कब अंधेरों से खौफ खाता है
वो जो तन्हाईयों में गाता है
गम तो अक्सर ये देखा है मैंने
उसका बढ़ता है जो दबाता है
जिसके हिस्से में खार आए हों
देख कर फूल सहम जाता है
कहना मुश्किल है प्यार में यारों
कौन देता है कौन पाता है
काश बरसात बन बिखर जाये
जो घटाओं सा मुझपे छाता है
आप इस को मेरी कमी कह लें
मुझको हरकोई दिल से भाता है
हर बशर को उठाके हाथों में
वक्त कठपुतलियों सा नचाता है
नींद बस में नहीं मेरे "नीरज"
जो चुराता है वो ही लाता है
"कहना मुश्किल है प्यार में यारों
ReplyDeleteकौन देता है कौन पाता है"
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वो जो ब्लॉग का ढांचा बनाता है
चमचमाता ब्लॉग देख मुस्कराता है! :-)
वाह वाह
ReplyDeleteहमरी भी सुनिये
कौन समझाये हमरे नेता को
खाऊ मोटे तू बहुत खाता है
देना लेना है सब यहीं प्यारे
कौन सब साथ लेकर जाता है
ये दुनिया है एक्सचेंज आफर
जो जितना दे,वो उतना पाता है
बहुत खूब!!
ReplyDeleteजिसके हिस्से में खार आए हों,
देख कर फूल सहम जाता है।
बहुत सही!!
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteफोन्ट कलर पढ़ने में परेशान कर रहा है. इसे लाईट कर सकें तो बेहतर.
अगर ये दिल कभी भी घबराए
ReplyDeleteगजल पढने से बहल जाता है
नीरज भैया,
बहुत बढ़िया....खुश हो गए..
"आप इस को मेरी कमी कह लें
ReplyDeleteमुझको हरकोई दिल से भाता है।"
क्या बात है! बहुत अच्छी गज़ल . बधाई!