Monday, September 15, 2008
काव्य संध्या
घायल की गति घायल जाने,और ना जाने कोय...इसे यूँ कहें की एक ब्लोगर का दुःख ब्लोगर ही समझ सकता है...पूछिए की ब्लोगर का दुःख क्या? आपने पूछा है तो बता देता हूँ वैसे अगर आप ब्लोगर हैं तो जानते ही होंगे लेकिन अब जब पूछ ही रहे हैं तो जवाब भी सुनिए...ब्लोगर का सबसे बड़ा दुःख ये होता है की उसने अपने ब्लॉग पर कोई नई पोस्ट नहीं डाली, उसके बाद टिप्पणी ना मिलने का दुःख होता है...अभी मैं दुःख के प्रथम चरण की बात कर रहा हूँ...याने पोस्ट ना डाल पाने वाली.
चलिए सीधी सीधी बात कहता हूँ बेकार में नेताओं जैसे उलझाता नहीं आपको...विगत दस दिनों से हमारे यहाँ का नेट बगावत पर उतर आया है, सीधे मुहं बात ही नहीं करता, बहुत तुनक मिजाज हो गया है....इसे आप यूँ समझिये की पोस्ट टाटा की "नैनो" कार कम्पनी हो गयी और नेट "ममता दी"....लाख कोशिशों के बावजूद हम हमारी ही पोस्ट अपने ही ब्लॉग पर डालने से वंचित हो गए....कभी एक पंक्ति लिखने बाद तो कभी लगभग समाप्त हो चुकी पोस्ट से पहले ही नेट का अकस्मात् गायब हो जाना शुरू हो गया....लाख जतन किए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ...बात दवा से दुआ पर आ पहुँची...खुदा खुदा करके आज कुछ देर से स्तिथि नियंत्रण में लेकिन तनाव पूर्ण है...
आप देखिये कार्यक्रम से पूर्व आपस में बैठ कर गपशप करते मेहमान.(देवमणि पाण्डेय जी,किरण कान्त वर्मा जी,रघुवंशी जी,देवी नागरानी जी और महिमा जी)
पिछले एक हफ्ते से अपने यहाँ हुई एक काव्य संध्या की रिपोर्ट प्रकाशित करना चाहता था अपने ब्लॉग पर लेकिन नहीं कर सका और आज देखिये अनीता जी ने अपने ब्लॉग पर उसके बारे में सूचना प्रसारित कर दी. आप लोगों ने उसे पढ़ा भी तारीफ भी की और शिकायत भी की उनसे की उन्होंने फोटो क्यूँ नहीं लगाई...तो आप से अनुरोध है की कार्यक्रम की जानकारी जिसे अनीता जी ने बड़े मनमोहक अंदाज में दिया है उनके ब्लॉग पर पढ़ें और फोटो यहाँ देख कर तसल्ली करें...
आप देखिये कार्यक्रम से पूर्व आपस में बैठ कर गपशप करते मेहमान.( बाएं से दायें : वी.के.सिंह जी, रेखा रौशनी जी,अनीता कुमार जी, आशा शर्मा जी, साहनी जी और मरयम गजाला जी )
गप शप में व्यस्त बाएं से दायें: नीरज गोस्वामी, ओम प्रकाश तिवारी जी, वागीश सारस्वत जी और देवमणि पाण्डेय जी)
चलिए शुरुआत करते हैं काव्य संध्या के बारे में जो खोपोली से अधिक भूषण स्टील में होना एक अजूबे से कम नहीं...साहित्य आज के युग में गरीबी की रेखा से बहुत नीचे है. कवि या कविताओं की बात करना और सुनना हेय समझा जाता है. काव्य संध्या के विचार का बीज मित्र कुलवंत सिंह जी ने हमारे उर्वर मष्तिष्क में डाला जो देखते ही देखते ये फलने फूलने लगा. आनन् फानन में कुछ लोग बुलाये गए और व्यापक रूप रेखा तैयार की गयी...कुछ लोग उत्साह से और कुछ नौकरी बचाए रखने के डर से हमारे साथ जुड़ गए.
( डरे हुए लोग अपनी पत्नियों से ये संवाद स्थापित करते पाए गए...
पति: भागवान इंसान का दिमाग भी देखो कब कैसे फ़िर जाता है...अच्छे भले थे गोस्वामी साहेब अचानक इस उम्र में जब इंसान भगवान को जपता है उनको कवि और कविताओं की लत लग गयी है ...अरे उनको लगी सो लगी...हमें भी अपने साथ घसीट रहें हैं...सोचता हूँ कवियों की खिदमत करने से अच्छा है किसी सूखे कुएं में कूद जाऊँ...लेकिन क्या करूँ तुम्हारा ख्याल मुझे रोक लेता है....पत्नी: हाय दैय्या...तुम्हें भी कविता सुननी पड़ेगी? पति, रोते हुए : हाँ...पत्नी: हे इश्वर तू कहाँ हैं बचा ले इन्हें...इनके तो भाग ही फूट गए...रे.)
ऐसे विकट लोगों और विषम परिस्तिथियों से झूझते आख़िर वो दिन आ ही पहुँचा. सभी कवि लोग लगभग २ बजे खोपोली पहुँच गए. अपनी रचनाओं से काव्य संध्या को बुलंदियों पर पहुँचने में में श्री देव मणि पाण्डेय, कवि कुलवंत सिंह, मरयम गजाला, सादिका नवाब, रघुवंशी जी, किरण कान्त वर्मा, वागीश सारस्वत , ओम प्रकाश तिवारी, रेखा रौशनी, महिमा जी, साहनी जी,चेतन जी और देवी नागरानी जी का विशेष हाथ रहा. इस आयोजन में हमारी विशेष मेहमान ब्लॉग जगत की सिद्ध हस्त लेखिका अनीता जी और फ़िल्म तथा टेलीविजन की मशहूर हस्ती आशा शर्मा जी थीं. कार्यक्रम का संचालन अनुभवी श्री देव मणि पाण्डेय जी ने किया और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देवी नागरानी जी ने खूब निभाई.
कार्यक्रम आरम्भ हुआ...दर्शक धीरे धीरे डरते डरते हाल में आ कर बैठने लगे. देवमणि जी ने अपनी चुटकियों से उन्हें सहज किया हंसाया और तालियाँ बजाने पर मजबूर किया.
बहुत से रचना कारों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया और वे उनकी सोच के साथ बह निकले.
श्रोताओं की संख्या ने मेरे अनुमान को ग़लत साबित कर दिया, बाद में बहुत से लोग बिना कुर्सियों के हाल में खड़े खड़े कार्यक्रम का आनंद लेते देखे गए. ये आयोजन की सफलता का प्रमाण था.
अधिकांश फोटो नौकरी बचाने के डर से खींचने वालों ने खींची हैं इसी से आप उनकी गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं. )
अगली पोस्ट तक अगर नेट चल पड़ा तो आप को हर कवि, शायर, शायरा की रचनाएँ उनके चित्र के साथ पढ़वाऊंगा...तब तक के लिए उम्मीद के सहारे जिन्दा रहिये...
बहुत दिनों से आपकी गजल का इंतजार कर रहा था, पर आप आज सूचना मात्र देकर चले गए। चलिए अगली पोस्ट तक इंतजार ही सही।
ReplyDeleteचलिए दुसरे दुःख को थोड़ा कम किए देते हैं... पहले का तो कुछ नहीं कर सकते !
ReplyDeleteकल अनीताजी ने भी प्रस्तुत किया... आगे की कड़ियाँ भी ले आइये.
नेट वालो को धमका दे....काम नही चले तो फ़िर खपोली की कुछ फोटो भेज दे.....आपको मिस कर रहे थे....
ReplyDeleteआपको बहुत धन्यवाद नीरज जी ! आपने ट्रेलर यानी फोटो तो इस पोस्ट के साथ दिखा दिए और काव्य का आनंद अगली पोस्ट तक टाल दिया ! खैर साहब ये भी सही ! और हम आपकी
ReplyDeleteटिपणीयो के लिए तरस गए थे इसका भी आपने पहले ही जवाब दे दिया ! तो नीरज जी आपके नेट कनेक्सन की अच्छी सेहत की कामना करते हैं ! और आपकी काव्य संध्या की कविताओं का
इंतजार रहेगा !
बेसब्री से इंतज़ार है भाई .... कुछ ऑडियो - विडियो का जुगाड़ नहीं होगा क्या ? बहरहाल पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा ....
ReplyDeleteभाई नीरज जी,
ReplyDeleteकाब्य संध्या की ब्लॉग-प्रस्तुति के पूर्व आपने जो भूमिका बांधी है निश्चय ही तारीफ के काबिल है और बेसब्री से काव्य संध्या की ब्लॉग-प्रस्तुति का इंतजार है,,,,,,,,,,,,,,,,,
पर निम्न संवाद
( डरे हुए लोग अपनी पत्नियों से ये संवाद स्थापित करते पाए गए...
पति: भागवान इंसान का दिमाग भी देखो कब कैसे फ़िर जाता है...अच्छे भले थे गोस्वामी साहेब अचानक इस उम्र में जब इंसान भगवान को जपता है उनको कवि और कविताओं की लत लग गयी है ...अरे उनको लगी सो लगी...हमें भी अपने साथ घसीट रहें हैं...सोचता हूँ कवियों की खिदमत करने से अच्छा है किसी सूखे कुएं में कूद जाऊँ...लेकिन क्या करूँ तुम्हारा ख्याल मुझे रोक लेता है....पत्नी: हाय दैय्या...तुम्हें भी कविता सुननी पड़ेगी? पति, रोते हुए : हाँ...पत्नी: हे इश्वर तू कहाँ हैं बचा ले इन्हें...इनके तो भाग ही फूट गए...रे.)
तथ्य से परे लगता है, कारण आप भी जानते है.
आपकी निम्न स्वीकरोक्ति
(अधिकांश फोटो नौकरी बचाने के डर से खींचने वालों ने खींची हैं इसी से आप उनकी गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं. )
यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि दिखाई देने वाली भीड़(शायद श्रोता नही) भी शायद नौकरी बचाने के डर से तो नही आयी थी????????????????????
पर जंहा तक मैं जनता और समझता हूँ, ये तो मजाक की बातें है.
मजाक, मजाक, मजाक..................
कवि, कवि,कवि..................
कवि-पत्नी, कवि-पत्नी,.............
कवियत्री-पति, कवियत्री-पति................
श्रोता, श्रोता, श्रोता................
तालियाँ, तालियाँ,तालिया,
बीच-बीच में हूटिंग...............हा, हा, हा......................
चन्द्र मोहन गुप्त
bahut accha likha hai.
ReplyDeleteयह सब देख लग रहा है कि हम कहां थे! सारा दोष शिवकुमार का है। हमें ले कर चलता ही नहीं आपके पास।
ReplyDeleteएक जिज्ञासा है। आपकी नई ग़ज़ल कब मिल रही है पढ़ने को?
ReplyDeleteवाह...वाह ! नीरज जी,
ReplyDeleteअब समझे हम कि आपने
इस पोस्ट में देर क्यों लगाई.
कवि-मित्रों का ऐसा सुंदर समागम !
आप जो भी करते हैं पूरे मन से करते हैं.
ज़रूर पढ़ना चाहेंगे आपके द्वारा
पेश किए जाने वाले अंश.
इंतज़ार रहेगा...आपसे उम्मीद का नहीं
विश्वास का रिश्ता है हमारा.
==============================
आपका
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
नीरज जी चित्र ओर विवरण बहुत ही सुन्दर लगा, मेरी नजर तो उन प्लेटो पर थी पता नही केसा केसा स्वाद खाना था, लेकिन मेरी किस्मत मे नही था, सब इक्कटे हुये खुब मजा आया होगा...
ReplyDeleteधन्यवाद
नीरजजी, अनितादी की पोस्ट को पढने के बाद यहाँ चित्र देखकर आनन्द दुगुना हो गया... आपका नेट चलने की दुआ करते है...
ReplyDeleteकाफी श्रोता आ गये थे नीरज जी आज के जमाने में कविता सुनने के लिये इतने लोग आना काफी सफलता की बात है । वरना तो होता ये है कि काव्य गोष्ठी का मतलब ये होता है कि एक ऐसी गोष्ठी जहां पर मंच पर भी कवि होते हैं और श्रोता भी कवि होते हैं । खुद लगाओ खुद ही अच्छे हो जाओ वाले अंदाज़ में । खैर ईश्वर आपके नेट कनेक्शन को स्वस्थ और दीर्घायु करे ताकि हम पाठक गण आपकी आनंददायक पोस्टों का आनंद ले सकें । कवि गोष्ठी की पूरी रिपोर्ट का इंतेज़ार रहेगा
ReplyDeleteजब हम आते हैं तब काहे ऐसा नहीं सोचते??
