अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या आप जनाब अनवारे-इस्लाम को जानते हैं तो आप में से अधिकांश शायद अपनी गर्दन को ऊपर नीचे हिलाने की बजाय दायें बाएं हिलाएं. आपकी गर्दन को दायें बाएं हिलते देख मुझे ताज़्जुब नहीं होगा. अदब से मुहब्बत करने वालों का यही अंजाम होता देखा है. जो बाज़ार में बैठ कर बिकाऊ नहीं हैं उन्हें भला कौन जानता है ? खुद्दारी से अपनी शर्तों पर जीने वाले इंसान विरले ही होते हैं और ऐसे विरले लोग ही ऐसा शेर कह सकते हैं:-
हमने केवल खुदा को पूजा है
गैर की बंदगी नहीं होती
इस्लाम भाई भोपाल निवासी हैं और एक पत्रिका "सुखनवर "चलाते हैं. अनेक राज्यों से सम्मान प्राप्त और लगभग साठ से ऊपर एडल्ट एजुकेशन की किताबों के लेखक इस्लाम भाई ने फिल्मों और टेलीविजन के धारावाहिकों में लेखन और अभिनय भी किया है. बहुमुखी प्रतिभा के धनि जनाब अनवारे इस्लाम साहब से मुझे गुफ्तगू करने का मौका मिल चुका है, उनसे गुफ्तगू करना ज़िन्दगी की ख़ूबसूरती को करीब से महसूस करने जैसा है. वो कमाल के शेर कहते हैं और तड़क भड़क से कोसों दूर रहते हैं. आईये आज उनके कुछ अशआर आप को पढवाएं
किसी की मेहरबानी हो रही है ,
मुकम्मल अब कहानी हो रही है .
समंदर को नहीं मालूम शायद ,
हमारी प्यास पानी हो रही है .
वो अपनी माँ को समझाने लगी है ,
मिरी बिटिया सयानी हो रही है .
नहीं आये हैं इसमें दाग़ लेकिन ,
मिरी चादर पुरानी हो रही है .
हर इक शय पर निखार आया हुआ है ,
जवानी ही जवानी हो रही है .
****
दुनिया की निगाहों में ख़यालों में रहेंगे ,
जो लोग तिरे चाहने वालों में रहेंगे .
हमको तो बसाना है कोई दूसरी दुनिया ,
मस्जिद में रहेंगे न शिवालों में रहेंगे .
इक तुम हो कि ज़िंदा भी शुमारों में नहीं हो ,
इक हम हैं कि मरकर भी हवालों में रहेंगे .
ए वक़्त तिरे ज़ुल्मो -सितम सह के भी ख़ुश हैं ,
हम लोग हमेशा ही मिसालों में रहेंगे .
गुल्शन के मुक़द्दर में जो आये नहीं अब तक ,
वो नक्श मिरे पाँव के छालों में रहेंगे .
पता : सी -16 , सम्राट कालोनी ,अशोका गार्डन ,भोपाल -462023 (म .प्र .)
ई मेल : sukhanwar12@gmail.com
ब्लॉग : http://patrikasukhanwar.blogspot.com/
मोबाइल : 09893663536 फ़ोन : 0755-4055182
अब देखिये उस शख्श को जो जिसके चेहरे पर इत्मीनान है और कलम में जान है याने जनाब अनवारे इस्लाम साहब
अभी तक अनवारे इस्लाम साहब का सिर्फ नाम ही सुना था, आपने सुखनवर के बहाने उनसे मुलाकात करवा दिया। शुक्रिया।
ReplyDelete------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
जनाब अनवारे इस्लाम साहब से तआरूफ करने का
ReplyDeleteशुक्रिया ...
खुश रहें !
जनाब अनवारे इस्लाम साहब से मिलवाने और उन्हे पढवाने के लिये हार्दिक आभार्।
ReplyDeleteआपकी कलम से यह बेहतरीन प्रस्तुति पढ़ी बहुत ही अच्छी लगी ...आभार ।
ReplyDeleteअनवारे-इस्लाम जी से भारत भवन परिसर,भोपाल में एक बार मुलाक़ात हुई थी...वे वाकई हर फन मौला हैं...बहुत उम्दा इंसान हैं.
ReplyDeleteसुभानाल्लाह दोनों ही गजलों के शेर शानदार है एक सादगी अलग ही दिखती है इस्लाम भाई की गजलों में और उनकी तस्वीर में.........शुक्रिया आपका परिचय करवाने का|
ReplyDeleteअनवारे इस्लाम साहब से परिचय कराने के लिए शुक्रिया आपका ..
ReplyDeleteकिसी की मेहरबानी हो रही है ,
ReplyDeleteमुकम्मल अब कहानी हो रही है .
khoobsoorat ...magar is bar aapne kam shero se parichy karvaya ...
दुनिया की निगाहों में ख़यालों में रहेंगे ,
ReplyDeleteजो लोग तिरे चाहने वालों में रहेंगे .
kyaa baat haen
नहीं आये हैं इसमें दाग़ लेकिन ,
ReplyDeleteमिरी चादर पुरानी हो रही है ...
जनाब इस्लाम साहब के क्या कहने ... इतनी सादगी से कहे हैं ये शेर की अनायास ही वाह वाह निकलता हैं मुंह से ... नीरज जी ... इन शेरों से मुलाक़ात करवाने का शुक्रिया ..
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! यदि अधिक से अधिक पाठक आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
ReplyDeleteNeeraj Sahab,
ReplyDeleteIslaam Sahab se taarruf karane
aur un ke ashaar padhwaane ka
bahut bahut shukriya.
Satish Shukla 'Raqeeb'
सुखनवर और अन्वारे इस्लाम साहब के बारे में सुनता तो रहता हूँ बस मुलाकात ही नहीं हुई। इंटरनैट का मायाजाल कि भोपाल के बाशिन्दे से भोपाल के बाशिन्दे का परिचय खोपोली में बैठा बाशिन्दा करा रहा है।
ReplyDeleteइस्लाम साहब की शायरी पर मुझ सा नौसीखिया क्या कहे।
नहीं आये हैं इसमें दाग़ लेकिन ,
मिरी चादर पुरानी हो रही है .
पुरानी तो हर चादर होनी है, उपर वाला आपकी चादर को पाक साफ़ रखे इस्लाम साहब।
आपकी कलम से ..अनवारे इस्लाम साहब को मिल कर अच्छा लगा
ReplyDeleteजनाब अनवारे-इस्लाम को पढ़वाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteइक तुम हो कि ज़िंदा भी शुमारों में नहीं हो ,
ReplyDeleteइक हम हैं कि मरकर भी हवालों में रहेंगे .
ए वक़्त तिरे ज़ुल्मो -सितम सह के भी ख़ुश हैं ,
हम लोग हमेशा ही मिसालों में रहेंगे .
भाई नीरज जी आपका गज़ल के प्रति प्रेम देखने और समझने के काबिल है भाई अनवारे इस्लाम को पढकर बहुत अच्छा लगा |आभार
परिचय करवाने के लिये बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम.
जनाब अनवारे इस्लाम साहब से मिलवाने के लिये आभार्.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ||
Comment received from Mr.Vishal:-
ReplyDeleteनीरज अंकल, नमस्ते
अंकल 7 दिन में एक बार उसमें भी शब्दों की कंजूसी।
हमने केवल खुदा को पूजा है
गैर की बंदगी नहीं होती
Rgds
Vishal
दिलचस्प....इस शायर से मिलवाने का शुक्रिया
ReplyDeleteE-mail received from Sh.Aalam Khursheed:-
ReplyDeleteशुक्रिया नीरज भाई !
मैं अनवारे इस्लाम साहिब को जानता हूँ और उनके रिसाले "सुखनवर " के भी कई शुमारे मैंने पढ़े हैं . वह बगैर शोर शराबे के अपना काम ख़ामोशी से करने में यक़ीन रखते हैं और साहित्य-सेवा कर रहे हैं . उनकी शायरी भी उनकी शख्सियत का आइना है . वह बेहद सहजता से मगर रवानी और ख़ूबसूरती के साथ अपने जज़्बात और तजरबात को शायरी बना देते हैं . यह एक मुश्किल काम है मगर वह बहुत आसानी से कर गुज़रते हैं .
अनवारे इस्लाम साहिब और आप को मेरी तरफ से इस उम्दा पेशकश के लिए मुबारकबाद !
आलम ख़ुर्शीद
पुत्र के सफल होने पर पिता को जो प्रसन्नता होती है, वही धारण है चेहरे पर।
ReplyDeleteआदरनिये नीरज जी
ReplyDeleteचरनबंदना
जनाब अनवारे इस्लाम साहिब जी से रु - बू- रु करवाने के लिए आप जी का व्यक्तिगत रूप से शुक्रिया करना चाहता हूं , आप जी द्वारा उपलब्ध करवाए गए मोबाइल न पर मैने जनाब अनवारे इस्लाम साहिब जी से संपर्क किया , उनसे बात करके रूह मुतमईन हो गई ! सच में आप जी अनुसार उनके बारे में कहा हर लफ्ज़ बिलकुल सही हैं ! आप जी का बहुत बहुत शुक्रिया !
साहिल
इस्लाम साहब से मुलाक़ात अच्छी लगी...
ReplyDeleteग़ज़ल तो लाज़वाब हैं....
सादर आभार...
सरजी, अनवर इस्लाम साहब से परिचय करवाने के लिेए आभार..... बहुत बेहतरीन ग़ज़लें हैं.... एक बार फिर से आभार....
ReplyDeleteआकर्षण
अनवारे इस्लाम साहब से परिचय कराने के लिए आपका बहुत - बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteइस्लाम साहेब से परिचित करवा कर आपने बड़ा नेक काम किया है ! उनका हर शेर लाजवाब है और हर मिसरा बेहतरीन ! उनके बारे में जान कर बहुत प्रसन्नता हुई ! आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteHi Neeraj uncle!
ReplyDeleteI really liked this post. My favourite is:
वो अपनी माँ को समझाने लगी है ,
मिरी बिटिया सयानी हो रही है .
Thanks!
Will be here more often :-)
Regards
♥
ReplyDeleteआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
niraj ji,
ReplyDeletebahut sunder post padhvaneka sath me umda sher bhi, aabhar aapka ....
सार्थक पोस्ट है...अच्छी जानकारी मिली...
ReplyDeleteजनाब अनवारे-इस्लाम जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद! सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeleteवाह!! बहुत खूब कहा है जनाब अनवर साहब ने परिचय कराने के लिए आभार...
ReplyDeleteसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को हम सब कि और से नवरात्र कि हार्दिक शुभकामनायें...
.http://mhare-anubhav.blogspot.com/
शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ...जनाब अनवारे-इस्लाम जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteसर
ReplyDeleteआपको सपरिवार नवरात्र की शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं
आकर्षण
सुंदर भाव..खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
ज़नाब अनवारे इस्लाम साहब की पहचान कम्यूटर से सिर्फ दुआ सलाम तक ही सीमित है इसलिए उन्होंने मुझे अपने सभी शुभचिंतकों का जिन्होंने उनकी ग़ज़लों को पसंद किया है तहे दिल से शुक्रिया अदा करने को कहा है. आपने अपनी मोहब्बतों से उन्हें जिस तरह नवाज़ा है उसके लिए वो आप सब के तहे दिल से शुक्र गुज़ार हैं.
ReplyDeleteनीरज
इक तुम हो कि ज़िंदा भी शुमारों में नहीं हो ,
ReplyDeleteइक हम हैं कि मरकर भी हवालों में रहेंगे .
कमाल के शेर कहते हैं. इस्लाम साहब से मिलवाने का शुक्रिया. और बहुत कुछ उनके ब्लॉग पर जाकर पढ़ते हैं.
sachmuch kamal ke sher hain
ReplyDeleteए वक़्त तिरे ज़ुल्मो -सितम सह के भी ख़ुश हैं ,
ReplyDeleteहम लोग हमेशा ही मिसालों में रहेंगे .
बहुत सुंदर शेर...दोनों गज़लें उम्दा हैं वाह !!
नीरज गोस्वामी जी,
ReplyDeleteअनवारे-इस्लाम जी को कौन नहीं जानता.....हम मध्यप्रदेश के गजल में दिलचस्पी रखने वाले सागर शहर के निवासी तो बखूबी उन्हें जानते हैं .....
अनवारे-इस्लाम जी की सुन्दर कृतियों को पढ़वाने के लिए हार्दिक आभार...
अनवारे इस्लाम साहेब से ईमेल संपर्क बना है...आपका आभार..
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