Monday, June 6, 2011

ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

आज अपनी एक पुरानी ग़ज़ल को झाड पौंछ कर फिर से आपके लिये पेश कर रहा हूँ. आप में से अधिकांश ने शायद इसे न पढ़ा हो अगर पढ़ा भी है तो भी इसमें नए पन का छौंक लगा हुआ पाएंगे.





कहाँ मरजी से अपनी ही कहानी हम बनाते हैं
पहाड़ी से गिरे पत्थर सरीखे, लुढ़के जाते हैं

मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं

बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं

कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं

63 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

क्या बात है! !

रश्मि प्रभा... said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं...bahut badhiyaa .... uparwala photo bahut mazedaar hai

सदा said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

बहुत खूब कहा है .... और चित्र लाजवाब ।

Anupama Tripathi said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं

इतनी बढ़िया फोटो के साथ इतनी गहन बात कर रहे हैं ...!!
दोनों चीज़े बहुत बढ़िया ...!

vandana gupta said...

कहाँ मरजी से अपनी ही कहानी हम बनाते हैं
पहाड़ी से गिरे पत्थर सरीखे, लुढ़के जाते हैं
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
ज़िन्दगी की सच्चाइयों को सरलता से कहना कोई आपसे सीखे…………शानदार गज़ल्।

अशोक सलूजा said...

सरल आदमी हूँ | सरल शब्दों के एहसास महसूस कर सकता हूँ ...और वो खूब किये !
मेरे ब्लॉग पर आ कर,मुझे पास किया |शुक्रिया !


कभी कभी ऐसे भी गुन-गुना लेना चाहिए
हो मौसम सुहाना तो मुस्करा लेना चाहिए|

खुश और स्वस्थ रहें |

सौरभ शेखर said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
Neeraj jee aap apne ghazalon me hamesha apne andar jhankne ko prerit karte hain.Hamesha ki tarah umda prastuti ke liye daad kabulen.

Bharat Bhushan said...

बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं

बहुत प्यारा अहसास है. अच्छा लगा.

डॉ टी एस दराल said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

बहुत सुन्दर कथन ।
नए तड़के के साथ ग़ज़ल का स्वाद भी बढ़ गया है ।

Anonymous said...

खूबसूरत ग़ज़ल है नीरज जी......हर शेर उम्दा है.....आपकी पोस्ट की तस्वीर को देखर हमारा भी मटकने का मन हो रहा है |

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

bade bhaai!
maine pahle nahin [padhee ye ghzal. isliye mere liye to ye bilkul taazee DISH thi.. aur bahut hi lazeez hai!!

मनोज कुमार said...

कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
पहले नहीं पढ़ा था। एक बेहतरीन ग़ज़ल।

Sunil Kumar said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
bahut khubsurat sher mubarak ho ....

इस्मत ज़ैदी said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

बहुत उम्दा और सच्चा शेर
अगर हम ख़ुद को बदलने की कोशिश भी कर लें तो दुनिया आज से कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत हो जाए
khoob

Parul Singh said...

bahut hi aachchi gajal hai lajawab

Udan Tashtari said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

-वाह वाह!!! बहुत उम्दा झाड़ पौंछ कर लाये हैं महाराज!

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही उम्दा पंक्तियाँ।

Smart Indian said...

वाह नीरज जी, सभी छन्द एक से बढकर एक।

Kunwar Kusumesh said...

कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

ढूँढने से भी अब ऐसे लोग शायद न मिल पायें.
आपने बढ़ी सादगी से बात कह दी .वाह.
ग़ज़ल के सभी शेर लाजवाब.

Mansoor ali Hashmi said...

आपका कलाम इस तर्ज़ पर गुनगुनाया तो मज़ा आ गया:-

"यहाँ बदला वफ़ा का बे वफाई के सिवा क्या है,
मुहब्बत करके भी देखा मुहब्बत में भी धोखा है."

तमाम शेर दिलकश है.

http://aatm-manthan.com

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

बिलकुल आप के स्वभाव के अनुसार


कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

वो डांसिंग बॉय आप ही लगता हैं नीरज भाई............................ :)

Richa P Madhwani said...

मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं

achha line likhi hai
http;//shayaridays.blogspot.com

निर्मला कपिला said...

मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं
बहुत बढिया संदेश दिया है इस शेर से।-- दीप से दीप जलाते चलो---

बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं

करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं
लाजवाब शेर हैं सभी\ लगा नही कि पहले पडःएए है ये गज़ल। शुभकामनायें।

दिगम्बर नासवा said...

नीरज जी आपकी हर ग़ज़ल पढ़ कर ऐसा लगता है की ये ख्यालात अबसे पहले नही पढ़ने को मिले कभी ... आपकी तरन्नुम, बहर और ग़ज़ल की रवानगी .... बार बार पढ़ने को मजबूर करती है ... हर शेर लाजवाब है .. दिली दाद कबूल करें ...

Richa P Madhwani said...

bahut bahut dhanyavad..

स्वाति said...

हर शेर लाजवाब है...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय भाईसाहब नीरज जी
सादर प्रणाम !

आपकी ग़ज़ल पढ़ने से पहले आज आपको आपकी स्वयं की ग़ज़लें पढ़ते हुए देखा तो देखता ही गया … कमाल की तरन्नुम है आपकी ! कुर्बान ! … और तहत में भी क्या ख़ूब पढ़ते हैं … वाह ! वाऽऽऽह ! व्व्वाऽऽऽऽऽऽह ! बहुत अच्छा लगा ।

अब आपकी आज की ग़ज़ल की बात

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

एकदम आपके व्यक्तित्व से मेल खाता शे'र ! सौ प्रतिशत ईमानदार सृजन !


कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

ज़िंदगी में सुखी रहने का रास्ता दिखा दिया आपने … । जो भी हो दुनिया हमारी बला से … :)

# आदत ख़राब है … इजाज़त हो तो एक शे'र कहदूं ? … सिर्फ़ एक … प्लीज़ … ;)

भटकते हम अदब की तिश्नग़ी में नेट पर दर-दर
ग़ज़ल की प्यास लेकिन आपके घर ही बुझाते हैं


चलता हूं …
हार्दिक शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Jyoti Mishra said...

lovely !!

Khushdeep Sehgal said...

मुद्दतों के बाद यार को देखा,
फिर दिल मचल गया,
बड़ी मुश्किल से दिल को समझाया.
के यार अब बदल गया...

जय हिंद...

Shiv said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

बहुत खूब! हमेशा की तरह शानदार ग़ज़ल.

चूंकि लेखन परिपक्व होता जाता है इसलिए पुरानी ग़ज़लों को एडिट करके सामने लाना बहुत महत्वपूर्ण मानता हूँ. अपनी पुरानी ब्लॉग पोस्ट के साथ मैं भी ऐसा करता हूँ.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत खूब...
एनिमेशन भी जबर्दस्त है...

तिलक राज कपूर said...

वाह साहब वाह, क्‍या शेर है:
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
कभी गुस्‍से भरी बीबी को जब हम गुदगुदाते हैं।

हरकीरत ' हीर' said...

करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं

सब कुछ तो राजेन्द्र जी कह कए ....
मेरी राय भी वही समझिये ....

:))

कभी जब घाव दोस्तों के देखते हैं कभी 'नीरज'
मिला मरहम नमक में प्यार से, यूँ वे लगाते हैं

Pawan Kumar said...

नीरज जी.....
हमने तो यह ग़ज़ल -पहली बार पढ़ी सो नयी लगी. पूरी ग़ज़ल बेजोड़ है और उस पर इस शेर के तो क्या कहने ........

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
वाह वाह

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'कहाँ बसते हैं ऐसे लोग ये हमको बताना तुम

ख़ुशी में दूसरों की झूमकर जो गीत गाते हैं '

...................खूबसूरत शेर ....उम्दा ग़ज़ल

Anand Rathore said...

bahut khoob...

pallavi trivedi said...

ग़ज़ल तो तब पढ़ें जब इस नाचते हुए बालक से नज़र हटे... बहुत हंसी आ रही है सचमुच!

डॉ० डंडा लखनवी said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
===================
अति सुन्दर.......ग़ज़ल
====================
प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा॥
========================+
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

Rachana said...

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
bahut khub
purigazal hi kamal hai
saader
rachana

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj 2 from Brij Mohan Ji:-


जिनके लिये कभी गीत गाया करते थे, अब अपने सम्बंध में एक शब्द भी न बोलने के लिये विवश है। बच्चों को जहां हंसा दिया उससे जो आनंद प्राप्त होगा वह कहा ही नहीं जा सकता
नमक मेरे जख्मों में हंस हंस के छिडको
सितम भी इनायत नुमा चाहता हूं
और एक बात आपके पुतले की तरह मैने कुछ प्रयास किया वैसा करने का तो गिरपडा शुक्र है चोट नहीं लगी ।

नीरज गोस्वामी said...

Comment received from Rachna Ji on Neeraj2:-


कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

bahut khub aaj bahut kam log hai aese
saader
rachana

आकर्षण गिरि said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं


kya khoob.... laajwaab sher hain sirji.... bahut bahut badhaai....

Aakarshan

Vivek Jain said...

क्या बात है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

श्रद्धा जैन said...

kaha.N baste hain.. aha kya sher baandha hai aapne .. aur bachhon ko gudguadte hain bhi bahut pasand aaya

श्रद्धा जैन said...

kaha.N baste hain.. aha kya sher baandha hai aapne .. aur bachhon ko gudguadte hain bhi bahut pasand aaya

योगेन्द्र मौदगिल said...

कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

khopoli me ya bhooshan steels ke daftar me...kabhi-kabhi jaipur me.....or ooper dekh kar lagta hai ki singapur me bhi........

bhai ji, jai ho.......badiya gazal...sadhuwaad

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं...
एकदम सच...नीरज जी यही समाधान है फ़ासले मिटाने का.
कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं...
ऐसे एक नेकदिल इंसान को हम जानते हैं-
neeraj1950@gmail.com, इस आईडी पर मेल कीजिएगा... :) :) :)

नीरज गोस्वामी said...

E-Mail received from Indu Puri Ji Goswami:-


कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

शानदार शे'र है जी.अपनी तो उम्र गुजर गई बहुत कम लोग ऐसे मिले.
भली किस्मत कि फिर भी जो मिले बहुत अच्छे लोग मिले
ब्लॉग पर आती हूँ ब्रेक के बाद....हा हा हा खाना खा लूं?

नीरज गोस्वामी said...

E-mail received from Anita Kumar Ji:-

एक शायर जिसके शेर कभी उबासी नहीं लेने देते और हर बार उन शेरों को सहेजने की जहमत उठाने पर मजबूर कर देते हैं उसका नाम है नीरज गोस्वामी…॥एक दिन में ये शायर दो पोस्ट लिखे यही प्रार्थना है
अनिता
- Show quoted text -
--
http://anitakumar-kutchhumkahein.blogspot.com/
http://anitakumar-meripasand.blogspot.com/
http://manodrishti.blogspot.com/

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj 2:-

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

बहुत ही सुंदर,

आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Amrita Tanmay said...

खुद में ही जब बदलाव आते है
तब दूसरे भी खुद बदल जाते हैं..

उम्दा ग़ज़ल...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं


बहुत खूबसूरत गज़ल ..आपकी हर गज़ल मन को छूती है

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on NEERAJ-2

नीरज जी,

गज़ल का नयापन और आपके कहन का अंदाज खूब भाया....

क्या बात कही है :-

कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं

सुखी जीवन का कारगार मंत्र यही है।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on NEERAJ 2 Fron Vina Ji


जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

बढ़िया लगा....

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Sh.Surendra Singh Jhanjhat :-


umda gazal.....
har sher jaandaar....

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Nashtare Ehsaas:-


जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं

in panktiyon ne dil ko chua:)

aapka andaaze bayaan bahut accha laga.....
dhanywad!!

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Sh.Hari Shankar Rarhi:-

achchhi gazel hai.

नीरज गोस्वामी said...

Comment received from Aryaman on Neeraj -2:-

बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं

कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं


bahut sundar likha hai...bhasha mein nayapan sa hai..achchha laga

:)

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on "Mo sam kaun kutil khal..."


"कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं"

एक सज्जन को तो हम जानते हैं, खोपौली में रहते हैं।
नीरज भा जी, इस बंदे दा गेयर चौथे तो पहला हो सकदा है? :)

Sanjay

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Sh:Kailash C Sharma:-

जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
...

बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल..

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj 2 from SM:-


मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं

beautiful poem

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Sh.Devendra K.Sharma:-


मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं]

sakaaratmak drishtikon....

sunder rachna....

नीरज गोस्वामी said...

Comment received on Neeraj-2 from Rajni Malhotra Naiyyar :-


कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं..

बेहतरीन गज़ल..