Wednesday, December 26, 2007

भटकेगा तू भी बन बन में



दोस्तों आज आप को मेरे एक बहुत ही अज़ीज़ दोस्त और शायर जनाब चाँद शुक्ला "हदियाबादी" साहेब की ग़ज़ल पढ़वा रहा हूँ. चाँद साहेब बरसों से डेनमार्क में रह कर भी अपने वतन और उसकी मिटटी की खुशबू को नहीं भूले हैं. वहां शायरी के अलावा चाँद साहेब प्रवासी भारतीयों के लिए "रेडियो सबरंग" भी चलाते हैं. ग़ज़ल पसंद आए तो आप लिखने के लिए उन्हें और पेश करने के लिए मुझे शुक्रिया कह सकते हैं.



मैं जानता हूँ तुझे क्या मिला है अन बन मैं
तू मुझको ढूँढता रहता है दिल के दर्पण में

तू जा रहा है तो सुन जा सदा फकीरों की
किसी के प्यार में भटकेगा तू भी बन बन में

तुम्हे ख़बर हो के न हो यह लोग कहते हैं
तुम्ही ने आग लगाई है मेरे तन मन में

मेरे चमन में सभी रंग रूप के हैं फूल
न पूछ मुझसे क्यों कांटे हैं तेरे गुलशन में

वो मेरे हाथ लगाते ही मुझसे टूट गया
मिला था मुझको खिलौना जो मेरे बचपन में

"चाँद" जब था तो गगन रौशनी से था भरपूर
आज अँधेरा पनपता है तेरे आँगन में

10 comments:

  1. तू जा रहा है तो सुन जा सदा फकीरों की
    किसी के प्यार में भटकेगा तू भी बन बन में
    wah..bahut khuub..isey kya kahiye DUA ya?

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  2. बहुत बढ़िया गजल...चाँद साहब की और गजलें आप जरूर पोस्ट कीजिये...

    @पारुल जी,

    ये दुआ ही है...किसी ने लिखा है न;

    मेरे मरने की ख़बर सुनकर कहा
    वाकई कुछ भी नहीं इंसान में
    जिसने दिल खोया उसी को कुछ मिला
    फायदा देखा इसी नुकसान में

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  3. Great,ye aap hi kar sakte hain.Badhiya gazal hai.

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  4. बहुत बढिया गजल प्रेषित की है।बधाई।

    वो मेरे हाथ लगाते ही मुझसे टूट गया
    मिला था मुझको खिलौना जो मेरे बचपन में

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  5. शुक्ला जी की तस्वीर भी दे यदि सम्भव हो तो। आप दोनो ही को धन्यवाद। मुझे लगता है कि आप दोनो को जुगलबन्दी कर नयी रचनाए लिखनी चाहिये। ऐसे प्रयोग यूँ तो कम ही हुये है पर पता नही क्यो मुझे लगता है कि आप दोनो की जुगलबन्दी से खूब रंग जमेगा।

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  6. मेरे चमन में सभी रंग रूप के हैं फूल
    न पूछ मुझसे क्यों कांटे हैं तेरे गुलशन में
    बहुत खूब... आप दो मित्रों की जोड़ी खूब रंग लाएगी...गर गज़लें दोनों की और उतर आएँ यहाँ..

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  7. अच्छी है, क्या खूब है

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  8. बसी है मिट्टियों में बू जो मेरे गुलशन की
    नहीं मिलेगी तुझे देख लेना चन्दन में

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  9. चाँद शुक्ला जी की टिप्पणियां बहुत देखी हैं। आज उनकी कविता भी पढ़ ली। बहुत पसन्द आयी। आप दर्द हिन्दुस्तानी जी की सलाह पर विचार कर देखें।
    चाँद शुक्ला "हदियाबादी" जी की कविता प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद।

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  10. तू जा रहा है तो सुन जा सदा फकीरों की
    किसी के प्यार में भटकेगा तू भी बन बन में

    चाँद साहब की गजल बहुत ही बढ़िया है. आपके ब्लॉग पर 'चार चाँद' लग गया. चाँद साहब की और गजलों का इंतजार रहेगा.

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे