आदरणीय पंकज जी के ब्लॉग पर हुई अद्भुत होली की तरही में भेजी खाकसार की ग़ज़ल। इसे जो पढ़े उसको भी जो न पढ़े उसको भी जो कमेंट करे उसको भी जो न करे उसको भी
होली की शुभकामनाएं
आँखों में तेरी अपने, कुछ ख़्वाब सजा दूँ तो
फिर ख़्वाब वही सारे, सच कर के दिखा दूँ तो
होली प लगे हैं जो वो रंग भी निखरेंगे
इक रंग मुहब्बत का थोड़ा सा लगा दूँ तो
जिस राह से गुजरो तुम, सब फूल बिछाते हैं
उस राह प मैं अपनी, पलकें ही बिछा दूँ तो
कहते हैं वो बारिश में, बा-होश नहायेंगे
बादल में अगर मदिरा, चुपके से मिला दूँ तो ?
फागुन की बयारों में, कुचियाते हुए महुए
की छाँव तुझे दिल की, हर चाह बता दूँ तो
(महुए के पेड़ की पत्तियां फागुन में गिरनी शुरू होती हैं और टहनियों में फूल आने लगते हैं ,इस प्रक्रिया को कुचियाना कहते हैं।)
बस उसकी मुंडेरों तक, परवाज़ रही इनकी
चाहत के परिंदों को, मैं जब भी उड़ा दूँ तो
हो जाएगा टेसू के, फूलों सा तेरा चेहरा
उस पहली छुवन की मैं, गर याद दिला दूँ तो
( टेसू के फूल सुर्ख लाल रंग के होते हैं )
उफ़! हाय हटो जाओ, कहते हुए लिपटेगी
मैं हाथ पकड़ उसका, हौले से दबा दूँ तो
इन उड़ते गुलालों के, सुन साथ धमक ढफ की
इल्ज़ाम नहीं देना , मैं होश गँवा दूँ तो
रंगों के महापर्व होली की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (07-03-2015) को "भेद-भाव को मेटता होली का त्यौहार" { चर्चा अंक-1910 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर ! होली की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबेहद सुंदर, अद्भुत और शानदार गजल
ReplyDeleteनीरज जी !
ReplyDeleteइतने खूबसूरत, नाज़ुक और शर्मीले से रंग बिखेरे हैं आपने इस ग़जल में कि पढ़कर बस मज़ा आ गया !
बधाई !
सर्व
कहते हैं वो बारिश में, बा-होश नहायेंगे
ReplyDeleteबादल में अगर मदिरा, चुपके से मिला दूँ तो ?
आहा खूबसूरत उद्गारों का समावेश
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteवाह सर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पेशकश
और पंकज जी की प्रस्तुति का भी जवाब नहीं
EXCELLENT
ReplyDeleteजिस राह से गुजरो तुम, सब फूल बिछाते हैं
उस राह प मैं अपनी, पलकें ही बिछा दूँ तो
कहते हैं वो बारिश में, बा-होश नहायेंगे
बादल में अगर मदिरा, चुपके से मिला दूँ तो ?
RAMESH SACHDEVA
(Principal)
HPS SENIOR SECONDARY SCHOOL,
SHERGARH (M.DABWALI)-125104
DIST. SIRSA (HARYANA) - INDIA
क्या बात क्या बात क्या बात ...
ReplyDeleteहोली के रंग की मस्ती छा गया .. इस लाजवाब ग़ज़ल के क्या कहने और आपसे मिलना भी एक यादगार बन गया मेले में ...
बहुत सुन्दर ,नीरज जी , वक्त के साथ ताल मिलती हुई ग़ज़ल , जैसे जी कर लिखी हो , मैं समझती हूँ कि इक नादान सा बच्चा हर हाल अन्दर बैठा होता है।
ReplyDeletePK
ReplyDelete14:09 (21 hours ago)
to me
Bahut sundar kavita
Sadhuwaad
Hardik dhanyawaad
Regards
Pradeep tiwari
आँखों में तेरी अपने, कुछ ख़्वाब सजा दूँ तो
ReplyDeleteफिर ख़्वाब वही सारे, सच कर के दिखा दूँ तो
वाह