Monday, August 8, 2011

डरूंगी मैं धमाकों से हुआ पागल है क्या ढक्कन?

मुंबई में बम ब्लास्ट अब कोई अनहोनी घटना नहीं है. इस शहर को न जाने कितने बम ब्लास्टों के हादसों से गुज़ारना पड़ा है. अभी हाल ही में तेरह जुलाई की शाम को भी बम ब्लास्ट हुआ जिसमें कई मासूम जानें गयीं. मुंबई इन सब वारदातों से बहुत आहत है लेकिन टूटी नहीं है. ये ही मुंबई की खासियत है. जिंदादिली कोई इस शहर से सीखे।

मुंबई ने मुझे खुद अपनी ज़बान में, जो उसी की तरह मस्त और बिंदास है, ये ग़ज़ल भेजी है जिसमें उसने आतंकवादियों को डराया धमकाया भी है और समझाया भी है. काश इसे कोई आतंकवादी पढ़े, समझे और गुणे.

मुझे क्‍या सोच कर तू यूं डराता है, बता ढक्‍कन,
डरूंगी मैं धमाकों से हुआ पागल है क्या ढक्कन

ऐ हलकट सुन, अगर है नाज़ ताक़त पर तुझे तो फिर,
हमेशा वार छुप छुप के ही क्यूँ तूने किया ढक्कन
?

बहुत लफड़े किये हैं अब लगेगी वाट वो तेरी
करेगा ज़िन्दगी भर फिर नहीं कोई खता ढक्कन

जला करता है क्‍यों तू आग में हरदम अदावत की
कभी तो प्यार के दरिया में भी डुबकी लगा ढक्कन

बड़ी ही रापचिक सी ज़िन्दगी रब ने अता की है
इसे बर्बाद करने पर भला तू क्यूँ तुला ढक्कन ?

किसी के काम आने के लिए ही जिंदगानी है
किसी की जान ले लो ये कहाँ तूने पढ़ा ढक्कन ?

लगा कलटी बदी की तू अँधेरी सर्द राहों से
नहीं कुछ हाथ आएगा अगर इन पर चला ढक्कन




(इस ग़ज़ल को लिखवाने के पीछे गुरुदेव पंकज सुबीर जी का बहुत बड़ा हाथ है)

53 comments:

  1. Aam bol-chal ki mumbaiya bhasha ka kaise khubsoorat aur sanketik prayog kiya hai aapne ghazal me.Lajwaab...

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  2. टपोरिया भाषा में एक स्वच्छ सन्देश देती बेहतरीन पोस्ट|

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  3. किसी के काम आने के लिए ही जिंदगानी है
    किसी की जान ले लो ये कहाँ तूने पढ़ा ढक्कन ?

    इस गज़ल के लिये हर पंक्ति अपने आप में बेमिसाल ...अद्भुत शब्‍द संयोजन ..बधाई स्‍वीकार करें ..शुभकामनाएं ।

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  4. वाह क्या ज़ोरदार गज़ल है. एकदम रापचिक.

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  5. ढक्कन shbad se pataa nahin kyun is mae gazal jaese baat nahin lagii

    par subeer ji ko sahii lagaa haen to sahii naa honae kaa koi andesha hi nahin haen

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  6. क्या गज़ब ग़ज़ल है. वाह! वाह!
    बोले तो झकास.

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  7. मुंबई की बात , मुंबई के ही अंदाज़ में लिखना.. वाह ये हुनर कोई आप से ही सीखे ..
    वैसे , मेरी भावभीनी श्रदांजलि उन सभी को जिनकी जाने इस हादसे में गयी ..
    मुंबई की जिंदादिली को सलाम..

    आपको इस अच्छी सी प्यारी सी गज़ल के लिये सलाम.

    विजय

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  8. शानदार ………यही है मुंबई की ज़िंदादिली

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  9. बड़ी ही रापचिक सी ज़िन्दगी रब ने अता की है
    इसे बर्बाद करने पर भला तू क्यूँ तुला ढक्कन ?


    बेहतरीन ....

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  10. बहुत ही झकास गजल लिखी है आपने ......

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  11. लाजवाब क़ाफिया...
    शानदार ग़ज़ल.....

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  12. वोव ! एक दम मस्त ग़ज़ल है .
    इसे तो किसी आतंकवादी को पढना ही चाहिए .
    बोले तो भाई लोग भी पढ़ सकते हैं क्या ?

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  13. मुंबई ने अपने ही अंदाज़ में अपनी बात कही है ... बहुत अच्छी गज़ल

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  14. khoobsurat gazal... mumbai kee dhadhkan hai ye dhakkan !

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  15. ग़ज़ल का ये स्टाइल बोले तो सचमुच रापचिक है भिडू

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  16. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि किसी ने आज तक इस भाषा में ग़ज़ल कहने की बात भी शायद ही सोची हो।
    बधाईयॉं मुकम्‍मल ग़ज़ल के लिये।

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  17. जला करता है क्‍यों तू आग में हरदम अदावत की
    कभी तो प्यार के दरिया में भी डुबकी लगा ढक्कन...
    .. बहुत अच्छी गज़ल...

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  18. जला करता है क्‍यों तू आग में हरदम अदावत की
    कभी तो प्यार के दरिया में भी डुबकी लगा ढक्कन
    स्थानीय भाषा के शब्दों ने आपके इस नए प्रयोग को असीमित ऊंचाई दी है। शे’रों के अर्थ इसकी गुणवता में चार चांद लगा रहे हैं।

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  19. आप के जज्बे, कविता के भाव एवं मुंबई के लोगों के धैर्य को नमन ..
    मगर दुःख होता है नपुंसक सरकार पर जो इस जज्बे की बार बार परीक्षा ले रही है.
    एक प्रश्न ये भी है की क्या ये जज्बा अब मुंबई की मज़बूरी बनता जा रहा है ????

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  20. ऐSSSSSSSSS, नीरज भाई की बात सुन,
    बोले तोSSSSS, समझ में आया ढक्कन।

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  21. गजल के मीटर और पैमाने हमें नही समझ आते पर एक एक शब्द सब कुछ इतनी खूबसूरती से बयान कर रहा है कि सुंदरतम के अलावा कुछ कह ही नही सकते, बहुत लाजवाब गजल, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  22. वाह,बेहतरीन प्रस्तुति,.धन्यवाद.

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  23. बोत मस्त गज़ल लिखेला है बाप!! अपुन का दिमाग बोले तो एकदम फुलटू हिल गेला है!! वो साला छुपकर पीठ-पीछे हमला करता है... और खुद को भाई बोलता है..अरे हमारा जैसा टपोरी भी वो लोग का माफिक हलकट गिरी नहीं कर सकता है!! बीडू आज तुमारा इस गज़ल पर अपुन भी तुमको एक सैल्यूट मारता है.. जय हिंद!!

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  24. नीरज जी, ग़ज़ल बहुत अच्छी है
    और आप अपनी जगह सही हैं....
    लेकिन...

    नसीहत! सादगी देखो, कि दहशतगर्द लोगों को?
    शराफ़त की ज़बां से उन पे कब लग पाएगा ढक्कन?
    :) :) :)

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  25. भाईजी नीरज जी
    चरण स्पर्श !

    वाह वाह वाह ! छा गए जी …
    पहले तो इस शे'र के लिए दिली दाद
    जला करता है क्‍यों तू आग में हरदम अदावत की
    कभी तो प्यार के दरिया में भी डुबकी लगा ढक्कन


    … और फिर इस शे'र के लिए भी ख़ास मुबारकबाद !
    किसी के काम आने के लिए ही जिंदगानी है
    किसी की जान ले लो ये कहाँ तूने पढ़ा ढक्कन ?


    ***********************************
    इस संबोधन ग़ज़ल में संबोधन 'ढक्कन' की जगह कुछ और भी किया जा सकता था … मसलन 'घोंचू' 'पिद्दी' 'कायर' 'ज़ालिम' या फिर 'कुत्ते' या 'सूअर'

    …लेकिन ढक्कन ढक्कन ही है … :))

    ***********************************

    चलते चलते
    एक शे'र अपुन का भी पेलदूं क्या गुरू ?
    बस्स्सऽऽ एकठू …

    अपुन के सामने बिल्कुल 'ज तेरी टें ही बोलेगी
    जहन्नुम जा ! तेरे अब्बा से पहले पूछ आ ढक्कन

    आदाब अर्ज़ है ! शुक्रिया शुक्रिया !!


    मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  26. पांचवां-छठा कमेंट होता मेरा … पर हाय रे बिजली ! चार घंटे से अब आई …

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  27. समसामयिक घटना पर अपनी बात कहने का एक यह भी अंदाज है।

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  28. बहुत सही..उनकी ही भाषा में समझा दिया...

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  29. शुक्र है ये मेरे मक्खन-ढक्कन वाला ढक्कन नहीं है...

    नीरज जी, धमाकों की तारीख सही कर लीजिए- तेरह जुलाई...

    जय हिंद...

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  30. वाह जी वाह कमाल का ढक्कन है आपका ये अंदाज़ ये भी मन को बहुत भाये,आतंकवाद पर जिस तरह आपने अपनी पेशकश रखी वो किसी ढक्कन मैं कैद नहीं हो सकती एक बार फिर से वाह !!!!

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  31. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल जिसमें शब्दों का सुन्दर चयन रहा! सुन्दर सन्देश देती हुई लाजवाब पोस्ट!

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  32. मुम्बइया भाषा की अदभुत मिसाल है ये ग़ज़ल। साथ ही यह एक सजग और संवेदनशील नागरिक की चिंता को भी सार्थक तरीके से सामने लाती है।

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  33. Msg received from Yogendra Mudgil Ji:-

    wahwa.....behtreen andaaz hai bhai ji.....

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  34. नीरज भाई ! बहुत खूब!
    मुम्बइया जबान में क्या कमाल किया है भिड़ू..मजा आ गया

    मजा इस बात का भी कि इसमें कमाल के शिल्प के अलावे अशयार की लयबंदी ग़ज़ब की है...

    यूं तो आपकी कलम मुकम्मल और वजनदार है..बधाइयां! बधाइयां!! बधाइयां!!

    सारी गजल कांटें की है...

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  35. बड़ी ही रापचिक सी ज़िन्दगी रब ने अता की है
    इसे बर्बाद करने पर भला तू क्यूँ तुला ढक्कन ?
    इतनी बड़ी बात को इतने लाजवाब ढ़ंग से कह जाने का रुतबा तो हमारे प्रिय नीरज जी को ही हासिल है। बहुत ही बेहतरीन रचना नीरज जी। और प्यारी मिष्टी की तस्वीरें हमेशा की तरह सुखद होती हैं। क़ाबुलीवाला की मिनी की याद आ जाती है। उसके प्यारे से चेहरे का, आपकी हर रचना के पर्दे से झांकना ही अपने आप में एक बहुत ख़ूबसूरत रचना लगता है।

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  36. मुंबई की भावनाएं, मुंबई की ज़बानी, मुंबई की भाषा में, भई वाह.........

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  37. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 11 - 08 - 2011 को यहाँ भी है

    नयी पुरानी हल चल में आज- समंदर इतना खारा क्यों है -

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  38. Msg received on e-mail:-

    नीरज अंकल, सादर नमस्कार।

    इस मुंबई हमले को लेकर आज दिल से दूसरी बार दुखी हुआ हूं कि नीरज अंकल जैसे नेकदिल इंसान के शहर मुंबई में ऐसी कायराना हरकत अमन के दुश्मनों ने की है।

    ऐसे लोगों को धिक्कारती बहुत अच्छी ग़ज़ल है। ईश्वर मुंबईवासियों का हौसला और बुलंद करे। ताक‍ि ऐसे कायरों को मुंह चिढ़ाकर फिर उठ खड़े हों। साथ ही मृतकों के परिजनों के प्रति अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

    का पाढ़ पढ़ा कहां तूने ढक्कन....

    Rgds
    Vishal Mishra

    Sr. Sub editor
    Webdunia.com

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  39. खूब टाईट किया है ढक्कन को, आंटे [threads] ही मार डाले. अच्छा हुआ निकम्मा कर दिया बुजदिल को.
    बम्बईया लहजे में तपोडियो से निपटने का मज़ा कुछ और ही है.
    mansoor ali hashmi

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  40. बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
    रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  41. हमारी शांति, हमारा विकास और हमारी सुरक्षा आपस में एक दूसरे पर शक करने में नहीं है बल्कि एक दूसरे पर विश्वास करने में है।
    राखी का त्यौहार भाई के प्रति बहन के इसी विश्वास को दर्शाता है।
    भाई को भी अपनी बहन पर विश्वास होता है कि वह भी अपने भाई के विश्वास को भंग करने वाला कोई काम नहीं करेगी।
    यह विश्वास ही हमारी पूंजी है।
    यही विश्वास इंसान को इंसान से और इंसान को ख़ुदा से, ईश्वर से जोड़ता है।
    जो तोड़ता है वह शैतान है। यही उसकी पहचान है। त्यौहारों के रूप को विकृत करना भी इसी का काम है। शैतान दिमाग़ लोग त्यौहारों को आडंबर में इसीलिए बदल देते हैं ताकि सभी लोग आपस में ढंग से जुड़ न पाएं क्योंकि जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उसी दिन ज़मीन से शैतानियत का राज ख़त्म हो जाएगा।
    इसी शैतान से बहनों को ख़तरा होता है और ये राक्षस और शैतान अपने विचार और कर्म से होते हैं लेकिन शक्ल-सूरत से इंसान ही होते हैं।
    राखी का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमारे दरम्यान ऐसे शैतान भी मौजूद हैं जिनसे हमारी बहनों की मर्यादा को ख़तरा है।
    बहनों के लिए एक सुरक्षित समाज का निर्माण ही हम सब भाईयों की असल ज़िम्मेदारी है, हम सभी भाईयों की, हम चाहे किसी भी वर्ग से क्यों न हों ?
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा हमें यही याद दिलाता है।

    रक्षाबंधन के पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...

    देखिये
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म

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  42. बहुत खूब ... नीरज जी आपने अपने मुम्बैया अंजाद से इन ढक्कनों को समझाने की करारी कोशिश की है ... मज़ा आ गया इस ग़ज़ल को पढ़ के ... स्थापित शायर समाज के प्रति संवेदनशील होता है ये बात आपने सार्थक कर दी ... बहुत बहुत बधाई ...

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  43. .


    ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
    आदरणीय नीरज गोस्वामी जी भाईसाहब को जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां और
    मंगलकामनाएं !


    सादर
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

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  44. बहुत अच्छा लिखा है आपने समझता क्यों नहीं ढक्कन।
    उलझा है जमाने से बुराई में सुलझता क्यों नहीं ढक्कन।
    ...गुरू के आशीष ने अच्छी गज़ल लिखाई आपसे। बहुत बधाई।
    ...जन्म दिन की बधाई भी स्वीकार करें। जुग जुग जीयें..तब तक..जब तक यह आतंकवाद समाप्त न हो जाय धरती से।

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  45. मुंबई की ज़िंदादिली को सलाम!
    बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है .
    ............
    आप को जन्मदिवस की हार्दिक बधाईयाँ!

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  46. जन्मदिवस की हार्दिक बधाईयाँ.

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  47. बहुत लाजवाब गजल प्रस्तुति के लिये धन्यवाद.
    आपको जन्मदिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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  48. Neeraj Ji,

    Wah janab! kya khoob kaha hai.

    --usha rajesh Sharma

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  49. नीरज जी,
    जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई,

    आपका ई-मेल या फोन नंबर मेरे पास होता तो उस बधाई देता...

    एक कविता लिखने की कोशिश की है...समय मिले तो इस लिंक पर देखिएगा...

    http://www.deshnama.com/2011/08/blog-post_13.html

    जय हिंद...

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  50. अर्थपूर्ण पंक्तियाँ ,लाजवाब गजल |

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे