Saturday, December 22, 2007

प्यार की छाया में सुस्ताने लगे




हमको अपने नोचने खाने लगे
देख इसको गिद्ध शरमाने लगे

मानते गहना जो थे इमान को
आज उसको बेच कर खाने लगे

रो रहे थे देख हालत देश की
हुक्मरां बनते ही वो गाने लगे

रोज उनसे इस कदर पाले पड़े
मेरे दुश्मन अब मुझे भाने लगे

ये उमस तन्हाई की हट जायेगी
याद के बादल से हैं छाने लगे

वो मेहरबान है ये होगा तब यकीं
जब बिना मांगे ही तू पाने लगे

जब थके चलते ग़मों की धूप में
प्यार की छाया में सुस्ताने लगे

सच्ची बातें जब भी नीरज ने कही
फेर कर मुंह लोग मुस्काने लगे



10 comments:

  1. नीरज भैया,

    कैसे लिखते हैं ऐसी गजलें? कितना बड़ा भण्डार है अच्छे खयालातों का? ....कभी मापने की मत सोचियेगा....बहुत खूब गजल है, भैया....

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  2. बा खिदमते अक्सद बाज़्बुल इज्ज़त
    जनाबे मोहतरम, नीरज साहिब .
    शिद्दते एहसास की गर्मी से मोम को भी पिघला
    देता है आपका नायाब फन.
    ग़ज़ल की दुनिया मैं जो गुल आप खिला रहे हो
    चार सु बुए मोहबत को फैला रहे हो शुक्रिया
    तेरी ग़ज़लों का हुया ऐसा असर
    चलते फिरते नींद में गाने लगे !

    चाँद हदियाबादी डेनमार्क

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  3. बहुत .. बहुत.. बहुत.. बहुत .. बहुत खूब

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  4. गुजरता हूं जब भी ब्लॉग जगत में,
    ठिठक सा जाता हूं आपके ब्लॉग पे,
    शब्द आपकें खींच लेते हैं,
    भाव आपके बांध लेते हैं।
    ठिठका सा रहता हूं,
    पढ़ता हूं और चला जाता हूं।
    समझ नही पाता
    कि
    क्या कहूं जवाब में।
    और
    बहुत कुछ
    अनकहा लेकर लौट जाता हूं।

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  5. सच्ची बातें जब भी नीरज ने कही
    फेर कर मुंह लोग मुस्काने लगे
    ___________________________
    अरे नीरज जी, मुस्कुराने का सवाल ही नहीं। असल में कहें तो मुंह खुला का खुला है। क्या सशक्त रचना है?! यह पढ़ कर गर्व होता है - इस अहसास से कि इसके कवि को मैं जानता हूं।

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  6. सच को उजागर करती,बहुत बेहतरीन बढिया रचना है।बधाई।

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  7. हमको अपने नोचने खाने लगे
    देख इसको गिद्ध शरमाने लगे

    मानते गहना जो थे इमान को
    आज उसको बेच कर खाने लगे

    बढ़िया है ...बहुत खूब ...बधाई

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  8. नीरज जी
    बहुत बढ़िया लिखा है। कटु यथार्थ का चित्र खींचा है । बधाई स्वीकारें ।

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  9. है लिखी सुन्दर गज़ल ये आपने
    बा अदब जो हैं, वे शरमाने लगे

    बहुत खूबसूरत अदायगी है

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे