"मुझे ख़ुशी मिली इतनी कि मन में ना समाय, पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही ना जाये"
झूम कर आई घटा घनघोर है
डर रहा हूँ घर मेरा कमज़ोर है
मेघ छाएं तो मगन हो नाचता
आज के इन्सां से बेहतर मोर है
चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
रुख हवाओं का जिधर की ओर है
रुख हवाओं का जिधर की ओर है
फासलों से क्यों डरें हम जब तलक
दरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है
जिंदगी में आप आये इस तरह
ज्यूँ अमावस बाद आती भोर है
इस जहाँ में तुम अकेले ही नहीं
हर किसी के दिल बसा इक चोर है
बात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
(इस ग़ज़ल के सिर्फ लफ्ज़ मेरे हैं, करिश्मा गुरुदेव पंकज सुबीर जी का है)
सबसे पहले तो 3 साल पूरे करने के लिये हार्दिक बधाई ………………ऐसे ही साल दर साल सफ़र चलता रहे।
ReplyDeleteगज़ल का हर शेर हमेशा की तरह नायाब है।
बात नज़रों से ही होती है मियां
ReplyDeleteजो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
:)
मुबारक नीरज जी ,
सफ़र जारी रहे
शुभकामनायें
नीरज जी ,
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल ,एक हस्सास मतले से शुरूआत और जैसे जैसे क़ारी आगे बढ़ता है समाजी और नाज़ुक अफ़्कार की परतें खुलने लगती हैं ,
हर शेर अपनी बात बिल्कुल साफ़ साफ़ और नफ़ासत से कह रहा है ,इस लिए किसी एक शेर का चुनाव नहीं कर सकती मैं तारीफ़ के लिये
बहुत बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं
सोचा था सब से पहले ब्लॉग की सालगिरह की बधाई दूंगी लेकिन ग़ज़ल पढ़ने के बाद भूल ही गई
ReplyDeleteएक बात और मक़ता भी बहुत उम्दा है
क्या कहूँ? आपकी हर ग़ज़ल ज़िन्दगी जीने के लिए बहुत कुछ सिखाती है.
ReplyDeleteबात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
तीन वर्ष हो गए ब्लॉग लिखते हुए. ऐसे ही और न जाने कितने वर्ष बीतें, यही कामना है. याद भी आया वह दिन जब आपका ब्लॉग बना था.
सालों यहाँ बस वही टिकते है 'नीरज',
ReplyDeleteसोच में बूता, जिनकी कलम में जोर है !
जिंदगी में आप आये इस तरह
ReplyDeleteज्यूँ अमावस बाद आती भोर है
नीरज कि.........
ब्लॉग्गिंग के बेहतरीन ३ साल पुरे होने कि बधाई हो
पोस्टों का दोहरा शतक ज़माने कि बधाई ही......
और इस अमावस के बाद अआती भोर का भी स्वागत है.
और हाँ
ReplyDeleteये "ना भूतो ना भविष्यति..." के चक्कर में अपन ने क्लास में मार भी खाई है............. एक बड़ा पोस्टर लगा दिया था...........
आदरणीय नीरज जी, आदाब
ReplyDeleteआज हम सबके लिए कितनी खुशी का दिन है...
शिक्षक दिवस के इस अवसर पर सबके चहेते श्रद्धेय नीरज गोस्वामी जी के ब्लॉग लेखन के तीन साल पूरे होने...(वो भी 200 पोस्ट के साथ) का सुखद संयोग बना है...बधाई
और हां ये सब आपके बेहतर लेखन से ही संभव हो पाया है...ये सिलसिला यूं ही चलता रहे...आप लिखते रहें...और हम पढ़ते रहें...आमीन
(ग़ज़ल बहुत अच्छी है, विस्तृत टिप्पणी बाद में)
ब्लॉग जगत में तीन साल और दो सौंवी पोस्ट के लिए बधाई ...यह सफर निरंतर चलता रहे ...
ReplyDeleteगज़ल बहुत शानदार है ..
बधाई हो तीन बरस होने पर....ग़ज़ल पढ़कर आनंद आया
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई...ब्लॉग के तीन वर्ष, दो सौवीं पोस्ट एवं बेहतरीन ग़ज़ल के लिए
ReplyDeleteKya baat hai sirji.... maza aa gaya padh ke
ReplyDeleteबहुत लाजवाब, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
ReplyDeleteरुख हवाओं का जिधर की ओर है...
३ साल ... दो सौवि पोस्ट ..... और इस लाजवाब ग़ज़ल का तोहफा .... जवाब नही नीरज जी आपका .... अच्छा लिया शिक्षक दिवस पर ये ग़ज़ल लगाई ... आपसे उस्तादों से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है ....
आदरणीय भाई साहब नीरज गोस्वामी जी
ReplyDeleteप्रणाम !
अंतर्जाल पर तीन वर्ष पूर्ण होने एवम् पोस्टों का दोहरा शतक पूरा करने पर बहुत बहुत बधाइयां ! शुभकामनाएं !! मंगलकामनाएं !!!
यह अवसर ही इतना ख़ास है कि बस यही कहने को मन है बार बार … बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई ! बधाई !
… और बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
…और एक बार फिर बधाई !
ReplyDelete:)
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ढेरों बधाइयां.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई आपको ..ये सफर निरंतर यूँ ही सार्थकता से चलता रहे अनगिनत शुभकामनाये आपको.
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
sir
ReplyDeleteaapko is post ke liye badhayi .. is gazal ke liye badhayi , itne baras blogging me rahe , iske liye badhayi ..
gazal ki tareef kya karu.. its all time best of you .
sir aur likhiye , bas yahi dua hai , ham par aapka pyaar aur aashirwad bana rahe..
aapka
vijay
२००वी, पोस्ट पर बधाई ....बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआपकी आज चर्चा समयचक्र पर...
नीरज जी,
ReplyDeleteआपके तीन साल का उपलब्धि ई दू सौ पोस्ट नहीं है, ऊ साहित्य का बिसेस संसार है जो आप हमलोग के इर्द गिर्द बसाए हैं, एतना सुंदर गजल अऊर समीच्छा लिखकर... हमरे तरफ से बहुत बहुत बधाई...ई गज़ल के बारे में त एक्के बात कहेंगेः
लफ्ज़ नीरज के हों या पंकज के हों
आज तो हर हर शेर पे ‘वंस मोर’ है.
सलिल
तीन साल और २०० पोस्ट्स ! बहुत खूब नीरज जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई । आप यूँ ही ग़ज़लों की बरखा करते रहें । हमारा भी मन मोर नाचता रहेगा । आभार इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए ।
दो शतक, सह* साल,नॉट आउट अभी, [*३]
ReplyDeleteबात में दम है क़लम में ज़ोर है.
मेघ से मोरो का रिश्ता जोड़ती,
इस ग़ज़ल से मन* बने सब मोर है. [ब्लागर्स के]
हार्दिक बधाई नीरज जी, अल्लाह करे ज़ोरए क़लम और ज़्यादा.
्शुक्रगुजार तो हम हैं कि आप पिछले तीन सालों से एक से बढ़ कर एक गजलें हमें दे रहे हैं जिन में जिन्दगी का फ़्लसफ़ा छुपा होता है।
ReplyDeleteब्लोग को तीसरे जन्म दिन की बधाई और आप को दौ सौ पोस्ट पूरी करने की अनेकों बधाइयां
मेघ छाएं तो मगन हो नाचता
ReplyDeleteआज के इन्सां से बेहतर मोर है
............
लाजवाब लिख दिया आपने !
बहुत बहुत बधाई ! यूँ ही आप की कलम चलती रहे,ईश्वर से यही प्रार्थना है ।
दो सौवीं पोस्ट और तीन साल ...मै कहा था अब तक???? क्षमा प्रदान करते हुए मेरी भी बधाई कबूल करें|
ReplyDeleteब्रह्माण्ड
बहुत बहुत बधाई इस उपलब्धि के लिये।
ReplyDeleteनीरज जी 200 बधाईयां और 1000 से ऊपर शुभकामनाएं। पंकज जी आपकी रचना को जो रूप देते हैं,वह बहुत अच्छा है। मेरा सुझाव है जिस रचना में उनका सहयोग मिले उसमें अगर आप अपनी मूल रचना भी यहां ब्लाग पर साथ में दें तो लिखने वालों को उससे बहुत मदद मिलेगी सीखने में। मेरा ख्याल है कि यह एक नया प्रयोग भी होगा।
ReplyDeleteगज़ल़ के व्याकरण से मेरा ज्यादा परिचय नहीं है। एक-दो किताबें भी लीं पर उनसे बहुत कुछ पल्ले नहीं पड़ा। इसलिए समझने की जिज्ञासा लगातार बनी रहती है।
बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDelete--
भारत के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिन
शिक्षकदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
दोनों चीजों की बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeleteहमें आपकी कविताएं अच्छी लगती हैं
।
triple century percent बधाई सर... २०० वीं पोस्ट, ३ साल का ब्लॉग लिखने का अनुभव और एक और खूबसूरत ग़ज़ल... :)
ReplyDeleteतीन साल, दो सौ पोस्ट...बेहतरीन आंकड़ा...बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteआपकी एक एक पोस्ट १० के बराबर सर जी ...२००० पोस्ट का आंकड़ा है हमारे लिए तो यह..उसमें भी हम आप सी महारत हासिल कर लें तो धन्य हो जायेंगे.
जारी रहें.
सबसे पहले तो आपको दो सौवीं पोस्ट और तीन साल पूरे करने के लिए बहुत बहुत बधाई.... ग़ज़ल हर बार की तरह बेहतरीन.... और बहुत ही खूबसूरत अश'आर हैं....
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई आपको इस उपलब्धि के लिए। बहुत सुन्दर रचना लगी।
ReplyDeleteब्लॉगजगत में तीन साल और दो सौंवी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteअभी पिछले साल दो वर्ष पुरे होने पर आपसे ये सिलसिला और सम्बन्ध पुख्ता हुआ है, यह आनंद का सफर चलता रहे.
इस मौके पर जो ग़ज़ल आई है वो महान रचनाओं में शुमार करने योग्य है. सच में किस शेर की तारीफ़ करूँ.
झूम कर आई घटा घनघोर है
डर रहा हूँ घर मेरा कमज़ोर है
बात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
E-mail received from Dr. Bhupendra Singh:-
ReplyDeleteनीरज भाई,आपकी लेखनी भी बस कमल करती है /वेर्षा केअगमन पर कमजोर घर उस आनंद को सीमित करदेता है ,वाकई ,बहुत सूक्ष्म दृष्टि है कवि की/मनुष्य मोर से भी कमजोर हो गया है संवेदनाओं की बात करें तो /
आनंद के लिए धन्यवाद ,आभार,
सादर,सस्नेह
Dr.Bhoopendra Singh
T.R.S.College,REWA 486001
Madhya Pradesh INDIA
नीरज जी,
ReplyDeleteइतने लम्बे सफ़र के लिए मुबारकबाद.....
"चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
रुख हवाओं का जिधर की ओर है"
सुभानाल्लाह .....बहुत ही खुबसूरत शेर है.....
फासलों से क्यों डरें हम जब तलक
ReplyDeleteदरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है...
वर्षों की हैट्रिक और ब्लॉगों के दोहरे सैकडे की बधाई हो अंकल जी। आप वीणा के सुर, रेखा श्रीवास्तव आंटी जी, कंचन चौहान जी ब्लॉग के माध्यम से संपर्क में आए महानुभाव हैं। आपका लेखन बहुत ही सुकून देता है।
bahoot hi sunder. aapki double century par taliyan.
ReplyDeleteनीरज साहब, बधाई!
ReplyDeleteबधाई तीन साल के लिए या दो सौवीं पोस्ट के लिए नहीं - आपकी सार्थक और स्तरीय उपस्थिति के लिए है।
अल्फ़ाज़ भी आपके हैं और ग़ज़ल भी आपकी ही। आप कहते हैं कि यह पंकज सुबीर जी की कृति है - तो बात अति विनम्रता की होगी या फिर टीचर्स-डे पर समर्पण। इस्लाह तो ख़ैर हो सकती है।
आपको बहुत-बहुत बधाई, सार्थकता और सहजता सहित अनवरत प्रवाहित सहृदयता के लिए। और समर्पित हैं यह पंक्तियाँ-
माँ के आँचल का सरकता छोर है
चमकती आँखें हैं, भीगी कोर है
जो कला-साहित्य-रस समझा नहीं
कब मनुज? ज्ञानी कहें वो ढोर है
मुझको चाहें ख़ुदसे जो करना जुदा
आजकल हर सू उन्हीं का ज़ोर है
------------------------------
देख मेरी शायरी भी 'प्योर' है
इसका 'हिट' होना यक़ीनन 'श्योर' है
-----------------------------
बरसाती मौसम में हम भी टर्रा लिए…
के किसी रोज किसी ख्याल को यूँ ही लिखा था .....सोचा न था खपोली में दूर बैठा कोई शख्स ऐसे जुड़ जाएगा ....हमें तो इस बात पे यकीन हुआ है के व्यस्त दुनिया में भी कुछ लोग इस की सांसो को चलाये हुए है.....अपनी अच्छाईया बरकरार रखे.......आप उनमे से एक है .
ReplyDeleteराईट साइड में हमारी नन्ही परी बढ़ी हो गयी है .....खुदा दोनों छोटो को खुश रखे ..आमीन!!!
झूम कर आई घटा घनघोर है
ReplyDeleteडर रहा हूँ घर मेरा कमज़ोर है
मेघ छाएं तो मगन हो नाचता
आज के इन्सां से बेहतर मोर है
चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
रुख हवाओं का जिधर की ओर है
फासलों से क्यों डरें हम जब तलक
दरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है
apni pasand ke ashaar chunkar le ja raha hoon. aabhar sahit
badhai ji yoon hi ghazalein rachte rahein aur pustakon se deedaar karate rahein.
ReplyDelete******************************
ReplyDeleteसाल केवल तीन और पोस्ट दो सौ...........................
बहुत बे-इंसाफी है हम ब्लागरों के साथ...................
उठाना तो ज़रा 'की बोर्ड', इक बार और टिपिया दे..............
******************************
तीन साल में पोस्ट की इस 'डबल सेंचुरी' पर तहे दिल से हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
बधाई हो.. ३ साल पूरे होने पर..
ReplyDeleteकविता भी बहुत अच्छी है..
आगे आने वाले सालों के लिए भी शुभकामनाएं.. मार्गदर्शन देते रहे...
NEERAJ BHAI,BLOG KEE TEESREE
ReplyDeleteVARSHGAANTH PAR AAPKO DHERON
BADHAAEEYON KE SAATH - SAATH
NAANAA SHUBH KAAMNAAYEN BHEE.
AAPKEE TAAZAA GAZAL NE DIL MEIN
TAAZGEE BHAR DEE HAI.
नीरज जी...ब्लॉगिंग के तीसरे वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई...आप ऐसे ही निरंतर सफलता के शिखर को प्राप्त होते रहे..
ReplyDeleteआपके अंदाज के साथ साथ ग़ज़लों और किताबों की दुनिया का एक खास प्रस्तुतिकरण भी है जो लोगो को बहुत भाता है...इसके लिए हार्दिक बधाई..
आज भी क्या सुंदर शेर गढ़े आपने...बधाई हो नीरज जी
नीरज जी,
ReplyDeleteचलिए जीवन का एक और पड़ाव पूरा हुआ.... बेहद कामयाबी के साथ.... दो सौ वीं पोस्ट के साथ ही ब्लॉग जगत में पूरे तीन साल पुरे होने पर यानी डबल-डबल कामयाबी पर बहुत-बहुत बधाई!
जबसे आपको जाना है, तभी से आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी रहा हूँ.
शाहनवाज़ सिद्दीकी
पूरा सुबीर गुरुकुल जब सावन के महीने में झूम रहा है, तो ऐसे में इस ग़ज़ल का आना लाजिमी था .....
ReplyDeleteझूम कर आई घटा घनघोर है
डर रहा हूँ घर मेरा कमज़ोर है
बहुत खूब क्या मतला बंधा है......
मेघ छाएं तो मगन हो नाचता
आज के इन्सां से बेहतर मोर है
क्या तुलना की है.... हमारा मन तो मोर हो गया....!
चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
रुख हवाओं का जिधर की ओर है
बात तो सच है....अल्फाजों में बहुत खूबसूरती से बाँधा है....भाई वाह....!
फासलों से क्यों डरें हम जब तलक
दरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है
ये शेर तो हासिले ग़ज़ल है बार बार दोहराने वाला शेर....बल्कि कहूं तो कोट करने लायक शेर.....!
बात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
मतला बहुत ही दमदार .....पूरी ग़ज़ल दाद की हकदार है......क़ुबूल करें !
बहुत बहुत बधाई !!....ऐसे ही सालों आप इस सफ़र पर अग्रसर हों यह कामना है और हमें अच्छे अच्छे शेर का आनंद उठाने को मिले .
ReplyDeleteतीन साल दो सौ पोस्ट....बाप रे! आपकी प्रसन्नता हमें भी विभोर कर दे रही है।
ReplyDeleteग़ज़ल बहुत सुंदर बनी है। पहले मक्ते के लिये खड़े होकर तालियां बजा लूं। लाजवाब शेर है ये...लाजवाब। और फिर "दरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है" वाला मिस्रा तो उफ़्फ़्फ़्फ़....!!
मोगरे की ये डालियाँ अब तो इस दोहरे शतक के बाद शर्तिया किताब की शक्ल में बनना माँगती हैं।
देर से आने के लिये क्षमा मगर मेरी मिठाई जरूर पडी होगी। ब्लाग की वर्षगाँठ और 200 पोस्ट होने के लिये बधाई। गज़ल तो हमेशा की तरह लाजवाब। शुभकामनायें
ReplyDeleteफासलों से क्यों डरें हम जब तलक
ReplyDeleteदरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है
दिल में उपजे ख़यालात,,
फिर उन्हें अलफ़ाज़ का लिबास ,,
फिर मन-भावन बानगी ,,
और फिर ...एक कामयाब ग़ज़ल.....
क्या किसी को ये बताने की ज़रुरत है कि
ये ग़ज़ल नीरज जी की है...?? नहीं न !!!
ग़ज़ल मतले से लेकर मक्ते तक
पढने वालों तक खुद पहुँच रही है ,,
साथ-साथ चलते हुए,,, बातें करते हुए ही..... वाह
हर शेर अपनी हाज़िरी मनवा रहा है जनाब
itni dher si badhaayiyaan mil rahi hain
ReplyDeleteto meri jaanib se bhi qbool farmaa lijiye..
aur haaN...
maqte waale sher par
Gautam bhaee ke saath
main bhi kharhaa hoon,,,
taaliyaaN
bajaane
ke liye...
सबसे पहले तो ढेरो बधाई नीरज जी और सलाम ,
ReplyDeleteमतला आय हाय क्या कमाल का लिखा है आपने ... फिर फासलों से क्यूँ डरें... ज़िंदगी में आप आये इस .... बात नज़रों से ,... कमाल के शे'र कहे हैं नीरज जी आपने ... इस करिश्मा से तो परिचित हूँ ही गुरु जी के आप भी कुछ उनके अलग करिश्मा के लिए तैयार रहें ... :)
अर्श
200 wi post par abhinandan ! Aap ke rachna ke bareme kuch kehana ho to shabd kum pad jate hain .
ReplyDeleteफासलों से क्यों डरें हम जब तलक
दरमियाँ यादों की पुख्ता डोर है
जिंदगी में आप आये इस तरह
ज्यूँ अमावस बाद आती भोर है
Wah, Wah ,Wah !
ब्लागिग के तीन साल और २०० पोस्ट की बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteकुछ रिश्ते बनाने से नहीं बनते और अपने आप ही बन जाते है स्नेह और सम्मान के साथ उन्ही में है आपके साथ स्नेह और सम्मान का रिश्ता |
आभार
:-)... bahut bahut badhaiyan.. ye karwan chalta rahe...
ReplyDeleteदिल से मुबारक हो आपको ये घड़ी . ३ साल ,२०० नायाब पोस्टें .
ReplyDeleteक्या क्या सौगातें दे गए तुम ' नीरज ' .
अब भी छाये हो .मौसम में भी ,मन में भी .
और न जाने कितनी फुहारों ,बौछारों की उम्मीद लिए ,हमारे जैसे कितने ही , अब भी प्यासे ही हैं .
बस ऐसे ही भिगाते रहो ,मन आनंद से सराबोर करते रहो .
आमीन !!
जज़्बात पर आपकी टिप्पणी और हौसलाफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया |
ReplyDeleteमुबारक हो साहब बहुत मुबारक हो!
ReplyDeleteअंतराल बाद ब्लॉग पर लौटा और एक बेहतरीन ग़ज़ल से साक्षात्कार। तीन बधाईयॉं एक साथ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नीरज जी !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं २०० पोस्ट एवं ३ साल पूर्ण करने के लिए ! यूँ ही चलता रहे ये सफ़र और साहित्य रस से सराबोर करते रहें आप हमें ! :)
बात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है
पूरी गजल ही लाजवाब है पर मकता एक अलग ही गहराई लिए हुए खड़ा है ! बहुत खूब ! :):)
नीरज जी,
ReplyDeleteमेरे कम्प्यूटर का पहले तो यू पी एस ख़राब हुआ उसके बाद सी पी यू और दोनों को ठीक कराने में पूरे दस दिन निकल गए । नेट पर बापस आया तो पता चला की आपने अपने ब्लॉग के तीन वर्ष और दो सौ पोस्ट पूरी कर ली। इस बड़ी उपलब्धि पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें। ग़ज़ल तो बेहतरीन है ही :
झूमकर आई घटा घनघोर है
डर रहा हूँ घर मेरा कमज़ोर है
जिस ग़ज़ल का मतला इतना संवेदनशील हो उसके बाकी शेरों पर क्या कहा जाय। सारे शेर उम्दा हैं।
तीन साल पूरे होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ ... आज ही इस पोस्ट को देख पाए..आपकी हर पोस्ट ऐसी खूबसूरत होती है जैसे प्रकृति की सुन्दर नज़ारे.. ऐसे ही आगे कई सालों तक उसी खूबसूरती का आनन्द लेने की कामना है...
ReplyDeleteनमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteइस शेर में जो बात कही है, वो सोचने पे मजबूर कर रही है कि शेर ऐसे भी कहा जा सकता है, वाह
चल दिया करते हैं बुजदिल उस तरफ
रुख हवाओं का जिधर की ओर है
मक्ता बहुत नाज़ुक है, क्या खूब कहा है
बात नज़रों से ही होती है मियां
जो जबां से हो वो 'नीरज' शोर है