Monday, February 4, 2013

डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी



मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें 
आप जब चाहें कम हों, तभी ये बढ़ें 

अब कोई दूसरा रास्ता ही नहीं 
याद तुझको करें और जिंदा रहें 

बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा 
बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें 

डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी 
उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें 

हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो 
आइना देखने से बता क्यूँ डरें ? 

ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह 
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें 

आके हौले से छूलें वो होंठों से गर 
तो सुरीली मुरलिया से ‘नीरज’ बजें 


( गुरुदेव पंकज सुबीर जी की पारखी नज़रों से गुजरी ग़ज़ल )

30 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. 'ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
    हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें'
    बहुत बढ़िया लगी रचना!
    ~सादर!!!

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  3. वाह आदरणीय सर वाह बहुत ही शानदार ग़ज़ल

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  4. बड़ी लहटी हैं ये मुश्किलें..

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  5. जय हो ...

    कौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. खूबसूरत प्रस्तुति |
    आभार -

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  7. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें

    बहुत ही मासूमियत लिए ... ओर सचाई के कितना करीब है ये शेर ... बहुत खूब नीरज जी ...

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  8. हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
    आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?,,,,

    बहुत उम्दा शेर,,,, नीरज जी बधाई...

    RECENT POST बदनसीबी,

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  9. मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें

    आप जब चाहें कम हों, तभी ये बढ़ें



    हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो

    आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?

    हमेशा की तरह एक खुबसूरत और जिंदगी के अनुभवों को बहुत ही सुगढ़ता से शब्दों मे बाँधे हुए

    ग़जल ..मेरे जैसे सिखने वालो के लिए बहुत कुछ है इसमें ..

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  10. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  11. वाह सर,,,
    बहुत बढ़ियाँ रचना..
    बहुत सुन्दर...
    :-)

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  12. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
    पूरी ग़ज़ल लाजवाब लेकिन इस शेर में अपना मिज़ाज़।

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  13. बहुत ख़ूब, सुन्दर रचना,
    संच्ची बात कह गए है आप:
    बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
    बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
    ------------

    आपके एक शेर से ये बात भी ज़हन में आई:

    "डालियों पर फुदक कर ही खुश थे बहुत,
    आसमां जब से टूटा हवा में उड़े !"

    http://aatm-manthan.com

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  14. बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
    बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें

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  15. बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
    बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
    ....बहुत सुंदर गज़ल

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  16. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें

    माशाल्लाह .....!!

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  17. अफ़शोस बहुत दिनों बाद आप को पढ़ रहा हूँ ,कितनी शौम्यता व अनूठापन होता है आप के सृजन में ...काबिले तारीफ जी .....

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  18. सर जी,
    अति सुन्दर , मनोहारी ग़ज़ल है।

    -
    सुलभ

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  19. हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो

    आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?

    जिंदगी खूबसूरत बने इस तरह

    हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें

    वाह क्या बात कही है ।

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  20. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
    वाह ... लाजवाब करती प्रस्‍तुति

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  21. bhai neeraj ji
    congrats for such a nice piece of poetry, especially these line:-

    हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
    आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?

    ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
    हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें

    आके हौले से छूलें वो होंठों से गर
    तो सुरीली मुरलिया से ‘नीरज’ बजें

    badhai ho.
    regds,
    -om sapra, delhi-9
    M- 09818180932

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  22. नीरज जी :

    ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
    हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें

    बहुत सहजता से आपने जीवन का यह गूढ़ रहस्य लिखा है... लेकिन जीवन कहा-सुनी बन के रह जाता है और लोग समझ ही नहीं पाते ... बाकी शेर भी हमेशा की तरह उम्दा

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  23. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें !"

    बहुत ही सुंदर अहसासों से लदी ,फूली -फली यह मोगरे की डाली .....

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  24. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें

    वाह, बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  25. ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
    हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें

    बड़ा ही प्यारा शेर है बड़े भाई :)

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  26. डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
    उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे