सावन को जरा खुल के बरसने की दुआ दो
हर फूल को गुलशन में महकने की दुआ दो
मन मार के बैठे हैं जो सहमे हुए डर से
उन सारे परिंदों को चहकने की दुआ दो
वो लोग जो उजड़े हैं फसादों से, बला से
लो साथ उन्हें फिर से पनपने की दुआ दो
जिन लोगों ने डरते हुए दरपन नहीं देखा
उनको भी जरा सजने संवारने की दुआ दो
जीना है तो मरने का ये खौफ मिटाना लाज़िम है
डरे हुए लोगों की समझो मौत तो पल पल होती है
कफ़न बांध कर निकल पड़े तो मुश्किल या मज़बूरी क्या
कहीं पे कांटे कहीं पे पत्थर कहीं पे दलदल होती है
इतना लूटा, इतना छीना, इतने घर बर्बाद किये
लेकिन मन की ख़ुशी कभी क्या इनसे हासिल होती है
तू जरा ऊंचाइयों को छू गया अच्छा लगा
हो गया मगरूर तो फिर लापता हो जायेगा
मैं न कहता था ये पत्थर काबिले-सज़दा नहीं
एक दिन ये सर उठा कर देवता हो जाएगा
बस अभी तो आईना ही है तुम्हारे रू-ब-रू
क्या करोगे जब ये चेहरा आईना हो जायेगा
मेरा मज़हब तो मतलब है मस्जिद और मंदिर क्या
मेरा मतलब निकलते ही ख़ुदा को भूल जाता हूँ
मेरे जीने का जरिया हैं सभी रिश्ते सभी नाते
मेरे सब काम आते हैं मैं किसके काम आता हूँ
मेरी पूजा-इबादत क्या सभी कुछ ढोंग है यारों
फकत ज़न्नत के लालच में सभी चक्कर चलाता हूँ
इस दौर में किसी को किसी की खबर नहीं
चलते हैं साथ साथ मगर हमसफ़र नहीं
अपने ही दायरों में सिमटने लगे हैं लोग
औरों की ग़म ख़ुशी का किसी पे असर नहीं
दुनिया मेरी तलाश में रहती है रात दिन
मैं सामने हूँ मुझ पे किसी की नज़र नहीं
सिर्फ मुहब्बत की दुनिया में सारी ज़बानें अपनी हैं
बाकी बोली अपनी-अपनी खेल-तमाशे लफ़्ज़ों के
आँखों ने आँखों को पल में जाने क्या क्या कह डाला
ख़ामोशी ने खोल दिए हैं राज़ छुपे सब बरसों के
नयी हवा ने दुनिया बदली सुर संगीत बदल डाले
हम आशिक 'आज़ाद' हैं अब भी उन्हीं पुराने नग्मों के
बारहा वो जो घर में रहते हैं
कितने मुश्किल सफर में रहते हैं
दूर रहने का ये करिश्मा है
हम तेरी चश्मे तर में रहते हैं
वो जो दुनिया से जा चुके कब के
हम से ज्यादा खबर में रहते हैं
दूर कितने भी हों मगर 'आज़ाद'
बच्चे माँ की नज़र में रहते हैं
आपकी लिखी रचना मंगलवार 29 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
इतना लूटा, इतना छीना, इतने घर बर्बाद किये
ReplyDeleteलेकिन मन की ख़ुशी कभी क्या इनसे हासिल होती है
नायाब शायरी।
बेहतरीन प्रस्तुति , आभार आपका !!
ReplyDeleteReceived on mail :-
ReplyDeleteExcellent sir.....
aapk aur aapki kalam ka diwana
RAMESH SACHDEVA
(Principal)
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SHERGARH (M.DABWALI)-125104
DIST. SIRSA (HARYANA) - INDIA
CBSE Aff. No. 530857 & School No, 20458
+91-1668-229327
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लाजबाब पोस्ट के लिए आभार।
ReplyDeleteनायाब शायरी ....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteतू जरा ऊंचाइयों को छू गया अच्छा लगा
ReplyDeleteहो गया मगरूर तो फिर लापता हो जायेगा
एक और बेहतरीन शायर से मिल कर बहुत आनंद आया।
तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
ReplyDeleteAapne badla nahi... ye comment...
Allah aap par waise hi kafi meharbaan hai..
बहुत सुंदर
ReplyDeleteलाजवाब कर दिया नीरज भाई
ReplyDeleteनीरज जी,क्या बात है ! बेहद उम्दा रचनाकार..... बेहतरीन समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...इस बार मुझे आने में थोड़ी देर हो गयी...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)