ReplyDeleteजरा डिटेल लिखकर और गुस्सा दिलवाओ, इन्तजार करता हूँ...!!
'so nice to read about this Kvya sandhya, beautiful artical with pictures. Congrates to all the participants. Thanks for sharing this wonderful event"
ReplyDeleteRegards
agli post ka intzaar----
ReplyDeleteइंतजार है। रचनाओं का।
ReplyDeleteआपका नेट जल्दी से स्वस्थ हो ताकि हम इस रोचक काव्य संध्या के चित्र और विवरण पढ़ सके ...बहुत अच्छा लग रहा है यूँ सब का मिलना जुलना ..
ReplyDeleteउम्मीद है आपकी नेट जल्दी से दुरुस्त हो, लेकिन तस्वीरों के साथ इतना अच्छा विवरण जो दिया है आपने वो ऐसे लगा जैसे हम वहीं घूम आए, आपकी पोस्ट पढ़ कर दिल खुश हो जाता है नीरज जी...जल्दी ही कोई नज़्म लिखिए...इंतज़ार के साथ...रखशंदा
ReplyDeletechaliye photu to dekh li...aage ab kavitaye bhi sun le tab thoda sabra aye
ReplyDeleteअच्छा लगा सब जानकर. काव्य संध्या की बधाई
ReplyDeleteसुन्दर एवं सफ़ल आयोजन के लिये आप सभी बधाई के पात्र हैं. जहाँ तक समीर भाई की शिकायत का प्रश्न है वो वाज़िब है. उनके लिये कार्यक्रम आयोजित करें क्योंकि उन्होने पहले ही कह दिया कि वे वाशिंगटन आपके यहाँ के कार्यक्रम की रिकर्सल करने के लिये आ रहे हैं. ज्यादा जानकारी तो वे अपने चिट्ठे पर ही देगें.
ReplyDeletebade dilchasp dhang se kavya sandhya ka awlokan karaya aapne,net ab shaant rahe aur hum aapke saath aage badhe......
ReplyDeleteनीरज जी हमें तस्वीरें देख कर एक बार फ़िर वो सुहाना इतवार याद आ गया। आप की अगली पोस्टों का हमें भी इंतजार रहेगा। आप के साथियों को देख कर ऐसा नहीं लगता था कि वो मजबूरी में इस काव्य संध्या को झेल रहे हैं , आप के एक साथी जी ने जो कविता पढ़ी थी वो तो काफ़ी काबिले तारिफ़ थी जी।
ReplyDeleteNeerajbhai
ReplyDeleteNice presentation with nice pictures.
Wish "Get Well Soon" to your Net.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
आसार अच्छे हैं...
ReplyDeleteमुम्बई वालों के दिन फिरे..
अपने को भी उम्मीद हुई..
तो बाकायदा निमंत्रण कब..?
"हाय दैय्या...तुम्हें भी कविता सुननी पड़ेगी?"
ReplyDeleteचलिए यह कार्यक्रम सफल हो गया - अब तो आप उन्हें हर छमाही एक कवि-सम्मलेन झिला सकते हैं.
सफलता के बारे में जानकर अच्छा लगा, बधाई!
hamesha achha lagta hai jab jab india mein aise koi kavi gosthi mein sabko jaate hue dekhti hoon
ReplyDeleteaur khud ke na hone par dukh bhi hota hai
aur bharat se door hone ka bhaut afsos hota hai
सच मानिये नीरज ने जिस शिद्दत से इस कावय संध्या की अनुपमता में सहयोगी रहा, सिर्फ वही कर सकता है. अपनेपन के साथ, हरेक कवि को तवज्जू देते हूए feel at home sa atmosphere create kiya.
ReplyDeleteअब बार बार इसमें भागीदारी के लिये बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा, मुझे भी और खास कर उन लोगों को मुम्बई से शामिल न हो सके.
नीरज मै तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं ईपके उस आँगन की जो अपनी तमाम खुलूसियत के साथ हमारे दिलों को खुशनुमाँ बाता रहा.
सस्नेह
देवी