दीप जलते रहें झिलमिलाते रहें
तम सभी के दिलों से मिटाते रहे
हर अमावस दिवाली लगे आप जब
पास बैठे रहें, मुस्कुराते रहें
प्यार बासी हमारा न होगा अगर
हम बुलाते रहें वो लजाते रहें
बात सच्ची कही तो लगेगी बुरी
झूठ ये सोच कर क्यूँ सुनाते रहें
दर्द में बिलबिलाना तो आसान है
लुत्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
भूलने की सभी को है आदत यहाँ
कर भलाई उसे मत गिनाते रहें
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
हैं पुराने भी 'नीरज' बहुत कारगर
पर तरीके नये आजमाते रहें
दर्द में बिलबिलाना तो आसान है
ReplyDeleteलुल्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
क्या बात है नीरज जी बहुत सुन्दर !
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
वाकई गज़ल तो वही सफल है
बहुत खूब
भूलने की सभी को है आदत यहाँ
ReplyDeleteकर भलाई उसे मत गिनाते रहें
waah! bahut sunder pankti........
ghazal bahut sunder hai...
Yahee aaj kee zaroorat hai...dilon se tam mita den...saare ashar ek se badhke ek hain...aur adhik kya kahun? Aage jo sabhee diggaj kahenge, unhee ke saath shamil hun..!
ReplyDeleteवाह, नीरज भाई, ग़ज़ल का एक एक शेर लाज़वाब है.
ReplyDeleteसच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
बहुत खूब. आभार ऐसी ग़ज़ल के लिए.
दर्द में बिलबिलाना तो आसान है
ReplyDeleteलुल्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
bahut hi sundar alfaz.
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
waah.........kisi ki nazaron mein rahne ka bahut hi badhiya zariya.
vaise poori gazal hi tarif ke kabil hai.
हर अमावस दिवाली लगे आप जब
ReplyDeleteपास बैठे रहें, मुस्कुराते रहें ।
बहुत खूब कहा है ।
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
शेर लाज़वाब है.
jitanee tareef kee jae kam hee rahegee . Bahut pyaree rachana . badhai
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत बात कही
ReplyDeleteहर अमावास दिवाली लगे, आप जब
पास बैठे रहें , मुस्कुराते रहें ...
किसी के मुस्कुराने से तो वैसे ही दिए जल उठते हैं ...हर अमवाव्स को दिवाली बना दे जो उस मुस्कराहट की तो बात ही क्या है
गजल के शेरों के ये दीपक बहुत सुन्दर लगे।
ReplyDeleteदर्द में बिलबिलाना तो आसान है
लुल्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
वाह नीरज जी।
उस्ताद शईरों की गज़लें जीतनी बार पढ़ी जाये मन नहीं भरता... क्या करूँ बरबस जब सुबह ब्लॉग पे आया तो आपकी ग़ज़ल हाथ लगी और दिल वाह वाह कह उठा... हर शे'र उस्तादाना ... गिरह कैसे लगाते है यही पढ़ के होश गम है,... दूसरा शे'र और तीसरे में क्या खूब नजाकत देखने को मिल रहा है ... प्यार बासी हमारा न ... इस शे'र से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रहा हूँ , आपके ब्लॉग पे फिर से इस जगमगाती दिवाली वाली ग़ज़ल को पढ़ सुखद अनुभूति एक एहसास हो रहा है ... बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteलुत्फ़ की टाइपिंग मिस्टेक है शायद...
सलाम,
आपका
अर्श
हर अमावस दिवाली लगे आप जब
ReplyDeleteपास बैठे रहें, मुस्कुराते रहें
किसी की मुस्कान में दिए झिलमिला जाएँ ,
इससे अधिक रौशन ख्याल क्या होगा !
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
बहुत सुन्दर लिखते हैं आप ...बेहद पसंद आई यह ..शुक्रिया
नीरज जी
ReplyDeleteगज़ल की की एक एक शेर खुब्सूरत है जिन्हे पढकर गुनगुनाने को दिल कर रहा है ...............बेहद खुबसूरत रचना!
सादर
ओम
दीप जलते रहें झिलमिलाते रहें
ReplyDeleteतम सभी के दिलों से मिटाते रहे
हर अमावस दिवाली लगे आप जब
पास बैठे रहें, मुस्कुराते रहें
bahut sundar rachana hai.
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
प्यार बासी हमारा न होगा अगर
ReplyDeleteहम बुलाते रहें वो लजाते रहें
इस शेर को पढ़ कर एक गीत याद आता है और बहुत ही शिद्दत से याद आता है ए मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं । आपका ये ग़ज़ल रूपी बम एन दीपावली के दिन ही फूटा था और उसकी धमक देर तक मेहसूस की जाती रही थी । फिर भी मैं तो एक ही शेर के आनंद में डूबा हूं कि हम बुलाते रहें वो लजाते रहें । अहा अहा अहा । हालंकि इस शेर का मजा लेने की उम्र अभी नहीं आई है लंकिन अगर ये मजा दे रहा है तो इसका मतलब ये है कि शेर में दम है । सुंदर रचना सुंदर शेर सुंदर शायर सबको बधाई ।
"प्यार बासी हमारा न होगा अगर
ReplyDeleteहम बुलाते रहें वो लजाते रहें"
बहुत सुन्दर रचना.प्यारे से सभी. आभार
दर्द में बिलबिलाना तो आसान है
ReplyDeleteलुत्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
आपकी ओt पूरी गज़ल सफल है गुनगुना रहे हैं बहुत सुब्दर बधाई । धन्यवाद्
हर एक शेर लाज़वाब..बधाई नीरज जी
ReplyDeleteबस दुआ है यही की ग़ज़ल आपकी
हम सभी को हमेशा लुभाती रहे,
Lagta hai ki aap dushyant kumaar ke fan hai.....aapka style kafi similar hain ..Nice gazal
ReplyDeleteसच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
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सच्ची बात नीरज जी।
भूलने की सभी को है आदत यहाँ
ReplyDeleteकर भलाई उसे मत गिनाते रहें
आप की गजल सच मै बहुत सुंदर लगी धन्यवाद
vबहुत खूब ,प्रशंसनीय अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसभी शे'र उम्दा...........
ReplyDeleteहर बात उम्दा....
मुकम्मल ग़ज़ल उम्दा ........
बधाई !
बधाई !
बधाई !
neeraj bhaisaheb;
ReplyDeleteaap aur purane? OLD IS GOLD.
main yahi soch rahi thi ki mujhe tarhi m. mein bhej kar aap kahan gayab ho gaye? oh to aap pahele hi apna kaam karke nikal chuke hain!
to main subir ji ke blog se sidhi yahan aayi aur aakhir pakad hi liya na?
wah,bahut khoob,behatreen,umda etc.etc.etc.
प्यार बासी हमारा न होगा अगर
ReplyDeleteहम बुलाते रहें वो लजाते रहें
--वहाँ भी पढ़े थे और यहाँ भी. उतना ही ताजा रहा हर बार...गजब लिखा है एक एक शेर!! बधाई लिजिये न!!
क्या बात है नीरज जी हर बार आपको पढ कर एक अलग मजा आता है । सभी शेर अच्छे हैं पर हमारी उम्र में ये शेर मुझे बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteप्यार बासी हमारा न होगा अगर
हम बुलाते रहें वो लजाते रहें पर कुछ यूं
प्यार बासी हमारा न होगा अगर
वो बुलाते रहें हम लजाते रहें ।
Neeraj sir ye gazal main pahli baar bhi Subeer samvad sewa pe padh chuka hoon, lekin itni pyari lagi ki jitni bar padha jaye kam hi hai.. ek ek sher dimag pe chha jane wala hai..
ReplyDeletefir se aapko bahut dhanyawad ise punah padhwane ke liye...
Jai Hind
आदरणीय नीरज जी, इस गज़ल ने तो पहले ही लूट लिया था गुरूदेव के ब्लाग पर, रही-सही कसर आज आपने पूरी कर दी। सभी शेर जुबान पर चढ़ चुके हैं...किन शब्दों में तारीफ़ करूं?
ReplyDeleteअच्छी रचना, हर शेर सुन्दर बन पड़े हैं...सबसे प्यारा शेर लगा -
ReplyDeleteप्यार बासी हमारा न होगा अगर
हम बुलाते रहें वो लजाते रहें
वाह!!
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल है और सारे शेर एक से बढ़कर एक हैं! बेहद पसंद आया आपका ये शानदार ग़ज़ल! लिखते रहिये!
ReplyDeleteवाह! सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं
ReplyDeleteE-Mail received from Om Prakash Sapra Ji:-
ReplyDeleteshri neeraj ji
namastey,
really a good gazal, although festival of lights "dewali" is over, but you and your poetry is still being remembered with us.
therefore your gazal is most welcome, especially the following lines are most impressive :-
दर्द में बिलबिलाना तो आसान है
लुत्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
भूलने की सभी को है आदत यहाँ
कर भलाई उसे मत गिनाते रहें
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
congratulations for for a good gazal.
regards,
-om sapra, delhi-9
9818180932
Neeraj bhai,
ReplyDeleteThis GAZAL is really romantic :) &
sensitive .a rare combination indeed
warm rgds,- Lavanya
आप जैसे लोग तो जहां बैठ जाते है ...शमाये खुद ही जल जाती है ..
ReplyDeleteएक शेर है कभी किसी मौके पर लिखा था .
"जाने कैसा अजीब शख्स था वो ......
जाते जाते भीड़ में तन्हाईया दे गया "
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना है है....शेर हैं या एक से बढ़कर एक नायाब नगीने जड़े हैं,..इस ग़ज़ल में..
ReplyDeleteJITNI बार PADHO UTNI बार अच्छी LAGTI है आपकी GAZAL NEERAJ जी ......... सब SHER एक से BADH कर एक हैं .......
ReplyDeleteनीरज भाई ,
ReplyDeleteक्या खूब !
आपकी शान में मेरी एक तुकबंदी .
दर्द नीरज कभी तुमको घेरे नहीं
गुदगुदाते रहें खिल्खिलातें रहें .
आमीन .
"हैं पुराने भी 'नीरज' बहुत कारगर
ReplyDeleteपर तरीके नये आजमाते रहें"..........
Wah ji wah.. dil khush ho gaya..
I am sure mera aaj kaa din bilkul diyon ki roshni ki tarah jagmagate rahega.
Oye hoye.. :-)
neeraj ji, aapne meri kavitaon ko saraaha. sarahane vale ko mai bhi dekhu, so aapke blog yani ki baag tak pahuncha to dil baag-baag ho gaya. aapki bhavnaye sundar hai. doosaro ki pastako ka parichay dete hai, yah badi baat hai. aur aapki ghzale...? apke man ki tarah hi achchhi lagi.
ReplyDeleteवाह-वाह.....
ReplyDeleteएकदम नया......
laazwaab rachna
ReplyDeleteदर्द में बिलबिलाना तो आसान है
लुत्फ़ है, दर्द में खिलखिलाते रहें
भूलने की सभी को है आदत यहाँ
कर भलाई उसे मत गिनाते रहें
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
bahut khoob .
प्यार बासी हमारा न होगा अगर
ReplyDeleteहम बुलाते रहें वो लजाते रहें
हमारे पतले गले की वाह-वाह तो यहाँ कद्रदानों की भीड़ मे सुनायी नही देगी..मगर मुशायरे का क्या रंग रहा होगा..समझ आता है आपकी गज़ल पढ़ कर..बेहतरीन
.सफ़ल हुई आपकी गज़ल..हम गुनगुना रहे हैं..
नीरज जिसे बुलायें वो क्यों न मुसकराये
ReplyDeleteऔर उसकी काली रातें फिर क्यों न जगमगाये
(अब मेरी औकात)
दर्द से क्यों बिलबिलाओ
आयोडेक्स लगाओ
सेरीडोन खाओ
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
bahut hi badhiya panktiya hai..
neeraj ji meri gazal ko sarahne ka shukriya.gazal hui ya nahi ye koi parkhee hi bata sakta hai naa!
ReplyDeleteसच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
लोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
yahi gazal ki kamyabi hai.sher pasand aaya.badhai.
aapke ak aur sher se mujhe apni ak bahut purani gazal ke sher yad aa gaye, sune-
ख्वाब आते रहे खवाब जाते रहे
नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे
वक़्त की बर्फ यूँ ही पिघलती रही
वो बुलाते रहे हम लजाते रहे...kavitakiran
सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें
हर पंक्ति अपने आप में बेहतरीन यह पंक्तियां ही सुन्दर एवं परिपूर्णता लिये हुये, बधाई के साथ आभार ।
"सच कहूँ तो सफल वो ग़ज़ल है जिसे
ReplyDeleteलोग गाते रहें गुनगुनाते रहें "
सच मैं तो गुन गुनाने लगी । बधाई !!
घर पे हूँ तो नेट और ब्लौग को कम समय दे पा रहा हूँ नीरज जी...इस तरही के तो हम उसी दिन से मुरीद रहे हैं।
ReplyDelete"सच कहूं तो सफल वो ग़ज़ल है..." ---सचमुच और इस पैमाने पर तो आपकी हर ग़ज़ल लाजवाब होती है।
उपस्थित।
ReplyDeleteबहुत खूब!!
ReplyDeleteसुन्दर गजल. अब तो शब्द नहीं मिलते तारीफ करने के लिए.
ReplyDelete