Monday, May 6, 2013

पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां



चाय की जब तेरे साथ लीं चुस्कियां 
ग़म हवा हो गए छा गयीं मस्तियाँ 

दौड़ती ज़िन्दगी को जरा रोक कर 
पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां 

जब तलक झांकती आंख पीछे न हो 
क्या फरक बंद हैं या खुली खिडकियां 

जान ले लो कहा जिसने भी, उसको जब 
आजमाया लगा काटने कन्नियाँ 

जिनमें पत्थर उठाने की हिम्मत नहीं 
ख़्वाब  में तोड़ते हैं वही मटकियां 

प्यार के ढोंग से लाख बहतर मुझे 
आप देते रहें रात दिन झिड़कियां 

कौन सुनता है "नीरज" सरल सी ग़ज़ल 
कुछ धमाके करो तो बजें सीटियाँ

30 comments:

  1. दौड़ती ज़िन्दगी को जरा रोक कर
    पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां
    ... वाह बेहतरीन
    आभार इस उम्‍दा प्रस्‍तुति के लिए

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  2. हम तो सरल ग़ज़ल ही पदना पसंद करतें है :)
    लिखते रहिये ...

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  3. प्यार के ढोंग से लाख बहतर मुझे
    आप देते रहें रात दिन झिड़कियां
    बहुत सही कहा ..

    कौन सुनता है "नीरज" सरल सी ग़ज़ल
    कुछ धमाके करो तो बजें सीटियाँ
    सरल ही असल है
    जब तलक झांकती आंख पीछे न हो
    क्या फरक बंद हैं या खुली खिडकियां
    वाह क्या शेर है.. बहुत बहुत बधाई आपको
    आपकी इस सरस,सरल गजल के लिए

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  4. जान ले लो कहा जिसने भी, उसको जब
    आजमाया लगा काटने कन्नियाँ

    जिनमें पत्थर उठाने की हिम्मत नहीं
    ख़्वाब में तोड़ते हैं वही मटकियां

    वाह, धमाकेदार रचना.

    रामराम.

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  5. दौड़ती ज़िन्दगी को जरा रोक कर
    पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां,,,
    वाह,,,बहुत उम्दा, बेहतरीन गजल ,,,
    RECENT POST: दीदार होता है,

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  6. जब तलक झांकती आंख पीछे न हो
    क्या फरक बंद हैं या खुली खिडकियां ...
    बहुत ही लाजवाब शेर नीरज जी ... मज़ा आ गया पूरी गज़ल पढ़ने के बाद ...

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  7. कौन सुनता है "नीरज" सरल सी ग़ज़ल
    कुछ धमाके करो तो बजें सीटियाँ्…………………नीरज जी गज़ब की गज़ल है कौन सा शेर छोडूं और कौन सा नहीं ये हाल हो गया हर शेर दिल मे उतरता चला गया।

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

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  9. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति.

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  10. Received on mail:-

    Ek baar phir Neeraj uncle pesh huve shandar gazal ke saath..
    Waah uncle maza aa gaya..

    Chai ki jab tere saath leen chusakiyan
    gam hawa ho gaye chha gayeen mastiyan..

    Kaun sunata hai neeraj saral se gazal
    kuchh dhadake karo to baje sitiyan

    lekin uncle aapake prashanshak isase ittefaak naheen rakhate.. Unhen aapakee gazal "Munni, Sheela, Babli se kaheen jyada priya hain..

    Rgds

    Vishal

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  11. मर जावॉं गुड़ खा के।

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. bahut hi khoobsurat rachna shriman, mazaa aaya. is par humari taraf se kuch seetiyan!!

    -Abhijit (Reflections)

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  14. हमें तो सरल ही समझ आती हैं. सुंदर गज़ल.

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  15. received on e-mail:-

    bhai neeraj ji
    namasty
    kafi din baad aap ki ek achhi rachna parhne ko mili, khastore par yeh lines:-
    प्यार के ढोंग से लाख बहतर मुझे
    आप देते रहें रात दिन झिड़कियां

    कौन सुनता है "नीरज" सरल सी ग़ज़ल
    कुछ धमाके करो तो बजें सीटियाँ
    bahut -bahut dhanya vad aur badhai ho,
    aap ka
    -om sapra, delhi-9
    M- 09818180932

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  16. "चाय की जब तेरे साथ लीं चुस्कियां
    ग़म हवा हो गए छा गयीं मस्तियाँ"

    इस से तो कड़क चाय की याद आ गयी

    "जब तलक झांकती आंख पीछे न हो
    क्या फरक बंद हैं या खुली खिडकियां"

    so descriptive!

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  17. आपको धमाकों की ज़रूरत नहीं बड़े भाई, आपकी यह सरल सी गज़ल वैसे ही दिल में समा जाती है और जीवन की कटु सच्चाई भी आसानी से समझा जाती है.. !!

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  18. प्यार के ढोंग से लाख बहतर मुझे
    आप देते रहें रात दिन झिड़कियां!!

    सच है , प्रेम का नहीं होना इतना दुःख नहीं देता जितना उसका दिखावा !

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  19. !
    कठिन ग़ज़ल सर के ऊपर से जाता है ,आप सरल ही लिखते रहिये

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post'वनफूल'

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  20. खूबसूरत गज़ल ..... सीटियाँ बज ही गईं :):)

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  21. दादा क्या बात है, ......जब तलक झाँकती आँख..... सच ही तो कहते हैं,,,,, इमारत बुलंद थी। आज बहुत दिन बाद आप के अँगने में आया और ढेर सारी मस्तियाँ बटोर कर साथ ले जा रहा हूँ। आप के ब्लॉग को ई मेल से फॉलो भी कर लिया है।

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  22. aapki saralta main mushkalta bhar hui hai

    Chaand Shukla

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  23. दौड़ती ज़िन्दगी को जरा रोक कर
    पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां

    ________________________

    फुरसत कहाँ है भाई...........

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  24. बहुत उम्दा ग़ज़ल

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  25. चाय की जब तेरे साथ लीं चुस्कियां
    ग़म हवा हो गए छा गयीं मस्तियाँ.

    जिनमें पत्थर उठाने की हिम्मत नहीं
    ख़्वाब में तोड़ते हैं वही मटकियां

    aap to hamesha achha likhte h. :)

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  26. Msg Received on mail:-

    Amazing sir, thank you so much

    Bupesh Joshi

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  27. bahut sahi..... likhte rahiye


    Samir Gandhi

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  28. सीटियां सीटियां तालियां तालियां
    धमाके तो सदा आप करते हैं मियां ।

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे