
जनाबे नीरज भाई
ग़ज़ल की खुबसूरती पे दिनों दिन निखार आ रहा है
चंद दिनों में शबाब आने को है ! आपकी खूबी यह है
के आप make up वालों का नाम भी डाल देते हो
सोच बदलो तो तुम्हारी जिंदगी
फूल खुशियों के सदा बरसायेगी
मैंने अब अपनी सोच बदलने का फ़ैसला
कर लिया है इस में आपकी दुआ भी शामिल है
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
Apki in laaino ne mujhe mahaka diya hai . badhiya bhav badhiya rachana. badhaai.
क्या बात है नीरज जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल बन पड़ी है सर जी ! क्या कहना ! अहा !
बस जो कोष्टक में नीचे कुछ लिखा है उसमें जो रह गया है उसके बारे एक इशारा है ----
फ़िर = फिर
जबां = ज़बाँ
लज्जत = लज़्ज़त
यदि हो जाए, तो बात और भी बेहतर हो जाएगी.
आपका हमेशाहमेश मुरीद
shabd ke milan ki ghadi jab-jab aayegi ..
ek suhani mhfil sote hue jag jayegi...
shabd nahi in shabdon ke liye..
ye baat nahi hai shabdon ki ye baat
ehsaason se samjhi jayegi.
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
अच्छी ग़ज़ल कही
शेर पड़ कर मज़ा आ गया
भाई नीरज जी,
आपकी इस गजल में जहाँ मुझे प्रथम टिपण्णी कार होने का सौभाग्य मिला और रात की रानी की खुशबुओं से ओंतप्रोत अन्य टिपण्णीकारों की टिप्पणियों ने आपकी भीनी -भीनी ग़ज़ल को जहाँ चार चाँद लगाय वहां अन्तिम टिप्पणीकार भी होने का सौभाग्य यदि मैं न लूँ तो शायद अति होगी.
कल रात ही "रात की रानी" मुझसे कह रही थी कि ...........
लोग मुझे सफ़ेद रंग से नही, महक से जानते हैं
रात में खिलती हूँ ,पर महक से पहचानते हैं
"नीरज" ने अब मुझे गज़ल का रूप तो दिया है
वरना इस अंधेरे के नाचीज़ को कौन पहचानते हैं
मुझे लगा कि यदि अपनी बात आप तक न पहुचे तो रात की रानी के साथ गुस्ताखी हो जायेगी,
तो आप से इल्तजा है कि आप इसे मेरी नही बल्कि "रात की रानी" की विशेष टिपण्णी समझें.
चन्द्र मोहन गुप्त
आदरणीय नीरजजी, वाह वाह ये हुई न बात, क्या कहना ! अपने से छोटों की बात रख ली सर. आपके जैसा बड़प्पन सबको हासिल हो, मालिक करे.
---आपका अपना
बवाल
नीरज जी,
ये जो दिल की बात के
ज़बां पर आ जाने की बात है न
वही आपकी रचनात्मक पहचान है.
ग़ज़ल आप कह तो देते हैं
पर हमें लगता है ये तो
हमारे दिल की बात ही है !
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शुक्रिया दिल से.....!
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फिर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी.....
फ़ितरत पर कही जाने वाली हर बात का जवाब है यह..
हम सब समझते हैं फ़िर भी क्यों कर कुछ चीजों को बदलने की कोशिश करते रहते हैं...
बहुत खूब नीरज जी....अनवरत रहें.
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फिर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
बेगुनाही ही तेरी, इस दौर में
इक वजह बनकर,सजा दिलवायेगी
आपकी रचनाओं के रंग में मैं भी रंगने लगा हूँ.....प्लीज़ मुझे बचाईये......अदभुत लिखते हो आप.....सच.....!!एक ही बार में कायल हो गया हूँ आपका.....मेरे घायलपन का इलाज करें....आपका आभारी रहूँगा......
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज़्ज़त नजर आ जायेगी
आह, वाह ।
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