चाह कुछ भी नहीं है पाने की
खासियत बस यही दिवाने की
गैर का साथ गैर के किस्से
ये तो हद हो गई सताने की
साथ फूलों के वो रहा जिसने
ठान ली खार से निभाने की
टूट बिखरेगा दिल का हर रिश्ता
छोडि़ये जिद ये आजमाने की
सारी खुशियों को लील जाती है
होड़ सबसे अधिक कमाने की
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
फैंक दरवाज़े तोड़ कर 'नीरज'
देख फिर शान आशियाने की
(नमन गुरुदेव पंकज सुबीर जी को जिनका स्नेह ग़ज़लें लिखने की हिम्मत देता है )
bahut hee sunder gazal hai sadaiv kee bhanti .
ReplyDeleteबेमिसाल शेरो से भरी ग़ज़ल.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल....
ReplyDeleteIs gazal pe comment karneke liye alfaaz kahanse le aaun?
ReplyDeleteगैर का साथ गैर के किस्से
ReplyDeleteये तो हद हो गई सताने की
साथ फूलों के वो रहा जिसने
ठान ली खार से निभाने की
बहुत खूब नीरज जी,
सालगिरह की आपको ढेरो बधाइयाँ !
सारी खुशियों को लील जाती है
ReplyDeleteहोड़ सबसे अधिक कमाने की
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
बहुत ही बेहतरीन व अनुपम प्रस्तुति, आभार
बहुत ही घोर आपत्ती दर्ज करवा रहा हूं कि आज आपने अपनी शादी की वर्षगांठ के दिन एक भी शेर हमारी आदरणीया भाभी जी को समर्पित नहीं किया । ये बहुत ग़लत बात है जल्दी एक शेर उनके लिये बढ़ाइये नहीं तो हम साथ फूलों के वो रहा जिसने
ReplyDeleteठान ली खार से निभाने की
इसी शेर के बारे में भाभीजी को तफसील से समझा देंगें कि ये शेर आपको समर्पित किया है नीरज जी ने और इसमें आपको खार लिखा है । फिर दो दिन तक खाना नहीं मिले तो हमसे मत कहियेगा । हम तो बी जमालो है हैं भुस में आग लगाना खूब आता है । हा हा हा बहुत अच्छी ग़ज़ल ।
सुन्दर!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
नीरज जी पहले तो विवाह वर्षगांठ की बधाई, फिर बेहतरीन गज़ल के लिये बधाई । अर्ज किया है --
ReplyDeleteआपके घर के शांति और सुख को
नहीं नजर लगे जमाने की
बहुत ही बेहतरीन...
ReplyDeleteसारी खुशियों को लील जाती है
ReplyDeleteहोड़ सबसे अधिक कमाने की
अब जमाना बदल रहा है नीरज जी....शायद नए ज़माने के लोग इस शेर में कुछ तबदीलिया चाहे ....
गुरु जी के साथ घोर आपत्ति दर्ज़ करते हुए विवाह की वर्षगाँठ की शुभकामनाएं....!
ReplyDeleteगज़ल का हर शेर हर बार की तरह एक दूसरे को पीछे छोड़ता हुआ....!
सारी खुशियों को लील जाती है
ReplyDeleteहोड़ सबसे अधिक कमाने की
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
कुछ हक़ीकत, कुछ सच्चाई ........ कुछ उमंग जगाते .......... कुछ प्यार के नगमे सुनाते ........ हर शेर कुछ ना कुछ बोल रहा है नीरज जी ........... और आज तो ख़ास दिन है इतनी लाजवाब ग़ज़ल तो आनी ही थी ...........
आपको और भाभी जी को विवाह की वर्षगाँठ मुबारक ......... सात जन्मों तक आपका साथ बना रहे ...........
नीरज जी आपको व भाभी जी को शादी की वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई और सुबीर जी की बात पर ध्यान दें मैं भी उनसे सहमत हू और अपकी गज़ल के लिये निशब्द हूँ । अभी इस काबिल नहीं हुयी कि गज़ल पर कुछ कह सकूँ। धन्यवाद्
ReplyDeleteआपत्ती तीन चार सहायक आपत्तीयों के साथ मिल कर महा आपत्ती बन चुकी है इसका निवारण शीघ्र करें अन्यथा कानूनी कार्रवाई के लिये तैयार रहें ।
ReplyDeleteनाचिये, थाप जब उठे दिल से
ReplyDeleteफ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
.........बहुत सही कहा आपने
साथ फूलों के वो रहा जिसने
ReplyDeleteठान ली खार से निभाने की
बेहतरीन ग़ज़ल....वैवाहिक वर्षगाँठ की ढेरों बधाई ...शत वर्ष का साथ हो आप दोनों का
अब आप सबकी फरमाईश पूरी कर ही दीजिये...भाभी जी के लिए एक ग़ज़ल कह ही डालिए
lajwaab !!! behad rochak prastuti!!!
