आज अपनी एक पुरानी ग़ज़ल को झाड पौंछ कर फिर से आपके लिये पेश कर रहा हूँ. आप में से अधिकांश ने शायद इसे न पढ़ा हो अगर पढ़ा भी है तो भी इसमें नए पन का छौंक लगा हुआ पाएंगे.
कहाँ मरजी से अपनी ही कहानी हम बनाते हैं
पहाड़ी से गिरे पत्थर सरीखे, लुढ़के जाते हैं
मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं
बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं
कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं
क्या बात है! !
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं...bahut badhiyaa .... uparwala photo bahut mazedaar hai
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
बहुत खूब कहा है .... और चित्र लाजवाब ।
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं
इतनी बढ़िया फोटो के साथ इतनी गहन बात कर रहे हैं ...!!
दोनों चीज़े बहुत बढ़िया ...!
कहाँ मरजी से अपनी ही कहानी हम बनाते हैं
ReplyDeleteपहाड़ी से गिरे पत्थर सरीखे, लुढ़के जाते हैं
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
ज़िन्दगी की सच्चाइयों को सरलता से कहना कोई आपसे सीखे…………शानदार गज़ल्।
सरल आदमी हूँ | सरल शब्दों के एहसास महसूस कर सकता हूँ ...और वो खूब किये !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आ कर,मुझे पास किया |शुक्रिया !
कभी कभी ऐसे भी गुन-गुना लेना चाहिए
हो मौसम सुहाना तो मुस्करा लेना चाहिए|
खुश और स्वस्थ रहें |
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
Neeraj jee aap apne ghazalon me hamesha apne andar jhankne ko prerit karte hain.Hamesha ki tarah umda prastuti ke liye daad kabulen.
बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
ReplyDeleteखफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं
बहुत प्यारा अहसास है. अच्छा लगा.
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
बहुत सुन्दर कथन ।
नए तड़के के साथ ग़ज़ल का स्वाद भी बढ़ गया है ।
खूबसूरत ग़ज़ल है नीरज जी......हर शेर उम्दा है.....आपकी पोस्ट की तस्वीर को देखर हमारा भी मटकने का मन हो रहा है |
ReplyDeletebade bhaai!
ReplyDeletemaine pahle nahin [padhee ye ghzal. isliye mere liye to ye bilkul taazee DISH thi.. aur bahut hi lazeez hai!!
कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ReplyDeleteख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
पहले नहीं पढ़ा था। एक बेहतरीन ग़ज़ल।
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
bahut khubsurat sher mubarak ho ....
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
बहुत उम्दा और सच्चा शेर
अगर हम ख़ुद को बदलने की कोशिश भी कर लें तो दुनिया आज से कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत हो जाए
khoob
bahut hi aachchi gajal hai lajawab
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
-वाह वाह!!! बहुत उम्दा झाड़ पौंछ कर लाये हैं महाराज!
बहुत ही उम्दा पंक्तियाँ।
ReplyDeleteवाह नीरज जी, सभी छन्द एक से बढकर एक।
ReplyDeleteकहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ReplyDeleteख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
ढूँढने से भी अब ऐसे लोग शायद न मिल पायें.
आपने बढ़ी सादगी से बात कह दी .वाह.
ग़ज़ल के सभी शेर लाजवाब.
आपका कलाम इस तर्ज़ पर गुनगुनाया तो मज़ा आ गया:-
ReplyDelete"यहाँ बदला वफ़ा का बे वफाई के सिवा क्या है,
मुहब्बत करके भी देखा मुहब्बत में भी धोखा है."
तमाम शेर दिलकश है.
http://aatm-manthan.com
बिलकुल आप के स्वभाव के अनुसार
ReplyDeleteकवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
वो डांसिंग बॉय आप ही लगता हैं नीरज भाई............................ :)
मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
ReplyDeleteबढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं
achha line likhi hai
http;//shayaridays.blogspot.com
मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
ReplyDeleteबढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं
बहुत बढिया संदेश दिया है इस शेर से।-- दीप से दीप जलाते चलो---
बहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं
करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
मिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं
लाजवाब शेर हैं सभी\ लगा नही कि पहले पडःएए है ये गज़ल। शुभकामनायें।
नीरज जी आपकी हर ग़ज़ल पढ़ कर ऐसा लगता है की ये ख्यालात अबसे पहले नही पढ़ने को मिले कभी ... आपकी तरन्नुम, बहर और ग़ज़ल की रवानगी .... बार बार पढ़ने को मजबूर करती है ... हर शेर लाजवाब है .. दिली दाद कबूल करें ...
ReplyDeletebahut bahut dhanyavad..
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब है...
ReplyDeleteआदरणीय भाईसाहब नीरज जी
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
आपकी ग़ज़ल पढ़ने से पहले आज आपको आपकी स्वयं की ग़ज़लें पढ़ते हुए देखा तो देखता ही गया … कमाल की तरन्नुम है आपकी ! कुर्बान ! … और तहत में भी क्या ख़ूब पढ़ते हैं … वाह ! वाऽऽऽह ! व्व्वाऽऽऽऽऽऽह ! बहुत अच्छा लगा ।
अब आपकी आज की ग़ज़ल की बात
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
एकदम आपके व्यक्तित्व से मेल खाता शे'र ! सौ प्रतिशत ईमानदार सृजन !
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
ज़िंदगी में सुखी रहने का रास्ता दिखा दिया आपने … । जो भी हो दुनिया हमारी बला से … :)
# आदत ख़राब है … इजाज़त हो तो एक शे'र कहदूं ? … सिर्फ़ एक … प्लीज़ … ;)
भटकते हम अदब की तिश्नग़ी में नेट पर दर-दर
ग़ज़ल की प्यास लेकिन आपके घर ही बुझाते हैं
चलता हूं …
हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
lovely !!
ReplyDeleteमुद्दतों के बाद यार को देखा,
ReplyDeleteफिर दिल मचल गया,
बड़ी मुश्किल से दिल को समझाया.
के यार अब बदल गया...
जय हिंद...
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
बहुत खूब! हमेशा की तरह शानदार ग़ज़ल.
चूंकि लेखन परिपक्व होता जाता है इसलिए पुरानी ग़ज़लों को एडिट करके सामने लाना बहुत महत्वपूर्ण मानता हूँ. अपनी पुरानी ब्लॉग पोस्ट के साथ मैं भी ऐसा करता हूँ.
बहुत खूब...
ReplyDeleteएनिमेशन भी जबर्दस्त है...
वाह साहब वाह, क्या शेर है:
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
कभी गुस्से भरी बीबी को जब हम गुदगुदाते हैं।
करीबी दोस्त 'नीरज' देखते हैं घाव जब मेरे
ReplyDeleteमिला मरहम नमक में प्यार से, सारे लगाते हैं
सब कुछ तो राजेन्द्र जी कह कए ....
मेरी राय भी वही समझिये ....
:))
कभी जब घाव दोस्तों के देखते हैं कभी 'नीरज'
मिला मरहम नमक में प्यार से, यूँ वे लगाते हैं
नीरज जी.....
ReplyDeleteहमने तो यह ग़ज़ल -पहली बार पढ़ी सो नयी लगी. पूरी ग़ज़ल बेजोड़ है और उस पर इस शेर के तो क्या कहने ........
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
वाह वाह
'कहाँ बसते हैं ऐसे लोग ये हमको बताना तुम
ReplyDeleteख़ुशी में दूसरों की झूमकर जो गीत गाते हैं '
...................खूबसूरत शेर ....उम्दा ग़ज़ल
bahut khoob...
ReplyDeleteग़ज़ल तो तब पढ़ें जब इस नाचते हुए बालक से नज़र हटे... बहुत हंसी आ रही है सचमुच!
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
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अति सुन्दर.......ग़ज़ल
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प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा॥
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
ReplyDeleteसुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
bahut khub
purigazal hi kamal hai
saader
rachana
Comment received on Neeraj 2 from Brij Mohan Ji:-
ReplyDeleteजिनके लिये कभी गीत गाया करते थे, अब अपने सम्बंध में एक शब्द भी न बोलने के लिये विवश है। बच्चों को जहां हंसा दिया उससे जो आनंद प्राप्त होगा वह कहा ही नहीं जा सकता
नमक मेरे जख्मों में हंस हंस के छिडको
सितम भी इनायत नुमा चाहता हूं
और एक बात आपके पुतले की तरह मैने कुछ प्रयास किया वैसा करने का तो गिरपडा शुक्र है चोट नहीं लगी ।
Comment received from Rachna Ji on Neeraj2:-
ReplyDeleteकहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
bahut khub aaj bahut kam log hai aese
saader
rachana
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
kya khoob.... laajwaab sher hain sirji.... bahut bahut badhaai....
Aakarshan
क्या बात है,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
kaha.N baste hain.. aha kya sher baandha hai aapne .. aur bachhon ko gudguadte hain bhi bahut pasand aaya
ReplyDeletekaha.N baste hain.. aha kya sher baandha hai aapne .. aur bachhon ko gudguadte hain bhi bahut pasand aaya
ReplyDeleteकहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ReplyDeleteख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
khopoli me ya bhooshan steels ke daftar me...kabhi-kabhi jaipur me.....or ooper dekh kar lagta hai ki singapur me bhi........
bhai ji, jai ho.......badiya gazal...sadhuwaad
मिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
ReplyDeleteबढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं...
एकदम सच...नीरज जी यही समाधान है फ़ासले मिटाने का.
कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं...
ऐसे एक नेकदिल इंसान को हम जानते हैं-
neeraj1950@gmail.com, इस आईडी पर मेल कीजिएगा... :) :) :)
E-Mail received from Indu Puri Ji Goswami:-
ReplyDeleteकहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
शानदार शे'र है जी.अपनी तो उम्र गुजर गई बहुत कम लोग ऐसे मिले.
भली किस्मत कि फिर भी जो मिले बहुत अच्छे लोग मिले
ब्लॉग पर आती हूँ ब्रेक के बाद....हा हा हा खाना खा लूं?
E-mail received from Anita Kumar Ji:-
ReplyDeleteएक शायर जिसके शेर कभी उबासी नहीं लेने देते और हर बार उन शेरों को सहेजने की जहमत उठाने पर मजबूर कर देते हैं उसका नाम है नीरज गोस्वामी…॥एक दिन में ये शायर दो पोस्ट लिखे यही प्रार्थना है
अनिता
- Show quoted text -
--
http://anitakumar-kutchhumkahein.blogspot.com/
http://anitakumar-meripasand.blogspot.com/
http://manodrishti.blogspot.com/
Comment received on Neeraj 2:-
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
बहुत ही सुंदर,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खुद में ही जब बदलाव आते है
ReplyDeleteतब दूसरे भी खुद बदल जाते हैं..
उम्दा ग़ज़ल...
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
ReplyDeleteकिसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
बहुत खूबसूरत गज़ल ..आपकी हर गज़ल मन को छूती है
Comment received on NEERAJ-2
ReplyDeleteनीरज जी,
गज़ल का नयापन और आपके कहन का अंदाज खूब भाया....
क्या बात कही है :-
कवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं
सुखी जीवन का कारगार मंत्र यही है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
Comment received on NEERAJ 2 Fron Vina Ji
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
बढ़िया लगा....
Comment received on Neeraj-2 from Sh.Surendra Singh Jhanjhat :-
ReplyDeleteumda gazal.....
har sher jaandaar....
Comment received on Neeraj-2 from Nashtare Ehsaas:-
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
in panktiyon ne dil ko chua:)
aapka andaaze bayaan bahut accha laga.....
dhanywad!!
Comment received on Neeraj-2 from Sh.Hari Shankar Rarhi:-
ReplyDeleteachchhi gazel hai.
Comment received from Aryaman on Neeraj -2:-
ReplyDeleteबहुत गाये हैं हमने गीत जिनके वास्ते यारों
खफ़ा होते हैं, जब हम खुद की खातिर गुनगुनाते हैं
कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं
जिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
bahut sundar likha hai...bhasha mein nayapan sa hai..achchha laga
:)
Comment received on "Mo sam kaun kutil khal..."
ReplyDelete"कहाँ बसते है ऐसे लोग ये हम को बताना तुम
ख़ुशी में दूसरों की झूम कर जो गीत गाते हैं"
एक सज्जन को तो हम जानते हैं, खोपौली में रहते हैं।
नीरज भा जी, इस बंदे दा गेयर चौथे तो पहला हो सकदा है? :)
Sanjay
Comment received on Neeraj-2 from Sh:Kailash C Sharma:-
ReplyDeleteजिसे कहते हो तुम जन्नत हमें हासिल वो होती है
किसी रोते हुए बच्चे को जब हम गुदगुदाते हैं
...
बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल..
Comment received on Neeraj 2 from SM:-
ReplyDeleteमिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं
beautiful poem
Comment received on Neeraj-2 from Sh.Devendra K.Sharma:-
ReplyDeleteमिटेंगे फासले सारे अगर दो साथ मेरा तुम
बढ़ाओ तुम कदम इक, और हम भी इक बढाते हैं]
sakaaratmak drishtikon....
sunder rachna....
Comment received on Neeraj-2 from Rajni Malhotra Naiyyar :-
ReplyDeleteकवायद मत करो यारों किसी को भी बदलने की
सुखी रहने को आओ, खुद में ही बदलाव लाते हैं..
बेहतरीन गज़ल..