Monday, July 29, 2013

खोलिए आँख तो सवेरा है


बंद रखिए तो इक अँधेरा है 
खोलिए आँख तो सवेरा है 

सांप यादों के छोड़ देता है 
शाम का वक्त वो सँपेरा है 

फ़ासला इक बहुत जरूरी है 
यार के भेष में बघेरा है 

ताजपोशी उसी की होनी है 
मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है 

मरहला है सरायफानी ये 
चार दिन का यहाँ बसेरा है 

रूह बेरंग क्यों ना हो साहब 
हर कोई जिस्म का चितेरा है 

शाम दर पे खड़ी है ऐ 'नीरज' 
अब समेटो जिसे बिखेरा है



(मयंक भाई आपके मिडास टच को सलाम )

42 comments:

  1. ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है
    नीरज जी! यही इस देश में हो रहा है.
    latest post हमारे नेताजी
    latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु

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  2. खोलिए आंख तो सवेरा है पर लोग जागेंगे कब वरना ताजपोशी उसी की होनी है मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है।

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  3. वाह...
    बेहतरीन ग़ज़ल.....

    सादर
    अनु

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  4. बढ़िया -
    शुभकामनायें-

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  5. 'सांप यादों के छोड़ देता है
    शाम का वक्त वो सँपेरा है'

    One can so starkly identify with the emotions and facts underlined!!!
    बहुत खूब!!!

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  6. शाम दर पे खड़ी है ऐ 'नीरज'
    अब समेटो जिसे बिखेरा है
    बड़ी गहन ग़ज़ल है ....एक एक शेर जैसे मर्म को स्पर्श कर रहा है ....!!
    बहुत सुंदर ग़ज़ल नीरज जी ......!!
    शुभकामनायें .....!!

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  7. वाह बहुत ही लाजवाब.

    रामराम.

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  8. AAP KEE LEKHNI SE EK AUR BADHIYAA
    GAZAL . BADHAAEE .

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  9. क्या खूब गजल..
    बेहतरीन....
    :-)

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  10. waah bahut khoob..
    aaj kal lutre mulk ko lutne ke baad
    khud hi tajposi kar lete hain.

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  11. बेहतरीन गज़ल !!

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  12. वाह वाह वाह लाजवाब ग़ज़ल कही है आदरणीय हरेक शेर सीधे सीधे दिल में उतर गए. इस बेहतरीन ग़ज़ल पर दिल से बधाई प्रेषित है स्वीकारे करें.

    आपकी यह रचना कल मंगलवार (30-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  13. बहुत ही आध्यात्मिक कविता।

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  14. badhiya ..ab aap adhyatm se bhi judte jaa rahe hain ...

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  15. बहुत खूब,मन के भावों लालबाब गजल,,


    RECENT POST: तेरी याद आ गई ...

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  16. Gazal gazal,tasveer bhee utneehee sundar,mohak....jee karta hai,usee parse ek wall piece bana lun....khair sehat saath nahi deti to bana nahi paungi!

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  17. सांप यादों के छोड़ देता है
    शाम का वक्त वो सँपेरा है

    ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है

    क्या बात है !!!
    बहुत उम्दा ग़ज़ल !!!

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  18. ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है
    रूह बेरंग क्यों ना हो साहब
    हर कोई जिस्म का चितेरा है
    वाह बहुत सुन्दर रचना,सब की बखिया उधेड़ कर रख दी नीरजजी .

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  19. बहुत दिनों बाद आना हुआ...ये मुए फेसबुक ने इतना उलझा दिया है कि औरों का फेस देखना भी मुहाल हो गया..आप अपने काम में लगे हें, देखकर अच्‍छा लगा। शुभकामनाएं..

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  20. वाह , बहुत उम्दा गजल

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  21. waah aap behtareen gazal kahte hain..

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  22. ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है!
    फिर भी कोशिश होती है कि लगे जब आँख खुले तभी सवेरा हो !

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  23. बहुत खूब, अन्तिम वाला मन को भेद गया, समेटते हैं अब स्वयं को।

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  24. Received on e-mail:


    bhai neeraj ji
    namasty,
    arey waah bahut achha laga
    khastour se yeh lines-

    फ़ासला इक बहुत जरूरी है
    यार के भेष में बघेरा है

    ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है

    bahut bahut badhai-
    regds, -om sapra, delhi-9

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  25. Received on e-mail:-

    Ramesh Gharia
    14:56 (2 hours ago)

    to me
    wah neerajji,
    Aap hamesha dil aur dimag ko choo dete hai. Shukria.

    Sanskar

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  26. बहुत खूब...
    एकदम सामयिक....!
    सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  27. रूह बेरंग क्यों ना हो साहब
    हर कोई जिस्म का चितेरा है

    सटीक.... हमेशा की तरह उम्दा गज़ल नीरज जी...

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  28. kya bat hai, matle ne kya sama.n bandha hai.... digar ash'ar bhi rokte hain.... aap ki mehnat dikh rahi hai bade bhai.... praNam

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  29. ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है


    गज्जब!

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  30. गज़ब नीरज जी ... आपका कमाल पढ़ने के बाद बस सुभान अल्ला ही निकलता है बरम्बार ... हर शेर नगीना ...

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  31. अर्थपूर्ण ग़ज़ल

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  32. आपकी इस रत्‍नजटित ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई।

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  33. आप को पढते ही सवेरा है ।

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  34. Received on e-mail:

    शाम दर पे खड़ी है ऐ 'नीरज'
    अब समेटो जिसे बिखेरा है
    वाह ........................................सबसे अच्छा शेर नीरज भाई .............................. सलामत रहें !

    Alam Khursheed

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  35. बंद रखिए तो इक अँधेरा है
    खोलिए आँख तो सवेरा है

    सांप यादों के छोड़ देता है
    शाम का वक्त वो सँपेरा है

    बेहतरीन अंदाजे बंयाँ वाह..

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  36. रूह बेरंग क्यों ना हो साहब
    हर कोई जिस्म का चितेरा है

    वाह वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल।

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  37. बहुत खूब.
    शानदार ग़ज़ल !!

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  38. सांप यादों के छोड़ देता है
    शाम का वक्त वो सँपेरा है

    ताजपोशी उसी की होनी है
    मुल्क में जो बड़ा लुटेरा है

    वाऽहऽऽ…!

    आदरणीय नीरज जी भाईसा'ब
    इन दो शे'र ने दिल छू लिया , वैसे पूरी ग़ज़ल अच्छी है ।
    ...हमेशा की तरह
    :)

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  39. ♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
    ♡♥♡♥Happy belated birthday♥♡♥♡
    ♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥

    जन्मदिवस के मंगलमय अवसर पर
    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
    बढ़े प्रतिष्ठा मान धन , वैभव यश सम्मान ! ♥
    ♥ जन्मदिवस शुभकामना ! हे गुणवंत सुजान !!

    -राजेन्द्र स्वर्णकार
    ✫✫✫...¸.•°*”˜˜”*°•.♥
    ✫✫..¸.•°*”˜˜”*°•.♥
    ✫..•°*”˜˜”*°•.♥

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे