मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें
आप जब चाहें कम हों, तभी ये बढ़ें
अब कोई दूसरा रास्ता ही नहीं
याद तुझको करें और जिंदा रहें
बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?
ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें
आके हौले से छूलें वो होंठों से गर
तो सुरीली मुरलिया से ‘नीरज’ बजें
( गुरुदेव पंकज सुबीर जी की पारखी नज़रों से गुजरी ग़ज़ल )
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDelete'ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
ReplyDeleteहम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें'
बहुत बढ़िया लगी रचना!
~सादर!!!
वाह आदरणीय सर वाह बहुत ही शानदार ग़ज़ल
ReplyDeleteबड़ी लहटी हैं ये मुश्किलें..
ReplyDeleteजय हो ...
ReplyDeleteकौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
खूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार -
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
बहुत ही मासूमियत लिए ... ओर सचाई के कितना करीब है ये शेर ... बहुत खूब नीरज जी ...
बहुत सुंदर गज़ल
ReplyDeleteहम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
ReplyDeleteआइना देखने से बता क्यूँ डरें ?,,,,
बहुत उम्दा शेर,,,, नीरज जी बधाई...
RECENT POST बदनसीबी,
मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें
ReplyDeleteआप जब चाहें कम हों, तभी ये बढ़ें
हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?
हमेशा की तरह एक खुबसूरत और जिंदगी के अनुभवों को बहुत ही सुगढ़ता से शब्दों मे बाँधे हुए
ग़जल ..मेरे जैसे सिखने वालो के लिए बहुत कुछ है इसमें ..
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteवाह सर,,,
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ रचना..
बहुत सुन्दर...
:-)
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
पूरी ग़ज़ल लाजवाब लेकिन इस शेर में अपना मिज़ाज़।
बहुत ख़ूब, सुन्दर रचना,
ReplyDeleteसंच्ची बात कह गए है आप:
बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
------------
आपके एक शेर से ये बात भी ज़हन में आई:
"डालियों पर फुदक कर ही खुश थे बहुत,
आसमां जब से टूटा हवा में उड़े !"
http://aatm-manthan.com
बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
ReplyDeleteबोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
ReplyDeleteबोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें
....बहुत सुंदर गज़ल
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
माशाल्लाह .....!!
बहुत सुंदर गज़ल
ReplyDeleteNew post बिल पास हो गया
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
अफ़शोस बहुत दिनों बाद आप को पढ़ रहा हूँ ,कितनी शौम्यता व अनूठापन होता है आप के सृजन में ...काबिले तारीफ जी .....
ReplyDeleteसर जी,
ReplyDeleteअति सुन्दर , मनोहारी ग़ज़ल है।
-
सुलभ
हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
ReplyDeleteआइना देखने से बता क्यूँ डरें ?
जिंदगी खूबसूरत बने इस तरह
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें
वाह क्या बात कही है ।
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
वाह ... लाजवाब करती प्रस्तुति
bhai neeraj ji
ReplyDeletecongrats for such a nice piece of poetry, especially these line:-
हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?
ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें
आके हौले से छूलें वो होंठों से गर
तो सुरीली मुरलिया से ‘नीरज’ बजें
badhai ho.
regds,
-om sapra, delhi-9
M- 09818180932
नीरज जी :
ReplyDeleteज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें
बहुत सहजता से आपने जीवन का यह गूढ़ रहस्य लिखा है... लेकिन जीवन कहा-सुनी बन के रह जाता है और लोग समझ ही नहीं पाते ... बाकी शेर भी हमेशा की तरह उम्दा
डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें !"
बहुत ही सुंदर अहसासों से लदी ,फूली -फली यह मोगरे की डाली .....
ReplyDeleteडालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें
वाह, बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.
रामराम.
ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
ReplyDeleteहम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें
बड़ा ही प्यारा शेर है बड़े भाई :)
वाह नीरज जी बहुत बढ़िया
ReplyDeletebahut sunder gazal.
ReplyDeleteडालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
ReplyDeleteउस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें