Monday, June 21, 2021

किताबों की दुनिया - 234

वो रात बहुत ही छोटी थी 
जिस रात तू मेरे साथ रहा 
*
रावण मेरे अंदर बैठा रहता है 
दुनिया यूँ ही पुतला फूंका करती है 
*
या रब धागा ढीला रखना 
कठपुतली सा नाच रहे हैं 
*
मैं तो.. खुद से.. मैं खो बैठी 
जब से मैं ने तुमको जाना 
*
नींद की गोली देकर तेरी याद को चाहा सो जाए 
याद नशे में ऐसा नाची घुंघरू घुंघरू टूटी मैं
*
 ढाई आखर शब्द है ये ज़िंदगी 
पढ़ते-पढ़ते थक गई आंखें मेरी 
*
झुकते झुकते झुकते झुकते 
आखिर डाली टूट गई है 
*
चाबी अक्सर खो जाती है 
ताले लटके रह जाते हैं 
*
चांद बुला कर ले आई हूँ
आओ पकड़म पकड़ी खेलें 
*
खामोशी है तो ज़लज़ला आने को है कोई 
तुमने कभी ठहरा हुआ दरिया नहीं देखा 

ये तो हम जानते ही हैं कि दुनिया में मुख्य रूप से दो तरह के लोग होते हैं एक-'अंतर्मुखी' जिसे अंग्रेजी में इंट्रोवर्ट कहते हैं और दूसरे 'बहिर्मुखी' याने एक्सट्रोवर्ट ।हम ये भी जानते हैं कि यह एक व्यक्तिगत लक्षण है जो जन्मजात होता है । एक तो जीवन जीना वैसे ही आसान नहीं होता ऊपर से अगर आप अंतर्मुखी हैं तो अपेक्षाकृत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। जब आप बोलते नहीं तो ग़लत या मूर्ख समझ लिए जाते हैं जबकि अधिकतर अंतर्मुखी लोग बहुत संवेदनशील,सोच समझ कर बोलने वाले, गहरे, समझदार और कुशल प्रशासक होते हैं। कुछ लोग जो अपनी भावनाएं अभिव्यक्त नहीं कर पाते वो घुटन के शिकार हो जाते हैं और अंदर ही अंदर छटपटाते हैं । इस छटपटाहट से निज़ात पाने के लोग तरीक़े ढूंढते हैं।  

हमारे आज किताबों की दुनिया की शायरा रश्मि शर्मा 'रश्मी' इंट्रोवर्ट याने अंतर्मुखी प्रकृति की हैं, लिहाजा कम बोलती हैं, बहुत संवेदनशील हैं और अपनी ही नहीं दूसरों की पीड़ा से भी परेशान हो जाती हैं । जिंदगी में जो देखती और महसूस करती हैं उसे बोलकर नहीं बल्कि लिखकर अभिव्यक्त करती हैं ।अपनी इसी अभिव्यक्ति को उन्होंने अपनी पहली किताब 'काग़ज पर..!' में दर्ज किया है जो हमारे सामने हैं।

इस किताब को मॉयबुक्स पब्लिकेशन, दिल्ली ने हिंदी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित किया है जिसे 9910491424 या 011-49094589 पर फोन कर मँगवाया जा सकता है।ये किताब अमेजन पर भी उपलब्ध है।

चंडीगढ़ साहित्य अकेडमी ने मार्च 2020 में इस किताब के लिए रश्मि जी को पुरुस्कृत भी किया है।


कितना भी पत्थर हो जाओ 
कुछ मिट्टी तो बाक़ी होगी 
*
कितनी बेकल है ये सड़कें देखो ना 
तुमसे मिलने कैसे दौड़ी आती हैं 

कूज़ागर जब पटके थपके आंच दिखाये 
सारे ऐब निकल जाते हैं मिट्टी के भी
*
उदासी एक घना जंगल है प्यारे 
बहुत अंदर गए तो शेर होंगे 
*
आ चांद कटोरे में भर लें 
आधा तेरा आधा मेरा
*
घर में रहकर हूँ बैरागी 
क्यों जाना फिर जंगल वन में 
*
बात कल तक थी यही सब कुछ करूं हासिल 
आज की ताजा खबर है... थक गई हूं मैं 

कौन समझाए कहानी जिंदगी की अब 
उलझा उलझा हर बशर है... थक गई हूं मैं 
*
चांद तारों से भरा है आसमां 
रात की हम तीरगी क्यों सह रहे
*
बीवी करे शिकवा.. करें मां भी.. करूं मैं क्या 
किसको कहूँ किस की सुनूं बांटा हुआ सा मैं

रश्मि जी के पिता डॉक्टर थे जो राजस्थान के गंगानगर जिले के एक गाँव में रहते थे जहाँ एक बड़े से घर के आगे के हिस्से में उनका क्लिनिक था और पीछे रियाइश। रश्मि जी की माताजी रश्मि जी के जन्म के समय अपने पीहर पटियाला आ गयीं। अभी रश्मि जी कुछ दिनों की ही थीं कि उनके दादा जो पंजाब के रामामंडी में डॉक्टर थे अचानक गंभीर रूप से बीमार हो कर बिस्तर पर आ लगे। रश्मि जी की दादी ही अकेले उनकी देखभाल को थीं। ऐसे में रश्मि जी की माताजी ने उनके पिता को अपना सब कुछ बेच-बाच कर फ़ौरन पटियाला आकर रामामंडी में उनके पिता की देखभाल के लिए जाने को लिखा। रश्मि जी के पिता ने अपना बड़ा सा मकान, क्लिनिक आदि तुरंत मात्र 800 रु में बेच, पटियाला की बस पकड़ी। उनके पास इतना समय नहीं था कि वो अधिक पैसों के लिए इंतज़ार करते और वैसे भी लोग ऐसे नाज़ुक मौकों पर मजबूर इंसान की मज़बूरी का फ़ायदा उठाने में परहेज़ नहीं करते। कहने का मतलब ये कि रश्मि जी के पैदा होते ही पूरे परिवार में जलजला आ गया। 

पुरानी हिंदी फ़िल्म की अगर ये कहानी होती तो परिवार वालों ने ऐसी बेटी को मनहूस कहना था लेकिन रश्मि जी के माता-पिता बहुत आधुनिक और प्रगतिशील विचारों के थे, उन्होंने रश्मि जी का लालन-पालन बहुत प्यार से किया बल्कि उनका, उनके दो भाइयों के बनिस्पत, अधिक ख़्याल रखा। पिता ने रामामंडी पारिवारिक कारणों से छोड़ अपनी प्रेक्टिस सर्दुलगढ़ में, जो मानसा जिले में है, शुरू कर दी जो धीरे धीरे चल पड़ी। उसी जिले में उनकी माताजी भी सरकारी हॉस्पिटल सर्दूलगढ़ में महिला सेहत कर्मचारी के पद पर काम करने लगीं।। सब कुछ ठीक चल रहा था ज़िन्दगी पटरी पर बिना झटका खाये ,दौड़ रही थी। घर के साहित्यिक और खुशनुमा माहौल में बच्चे बड़े हो रहे थे। दसवीं की परीक्षा के बाद उन्होंने हायरसेकेंडरी अपनी मौसी के घर रह कर की। उसके बाद जब वो मानसा के एस.डी. कॉलेज से दी गयी फर्स्ट ईयर की परीक्षा के रिजल्ट का इंतज़ार कर रहीं थी तभी उनके पड़ौस में एक छोटे बच्चों का स्कूल खुला जिसमें माँ-पिता को मना कर रश्मिजी पढ़ाने लगीं। उनका इरादा था कि दो तीन महीनों बाद रिजल्ट आने पर वो ये नौकरी छोड़ कर आगे पढ़ने कॉलेज चली जाएँगी। इंसान सोचता कुछ है लेकिन होता कुछ है। तो हुआ ये कि रश्मि जी की माताजी गंभीर रोग की चपेट में आ गयीं जिसका इलाज़ सर्दूलगढ़ जैसी जगह में संभव नहीं था लिहाज़ा उनके पिता उन्हें पटियाला जहाँ उनका मायका था के एक बड़े हस्पताल में इलाज के लिए ले आये। माँ की गैर मौजूदगी में रश्मि जी के नाज़ुक कन्धों पर दो भाइयों के साथ साथ घर की सारी ज़िम्मेदारी भी आ गयी। कॉलेज जाने का सपना, सपना ही रह गया।             

बिन मौसम बरसा करता है 
रोको इसको.. मोया बादल 
मोया: मरा हुआ...पंजाबी में प्यार से दी गाली

जाने किस बैरी धोबी ने 
रगड़ रगड़ कर धोया बादल 
*
बंद लिफाफा चूम लिया है 
क्या जाने किसकी पाती है
*
 बारहा आंख दीद को तरसे 
इश्क़ में है अभी कमी जानो
*
सच की हर दवा की एक्सपायरी गई 
रोज़ गोली झूठ की निगल रही हूं मैं
*
पानी में बनती परछाई 
पानी ही से कट जाती है 

आंसू आंखों में चलते हैं 
सांस गले में अट जाती है
*
हर गली लुट रही है कोई सीता 
रस्मी रावण जलाया जा रहा है
*
अकेला छोड़ दो मुझको यही बेहतर है तूफ़ाँ में
 मुसाफिर जो ज़ियादा हों सफ़ीना डूबता भी है
*
जिसने जी चाहा सुनाया है मुझे अक्सर यहां
तू मगर जब चुप रहा तो मैं पशेमाँ सी हुई

दिन-रात पढ़ने, खेलने और अपने में मस्त रहने वाली रश्मि जी के लिए जीवन में अचनाक आई इस तब्दीली ने गहरा असर डाला और वो उदास रहने लगीं। अपनी उदासी को उन्होंने एक कॉपी के पन्नों पर चुपचाप कविता लिख कर अभिव्यक्त करना शुरू किया। ये उनके लेखन की शुरुआत थी हालाँकि रश्मिजी ने इस बात की जानकारी किसी को नहीं दी। स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ घर का काम निपटाते हुए रश्मि जी ने आगे की पढ़ाई प्राइवेटली जारी रखी। सेकण्ड ईयर पास करने के बाद उन्होंने सरकार द्वारा चाइल्ड डवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत आंगनबाड़ी योजना के लिए नौकरी के लिए आवेदन दिया और सलेक्ट होने पर राजपुरा ट्रेनिंग सेंटर में चार महीने की ट्रेनिंग में गयीं। इस गर्ल्स हॉस्टल में हुए उनके अच्छे और बुरे अनुभवों पर अलग से एक किताब लिखी जा सकती है। आंगनबाड़ी की नौकरी के दौरान ही उनकी शादी हो गयी। ससुराल पटियाला में था और आंगनबाड़ी केंद्र दूर पीहर के गाँव में, कुछ दिन तो किसी तरह नौकरी चली लेकिन दो नावों में सवार होना मुमकिन नहीं था इसलिए आख़िर उन्होंने वो नौकरी छोड़ दी। 

मुश्किलों ने रश्मि जी का पीछा नहीं छोड़ा। माताजी की तबियत फिर से ख़राब हो गयी ऐसे में रश्मि जी के पापा अपने घर की ज़िम्मेदारी बेटे-बहू को सौंप कर उन्हें फिर सर्दूलगढ़ से पटियाला ले आये जहाँ के एक हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती करा दिया। पिता अकेले उन्हें नहीं संभाल सकते थे लिहाज़ा माताजी की सेवा की जिम्मेदारी रश्मि जी ने उठा ली।  वो रोज सारे घर वालों का खाना बना कर अपनी छोटी सी बेटी को गोद में उठाये सारा दिन अपनी माँ जी के पास हॉस्पिटल रहतीं और शाम को वहां से लौट कर फिर से घर के कामों में जुट जातीं। इसी बीच उनके ससुर जी को हार्ट अटैक आ गया और ससुर भी हॉस्पिटल में भर्ती हो गए। पूरा घर अस्त-व्यस्त हो गया। 

ये विपदा किसी तरह टली तो उसके कुछ ही वक्त के बाद पटियाला में तूफानी बारिश के चलते बाढ़ आ गयी।  घग्गर नदी के अत्यधिक घुमावदार होने से अक्सर उसके किनारे पड़ने वाले गाँव-शहरों में बाढ़ आना सामान्य बात है लेकिन 1988 में आई बाढ़ बहुत खतरनाक थी। रश्मि जी के ससुराल वालों की कोठी शहर के अपेक्षाकृत नीचे वाले इलाके में थी लिहाज़ा सारा घर 10 फिट गहरे पानी से घिर गया। पूरे परिवार ने, जिसमें रश्मि जी की 6 माह की बेटी भी थी, पूरी रात छत पर बने एक छोटे से कमरे में गुज़ारी। दो दिन बाद सरकारी नाव की सहायता से उन्हें बचाया गया। किसी फ़िल्म या टीवी पर समाचार देख कर इस तरह की बाढ़ में फंसे परिवार की समस्याओं का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। वो रात रश्मिजी कभी नहीं भूल पातीं। चार-पाँच दिन बाद पानी उतरने पर जब परिवार वाले अपने घर वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि पूरा घर साँप के छोटे छोटे बच्चों से भरा पड़ा था और दीवारों पर कनख़जूरे रेंग रहे थे। 

ऐसा ही मंज़र 1993 में आई बाढ़ में भी नज़र आया ब्लकि सन 1988 में आई बाढ़ से भी अधिक ख़तरनाक।

कितनी तन्हा तन्हा हूँ मैं 
कितने खाली खाली हो तुम 

कांटों से भी याराना है 
ऐसे कैसे माली हो तुम
*
मुख़ालिफ़ को देना मुहब्बत 
बहुत ख़ूबसूरत सज़ा है
*
सबको तुझसे ही मिलना है 
तुझसे फिर मिलवाये कौन 

होश में आना पागलपन है 
पगले को समझाएं कौन
*
पैर की पाज़ेब कितनी क़ैद है 
दूर जब ढोलक बजे तो सोचना 

मौत दस्तक दे के आती है कहाँ 
जिंदगी आवाज़ दे तो सोचना
*
जाने कैसा अजब ख़ज़ाना है यह मेरा ख़ालीपन 
जितना जितना बाँटा मैं ने उतना लौटा खालीपन
*
बिन मोहब्बत तू किस काम की ज़िंदगी  
मैंने तुझको बहुत जी लिया...तख़लिया  

वास्ता दोस्ती का न देना कभी 
हंस के कह दूंगी मैं शुक्रिया तख़लिया

देवानंद साहब की मशहूर फ़िल्म 'हमदोनो' में साहिर साहब के लिखे एक कालजयी गीत की ये पंक्ति शायद आपको याद हो कि ' जहाँ में ऐसा कौन है कि जिसको ग़म मिला नहीं ' रश्मि जी इसकी अपवाद नहीं। ग़म, तकलीफ़ और मुश्किलें जीवन का अहम हिस्सा हैं, ये अलग बात है कि किसी किसी को ऊपरवाला ये सब बहुतायत में देता है। कुछ लोग इनसे बिना लड़े ही हार मान लेते हैं और कुछ, रश्मि जी की तरह कमर कस कर इनका डट कर मुकाबला करते हैं। हारना जीतना इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना लड़ना। लड़ना तो हर हाल में आपको ही होता है लेकिन ये लड़ाई थोड़ी आसान तब हो जाती है जब विपरीत परिस्थितियों में आपके परिवार वाले और मित्र आपके पीछे खड़े होते हैं। रश्मिजी इस मामले में ख़ुशक़िस्मत रहीं कि मुश्किल की घड़ियों में उन्हें अपने माता-पिता, पति और समस्त ससुराल वालों का भरपूर साथ मिला। 

रश्मिजी को जीवन में निष्क्रिय हो कर घर बैठना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वो हमेशा नौकरी करने की उधेड़बुन में रहतीं। पति के पंजाब युनिवेर्सिटी चंडीगढ़ में ट्रांसफर होने पर वो पटियाला छोड़ चंडीगढ़ में बस गयीं और नौकरी की तलाश करने लगीं। घर के पास ही एक छोटे बच्चों का स्कूल था जिसमें वो बहुत कम तनख़्वाह पर काम करने लगीं। धीरे धीरे अपनी मेहनत और लगन से वो न सिर्फ़ स्कूल के कर्ताधर्ताओं में बल्कि बच्चों में भी बहुत लोकप्रिय हो गयीं। अब वो उसी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद पर काम कर रही हैं। वो इस स्कूल को और स्कूल वाले उन्हें अपना समझते हैं। उनके द्वारा पढ़ाये हुए बच्चों ने पढाई के अलावा अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अपना और स्कूल का नाम रौशन किया। 

स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ रश्मि जी ने अपना एक कोचिंग सेंटर भी खोला इसके अलावा टपरवेयर और एवोन के उत्पाद की मार्केटिंग भी की, आई सी आई सी आई प्रू लाइफ़ इंशोरेंस इंसोरेंस तथा बिरला सन लाइफ़ के प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया और तो और जब मौका और जरूरत पड़ी तो चंडीगढ़ में अपने नए घर को बनाने के दौरान पति के साथ मिल कर ईंटों से भरे ट्रक की सारी ईंटों को एक एक कर पहली मंज़िल तक पहुंचाने की मेहनत भी की। इससे उनकी कभी हार न मानने वाली जुझारू प्रवृति का अंदाजा भी लगता है ।

इस सब के दौरान उनका लेखन भी साथ साथ चलता रहा। उनकी रचनाएँ चंडीगढ़ से प्रकाशित ' चंडीगढ़ डाइजेस्ट' में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहीं यहाँ तक कि उन्हें डाइजेस्ट वालों ने अपने सम्पादकीय मंडल में शामिल होने की पेशकश भी की जिसे उन्होंने अपने संकोची स्वभाव के कारण ठुकरा दिया।   
    .
वस्ल की बारिश पल भर हो तो सदियों तक भी 
हिज्र की मिट्टी को महकाया जा सकता है 

एक उदासी थोड़े आंसू कुछ तन्हाई
इन से कब तक काम चलाया जा सकता है
*
जाने कितने चेहरे औढ़ लिए हैं मैंने 
थक जाता है अक्स उठाता घर का शीशा 

मेरे अंदर से मैं कब की निकल चुकी हूँ 
झूठा है.. मुझ को बहलाता.. घर का शीशा
*
उतना बोझिल होगा रस्ता 
जितनी भारी होगी गठरी 

खट्टा मीठा सब रख बैठी 
यादों की अलमारी गठरी 
*
मां होती तो कह देती मैं 
फिर से गूंधो मेरी मिट्टी

मुझ में कुछ महका महका है 
मुझ में है कुछ तेरी मिट्टी 

कूज़ागर का दोष नहीं कुछ 
थी मेरी रेतीली मिट्टी
*
छत पर मैं और चांद सितारे 
थी वो रात बहुत पहले की 

क्या कहते हो .. हंसती हूँ मैं 
हाँ ये बात बहुत पहले की 

आख़िर उनकी ज़िंदगी में भागदौड़, परेशानियां और मुश्किलें धीरे धीरे कम होने लगीं। बच्चे बड़े हो गये।उनका कॉलेज न जा पाने का मलाल बच्चों ने दूर कर दिया। बिटिया ने देवीलाल यूनिवर्सिटी सिरसा से एम.एस.सी की और फिर पी.एच.डी की डिग्री हासिल की ,बेटा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए न्यूजीलैंड चला गया । जहाँ अब उसकी खुद की कम्पनी है ।  उनकी बेटी जो आज असिस्टेंट प्रोफ़ेसर है और लिखती भी हैं ,ने, उन्हें बताया कि वो इंटरनेट पर शायरी.कॉम साईट पर अपनी रचनाएं पोस्ट किया करें। इस तरह रश्मि जी का इंटरनेट से परिचय हुआ जिसके माध्यम से बाद में उन्हें बहुत से अच्छे रचनाकार मिले। इन में प्रमुख थे जनाब विकास राणा साहब। शायरी.कॉम साइट किसी कारण से विकास राणा सहित बहुत से सदस्यों ने छोड़ दी उनमें रश्मि जी भी थीं।

इसके बाद विकास जी ने रश्मि जी के अलावा विपुल कुमार , वीनीत आशना, तरकश प्रदीप,कुणाल सिफर, अमित बजाज , निर्मल आर्य और विजय शंकर मिश्रा जैसे बहुत से प्रतिभाशाली युवा व अनुभवी रचनाकारों के साथ मिल कर 'हिंदवी' नाम से साइट बनाई जो इंटरनेट पर बहुत लोकप्रिय है और जिसके हज़ारों फॉलोअर हैं ।' हिंदवी' ने अपने बैनर तले अलग अलग स्थानों पर कामयाब साहित्यिक आयोजन किये हैं जिसमें देश के प्रसिद्ध रचनाकारों ने हिस्सा लिया है। 'हिंदवी' से जुड़ने के बाद रश्मि जी के लेखन के स्तर में अप्रत्याशित सुधार आया।पंकज सिजवाली  'उफ़क़' साहब और विपुल जी ने उन्हें ग़ज़ल लेखन के लिए जरूरी बातों की विस्तार से जानकारी दी। 'कुणाल सिफर' जो अब उनके दामाद भी हैं ने हर क़दम पर उन्हें सहारा दिया। आज वो जिस मुकाम पर हैं वो अपनी अथक मेहनत और हिंदवी के सदस्यों के सहयोग से हैं।

'रश्मि' जी की लोकप्रियता का आलम ये है कि कुछ समय पूर्व अपनी न्यूजीलैंड यात्रा के दौरान जब उन्होंने वहां की प्रसिद्ध कवयित्री 'प्रीता व्यास' जी से संपर्क साधा तो 'प्रीता' जी ने उन्हें न्यूजीलैंड में होने वाले एक कवि-सम्मेलन में बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया जहाँ उनकी रचनाओं ने न्यूजीलैंड निवासियों को मंत्र मुग्ध कर दिया। 'प्रीता व्यास' जी ने अपनी मधुर आवाज़ में हाल ही में रश्मिजी की एक लाजवाब ग़ज़ल को यू ट्यूब पर डाला है जो सुनने लायक है।      

रश्मि जी इन दिनों अपनी पंजाबी ग़ज़लों की किताब को अंतिम रुप देने में व्यस्त हैं। हम दुआ करते हैं कि उनकी 'काग़ज पर...' किताब के लोकार्पण का सपना जो कोरोना के चलते संभव नहीं हो पाया उनकी पंजाबी ग़ज़लों की किताब आने पर जरूर पूरा हो ।

कहते हैं कि ग़ज़ल कहना आसान नहीं होता और सरल सीधी ज़बान में कहना तो बहुत ही कठिन होता है लेकिन रश्मि जी ने इस कठिन काम को अपने हुनर से साधा है। उनकी ग़ज़ल़ें उन्हीं की तरह सीधी, सरल और इमानदार हैं जो पढ़ते/सुनते वक्त सीधे दिल में उतर जाती हैं। आप रश्मि जी को उनकी इन बेहद खूबसूरत ग़ज़लों के लिए 9815605163 पर फोन कर बधाई देना न भूलें।

आखिर में उनकी किताब से लिए चंद और शेर आपकी नज़र हैं..

मन से उठ आंखों तक आया 
बूंद बना फिर ढलका कोहरा 

मैंने आंचल में भर रक्खा 
इसका उसका सब का कोहरा 

किस कोहरे की बात करें हम 
मौसम का या मन का कोहरा 
*
मैं बहुत सोचने लगी हूं ना 
ये भी तो सोच ही रही हूं ना

छू के देखो मुझे बताओ फिर 
मैं यहाँ से चली गई हूँ ना
*
एक उदासी लिपटी छत के पंखे से 
और कमरे में घूम रहा है सन्नाटा 

पहले शोर मचा फिर हाहाकार हुई 
लेकिन आखिर जीत गया है सन्नाटा
*
मैंने जब इक आंख बनाई काग़ज़ पर 
उसने आंख में नहर बहाई काग़ज़ पर 

दिल का हाल लिखा चिट्ठी में पढ़ लेना 
दिल पर एक लकीर लगाई काग़ज़ पर 

पहलू में आ बैठ करूंँ तस्वीर तमाम 
देख जरा अपनी तन्हाई काग़ज़ पर

***

142 comments:

  1. नीरज जी! नमस्ते।
    बहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी; और लेखन में उसकी स्पष्ट छाप दिखती है।
    सबसे ज़्यादा रोचक तो किसी का भी परिचय देने का, आपका तरीका इतना आकर्षक है कि पूरा पढ़े बिना शायद ही कोई रह पाए। बहुत रोचक शब्दों में कहानी की तरह प्रस्तुत करते हैं।
    इतने अच्छे लेखन से परिचय कराने के लिए आपका आभार!

    मधु गोयल

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    1. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏💐

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    2. आप एक नेकदिल और बहुत ही खूबसूरत शख्सियत है यह तो मैं जानती थी लेकिन इससे परिचय के माध्यम से आपको और भी बेहतर तरीके से जाने का मौका मिला आप बहुत प्यारी इंसान हैं रश्मि ढ़ी। आपका लेखन मुझे बहुत ज्यादा पसंद है ईश्वर से प्रार्थना करती हूं आप हमेशा तंदुरुस्त रहे, खुश रहें और यूं ही हम छोटो का हौसला बढ़ाते रहें बहुत सारा प्यार आपको रश्मि दी।❤️❤️❤️

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    3. Aapne itna pyaar Diya mujhe samajh Nahin AATA kin shabdoN meiN aapko shukriya Ada kruN 🙏🙏

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    4. Dear गायत्री कौशल अब पहचाना है। दिल से शुक्रिया ।
      ढेर सारा प्यार ढेर सारी दुआएं

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  2. आदरणीय नीरज जी मैं डूब सी गई शब्दों में … रश्मि जी के प्रति प्रेम की एक ऊँची लहर उठी है । कितना सरल व प्यारा व्यक्तित्व है। रश्मि जी की लेखनी में बहुत गहराई व सरलता दो गुण हैं जो काव्य में बड़ी मुश्किल से साधते हैं । आपका अंदाजेबयान ही है जो इस समीक्षा को आपने एक कहानी की तरह सरल बना दिया । बहुत-बहुत बधाई ! आपको व रश्मि जी को । 🙏🙏💐

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    1. बहुत धन्यवाद ममता जी

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    2. बेहद शुक्रिया ममता जी असीम स्नेह 🙏🙏

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  3. मौत दस्तक दे के आती है कहाँ
    जिंदगी आवाज़ दे तो सोचना
    वाह नीरज जी वाह ज़िन्दाबाद
    मोनी गोपाल 'तपिश'

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    1. स्नेह बनाए रखें मोनी भाईसाहब

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    2. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏

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  4. बहुत सुंदर तरीके से रश्मि जी का परिचय दिया आपने । वो। वाकई बहुत संवेदनशील हैं । बहुत प्यारा लिखतीं हैं। संपर्क में हैं पर मिलना अभी बाकी है। बधाई हो रश्मि दी

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    1. बेहद शुक्रिया रेणु जी कोई बात नहीं मिलेंगे भी ❤️

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  5. किताबों की दुनिया 234 "काग़ज़ पर", ग़ज़ल संग्रह,शायरा मोहतरमा रशिम शर्मा 'रश्मी' ज़ेरे ख़्याल
    "तुझ को रक्खे राम तुझ को अल्लाह रक्खे
    दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे,एक मशहूर ओ मारुफ़ ब्लाग, जिसके सरबरा जनाब नीरज गोस्वामी साहिब हैं।एक निहायत ही ज़िंदा दिल इंसान,ख़ुलुस ओ मुहब्बत का मुजस्समा, और अदब के हवाले से एक बहुत बड़ा दानिश्वर और अदब का ख़ादिम है।न जाने नीरज गोस्वामी जी अपने इस ब्लॉग के माध्यम से कितने शायरों/शायराओं को बुलंद ए अर्श तक पंहुचा दिया है। एसी मायानाज़ हस्ती को मेरा सलाम है।
    अब बात करते हैं रशिम शर्मा रश्मी जी के ग़ज़ल संग्रह"काग़ज़ पर"निहायत ही खूबसूरत ग़ज़ल संग्रह ख़ूबसूरत शेरों का एक गुलदस्ता। अगर रशिम शर्मा रश्मी जी के माज़ी पर नज़र सानी करें तो पता चलता है कि वो ज़िन्दगी में बहुत से हादिसा कुन हालातों से दो चार रहीं हैं जो हम सब की ज़िंदगी में अक्सर औकात देखने को मिलता है। मुश्किलों को पार पाते हुए अदब का दामन नहीं छोड़ा। और आज चंडीगढ़ में किसी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के ओहदे पर तैनात हैं। ख़ुदा उनको सेहतयाबी ओर उम्र दराज करें। रश्मि जी ने ज्यादा तर बहरे'मीर' की बहर पर ग़ज़लें कही है दूसरे शब्दों में"फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन (२२,२२,२२,२२) कहीं इंफिरादियत भी है। मैं उनको दिली मुबारकबाद पेश करता हूं उनके शेर तव्वजो ख़्याल हैं जैसे ये शेर बहुत ही पायदार और आम ज़िन्दगी का हामिल है।
    वो रात बहुत ही छोटी थी
    जिस रात तू मेरे साथ रहा

    कितनी तन्हा तन्हा हूं मैं
    कितने ख़ाली ख़ाली हो तुम

    वस्ल की बारिश पल भर हो तो सदियों तक भी
    हिज्र की मिट्टी को महकाया जा सकता है
    इस तरह के शेर कहने कोई आसान काम नहीं। दिल जला के रोशनी करनी पड़ती है आप को बहुत बहुत बधाई और नीरज जी को भी। शुक्रिया।

    सागर सियालकोटी
    लुधियाना

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    1. मोहतरम सागर सियालकोटी साहिब सबसे पहले देरी के लिए
      मु'आफ़ी की तलबगार हूं। आप ने मेरी शायरी को पसंद किया तफ़सीर लिखी । दिल से शुक्रगुजार हूं। अक्सर नीरज जी की ब्लॉग पोस्ट पर आपके तफसीर पढ़ती हूं ।आप हमेशा तफ़्सील से कॉमेंट करते हैं ।जो हर एक के बस की बात नहीं । आज जैसे फोन पर भी आप ने मुझे मुबारकबाद दी। बेहद अच्छा लगा शुक्रगुजार हूं आदरणीय नीरज सर का तो कहना ही क्या है जो मुझ जैसी ख़ाकसर को आप सी अदबी शख़्सियतों के सामने ला खड़ा किया। 🙏🙏

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    2. शुरू में ही रोना आ गया अभी किसी मीटिंग में हूँ तन्हाई में पढूंगा जहां कोई न देख सके

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    3. Lots of love big b 😍😍😍😍

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  6. Replies
    1. बेहद शुक्रिया अजय जी 🙏🙏💐

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  7. नीरज जी, सबसे पहले बेहद शुक्रिया आपका कि आपने रश्मि जी से परिचय कराया..लगा कि जैसे कहानी पढ़ रही हूँ..शायद संस्मरण । कितना अच्छा,कितना गहरा और उतना ही सरल लिखती हैं रश्मि जी,उनकी सशक्त लेखनी को नमन । एक-एक शे'र पढ़कर लगा कि दर्द का भी न,लेखन से अजीब सा रिश्ता है..दर्द जितना बढ़ता है..लेखनी उतनी ही रिसती जाती है..फिर भी कम कहकर अधिक कह देना रश्मि जी का खास गुण है,और सबसे बड़ी बात,उन्हें पढ़कर लगा कि जैसे खुद से मिल रही हूँ मैं ।
    आपने उनका मोबाइल नं दिया है । व्यक्तिगत बधाइयाँ प्रेषित करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रही।
    सादर- सुशीला शील जयपुर

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    1. धन्यवाद सुशीला जी।

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    2. बेहद शुक्रिया सुशीला जी बहुत अच्छा लगा आप ने बात की मुझ से और मेरी शायरी को पसंद किया 🙏❤️🙏

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  8. बड़े भाई नीरज गोस्वामी साहिब,
    किताबों की दुनिया में आप हर बार अपनी पोस्ट से जो हलचल मचाते हैं, उसका संगीत इस बार भी दिलो-दिमाग
    में हमेशा गूँजता रहेगा, मैं ग़ज़ल साहित्य में अध्ययन की आपकी रुचि और उस रुचि की सार्थक समीक्षात्मक अभिव्यक्ति की प्रतिभा का बरसों से दीवाना हूँ, दुआ करता हूँ कि आप इसी तरह काव्य सागर से नये नये मोती निकल कर लाते रहिये!

    रश्मि जी के आपके द्वारा उद्धृत शे'र लाजवाव हैं। किताब पढ़ने की मेरी उत्सुकता बलवती हो गई है। ज़रूर पढूँगा।

    शानदार किताब और शानदार समीक्षा के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई 🙏

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    1. द्विज भाई बेहद शुक्रिया...

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    2. बेहद शुक्रिया द्विज साहिब
      बहुत अच्छा लगा आप को
      मेरी शायरी पसंद आई नीरज सर का अंदाज ए बयां तो है ही बेहद खूबसूरत और दिलचस्प ।
      किताब पढ़ने की आपकी इच्छा ने मुझे और उत्साहित कर दिया ।

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  9. छत पर मैं और.....बात बहुत पहले की! ये शेर मेरे जैसे कितनो के दिल को छूया होगा!धन्यवाद आपका सर!

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    1. शुक्रिया जयंती जी

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    2. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏💐

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  10. *काग़ज़ पर* सिर्फ ग़ज़ले ही नहीं ज़िन्दगी भी उतारी जा सकती है और यह फ़न कोई आप से सीखे।
    शाइरा रश्मि जी और आप को मुबारकबाद।

    अनिल अनवर
    जोधपुर

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    1. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏💐

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  11. वाह भाई साहब आपकी एक और ख़ूबसूरत तलाश ग़ज़लों के हवाले से ।रश्मि जी को 'कागज़ पर' से लेकर जिस तरीके से आपने दोस्ताना और पारिवारिक लहजे में दिलों से जोड़ने में एक सेतु का काम किया है वो कमाल है।आपकी इति वृत्तात्मक शैली और कड़ियों से कड़ियां भिड़ाना साथ ही शायरा के मौजू शेर को उध्दृत करते हुए उसकी भरपूर बानगी पाठकों के आगे किसी फिल्मी दृश्य की तरह चित्रित कर देना विशिष्ट है।गो कि यह विशेषता भी आपके लिए अब रूढ़ हो चली है।रश्मि जी के लिए बहुत सारी बधाइयां और शुभकामनाएं और आपको विनम्र प्रणाम।

    अखिलेश तिवारी
    जयपुर

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    1. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏💐 दिल की गहराइयों से शुक्रिया

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  12. अनपम जीवन गाथा।
    👏👏👏👏🙏

    चोवा राम बादल

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    1. बेहद शुक्रिया आदरणीय 🙏

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  13. रश्मि शर्मा "रश्मि" जी की निरंतर दुःखों से परिपूर्ण जिंदगी में जिम्मेदारियों को निभाने की उनकी जीवटता को आपने अपनी कलम और लेखन कौशल से जिस तरह उकेरा है, उससे आपकी संवेदनशीलता से भी हम रूबरू हो गए और आँखे नम हो उठी।
    यूँ तो हर शेर लाजवाब है, पर यह शेर दिल को बेहद छू गया---

    होश में आना पागलपन है
    पगले को समझाएं कौन

    रश्मि जी के लिए बहुत सारी बधाइयां और शुभकामनाएं और आपको विनम्र प्रणाम।

    चंद्र मोहन गुप्त "मुमुक्षु"

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    1. धन्यवाद गुप्ता जी

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    2. बेहद शुक्रिया आदरणीय जिंदगी दुख सुख का संगम है ।
      वो जीवन ही क्या जिसमें चुनौतियां न हों🙏

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  14. आदरणीय सर लेट उपस्थिति के लिए क्षमा चाहती हूं ।
    आप ने जिस खूबसूरती से मेरे जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर किया है उसकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नहीं । 2018 से दिल्ली तमन्ना थी की आप मेरी बुक का रिव्यू करें और अब जब ये इच्छा पूरी हुई तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं और शब्द मूक हो गए हैं । और खुद पर भरोसा और लौटने लगा है
    नमन है आपको थोड़े कहे को ज्यादा समझिएगा 🙏🙏🙏🙏🙏

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    1. रश्मि जी आपको लेख पसंद आया समझो मेरी मेहनत सफल हुई।

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    2. आपका लिखा हर लेख मुझे बेहद पसंद आता है ।
      ये तो फिर मेरा अपना है तह ए दिल से शुक्रिया सर

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  15. बहुत सुंदर... व्यक्ति को खूबसूरत व्यक्तित्व से परिचय कराने की कला आपकी बेमिसाल है नीरज जी... व्यक्ति जितना ख़ूबसूरत है उनकी रश्मि भी उतनी ही प्रखर है... रश्मि शर्मा "रश्मि" जी से ये सुन्दर परिचय एक सुन्दर एहसास है... नमन����

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    1. बहुत धन्यवाद नीरजा जी

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    2. बेहद शुक्रिया जी आभारी हूं ।

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  16. साहित्यक रूप कोई भी हो साहित्यकार की जीवन और सृजन यात्रा समानांतर चल रही होती हैं और जीवन क्रम के साथ-साथ निरन्तर बदलती सोच सृजन पर अपना स्पष्ट प्रभाव छोड़ती जाती है। आपकी प्रस्तुतियां हर बार इस विचार को और पुष्ट करती रही हैं।
    लेखिका और आपका समीक्षात्मक रूप बधाई के पात्र हैं।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद तिलक भाई इस सार्थक टिप्पणी के लिए...

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    2. बेहद शुक्रिया सर नमन

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  17. दिल के अनुभव छू लेते हैं...

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  18. Bhut hi pyari sakhshiat hai rashmi behn, bhut neik dil insaan hai, bhut hi asha likhti hai, neeraj ji ne bhut umda jaan pehchan karvai ha, bhut bhut duaaei rashmi ji ke liye, waheguru sda bulnd rkhhe, neeraj ji aapke liye bhi bhut bhut shubh kaamnaaye.

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    1. Bahut shukriya simran bhain pyaar te duaawaN
      Ih simran grewal ne chandigarh toN ih vi writer ne

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  19. ज़िंदगी को यूँ शब्दों में ढाल देना। बाकमाल हुनर है।

    रश्मि जी को आज पढ़ा...

    झुकते झुकते झुकते झुकते
    आखिर डाली टूट गई है

    जाने कैसा अजब ख़ज़ाना है यह मेरा ख़ालीपन
    जितना जितना बाँटा मैं ने उतना लौटा खालीपन

    अकेला छोड़ दो मुझको यही बेहतर है तूफ़ाँ में
    मुसाफिर जो ज़ियादा हों सफ़ीना डूबता भी है

    *
    मां होती तो कह देती मैं
    फिर से गूंधो मेरी मिट्टी

    छत पर मैं और चांद सितारे
    थी वो रात बहुत पहले की

    गज़ब का कहन...!

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    1. बेहद शुक्रिया सरस जी आप को मेरे शेर पसंद आए दिल से शुक्रिया आपका

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  20. रश्मि शर्मा जी की बेहतरीन शायरी से तआर्रुरुफ़ कराने के लिए भाई नीरज गोस्वामी जी का बहुत-बहुत शुक्रिया। नीरज शर्मा जी की यही ख़ासियत मुझे उनकी ओर माइलक है कि वे साहित्य की प्रचार-प्रसार या कहें इश्तिहारी दुनिया से अलहदा कहीं दूर दराज़ पड़े हुएरह गये बेशक़ीमती हीरे की तलाश करके उसे मंज़रे आम पर लाते हैं ऐसी। ही बेहतरीन रचनाओं की मल्लिका आदरणीया रश्मि शर्मा जी के शे'र क़ाबिले तवज्जो हैं-
    वो रात बहुत ही छोटी थी
    जिस रात तू मेरे साथ रहा---वाह वाह, क्या कारीगरी,करता हुनर है भावनाओं तक शब्दों के ज़रिए पहुंचाने का--

    कितनी तन्हा तन्हा हूं मैं
    कितने ख़ाली ख़ाली हो तुम-- अभिव्यक्ति का कमाल है जी

    वस्ल की बारिश पल भर हो तो सदियों तक भी
    हिज्र की मिट्टी को महकाया जा सकता है--ऐसे उम्दा शेर रश्मि जी की शायरी के पख़्तापन के सुबूत हैं।
    इस तरह के शेर कहने कोई आसान
    काम

    हंसी खेलनखेल का का काम नहीं है--इस रौशन ख़याली का इस्तकबाल किया जाना चाहिए। रश्मि जी को बहुत बहुत बधाई और नीरज जी को फिर फिर शुक्रिया!

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    1. विप्लवी साहब आपका तहेदिल से शुक्रिया..

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    2. बेहद शुक्रिया सर आप सभी के आशीष वचन मेरे लिए अमूल्य हैं

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  21. बहुत बहुत बधाई रश्मि जी। फुरसत से एक एक शब्द पढ़ा। बहुत अच्छा लगा। आपको और क़रीब से जानने का मौका मिला।

    मीना सूद

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  22. बहुत खूबसूरत ढंग से पिरोई गई जीवंत और लाजवाब कहानी जिसमें कविता के सितारे जड़े हैं !!
    मुबारक हो रश्मि जी!

    शैली विज
    चंडीगढ़

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  23. कागज़ पर आपके पहुंचने की यात्रा के खट्टे मीठे अनुभव संवेदनाओं के पटल पर बहुत ही गहरा प्रभाव छोड़ते हुए उभरते हैं, आपकी शायरी के ज़रिए। खासियत यह की आपकी पंजाबी और उर्दू में बराबर की पकड़ है। हृदय से ढेर बधाई। कभी किताब हाथ लगी तो उसे पढ़ कर उस पर विस्तार से लिखूंगा।

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    1. धन्यवाद विजय जी...आपके लिखे का इंतज़ार रहेगा 🙏

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    2. बेहद शुक्रिया विजय जी जल्दी ही चंडीगढ़ वापिस आ कर आपको किताब देती हूं असल में प्लान तो अच्छा सा इवेंट रखने का था लेकिन जो मैं चाहूं वही हो ये तो इतनी जल्दी होता नही ऊपर वाले की दया से ☺️

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  24. रश्मि जी से तो मैं हमेशा से प्रभावित रहीं हूँ, एक शायरा के रूप में बेहद परिपक्व गजले सुनते आये हैं, व्यक्तिगत रूप से बहुत ही खूबसूरत, गंभीर स्वभाव मगर सबके लिये स्नेहिल व्यवहार रखती हैं, आदरणीय नीरज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने रश्मि जी के जीवन के कुछ और पहलू से अवगत कराया |आपकी समीक्षा काबिलेतारीफ है, पुनः आप दोनों को बधाई

    उषा पाँडे
    चंडीगढ़

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    1. बेहद शुक्रिया उषा जी दिल की गहराइयों से शुक्रिया

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  25. रश्मि जी के नाम में ही रोशनी है। उन्हें जानना, उनसे मिलना अपनी ख़ुशकिस्मती मानती हूँ। जितनी सरल दिखती हैं, उतनी ही गहरी हैं। चंडीगढ़ में पहली बार हिंदवी के मुशायरे में उनसे मिलना हुआ था। तबसे लेकर आज तक लगता है कोई बहुत अपना सा है। चाहो तो सहेलियों की तरह मज़ाक कर लो,जब कोई सलाह चाहिए तो कोई बड़ा है आपके पास। लेकिन उनके जीवन के इन पहलुओं से बिल्कुल नावाकिफ़ थी। यही तो अच्छे लोगों की बात होती है कि वो बस सबको खुशियां ही बाँटते हैं। और रही बात उनकी शायरी की, उसमें भी उन जैसी ही गहराई है, गंभीरता है। नीरज जी, आपने बहुत तसल्ली से रश्मि जी का और उनकी किताब का परिचय दिया है, उसके लिए आपको साधुवाद व बहुत शुक्रिया। रश्मि जी, अब आपकी पंजाबी ग़ज़लों का इंतज़ार है। शुभकामनाएं!

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    1. मीना जी लेख की प्रशंसा के लिए धन्यवाद

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    2. बेहद शुक्रिया मीना जी आप सब का प्यार यूं ही मेरे साथ रहे बस और क्या चाहिए

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  26. वाह वाह शानदार , Thanks for sharing

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  27. वआआह वआआह , बहुत शानदार , बेहतरीन सद बेहतरीन

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    1. शुक्रिया अय्यूब भाई...

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    2. बेहद शुक्रिया सर

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  28. नीरज भाई साहित्य के प्रति आपका समर्पण और कड़ी में काबिले तारीफ है। रश्मि जी का लेखन मन को छूता है उससे भी आधीक् उनके जीवन का संघर्ष पढ़ कर उन्हें नमन करती हूँ। दोनों को हार्दिक बधाई

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    1. धन्यवाद निर्मला जी...

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    2. बेहद शुक्रिया जी आभारी हूं

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  29. [6/23, 23:13] Rashmi Sharma Chandigarh: "Bahut umda article ek behad zeheen shakhsiyat, Rashmi ji, ke baare mein. Mujhe unki poetry behad pasand hai aur iss article ka intekhaab bhi bahut achha hai. Rashmi ji jitna achha Urdu mein likhti Hain utna hi achha Punjabi mein. unka canvas bahut vast hai. Thanks a lot for this article."

    Amit bajaj

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    1. बेहद शुक्रिया अमित जी ये सब आप सब का साथ है वरना मैं तो कुछ वी नहीं 🙏🙏

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  30. रश्मि जी और उनकी पुस्तक की इतनी सुन्दर और विस्तृत समीक्षा तथा व्याख्या पढ़कर एक उत्कृष्ट व्यक्तिगत से परिचय हुआ। पुस्तक के लिए रश्मि जी को बधाई और सराहनीय समीक्षा के लिए आपको बधाई।

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    1. शुक्रिया जेन्नी शबनम साहिबा

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    2. बेहद शुक्रिया जी आभार 🙏🙏

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  31. आदरणीय रश्मि जी को मैं गत करीब 5 वर्षों से जानती हूँ। बेहद ही उम्दा और बेमिसाल शायरा हैं। उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीया दिखाने समान है। मैंने कागज़ पर... पढ़ी है। इस बारे में कुछ भी कहने को शब्द नहीं हैं मेरे पास। आपके विचारों की गहराई, उनकी मार्मिक अभिव्यक्ति, भावों में सजीवता के साथ-साथ सहज भावों का सहज उद्रेक, आपकी सृजनात्मकता आपकी सहजता, भावुकता एवं आसक्ति की परिचायक है।
    आपकी उत्कृष्ट ने रश्मि जी की जिंदगी के छुपे पहलूओं से भी रूबरू करवाया है। हार्दिक आभार आपका नीरज जी।
    अंत में सिर्फ इतना कहूँगी कि ज़िन्दगी के संघर्षों में से तप कर जो कोहेनूर निकला है उसका नाम 'रश्मि शर्मा' है।
    बहुत बहुत बधाई रश्मि जी 🌹🌹

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    1. नेहा जी बहुत सारा प्यार और क्या कहूं 🙏🙏

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  32. अक्सर किसी के बारे में एक दो बातें जान कर हमें लगता है कि काफ़ी है। नीरज जी की प्रस्तुति पढ़ कर मन आदर से भर गया रश्मि जी के लिए। जीवन कितने स्तरों पर जिया गया, कितने अनुभवों से गुज़रा, उससे मिलने वाली संवेदनाओं को कैसे कविता का सुंदर रूप दिया गया…यह सब बहुत अभिभूत और प्रेरित करने वाला है। रश्मि जी को बहुत बधाई और उनके आने वाले उपक्रमों के लिए ढेरों शुभकामनाएँ। उनका इतना साफ़ बिंब उकेरने के लिए नीरज जी का बहुत धन्यवाद!

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    1. मृदुला जी धन्यवाद

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    2. बेहद शुक्रिया मृदुला शर्मा जी दिल से आभारी हूं🙏🙏

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  33. Rashmi ma’am boht bdiya ... aaj poora pr kr khtm kiya ... behad khoobsurti se likhaaapka rekha chitr , dil ko chho gya ...

    Kavita Sharma
    Mohali

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  34. देर सारा प्यार कविता

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  35. बहुत बढ़िया रश्मि जी । आप बहुत अच्छा लिखती हैं और आज आप के जीवन के बारे में जान लेने का मौक़ा मिला । मुश्किलों में तप कर ही आदमी सोना होता है। मशिकिलों से लड़ कर जीवन को बेहतर बनाने के जज़्बे को सलाम ।

    Alka Kansara

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  36. आप जैसे दोस्त मेरी इंस्पिरेशन हैं बहुत शुक्रिया आपका🙏🙏

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  37. नीरज गोस्वमी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।आपने
    रश्मि के जीवन के बारे में, इतने विस्तार से अवगत करवाया। आपकी समीक्षा भी लाजवाब है।
    रश्मि जी हिंदी पंजाबी और उर्दू की बकमाल शायरा हैं और उतनी ही  प्यारी इंसान भी । इनकी किताब "कागज़ पर " ग़ज़लों को बार बार पढ़ कर, जो रूह को सकूँ मिलता  है ,शायद बयान करना मुमकिन नही ।बस महसूस ही कर सकते हैं। रश्मि की पंजाबी  "ग़ज़लों की किताब" का इंतज़ार रहेगा। आप दोनों को  बहुत-बहुत बधाई और  शुभकामनाएं ।।।

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    1. Dear mam
      Aap SE बेहतर कौन जा सकता है मुझे ।
      जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा आप के साथ गुजारा है। और अभी बहुत लंबा साथ बाकी है । दुआ करती हूं है ये प्यार ये साथ यूंही बना रहे ❤️❤️❤️❤️
      आप का नाम पब्लिश नहीं हुआ
      सो आपके परिचय के लिए लिख रही हूं
      👇
      Mrs उमा गौतम
      प्रिंसिपल
      शाहीन पब्लिक स्कूल मलोया यूटी चंडीगढ़

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  38. मैं तो जब से आपको जानती हूं तब से आपकी fan हूँ।और इस काव्य संग्रह के बाद से तो सुपर fan हो गयी हूँ।बहुत अच्छा और दिल को छूने वाला लिखती हैं आप !

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  39. ये आप का प्यार है न जाने कितनी दफा आप कहते रहते थे "किताब क्यों नी छपवा रहे हो" साहित्य अकादमी में नॉमिनेशन के लिए आप ही लेकर गई थी बेहद शुक्रिया इस प्यार के लिए

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  40. सबसे पहले तो आपका बहुत आभार नीरज भाई, बहुत ही संवेदनशील भाव से आपने पूरे जीवन को चलचित्र की तरह दिखा दिया ,बहुत सी यादें ताज़ा हुयी ,कुछ बातें नई पता चली घर में छोटा होने के कारण मुझे ज्ञात नहीं थी। आपने दूसरी बाढ़ का ज़िक्र किया उसमे एक किस्सा मेरी तरफ से ,हम उन दिनों बिशन नगर पटिआला में रहते थे , जब रश्मि जी{मेरी बहन } का घर डूब रहा था मिल्ट्री ने निकाला और पूछा के आपको कहाँ छोड़ें तो इन्होने कहा के बिशन नगर में मेरा मायका है ,मिल्ट्री ऑफिसर बोले "बिशन नगर तो पूरा डूब चूका है आप और जगह बताईये " यानि मायका खत्म। फिर बाढ़ उतरने के बादजो सबको जीवत देखने के बाद जो मिलाप हुआ ,वो देखने लायक था

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    1. धन्यवाद नवीन जी बिशन नगर का जिक्र रश्मि जी ने किया जो मैं भछल से पोस्ट में शामिल नहीं कर सका...याद दिलाने के लिए एक बार फिर शुक्रिया

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    2. याद है कैसे भूल सकती हूं जब अलका दीदी के घर ठहरे थे हम । पानी उतरने के बाद गुड्डी आंटी के साथ आप लोगों को ढूंढते ढूंढते बिशन नगर के पास बंधे के साथ साथ
      भैंस गाय की फूली हुई बॉडीज न जाने कितनी संख्या में ।
      और घर के बिलकुल पास आकर दिल ऐसे दहल रहा था और हाथ जुडे हुए । एक एक कदम भारी था । और मिलाप में तो खुशी के आंसू नहीं रूदन था

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  41. भाई रश्मि जी शाइरी तो बेहतरीन है ही लेकिन इनकी ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव और जीवन एवं लेखन के प्रति समर्पण शिद्दत से भरपूर है तो साथ ही बेहद मार्मिक। नीरज भाई आप साधुवाद के हकदार हैं तो रश्मि जी को भी बधाई एवं शुभकामनाएं।

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    1. धन्यवाद दानिश भाई ,आपका स्नेह बना रहे

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  42. बेहद शुक्रिया जी 🙏🙏

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  43. नीरज जी , सब से पहले तो आपका दिल से धन्यवाद करना चाहूंगी इस blog के लिए | why because, जिनको आपने अपने शब्दों से सराहा है वो मेरे दिल के बहुत करीब है , वैसे तो दुनियावी रिश्ते मैं इनकी छोटी भाभी हूँ मगर हक़ीक़ी रिश्ते में हम काफी करीबी friends है (best buddies), इसी हक़ से मैं भी कुछ कहना चाहूंगी ।
    मेरे लिए दीदी उन सभी महिलयों के लिए example है जो talented हो कर भी अपनी रसोई से बाहर नहीं निकाल पाई। अपने घर को अपने रिश्तों को इतना अच्छा संभालने वाली दीदी कवित्री भी है , यह जब मुझे पता चला तो हैरानी से ज़्यादा मुझे खुशी हुई । यह वो time था जब हमारा लाड़ला हिमांशु , दीदी का बेटा newzealand गया था । और दीदी ने अपने बेटे के बाहर जाने के बाद उसकी यादों में उदास होने की जगह अपने प्रतिभा को निखारा , जो घर गृहस्थी में कहीं दब गई थी और कहीं न कहीं इने यह भी एहसास था की अगर यहाँ इंडिया में मैं खुश रहूँगी , कुछ अपने मन का करूंगी तो मेरा हिमांशु वहाँ पराए देश में खुश होगा । मेरे लिए तो तब शुरू हुआ यह सिलसिला दीदी का अपने कविता के साथ ।
    मैंने दीदी के साथ एक ही सफर किया है , मुंबई तो चंडीगढ़ , जिस में सिर्फ हम दोनों ही थे और उसी सफर में मुझे एहसास हुआ की यह कविता गज़लों को नहीं तलाशती , कविता और गजलें तो खुद इनकी तलाश में इनके पास आ जाती है।
    यही दुआ करती हूँ की हमेशा ऐसे ही अच्छी सेहत के साथ यह हम सब को अपने आप से मिलवाती रहे ।
    Thanks once again

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  44. Dear anju
    मुझे इतने अच्छे से समझने के लिए बहुत सारा प्यार
    मुझे याद है हमने बहुत एंजॉय किया था उस सफर को ।
    लेकिन उससे भी पहले पापा की डेथ के बाद जो मैने लिखा था
    (वो जो अभी तक छपा नहीं) मैने तुझे पढ़ कर सुनाया और तूने मुझे एक डायरी दी जिस पर लिखा था प्यारी दीदी के लिए इसमें वो अपनी भावनाओं को हम तक पंहुचाएगी और मैने डायरी के उसी फ्रंटपेज पर कवितानुमा कुछ लिखा की जब भी ये डायरी लिखूंगी तेरी मुस्कुराती आंखें हर पन्ने पर पाऊंगी यादें ताजा हो उठी ❤️❤️❤️❤️❤️

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    1. Yes yes, Yaad aa gaya, keep doing your best. Proud of you.

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  45. बहुत बढ़िया रश्मि जी। ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव से जूझ कर उभरने की सुन्दर तरीके से पेश की गई कहानी। बधाई👏👏🌷🌷

    परमिंदर सोनी

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  46. जितने शब्द लिखूं उतने ही कम होंगे,
    फिर भी कहना चाह रहा हूं... कुछ लिखना चाह रहा हूं...
    और हर बार लिखने से पहले फिर फिर पढ़ना चाह रहा हूं,
    और हर बार पढ़ कर बार बार,
    यहीं लौट कर आ रहा हूं... कि
    जितने शब्द लिखूं उतने ही कम होंगे,
    फिर भी कहना चाह रहा हूं...
    कुछ भी कह नही पा रहा हूं,
    क्यूंकि
    और हर बार लिखने से पहले फिर फिर पढ़ना चाह रहा हूं,
    और हर बार पढ़ कर बार बार,
    यहीं लौट कर आ रहा हूं...

    ☀️✨🙏

    रोहित चावला

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  47. वाह
    बहुत बढ़िया
    💐💐💐💐💐💐
    रश्मि जी
    बहुत बहुत बधाई🎉🎊
    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर
    आपके संघर्ष के बारे जान कर
    और कविताएँ गजलें तो आपकी खूबसूरत होती ही हैं.
    जैसे क ईं बार आपको सुनने का मौका मिला है.

    बहुत खूब

    💐💐💐💐💐💐

    अश्विनी कुमार

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  48. ਰਸ਼ਮੀ ਜੀ ਤੁਹਾਡੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਰਚਨਾਵਾਂ ਪੜ ਕੇ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹੁਣ ਤਕ ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਤੋਂ ਵਾਕਿਫ਼ ਨਾ ਹੋਣਾ ਮੇਰਾ ਕਸੂਰ ਸੀ ।ਜੋ ਕੁੱਝ ਤੁਹਾਡੇ ਬਾਰੇ ਪੜਿਆ ਅਤੇ ਜਾਣਿਆ ਮੈ ਆਪਣਾ ਸੁਭਾਗ ਸਮਝਦੀ ਹਾਂ ।ਆਸ ਕਰਦੀ ਹਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵਾਂਗੂੰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਪਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਇਕ ਦਿਨ ਸਿੱਖ ਹੀ ਜਾਵਾਂਗੇ ਤੁਹਾਡੀ ਸੰਗਤ ਵਿਚ ਰਹਿਕੇ । ਘੁੰਗਰੂਆਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨਾਲ ਜੋੜਨਾ ਕਮਾਲ ਹੈ ।ਸੱਚ ਹੈ ਜਿੰਨੀਆਂ ਵੀ ਤੁਹਾਡੀਆਂ ਗ਼ਜ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਕਵਿਤਾ ਪੜ੍ਹੀਆਂ ਲਗਦਾ ਹੈ ਤੁਹਾਡੇ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਸਿੱਖਣ ਨੂੰ ਮਿਲੇਗਾ ।ਬੱਸ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਿਖਦੇ ਰਹੋ ਤੇ ਛਾਂਦੇ ਰਹੋ ।ਪਰਮਾਤਮਾ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਨਾਲ ਰਹੇ ਤੇ ਖੁਸ਼ ਰੱਖੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ।

    Rajinder Kaur

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  49. रश्मि जी मैंने आज आपकी पोस्ट पढी, आपकी ज़िन्दगी के संघर्ष , संकल्प और कठिन मेहनत के जज़्बे को सलाम । बहुत हद तक हम सभी की जीवन यात्रा थोड़े बहुत बदलाव के साथ मिलती जुलती होती है आपने अपने अनुभव को अपने लेखन में ढाल कर बेहद खूबसूरत पंजाबी और उर्दू काव्य रचा यह प्रशंसनीय हैं । आप कमाल लिखती हैं आप का हर लम्हा ख़ुशगवार हो आप कामयाबी की बुलन्दियाँ हासिल करें आपकी बहन आपको दुआ देती है 👍👏🌹

    Nirmal Sood

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  50. Rashmi .. ठीक लिखा है ..आपकी ग़ज़लें / कविताएँ तो मुझे पहले से ही पसन्द है .. wish u best of luck dear 😊😊

    Nirmal jaswal Rana

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  51. वाहहहहह... बहुत ही खूबसूरत ,सच्ची समीक्षा ,.. रश्मि जी से जितना मिलते जाओ उतना गहरा होते जाओ ,सीखते जाओ . . आपको सुनना बेहद कमाल अनुभव . आपकी मिट्टी एक सच्चे शायर की मिट्टी है ,आपकी पंजाबी, हिंदी और उर्दू सभी रचनाएँ भाषा की महक से महकती परिपक्व रचनाएँ दिल में बहुत गहरे उतरती हैं आपको बहुत बहुत प्यार और नीरज गोस्वामी जी को बहुत बधाई इतनी सुंदर ,विस्तृत समीक्षा लिखने पर |

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    1. ढेर सारा प्यार सीमा मुझे इतना प्यार इतना सम्मान देने के लिए ❤️❤️

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  52. रश्मि मैंम आपको पढ़ना और सुनना मुझे हमेशा से आपकी ओर खींचता रहा है। आपकी ही वजह से मैंने भी शायरी को अच्छे ढंग से और नियमों से कैसे कहते हैं सीखा। आप जिस शिद्दत से कहती हैं वो सीधा दिल में उतरता है। आपके जीवन के संघर्ष और आपकी शायरी दोनों ही दिल खेंच हैं। आप से बहुत कुछ सीखना है और सुनना है। आप यूँ ही लिखती रहें, सुनाती रहें और आपके चाहने वाले आनंद उठाते रहें। आपका साथ, प्यार और आशीर्वाद मुझे भी मिलता रहे।

    बबीता कपूर

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    1. बहुत सारा प्यार बबिता
      आप बहुत अच्छा लिखती हो
      मेरा साथ और प्यार यूं ही रहेगा ❤️❤️

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  53. एक स्त्री जिसकी बेटी बियाही जा चुकी है, ज़ाहिर है उसके अपने घर में या उसके किसी अन्य रिश्तेदार के यहाँ बहू भी आ चुकी होगी, उस शारदात्मजा की ये पंक्तियाँ स्तब्ध कर देती हैं

    पैर की पाज़ेब कितनी क़ैद है
    दूर जब ढोलक बजे तो सोचना

    सिर्फ़ यह एक शेर ही नहीं अनेक जगह शायरा ताज़गी का एहसास करवाती है । आदरणीया रश्मि जी को अनेकानेक बधाइयाँ और साधुवाद । नीरज जी आपकी जय हो । जय श्री कृष्ण ।

    नवीन सी. चतुर्वेदी
    मुम्बई

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    1. धन्यवाद नवीन भाई आपके शब्द हौंसला देते हैं..

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    2. बेहद शुक्रिया सर आभारी हूं🙏🙏🙏🙏

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  54. [7/5, 09:14] Rashmi Sharma Chandigarh: नमस्कार, बहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी जो ज़िन्दगी की जद से निकली, और आज आपकी कठोर भूत काल की गोद से उभरी है यह सुखद ज़िन्दगी, किसी के लिए भी प्रेरणा होगी, बहुत मुबारक इस लेखन के लिए और आपकी उम्दा शायरी के लिए, जल्दी ही मुलाक़ात की कामना करते हैं, आपको इस सब के लिए बहुत बधाई। आप चिरायु हो और सेहत याफ्ता रहें। नमस्कार

    Naresh monga

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  55. बहुत-बहुत शुभकामनाएं दिल से नमन आपका अति सुंदर पढ़कर सच में दिल भाव विभोर हो गया


    Neelam trikha

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  56. wow... beautiful to read ... thanks for sharing

    Neena deep

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  57. अति सुंदर भाव है आपके। आपके लेख एवं कविताओं ने मेरा मन मोह लिया है 👌 👌

    Deepa bhatia

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  58. 🙏 mam we are so proud ki asi tuhade bche e I wish tuhadi next book es to v vdd successfull hove te tusi oh hrr chiz achieve kro jisda tusi dream dekheya e 🥰🙏
    Tuhadi biography jo ki es ch to the point e bhot inspirational e jo Sanu hrr n mnn ke ldn lai prena dendi e Thnku mam ♥️🙏
    रूपिंदर कौर

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  59. Bahut hi sunder..very nice masi..u r really a very nice inside outside both very beautiful full of energy love nd affection..lots n lots of love nd best wishes..😘😘😘😘🙏🙏🙏🙏

    Shubhra sharma

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  60. Congratulations mam
    It's very amazing n touched to my heart
    Salute mam👍

    Old student Rekha kumari

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  61. Congratulations anty ji💐💐💐🙏🙏🙏heart touching h aapki biography❤️❤️❤️❤️ Salute to your hard work n patience🙏🙏🙏🙏🙏

    मीनू जसवाल

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  62. Mai theek hun..shukriya.hope ki aap bhi theek hongi..mai padhunga..neeraj bhai bahut achcha likhte hain aur aap bhi

    शारिक़ क़ैफी

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  63. Behad shukriya sir intzaar rahega Aapke padhne Ka 🙏

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  64. Adbhut... Rashmi ji ke umda lekhan ki taareef kar sake abhi meri kalam itni majboot nahi .. vyaktitav ke baare men padhkar laga kisi prerna strot se kam nahi..

    Neeraj uncle ko sadar pranam.. abhinay ki dunia men amitabh bachchan aur cricket ke sachin tendulkar ke tulya hain blog ki dunia men hamare Neeraj uncle.. saadhuwaad.. itni achhi shayar aur unki shayaree se parichit karane ke liye.

    Aapka
    Vishal

    Ex-sub editor
    Webdunia.com

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  65. रश्मि जी की संघर्ष गाथा और लेखन यात्रा प्रेरणादाई है। आदरणीय नीरज जी आपने उनके की बहुत बढ़िया समीक्षा की है बहुत बधाई।

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे