Saturday, September 22, 2007

कभी याद न आओ




तन्हाई की रातों में कभी याद न आओ

हारूंगा मुझे मुझसे ही देखो न लडाओ


किलकारियाँ दबती हैं कभी गौर से देखो

बस्तों से किताबों का जरा बोझ हटाओ


रोशन करो चराग ज़ेहन के जो बुझे हैं

इस आग से बस्ती के घरों को न जलाओ


खुशबु बड़ी फैलेगी यही हमने सुना है

इमान के कटहल को अगर आप पकाओ


बाज़ार के भावों पे नज़र जिसकी टिकी है

चांदी में नहाया उसे मत ताज दिखाओ


ये दौड़ है चूहों की जिसका ये नियम है

बढता नज़र जो आये उसे यार गिराओ


होती हैं राहें "नीरज" पुर पेच मुहब्बत की

ग़र लौटने का मन हो मत पांव बढाओ




11 comments:

  1. ग़र लौटने का मन हो मत पांव बढाओ... वाह! जैसे कबीर कहते हों जो घर जारे आपनो सो चले हमारे साथ. (मेरे मन में भाव आया, पता नहीं आप कवि लोगों को उलूल-जुलूल लगे. कविता पर टिप्पणी कठिन काम है!)

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  2. बड़े अजीब लोग होते हैं
    जिनके अपने बलोग होते हैं
    हर कोई ताक झाक करता है
    इससे आंखों के रोग होते हैं

    हँसता हुआ नूरानी चेहरा नीरज गोस्वामी का
    सुनने में यह आया है उसे कोई बलोग हुआ है
    नया इश्क का रोग हुआ है
    खुदा महफूज़ रखे हर बला से

    एहसान मंद दोस्त
    चाँद शुक्ला डेनमार्क वाले बरास्ता झुमरी तलैया

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  3. होती हैं राहें "नीरज" पुर पेच मुहब्बत की
    ग़र लौटने का मन हो मत पांव बढाओ
    .......... क्या नीरज जी! इस उम्र में ये तेवर!

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  4. होती हैं राहें "नीरज" पुर पेच मुहब्बत की

    ग़र लौटने का मन हो मत पांव बढाओ


    इस पर कुछ आगे यूं भी हो सकता है-
    उस इलाके में हैं दरोगा मेरे भईया
    उस इलाके में भूल कर ना जाओ

    अब मांग है एनआरआई दामाद की
    डीयर फूटो, अब अमेरिका जाओ

    और हो गये हैं कई हफ्ते अब
    उठो चलो अब तो नहाओ

    अब तो दुआ यही है अपनी नीरज
    कि रोज नयी पोस्ट चढाओ

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  5. बस एक गुज़ारिश है आलोक पुराणिक से
    जब वक्त इज़ाज़त दे इस ब्लॉग पे आओ

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  6. एक बात समझो मेरी हे इष्ट देव मेरे
    तेवर जो देखने हैं तो उम्र पर न जाओ

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  7. है काम ये तो मुश्किल बिल्कुल न ज्ञान भईया
    शायर का ब्लॉग है ये बिन ज्ञान टिपियाओ

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  8. है दूर यूं तो हम से ये " चाँद " भी हमारा
    उससे ये गुज़ारिश है संग चाँदनी को लाओ

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  9. ये दौड़ है चूहों की जिसका ये नियम है
    बढता नज़र जो आये उसे यार गिराओ

    -बहुत बेहतरीन रही पूरी की पूरी रचना, वाह!!!

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  10. आपकी ग़ज़लें पढ़ीं। अच्छी लगीं। बहुत गहरी सोच है। बधाई

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  11. वाह क्या बात है। अपना अलग ही ढंग है पर अनोखा है। चित्रो का चयन भी बढिया है। ऐसी अनुपम रचनाओ को चोरी से बचाने का प्रयास करे। कुछ सूचना इस विषय मे लगाये।

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे