Tuesday, August 12, 2008

चाहतें मेमने सी भोली हैं




प्यार की तान जब सुनाई है
भैरवी हर किसी ने गाई है

लाख चाहो मगर नहीं छुपता
इश्क में बस ये ही बुराई है

खवाब देखा है रात में तेरा
नींद में भी हुई कमाई है

बाँध रख्खा है याद ने हमको
आप से कब मिली रिहाई है

जीत का मोल जानिए उस से
हार जिसके नसीब आई है

चाहतें मेमने सी भोली हैं
पर जमाना बड़ा कसाई है

आस छोडो नहीं कभी "नीरज"
दर्दे दिल की यही दवाई है

48 comments:

  1. चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    बहुत खूब नीरज जी ...

    लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है

    सही कहा आपने ...बेहद खुबसूरत लिखा है

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  2. बहुत खूबसूरत गजल. हमेशा की तरह....
    तारीफ़ के लफ्ज़ कम पड़ने लगे हैं. बहुत पहले से.

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  3. खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है.....
    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है
    आस छोडो नहीं कभी "नीरज"
    दर्दे दिल की यही दवाई है
    बहुत ही बढ़िया अति सुंदर। नीरज जी।

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  4. क्या बात कही सर जी.....
    क्या बात कही सर जी.....
    ओर ये जमाने की

    खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है



    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

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  5. uljhan mein hu.. kaunsa sher jyada achha hai..

    dhanya hai jaipur ki pawan dharti jisne aise log blog jagat ko diye hai.. (hamne apne aap ko bhi aapke sath lapet liya hai.. )

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  6. सचमुच मेमने सी भोली....बस दुआ यही रहनी चाहिए कि भेडि़यों से बचे रहें मेमने।

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  7. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है

    खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है

    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    वाह वाह!! क्या बात है साहब!! बेहद उम्दा गज़ल कही है! ये सादगी..ये मासूमियत बेशक आपकी पहचान हैं!
    दिल से दाद हाज़िर है हुज़ूर!

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  8. नीरज जी बहुत ही बढ़िया..... सच कह रहा हू ये वो टिपिकल बढ़िया टिपण्णी नही है जो कमेन्ट कि गिनती बढाती है.... आपको बधाई

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  9. बहुत सुन्दर!
    घुघूती बासूती

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  10. जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है
    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बङा कसाई है
    आस छोङो नहीं कभी "नीरज"
    दर्द दिल की यही दवाई है।

    बहुत बढ़िया नीरज जी

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  11. चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है.....


    अति सुंदर।

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  12. आदरणीय नीरज जी,


    आपकी गज़लों का कोई भी कायल हो सकता है।

    लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है

    बाँध रख्खा है याद ने तेरी
    आप से कब मिली रिहाई है

    जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है

    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    गहरी गहरी और बेहद स्पर्श करती हुई..


    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  13. चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    आस छोडो नहीं कभी "नीरज"
    दर्दे दिल की यही दवाई है
    बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।

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  14. चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    प्रणाम आपको !

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  15. "चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है
    "

    बहुत सुन्दर!

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  16. जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है
    नीरज साहिब क्या बात हे पुरी कविता बहुत ही प्यारी लगी, सच मे कहा हे , जीत का मोल क्या होगा जो मेहनत करके भी हार गय, यह वही जानता होगा, धन्यवाद

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  17. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है
    खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है
    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    क्या कहूँ नीरज जी, बस बार बार पढता चला गया।

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  18. नीरज जी,
    क्या खूब ग़ज़ल कह दी आपने.
    ऐसी मासूम चाहत !
    बड़ी नेमत है भाई,
    लीजिये बधाई.....

    आपने जो ग़ज़ल कमाई है
    आज हिस्से हमारे आई है
    रोज़ राहों में आते रहिएगा
    हमने पलकें वहाँ बिछाई है
    ==========================
    चन्द्रकुमार

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  19. क्या बात है, नीरज जी..
    एक एक शेर एक से बढ़ कर...
    मजा आ गया...
    कसम से रश्क हो रहा है...
    WAH-WAH

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  20. चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है
    -

    बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.

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  21. क्या बात है सर जी. वाह ! इतनी आसानी से ... इतने आसान शब्दों में .... सलाम है !!!

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  22. दवाई अब तक मिली नही
    इसी बात की रूलाई है


    अच्छी पंक्तिया

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  23. और पैगाम भी अच्छा

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  24. >खवाब देखा है रात में तेरा
    >नींद में भी हुई कमाई है

    वाह नीरज भाई ! बहुत सुन्दर ...


    आज दिल फ़िर उदास है मेरा
    आज फ़िर तेरी याद आई है ।

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  25. भाई नीरज जी,
    आप द्वारा प्रस्तुत शेर होते तो कम शब्दों में है, पर दमदार कहीं ज्यादा होते है, सुंदर ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं. तारीफ से धर कुंद होती है इसलिए मैं आलोचना में आपका हित ज्यादा देखता हूँ.
    आपके निम्न शेर
    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है
    में मैं निम्न परिवर्तन का आकांक्षी हूँ......
    चाहतें भले ही मेमने सी भोली हैं
    पर हरकतें तो बगुले सी संजों ली है
    इस पर आपकी क्या राय है?

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  26. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है
    " bhut sunder, dil ko chu jane walee poetry, enjoyed reading it"

    dard-e-ishk mey srabor hai dil,
    magar miltee isme sirf tanyaee hai...

    Regards

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  27. आदरणीय पंकज सुबीर जी का कमेन्ट जो उन्होंने मेरे ई-मेल पर भेजा है:
    "लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है
    ये शेर आपसे वो बन गया है जिसको बनाने के लिये उस्‍ताद भी तरसते हैं इसे संभाल कर रखियेगा । वाह वाह सचमुच अच्‍छा शेर निकाला है आपने ।"
    मेरा कहना है की पंकज भाई अगर कुछ अच्छा कहा जाता है तो वो सब आप, प्राण शर्मा जी और द्विज भाई जैसे गुरु लोगों से समय समय पर मिले मार्गदर्शन का ही नतीजा है...जहाँ कहने में कुछ कमी रह जाती है उसके लिए मेरा अल्प ज्ञान ही दोषी है....
    नीरज

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  28. खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है.....
    जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है
    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    वाह नीरज भाई ! बहुत सुन्दर ...

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  29. क्या बात हैं नीरज जी बहुत सुंदर लिखा हैं आपने

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  30. आदरणीय नीरज भाई साहब
    बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आया हूँ.
    आपके ब्लाग की बगिया में ग़ज़ल के ख़ूबसूरत शे`र खिले हैं.
    आप तो कमाल कर रहे हैं.

    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर ज़माना बड़ा कसाई है
    बहुत अच्छे

    लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है
    कमाल है

    ‘जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है’
    वाह क्या बात है !

    यह शेर पढ़कर एक अँग्रेज़ी कविता की एक पँक्ति याद आई
    “success is counted sweetest
    by those who can’t succeed.”
    लेकिन यही ख़्याल शे`र में कमाल की ख़ूबसूरती के साथ शे`र हो गया है.
    ज़ाहिर है यह ग़ज़ल आपने लिखी नहीं आपसे हो गई है, बहुत बधाई !

    श्री चन्द्र मोहन गुप्त जी जिस परिवर्तन के आकांक्षी हैं वो क्या इस ग़ज़ल में संभव है? ख़्याल उम्दा है लेकिन वे स्वयं एक और ग़ज़ल कह अपनी इस आकांक्षा को पूरा कर सकते हैं,क्योंकि वे अपनी बात किसी और क़ाफ़िया—रदीफ़ के साथ कह रहे हैं.
    सादर
    द्विज

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  31. शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
    उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

    स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो
    bade bhai...

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  32. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है

    wah kya baat kahi hai kamaal

    खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है

    bhaut khoob

    बाँध रख्खा है याद ने हमको
    आप से कब मिली रिहाई है

    जीत का मोल जानिए उस से
    हार जिसके नसीब आई है

    bhaut sach

    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    kya baat hai

    आस छोडो नहीं कभी "नीरज"
    दर्दे दिल की यही दवाई है

    haan umeed par hi duniya kayam hai

    likhte rahiye ki aapki kalam bhaut dilon ka sakun hai

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  33. सचमुच आपका ब्लॉग बेहतरीन रचनाओं की धरोहर है नीरज जी...:)
    आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभ-कामनाएं...
    जय-हिन्द!

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  34. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है.
    bhai kamal ki rachana hai . Ishk vo cheej hai jo chupe n chupaaye . kya bat hai anand aa gaya .Thanks

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  35. देर से आया और टिप्पणियों की तादाद से ही गदगद हो गया हूं।
    नीरज जी आप तो सेलिब्रिटी हैं ब्लॉगजगत में।

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  36. लाख चाहो मगर नहीं छुपता
    इश्क में बस ये ही बुराई है

    बाँध रख्खा है याद ने तेरी
    आप से कब मिली रिहाई है
    bhai waah Ghazal acchi hai .khayal accha .

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  37. "चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है"
    अति सुंदर...बहुत उम्दा.....
    अद्भुत लिखा आपने.
    बहुत खूब.

    लुटा है हमको सुनाके गजले
    सच तू बहुत बड़ा सैदाई है.

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  38. प्यार की तान जब सुनाई है
    भैरवी हर किसी ने गाई है

    आपने भी तो दोस्त जाना नहीं
    रात भर की ही आशनाई है

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  39. सुंदर से भी सुन्दरतम !!!

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  40. बहुत खूब। गजल और फोटो दोनों बहुत प्यारे हैं।

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  41. ये कसाई ज़माना आ ही जाता है बीच में !

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  42. खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है

    बाँध रख्खा है याद ने हमको
    आप से कब मिली रिहाई है

    niraj bhaiya, kamal ki aviaaoyakti hai sach me. achchhi kavita hai. dhanayad

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  43. चाहतें मेमनों सी भोली हैं… बहुत ख़ूब, बहुत ही ख़ूब।

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  44. खवाब देखा है रात में तेरा
    नींद में भी हुई कमाई है

    चाहतें मेमने सी भोली हैं
    पर जमाना बड़ा कसाई है

    bahut sundar ghazal....

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  45. शानदार, खूबसूरत

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  46. माननीय नीरज जी ,
    परिवार एवं इष्ट मित्रों सहित आपको जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! कन्हैया इस साल में आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करे ! आज की यही प्रार्थना कृष्ण-कन्हैया से है !

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  47. ग़ज़ल देखी कमाल किया है कवि नीरज साहिब ने
    फ़ोन करता हूँ वोह उठाता नही
    कवि नीरज बड़ा हरजाई है
    चाँद शुक्ला हदियाबादी
    डेनमार्क

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे