Monday, June 13, 2011

कैद में मजबूर तोता बोलता है

देर अबेर से हो ये अलग बात है लेकिन बदलाव ही जीवन है. इसीलिए अपने ब्लॉग का रंग -रूप बदलने का विचार आया. आज जिस रूप में आप इस ब्लॉग को देख रहे हैं इसके पीछे "पी.सी.लैब" सीहोर के होनहार युवा छात्र "सोनू" की अथक मेहनत है. गुरुदेव पंकज सुबीर जी के सानिध्य में उनके गुण निखर कर सामने आये हैं. एक छात्र में सीखने की ललक और बड़ों के प्रति आदर का जो भाव होना चाहिए वो उनमें कूट कूट कर भरा है. इश्वर उन्हें हमेशा खुश रहे.

बदले रंग रूप वाले अपने इस ब्लॉग का श्रीगणेश गुरुदेव पंकज जी
के दिशा निर्देश में कही एक नयी ग़ज़ल के साथ कर रहा हूँ.





जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

जो भी सिखला दे उसे मालिक, वही सब
कैद में मजबूर तोता बोलता है

सैर को जब आप जाते हैं चमन में
तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है

हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
बात ये नेकी का रस्ता बोलता है
पुरख़तर : खतरों भरा

आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है

भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है
माज़ी: भूत काल , गुज़िश्ता : गुज़रा हुआ

आइना बन कर दिखाएँ आप ‘नीरज’
सच जो होकर भी शिकश्ता, बोलता है
शिकश्ता : टूटा हुआ


53 comments:

  1. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है,

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...

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  2. जो भी सिखला दे उसे मालिक, वही सब
    कैद में मजबूर तोता बोलता है

    भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है

    आइना बन कर दिखाएँ आप ‘नीरज’
    सच जो होकर भी शिकश्ता, बोलता है
    Subhaan allah!!! isse zyaada kya kahein... bahut khoob

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  3. सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है

    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है
    sunder bhav ..aur bahut sunder gazal.

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  4. आदरणीय नीरज गोस्वामी जी
    नमस्कार !
    आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है,

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  5. सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है

    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है

    बहुत ही खूब कहा है इन शब्‍दों में आपने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  6. आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है....

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  7. Loved the lines and the deep feelings behind it.
    Nice read !!!

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  8. माजी को कैसे बिसरा दें हम
    जिसका लम्हा लम्हा बोलता है

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  9. बेहद उम्दा और मुकम्मल शायरी।

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  10. आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है,

    Neeraj jee vah.Nipat saralta se maarak baat kahne me apka koi saani nahi hai.Behatareen ghazal ke liye badhai.

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  11. नीरज जी,

    ब्लॉग का नया स्वरुप बहुत अच्छा लगा.....ग़ज़ल शानदार है ये शेर सबसे अच्छा लगा -

    जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

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  12. नीरज जी ,
    नमस्कार !
    आप का लिखे एहसास सब खूबसूरत हैं ...
    ये मेरी समझ में भी ...आते हैं |

    भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है

    शुभकामनाएँ !

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  13. खूबसूरत ग़ज़ल.
    'हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है'
    नेकी है तो रास्ता भी सही है.

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  14. वाह नीरज ... क्या कमाल की ग़ज़ल है ... और ये बदला हुवा परिवेश तो बहुत खिल रहा है .... गुरु जी की छाया हर सू नज़र आ रही है ... आपके दार्शनिकता भरे शेर ग़ज़ब ढा रहे हैं .... सलाम है आपकी कलम को ....

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  15. भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है... waah, mann khush ker diya gazal ne

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  16. नमस्कार नीरज जी,
    ब्लॉग का नया रंग, साज-सज्जा जँच रही है (सोनू भाई को ढेरों बधाई).
    बहुत खूब मतला कहा है, वाह वा
    "आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं..................", हकीकत छिपाए नहीं छिपती, आपने शेर में इस बात को बहुत अच्छे से पिरोया है.

    "भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है"
    एक अलग ही अंदाज़ से कहा गया शेर, मज़ा आ गया.

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  17. आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है...
    ..खूबसूरत ग़ज़ल नीरज जी.... इन दिनों की आपकी ग़ज़लों में सर्वश्रेष्ठ !

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  18. मतला हैरान कर देने वाला लिखा है मालिक आपने..



    जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है


    जो भी सिखला दे उसे मालिक, वही सब
    कैद में मजबूर तोता बोलता है
    सादगी से ऊंची बात कह दी..


    सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है


    सैर को जब आप जाते हैं चमन में....
    जी हाँ हुज़ूर...बराबर बोलता है...

    कई बार महसूस हुआ है ऐसा भी...



    आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है

    बढ़िया चोट....

    कामयाब ग़ज़ल...

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  19. बात नीरज की यही सबसे है अच्छी
    बोलता है जब वो अच्छा बोलता है
    या यूँ भी कह सकते हैं कि:
    बात नीरज की यही लगती है अच्छी
    बोलता है जब वो अच्छा बोलता है

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  20. बहुत ही प्यारी गजल है ।
    आभार नीरज जी ।

    पेशानी पे क्यूँ आ गया पसीना ,
    भ्रष्टाचारी का दिल धड़कता बोलता है ।

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  21. ब्लॉग मोगरे की डाली लगने लगा है। बहुत ही सुन्दर गज़ल।

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  22. आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है
    यही सच्चाई है बहुत अच्छे शेर मुबारक हो

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  23. क्या क्या मिसरे लिए हैं नीरज भाई| क्या बातें कही हैं, भई ग़ज़ल हो तो ऐसी|

    सच जो हो कर भी शिकस्ता - बोलतहै..........
    मुँह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है.......
    सैर को जब आप जाते हैं चमन में........
    क़ैद में मजबूर तोता बोलता है.......

    वाह नीरज भाई वाह| बन्धु क्या ग़ज़ल कही है, तबीयत झकास हो गयी| मज़ा आ गया| ब्लॉग का नया कलेवर मस्त मस्त लगा| सोनू को भी बधाई दीजिएगा|

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  24. सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है

    Bahut Sunder....Bemisal Panktiyan

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  25. कैद में पंछी वही बोलता है जो मालिक सिखला देता है ...वर्ना मासूम बच्चे के मुंह से तो खुद खुदा बोलता है ...
    बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ...
    ब्लॉगर हेड पर मोगरे के ताज़ा फूल बहुत खूबसूरत लग रहे हैं !

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  26. सभी शेर एक से बढ़कर एक .
    मत्ले का जवाब नहीं.

    जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    वाह नीरज जी.

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  27. .

    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है...

    जो नेकी के रास्ते पर है , जो गैरों के लिए सोचता है , जिसका जीवन मानव जाति के लिए खुशहाली लाने को समर्पित है , उसका जीवन तो खतरों से भरा हुआ ही होता है , लेकिन ऐसे ही विरले रणबांकुरों के जीवन में समुचित सुकून होता है।

    .

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  28. "जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है"
    ---- वही तो कानों में मिश्री घोलता है
    अब क्या हुआ मन यही सोचता है...

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  29. भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है...

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  30. भूल मत जाना कभी माज़ी की भूलें
    वक्त ये सबका गुजिश्ता बोलता है

    बहुत ही उम्दा शेर...
    बहुत बेहतरीन ग़ज़ल...
    बहुत खूब.

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  31. सब से पहले सोनू और उसके गुरूदेव की प्र्5ाशंसा किये बिना नही रहूँगी बस जो सुबीर जी के छाँव मे आ गया वो जीना सीख गया।
    "जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है" वाह लाजवाब।
    गज़ल के लिये क्या कहूँ मिसरे ने ही बता दिया कि गज़ल कितनी खूबसूरत है। हरिक शेर उमदा। बधाई

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  32. GAZAL KAA KHOOBSOORAT ANDAAZ HAI.
    HAR SHER NIKHRAA HUAA HAI.

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  33. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    ...बहुत खूब! बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..आभार

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  34. सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है...बहुत ख़ूबसूरत गज़ल.

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  35. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    जो भी सिखला दे उसे मालिक, वही सब
    कैद में मजबूर तोता बोलता है

    सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है

    .....क्या गज़ब का मतला कहा है नीरज जी! यह तो कभी जुबान से उतरेगा ही नहीं. वैसे सभी शेर लाजवाब हैं. बहुत ही प्यारी ग़ज़ल है. मुबारक हो.

    ----देवेंद्र गौतम

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  36. आँखों को सुकून दे रहा है ब्लॉग का रंग .जितनी तारीफ़ की जाए कम ही है आपके खुबसूरत नज़्म से निकलती हुयी इन्द्रधनुषी रंग की. शुक्रिया ..

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  37. kya baat hai, ek-ek sher guldaste men chunakar sanjoye gaye phoolon ki tarah, BADHAI

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  38. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    यकीनन ...
    बहुत खूबसूरत

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  39. रंग रुप तो बेहतरीन निखर कर आया है...बधाईयाँ.


    जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है



    -वाह!! हर शेर पर १००-१०० दाद!!!

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  40. मतले से मकते तक एक उम्दा ग़ज़ल!
    ये शेर ख़ास पसंद आया!

    जो भी सिखला दे उसे मालिक, वही सब
    कैद में मजबूर तोता बोलता है

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  41. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुँह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है

    वैसे तो हमेशा की तरह पूरी ग़ज़ल बढ़िया है लेकिन यह शेर अद्भुत है.

    आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है

    यह एक शेर पूरे हिंदुस्तान की दास्ताँ सुना रहा है.
    इसे पढ़ते हुए दुष्यंत जी का वो मशहूर शेर याद आ गया कि;

    कल नुमाइश में मिला वो...

    ये बोलने वाला तोता तो गज़ब है. इतना बोलता है और वे बिलकुल नहीं बोलते फिर भी यह डॉक्टर सिंह से मिलता-जुलता है:-)

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  42. सब बोलते हैं यही तो ग़म है आज की दुनिया में, प्रश्न है नीरज जी कि क्या कोई सुनता भी है? :)

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  43. जब शुरू में रफ्ता रफ्ता बोलता है
    मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है
    मतले से मक़ते तक, हर शेर लाजवाब...
    ब्लॉग की नई साज सज्जा बहुत आकर्षक है नीरज जी.

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  44. आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है

    बहुत खूब नीरज भाई - वाह - कम शब्द - बात गहरी - सुन्दर प्रस्तुति। लीजिए तुरत फुरत की दो पंक्तियाँ आपके लिए लगभग इसी गोत्र के-

    जब भी अवसर मिल गया पढ़ता सुमन
    क्या कभी नीरज भी सस्ता बोलता है?

    सादर
    श्यामल सुमन
    +919955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  45. नीरज जी ,
    बेहतरीन गज़ल हुई है ..एक बार फिर ..हमेशा कि तरह ... मुझे जो शेर बेहतरीन लगा

    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है

    वैसे तो सभी शे'र बढ़िया हैं चुनना मुश्किल होता है .. :)
    बधाई आपको

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  46. बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं.. और ये हरियाली और हरियल तोता आप को बहुत बहुत मुबारक.. गज़ल की खूबसूरती मन को मोह लेती है.. और हां यह उन्वान अपनी एक पोस्ट के लिए चुरा ले जा रहा हूँ..

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  47. लुत्फ़ आ गया इस ग़ज़ल को पढ़ कर !

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  48. matlaa
    ash`aar
    maqtaa
    aur poori gazal
    har lihaaz se mukammal
    aur pur-asar .... !
    waah - waa !!

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  49. सैर को जब आप जाते हैं चमन में
    तब सुना है पत्ता पत्ता बोलता है
    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है...
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार और लाजवाब ग़ज़ल!

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  50. शनिवार (१८-०६-११)आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...नयी -पुरानी हलचल पर ..कृपया आईये और हमारी इस हलचल में शामिल हो जाइए ...

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  51. niraj ji
    भई
    फिर एक बार ग़ज़ल का जादू चलाया है आपने..
    उम्दा ग़ज़ल .... मतला ता मक्ता हर शेर, लाजवाब बुना है.
    ये शेर अद्भुत है.... बार पढने का जी किया.....!!!!
    हूं भले मैं पुरख़तर पर पुरसुकूं हूं
    बात ये नेकी का रस्ता बोलता है

    और ये शेर भी कुछ कम नहीं....
    आंकड़ों से लाख हमको बरगलाएं
    पर हकीकत हाल खस्ता बोलता है....
    वाह वाह......!!!!!

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  52. मुंह से बच्चे के फ़रिश्ता बोलता है...

    this is the most amazing line of your gazal sir.

    thanks

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तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रक्खे