Sunday, August 10, 2008

आयीये बारिशों का मौसम है



सुबह सो कर उठा तो बाहर बारिश गिरने की आवाज आ रही थी...बालकनी का दरवाजा खोला तो मुंह खुला का खुला ही रह गया...चारों तरफ़ पानी ही पानी था...सारी रात बारिश होती रही. सामने के पहाड़ मानो गा गा कर बुला रहे थे.."आयीये बारिशों का मौसम है....."
अब भला कोई मूर्ख ही होगा जो इस न्योते को मना करे... और आप तो जानते ही हैं की मूर्खता में अपना कोई सानी नहीं है...लेकिन कभी कभी अपने आप को ग़लत सिद्ध करने में भी मजा आता है, इसलिए चाय पी और निकल लिए घर से...



जहाँ सड़क हुआ करती थी वहीँ पानी था..ये तो भला हो मेरे ड्राईवर का, जिसे इस सड़क के कंकर पत्थर तक का भान है, जिसने मुझे आराम से पहाडों के नजदीक पहुँचा दिया...
घर से कोई एक किलो मीटर की दूरी से ही लोनावला की चडाई शुरू हो जाती है... अभी हम कुछ मीटर ही आगे गए थे की एक शानदार झरना हमारे स्वागत को बहता मिला...



थोडी ही दूर आगे गए थे की उसी झरने के बड़े भाईसाहेब हँसते हुए मिल गए, बड़ी अदा से इठलाते हुए पाँव पर लोट लगाते हुए...फुहारों की मनुहार से भिगोते हुए



उनसे मिल कर आगे चले तो तो "ऐ भाई जरा देख के चलो...आगे ही नहीं पीछे भी...दायें ही नही बाएं भी...ऊपर ही नहीं नीचे भी..ऐ भाई... गाते हुए झरनों की कतार दिखाई दी....और सच ही सब तरफ़ सिर्फ़ और सिर्फ़ झरने ही झरने थे...



रास्ते में एक बोगदा याने टनल आती है जिस में से एक तरफा ट्राफिक चलता है उसके ऊपर तो झरने बहुत ही मेहरबान दिखाई दिए.



ऐसा लगता था मानो झरनों ने अपनी चादर पहाड़ से नीचे गिरा रखी है जो हवा के जोर से हिलती थी ,फड़फड़ाती थी और गाती थी...



हम प्रकृति इस छटा पर मुग्ध आगे चले जा रहे थे की आवाज आयी..."आजा आजा मैं हूँ प्यार तेरा...अल्लाह अल्लाह इनकार तेरा हो...ओ आजा आजा आजा आ आजा आ आ आ... उतर कर देखा तो एक झरने महाशय दूर पहाड़ की चोटी से ये गीत गा रहे हैं...मैंने उन्हें कहा की आप बुला रहे हैं ठीक है लेकिन एक तो आप दूर बहुत हैं फिसलन भी है और सच ये भी है अब उम्र आप का गीत सुनके झूमने लायक तो है लेकिन वहां आ कर गले मिलने लायक नहीं है इसलिए क्षमा करें.



उस झरने ने क्षमा किया या नहीं ये तो कह नहीं सकते लेकिन आगे जब "नैना बरसे रिमझिम रिमझिम......" गाती एक झरनी( झरने का स्त्री लिंग) जंगल में दिखाई दी तो हम भी आहें भर के रह गए.



मेरा ड्राईवर अब मेरी इस यात्रा से ऊब चुका था बोला सर भूख लगी है वापस चलें...मैं जैसे नींद से जगा...ये कमबख्त भूख भी क्या शै है इंसान को,जो वो करना चाहता है कभी करने ही नहीं देती...इश्वर अगर इंसान को भूख नहीं देता तो ना जाने कितनी समस्याएँ जन्म ही ना लेतीं...अस्तु ये समय दार्शनिक होने का नहीं था, अपने ड्राईवर की बात मानने का था. लौटते हुए देखा खोपोली पर झरनों की बरसात हो रही है, ये दृश्य गगन गिरी महाराज के आश्रम के पीछे का है( गगन गिरी महाराज के बारे में जानकारी मेरी "चलो खोपोली-परलोक सवारें " पोस्ट में है)



आख़िर में एक झरने ने उछालते हुए मचलते हुए हमसे कहा " ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना..."मैंने मन में सोचा की मैं तो लौट के आ जाऊंगा लेकिन उनका क्या होगा जो मेरे लाख बुलाने पर भी नहीं आए और इन सब दृश्यों से महरूम रहे.



सब पूर्व जन्म के कर्मों का फल है. क्या किया जा सकता है. मैंने तो भरसक प्रयास किया था की आप लोग भी इन खूबसूरत वादियों में गिरते झरनों की जलतरंग सुने, देखें लेकिन हे पाषाण हृदय ब्लोगरो आप लोगों ने मेरी एक ना सुनी. अब इन तस्वीरों को देख कर मन मसोसने से अच्छा है की आगे से मेरी बात को जरा ध्यान से सुना करें, कभी कभी हम जैसे भी बहुत काम की बात कर जाते हैं.

29 comments:

  1. नीरज जी,मन तो करता है लेकिन सभी को यह सोभाग्य कहाँ मिल पाता है ,इसी लिए आप की पोस्ट पढ कर ही तसल्ली दे देते हैं इस मन को।

    ReplyDelete
  2. नीरज जी बहुत ही सुन्दर चित्र हे ओर वर्णन भी बहुत सुन्दर किया हे बिलकुल अपनी कविताओ की तरह,बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. बड्डे पाप्पाजी
    "हमने तो जाने का बहुत मन बनाया
    पर आपने ही टिकट नही भिजवाया. "
    (शेर कैसा है?)
    खैर कोई बात नहीं भगवान् की इच्छा हुई तो इस अक्तूबर में आपकी इच्छा जरुर पूरी करेंगे.
    क्या झरनों की झडी लगाई है
    भींग कर आन्नद आगया.
    लग रहा था जैसे बारिश में भींगते-भींगते आपकी एकदम नई और प्यारी सी गजल पढ़ रहे है.

    ReplyDelete
  4. मस्त किया भाई.. बहुत बढ़िया फोटू..... हम हियाँ घर में बैठे बोरे होते रहे .... आप का पोस्ट देख / पढ़ कर अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  5. नीरज साहब इन मनमोहक तस्वीरों और आपके संगीतमय वर्णन ने बेशक प्राकृति के परम रमणीय दर्शन कराए!

    और माफ़ करें ये सभी तस्वीरें मैने आपसे बिना पूछे save कर लीं हैं! :)

    ReplyDelete
  6. wahhhhhhhhhh...kitni sundar jagah rehtey hain aap...mujhey meri sikkim yatraa yaad aa gayi...yun hi kadam kadam pe jharney miltey the vahan..gr88 post

    ReplyDelete
  7. सर जी प्रणाम ! आपके यहाँ पहली बार आए !
    आकर मन मंत्रमुग्ध हो गया ! आपके शब्दों के
    जादू के साथ साथ आपके झरनी और झरनों
    ने जादू कर दिया ! पोस्ट डेढ़ बार पढी और
    चित्र ३/४ बार देख लिए ! आख़िर फाइनली
    चोरी कर लिए ! कृपया क्षमा करिएगा ! शरीफ
    चोर हूँ इसलिए चोरी के बाद सूचना छोड़ रहा
    हूँ नहीं तो आप खामखा परेशान होकर ढुन्ढते
    रहेंगे ! धन्यवाद !

    ReplyDelete
  8. मुझे आपसे ईर्ष्या हो रही है...
    हँसी वादियो का मज़ा आपने अकेले ही ले लिया ,
    खैर आपकी पोस्ट से ही सारा मज़ा ले लिया..
    पोस्ट पर सजीव वर्णन तो बहुत अच्छा है,
    लेकिन तस्वीरो ने तो पोस्ट में जान ही डाल दी है..
    बहुत-बहुत शुक्रिया इस मज़ेदार पोस्ट के लिए....

    ReplyDelete
  9. ओह, इतनी सुंदर जगह रहते हैं आप....।

    ReplyDelete
  10. नीरज जी
    लो आप जमकर क्या बरसे
    हम भी पिघल गए.
    अब तो पाषाण ह्रदय नहीं न रहे न ?
    ============================
    सच बड़े दिल से पेश आती है
    और दिल में उतर जाती है आपकी
    हर बात....बहुत खूबसूरत
    तस्वीरों वाली ये प्रस्तुति भी
    बेहद जानदार है.
    ================
    शुक्रिया
    चन्द्रकुमार

    ReplyDelete
  11. हमारा तो रिजर्वेशन कन्फर्म ही समझो. भारत तो नवम्बर में आ जाऊँगा. :) जरा ईमेल से फोन नम्बर तो भेजिये कि खपोली स्टेशन पर खड़ा हो जाऊं आकर???

    ReplyDelete
  12. नीरज भाई - क्या बात है- झरनों का बड़ा बाज़ार [ :-)] - बढ़िया, बहुत खूब - मनीष

    ReplyDelete
  13. आप मनमोहिनी प्रकृति की सुन्दरता का ऐसा वर्णन कर रहे है लगता है अगली बार भारत आते ही पहली टिकट वही की लेगे,,,यकीन है कि मेहमाननवाज़ी मे कोई कसर नही छोडेगे...

    ReplyDelete
  14. बुरा ना माने तो एक बात कहता हूं पोस्ट तो पूरा नहीं पढ़ पाया क्योंकि फोटो ही इतने जानदार थी कि लगता है कि वो ही पूरी बात कह गए।

    ReplyDelete
  15. Neerajbhai
    It was an enjoyable tour with you with appropeiate and beautiful pictures.
    Thanks for sharing.
    Enjoyed a lot.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

    ReplyDelete
  16. नीरज जी यह किसने कह दिया कि आप काम की बात नहीं करते. बहुत ही मस्त अंदाज है जी आपका तो. फ़ोटो भी लाजवाब हैं.

    ReplyDelete
  17. आप तो बस प्रोग्राम बना लीजिए.. हमारी तरफ से हाँ है

    ReplyDelete
  18. आदरणीय नीरज जी,
    प्रणाम

    आपके ब्लॉग पर आज पहली बार आया. आपकी पोस्ट देखकर तबियत खुश हो गयी. खोपोली के द्रश्यों ने मन मोह लिया. उसके आलावा आपने जिस तरह से खोपोली और बारिश का वर्णन किया है, वो एक कवि-ह्रदय व्यक्ति ही कर सकता है. अरुण भाई से मैंने छुट्टी मांग ली है. मैं जल्दी ही खोपोली का रुख कर रहा हूँ. आशा है वहां आकर कुछ दिन स्वास्थ लाभ करूंगा और खोपोली देखूँगा. बारिश में भीगते पेड़ों को देखकर मुझे मथुरा के जंगल याद आ गए. मुझे वह दिन याद आ गया जब मैं गुरु माँ के कहने पर जंगल में लकडी इकठ्ठा करने जाता था.

    आपसे एक और अनुरोध है. अगर आप थोड़ा सोर्स लगा दें तो मैं राजेश रेड्डी साहब के पास रहकर पीएच डी कर लूँ. मैंने सोचा है कि अब गुरु संदीपनि के पास नहीं रहूँगा. मैं चाहता हूँ कि राजेश रेड्डी जी के पास रहकर आपकी गजलों पर पीएच डी कर डालूँ. आपसे सहयोग की आशा लिए मैं खोपोली कल ही आ रहा हूँ.

    आपका
    सुदामा

    ReplyDelete
  19. "what a wonderful view of nature and description, reading this article is like feeling live view of the nature through heart and soul. what to say its really bad luck of ours to miss this type of oppourtunity....."

    "kitne sunder ye bun hai,
    kal kal kerta vernan hai,
    dekh nahee paye hum inko,
    bebas vyakul maira mun hai..."
    Regards

    ReplyDelete
  20. kya kahe ......bas ab bahut hua..aap par doosro ko jalane ke ilzaam me mukadma bhi chaalaya ja sakta hai.....

    ReplyDelete
  21. aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhhhh

    haay haay nikli hai dekh kar
    aisa laga ki bus yahi thara jaaye
    kaash ye sab dekh paate
    neeraj ji aap kismat wale hain jo ye prakrtik chaata dekh paa rahe hain
    zindgi sarathak hai

    ReplyDelete
  22. कमाल के चित्र हैं दिल खुश हो गया इन्हें देख कर !

    ReplyDelete
  23. Bhai sahab
    aapki post pad kar
    bathroom me gaya
    shower ke neeche palthee laga kar nahayaa
    fir blog khola
    fir jharne dekhe
    ab fir shower ke neeche jaane ka man hai
    or aapki bhabhi ghoor kar kah rahi hai
    paagal ho gaye ho kya ?
    aap hi bataiye
    main kya kroon ?
    lagta hai
    KHOPOLI
    aana hi padega
    ek salaah doon
    kavisammelan rakhwa lijiye
    ek bahana or ho jaega
    ........................................kyon ?
    kya khyaal hai ?
    vaise ek baat or bataun
    bina kavisammelan ke bhi aane ka man hai...
    or haan
    bhool gaya tha..
    kshma kariyega..
    pustak parson tak pahunch jaegi.........

    ReplyDelete
  24. बहुत सुँदर प्रकृति की गोद मँ बसा स्थल और नयनरम्य चित्र हैँ !
    - लावण्या

    ReplyDelete
  25. बारिश का बहुत सुंदर चित्र खींचा है।

    ReplyDelete
  26. प्यारे नीरज!
    झरनों से पानी नहीं, आपका प्रकृति प्रेम झर रहा हैं! प्रेरणा स्वरुप एक गीत मैं भी अपने ब्लॉग पर छाप रहां हूँ!

    मगर आपने हम मूर्खों को अपने पोस्ट मैं "मरहूम" क्यों कर दिया! माना की आपकी खुशी से "महरूम" हैं, पर ज़िन्दगी हमारी भी चल ही रही है! ;)

    ReplyDelete
  27. अरे ये सब तो जानी पहचानी देखी हुई जगहें और अपने पड़ोस के ही चित्र हैं !

    ReplyDelete
  28. niraj bhaiya, barish wale photo dekh dil machal gaya, aapne 1 suhana din bitaya. mujhe afsos hi rahega.

    ReplyDelete
  29. आइला सच्ची हम मिस कर गये। ऐसे झरने दे्खने के लिए हम ड्राइवर तो क्या सारे खपोली का खाना बना कर ले आते। अब अगली बरसात का इंतजार है।

    ReplyDelete

तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे