तल्खियाँ दिल में न घोला कीजिए
गाँठ लग जाए तो खोला कीजिये
आप में कोई बुराई हो न हो
आप ख़ुद को नित टटोला कीजिये
दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
सच कभी ऐसा न बोला कीजिये
प्यारी -प्यारी सी लगेगी जिंदगी
आप अपने दिल को भोला कीजिये
सोच में शबनम सी रखिये ताजगी
जोश को भड़के जो शोला कीजिये
प्यार की दिल में बजे जब बांसुरी
मस्तियों में झूम डोला कीजिये
अश्क 'नीरज' जी बड़े अनमोल हैं
सिर्फ खुश होने पे ढोला कीजिये
( आदरणीय गुरुवर प्राण साहेब की रहनुमाई में लिखी ग़ज़ल )
पूरी ग़ज़ल ही अति सुन्दर है.
ReplyDeleteआखिरी शेर सब पर भारी लगा.
चित्र चयन भी बेहद अच्छा है.
ओस और निर्मल मन का सम्बन्ध इस फूल की सी khubsurati सा दीखता है.
दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
ReplyDeleteसच कभी ऐसा नो बोला कीजिये....
" आज तो जिदंगी के फलसफे से रूबरू करती एक बेहतरीन ग़ज़ल..... हर शेर एक एक सच से रूबरू कराता और सकारत्मक दिशा निर्देश देता लगा....आभार"
Regards
पहला शेर सबसे पसंद आया .ओर मिष्टी की नयी फोटो के लिए शुक्रिया .
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब है बहुत सुन्दर लगी आपकी लिखी यह गजल
ReplyDeleteAadarneey Neeraj ji ,
ReplyDeleteSorry for late arrival, I was on tour for so many days...
ek bahut pyaari gazxal , jiska har sher kabile tareef hai .. aur specially ...ye waala.
दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
सच कभी ऐसा नो बोला कीजिये....
sach hi to hai .. meetha meetha boliye aur pyaar baanthiye..
aapki lekhni ko salaam ..
aapka
vijay
waah waah niraj ji,kamaal kar diya
ReplyDeletehar sher aisa ki dil jhoom uthe.
kis sher ki tarif karoon , sabhi kamaal hain.
बेहद सुंदर गज़ल । चित्र और उस का शेर तो दोनो बहुत प्यारे लगे ।
ReplyDeleteबुराई हो या ना हो,रोज़ खुद को टटोला कीजिये......
ReplyDeleteबहुत खूब
पहला ही शेर धांसु है.. बस जबरदस्त...
ReplyDeletewah neeraj ji bahot hi chust kafiye ke sath mast radif me ek khubsurat si gazal ... maza aagaya... upar se param shredhey guru ji praan sharma ji ke aashirwaad .... kamaal ho gaya..
ReplyDeleteapni ani gazal ke liye aapko nevta diye jata hun...
arsh
दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
ReplyDeleteसच कभी ऐसा ना बोला कीजिये..
बहुत ही सटीक और सच...
मन को छु लेने वालो ग़ज़ल..
शुभकामनाएं...
नीरज जी
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी सी ग़ज़ल हें, भाव पूर्ण, मीठी सी, गुनगुनाने को जी चाहता है. बार बार पढने को जी चाहता है. सारे के सारे शेर एक से पढ़ कर लाजवाब हें और ये शेर तो बस जान ही ले गया, बहुत सुन्दर
प्यारी - प्यारी सी लगेगी जिंदगी
आप अपने दिल को भोला कीजिये
सुन्दर गजल. हमेशा की तरह.
ReplyDelete................................................................................................................................ आप पूछेंगें क्या है ? तो ये मैं मौन रहकर एक सुंदर ग़ज़ल जो एक गुणी उस्ताद की रहनुमाई में एक अत्यंत गुणी शिष्य ने लिखी है का आनंद ले रहा हूं । यदि कोई मुझे इस ग़ज़ल की तारीफ करने को कहेगा तो मैं ये ही कहूंगा कि '' हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्जाम न दो ''
ReplyDeleteसबसे पहले तो फ़ूल बहुत सुंदर है. पहले ही शेर के सामने नतमस्तक हैं साहब जी, आजकल गांठ तो सैकिंडों मे लोग लगा लेते हैं बिना ये जाने की इन गांठों को खोलने का माद्दा आज के इन्सान मे नही है.
ReplyDeleteआज दिल से आपको शुभकामनाएं. हमारे दिल की बात आपने चंद लफ़्जों मे बयान कर दी और पोती को आशिर्वाद जी.
shabnam si taazgi liye khubsurat gazal badhai badhai.
ReplyDeleteशबनम की तरह ही पाक और दिल को पुरसुकून पहुंचाने वाली गजल।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है आपने नीरजी । लेकिन आज के समय में कितने लोग है जो ऐसा करते है । दूसरो की बुराई करते-करते थकते नही है अपने अंदर क्या टटोलेगे । लेकिन आपने सही बात कही है । इस बार महिला बिधेयक के सवाल पर मेरा पोस्ट जरूर पढ़े । आभार
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी गज़ल लिखी है। बधाई।
ReplyDeletebahut hi sunder rachana hai, shabanam ki tajagi liye huye is ke liye badhai swikare.
ReplyDelete:) सुन्दर :) हमेशा की तरह :)
ReplyDeleteवाहवा नीरज जी वाह... क्या ग़ज़ल कही है आपने... खूबसूरत...
ReplyDeleteहर शेर...बब्बर शेर...गजब लिखा है भाई!!
ReplyDeleteदिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
सच कभी ऐसा नो बोला कीजिये....
-क्या कहने..बहुत खूब. जिओ!!!
वाह नीरज जी क्या खूब लिखा है। हर शेर लाजवाब है।
ReplyDeleteतल्खियाँ दिल में न घोला कीजिए
गाँठ लग जाए तो खोला कीजिए।
वाह...। ऐसा ही होना चाहिए।
वाह साहब ! बहुत ख़ूबसूरत !!
ReplyDeleteआपकी गज़ल बहुत पसँद आयी नीरज जी
ReplyDelete" इसी तरह शोखियोँ मेँ, रँग घोला कीजिये "
विनीत,
- लावण्या
- लावण्या
तल्खियाँ दिल में न घोला कीजिए
ReplyDeleteगाँठ लग जाए तो खोला कीजिये
वाह क्या बात है सभी शेर बहुत अच्छे लगे, अब किस किस की तारीफ़ करे सभी एक से बढ कर एक, पहले वाला एक दम से दिल की बात कहता है.
धन्यवाद
सारे शेर अच्छे हैं पर आखिरी वाला लाजवाब.....
ReplyDeleteतुम मिले चम्पा चमेली हो लिए
ReplyDeleteमधु मालिनी मकरंद केसर घोलिए
शब्द निसृत हो रहे अमृत सरित
रूपरागी हूँ कमल मुख खोलिए
बहती रहे यह शब्द धारा
भीगता जिससे किनारा
श्रंगार की मनुहार में जीवन कटा
अनुरागकामी हूँ सतत सुख घोलिये
Beautiful...
ReplyDelete"आप में कोई बुराई हो न हो
आप ख़ुद को नित टटोला कीजिये"
Another good from you.
Regards,
-Ratan
'गांठ लग जाये तो…।'
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! बधाई।
आखिरी शेर कमाल का है...खुश होने पर बहने वाले अश्क, क्या बात है!
ReplyDeleteBahut hi arthpurn panktiyan. Badhai.
ReplyDeleteबहुत खूब नीरज जी.... किस शेर की तारीफ करे...!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया नीरज जी। आपका हर ग़ज़ल / हर शेर लाजवाब होता है।
ReplyDeleteitani saari tippaniyo me kya mujhe padh payenge?????
ReplyDeleteisliye sirf itana ki
LLZAWAAB
दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
ReplyDeleteसच कभी ऐसा नो बोला कीजिये....Waah waah Niraj ji bhot khoob ...!! aajkal itane sare kam ek sath karne lage hain aap to... ye samixa,gazal aur punjabi sikhane ka kam...waah bhi waah...!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete"ashq neeraj ji bade anmol hain,
ReplyDeletesirf khush hone pe dholaa kijiye"
waah ! Neeraj bhai...
kamaal ka sher keh dala aapne...
ek khush-numa paighaam aur uspe aapka la-jwaab lehja...
harsher apne aap khud boltaa hai..
shiguft`gee bhi aur shaaeest`gee bhi.....Badhaaaeeee
aapko abhivaadan....
aur Pranji ko naman. . . .
aaapke liye ...ehtraam ke saath...
har ghadi yooN hi khud apne-aap ko
imtehaanoN meiN n tolaa kijiye...
---MUFLIS---
पहले तो इतनी खूबसूरत गज़ल को पढ़ने के बाद जब दाद देने के लिये टिप्पणी का बक्सा खोला तो गुरू जी ने कुछ इस अदा से तारीफ़ की है कि उसके आगे कुछ कहना बेमानी होगा...
ReplyDeleteसारे के सारे शेर और उनका अलग-सा अंदाज़ कहने का----बस वाह वाह वाह
खुद को नित टटोलने की नसीहत गांठ बांध ली है!
ReplyDeleteहर शेर पे वाह-वाह करने को जी चाहता है ...
ReplyDeleteबढिया गज़ल
नीरज जी, आपकी इस ग़ज़ल के बारे मैं क्या कहा जाए! एक तरफ़ आपकी क़लम का कमाल और उस पर प्राण साहेब की रहनुमाई। जो भी कहा जाएगा कम ही लगेगा। फिर भी कहना पढ़ रहा है कि बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है।
ReplyDeleteमहावीर शर्मा
नीरज जी, लाजवाब हैं शेर खासकर पहला और अंतिम तो कमाल के हैं।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना है, दिल को छू गई.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत साफ़ दिन की
ReplyDeleteबेहद पाक ग़ज़ल.
==================
शुक्रिया नीरज जी
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
कलकत्ता से संजय सिंह जी का सन्देश जो ई-मेल द्वारा प्राप्त हुआ.
ReplyDelete"भैया जिंदगी जीना तो आपसे सिखा हीं हूँ, और खुस भी रहता हूँ लेकिन आप इतना अच्हा सोच कैसे लेते हैं
यह मेरे समझ में कभी नहीं आया.
"प्यारी -प्यारी सी लगेगी जिंदगी
आप अपने दिल को भोला कीजिये"
आप की यह दो पंक्ति मेरे दिल को बहूते भोला कर दिया हैं. बहुते अच्हा लिखें हैं
संजय"
आज यह गजल दुबारा पढी और फिर से बधाई दिए बिना खुद को रोक न सका।
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली गजल!!!!!!
ReplyDeleteबेहद सशक्त लेखन! पूरी गजल जेहन में उतर गई।
ReplyDeleteनीरज जी की इतनी सुंदर ग़ज़ल को सोने से तोला कीजिये |
ReplyDeleteबहुत खूब नीरज भाई
Can u tell the meaning of Talkhiyan?
-हर्षद जांगला
एटलांटा , युएसए
बहुत ही खूब लिखा है।
ReplyDeleteहर शेर पर वाह कहे बिना रहा नहीं गया।
बहुत खूब...
ReplyDelete