ReplyDeleteगजब/गजनट/शानदार।
ReplyDeleteशादी की सालिगिरह मुबारक।
आपने सही किया कि भाभीजी को गजल भेंट नहीं की। बता दीजिये सबको कि उनको पूरा दीवान भेंट करना है। गजल का दीवान।
आपकी गजलें मुझे इसलिये अच्छी लगती हैं कि उनमें नयी-नयी बातें हर बातें होती हैं। बातें भी होती हैं खुराफ़ाते भी होती हैं। जित्ती उनमें होती हैं उससे ज्यादा दिखती हैं।
ज्यादा तारीफ़ करने से शायद आपको लगे कि हम मौज ले रहे हैं और मन से तारीफ़ नहीं कर रहे हैं इसलिये अभी इत्ते में ही स्टॉप हो गये। :)
सारी खुशियों को लील जाती है
ReplyDeleteहोड़ सबसे अधिक कमाने की.
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
ये दोनों तो खूब पसंद आई. गजब !
आपको शादी की वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआपको जीवन में इतनी मिले खुशियाँ कि उन्हें रखने हमारे घर आएँ।
------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
neeraj ji
ReplyDeletejab itne logo ne kah diya hai tab to aapko sabki ichcha poori karni hi padegi.........jaldi se koi khoobsoorat se sher suna dijiye bhabhiji ke liye.
aapko aur bhabhiji ko shadi ki varshgaanth ki hardik shubhkamnayein...........ishwar se yahi dua hai .........zindagi yun hi aapki gulzaar rahe.
baki gazal ke baare mein to kya kahein........hamesha ki tarah har sher lajawaab hai.
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
ReplyDeleteफ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
bahut mubarken..NEERAJ ji
आदरणीय नीरज जी को शादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए।
ReplyDeleteregards
हमेशा की तरह लाजवाब रचना, आपको और भाभीजी को शादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम रहेगी।
ReplyDeleteएक एक शेर लाज़वाब, नीरज जी।
ब्लॉग पर आकर ही पता चला --वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई अवम शुभकामनाएं स्वीकारें ।
विवाह वर्षगांठ की बधाई नीरज जी आप दोंनो को ..बहुत पसंद आई आपकी यह गजल....
ReplyDeleteगैर का साथ गैर के किस्से
ReplyDeleteये तो हद हो गई सताने की
wahwa..wahwa..
badhai bhai ji........
वैसे आज तो दिल की थाप पर नाच्ने का ही दिन है .
ReplyDeleteसाफ़ कह दीजिये नहीं आना
ReplyDeleteआड़ मत लीजिये बहाने की
इस शेर ने तो कलेजा निकाल लिया. यार इतनी बड़ी बात और इतनी सादगी से! पूरी गजल लाजवाब. मतला बेपनाह. नीरज भाई आप उस्तादी की कुर्सी की जानिब कदम बढ़ा रहे हैं. मुझे एक ही दुःख है, मुझे कम, लोगों को ज्यादा, मैं रोमांस लिख नहीं पाता. न जाने क्यों इस गजल को पढकर ऐसी संतुष्टि मिली जैसे ये अशआर मैं ने ही कहे हों. शाहकार गजल के लिए मुबारकबाद.
एक पुराना गाना था ...'गाना आये या न आये गाना चाहिए " ऐसा ही कुछ आपने कह डाला " नाचिये जब थाप उठे दिल से , फ़िक्र मत कीजिये जमाने की "
ReplyDeleteअच्छी , ज़मीनी ग़ज़ल
वाह वाह! बजे मृदंगम! कोई वर्जना न रहे वर्षगांठ पर!
ReplyDeleteबहुत बधाई!
फैंक दरवाज़े तोड़ कर 'नीरज'
ReplyDeleteदेख फिर शान आशियाने की
.... कुछ हट के है,पर जबरदस्त है !!!!
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
ReplyDeleteफ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
मुबारकवाद तो कुबूल कर लीजिए!
अति सुंदर । मुबारकबाद !
ReplyDeleteविवाह की वर्षगांठ मुबारक को ..
ReplyDeleteबेफिक्र होकर मनाएं ---
'' नाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की ''
तुझको रक्खे राम तुझको अल्लाह रक्खे
ReplyDeleteले खुद के ही नाम तुझको अल्लाह रक्खे।
अभी-अभी आपके ब्लॉंग पर आया तो नयी ग़ज़ल देखी, पढ़ी।
भाई साहब आपकी ग़ज़ल तो कलम तोड़ है, बहुत कोशिश करके देख ली, कोई खोट नहीं निकाल पा रहा हूँ, कुछ मदद कीजिये ना।
अब भाई आपका आज का पूरा दिन तो आज का खास दिन मनाने के लिये आरक्षित होना चाहिये था, फिर भी ऐसी कातिलाना ग़ज़ल ब्लॉग पर, बहुत बड़ा गुनाह है ये। अब आपका दिन तो वाह वाह के जवाब देने में ही निकल गया होगा।
चलिये अब कुछ झटपट शेर पढ़ लीजिये:
आज आफ़त है इक पुराने की
तिफ्ल देगा मरहम लगाने की।
इक ख़ता हो गयी है इस दिन भी
ब्लॉंग पर इक ग़ज़ल लगाने की।
उनको कारण नहीं ये बतलाना
देर से आज घर पे आने की।
डायरी खोलिये, लिखी होगी,
कोई तरकीब तो लुभाने की।
हम भी तिकड़म लगाये जाते हैं
इक बहाना नया सुझाने की।
भेंट पूजा से काम क्या होगा,
चाबियॉं दीजिये खजाने की।
और क्या काम होगा सुब्ह तलक
कोशिशें कीजिये मनाने की।
फिर भी माने नहीं अगर कोई,
इक ग़ज़ल फिर लिखें फसाने की।
आप तो पढ़ के चल दिये ‘राही’
फीस तो दीजिये सुझाने की।
सादर
तिलक राज कपूर
जनाबे नीरज साहिब
ReplyDeleteआज आपकी खुबसूरत ग़ज़ल देखने का इत्तफाक हुआ
तबियत बाग बाग हो गई हर एक शेर दुसरे पे भारी
था क़िबला कमाल के शेर तखलीक कर जाते हो ग़ज़ल
आज कल आप पे मेहरबान नज़र आती है और उसका
करम हम पे यह है के हमसे मुस्करा के पतली गली से निकल जाती है
दिल से बस यह सदा निकलती है
मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे
तू मेरी सोच को एहसास का पानी दे दे
चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क
विवाह वर्षगांठ की बधाई
ReplyDeleteग़ज़ल दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।
क्या बात है नीरज भाई ,
ReplyDeleteगुरु पंकज की दरख्वास्त पर ,एकाध शेर का तड़का भाभीजी के नाम का तो होना ही चाहिए था . खैर तिलकराज जी ने वह कमी तो कुछ पूरी की ( फीस मिलनी चाहिए उन्हें )
मेरी तरफ से कुछ ''''''''''''''''
तुम तो नीरज फुहार क्या बनते
बात भाभी में है ज़माने की
आप दोनों की जोड़ी हंसती मुस्कराती सदा सलामत रहे . मिष्टी बिटिया को स्नेह
नीरज जी आपको व भाभी जी को शादी की वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteटूट बिखरेगा दिल का हर रिश्ता
ReplyDeleteछोडि़ये जिद ये आजमाने की
ये उम्दा है तो क्या..हर शेर इतना ही उम्दा है...वाह!!
रात जब दो डिनर निब्टा के आया (हॉं भाई किसी किसी दिन तो लगता आज कोई अविवाहित नहीं बचेगा, कई डिनर निबटने पड़ते हैं) तो दिमाग का लट्टू जला कि नीरज भाई ने आज कुछ तो ब्लॉग पर लगाया होगा वैवाहिक वर्षगॉंठ संबंधी।
ReplyDeleteटिप्पणियॉं देखीं तो लगा कि गंभीर संकट की स्थिति निर्मित हो गयी है उनके सामने, अब वो तो व्यस्त होंगे, चलो अपन ही छोटे भाई का कर्तव्य निबाहें और कोशिश करें बचाने की। बस झटपट जो बन सका परोस दिया।
काम न बना हो तो बतायें, बहुत से फार्मूले और भी हैं।
अब थोड़ा गंभीर हो रहा हूँ- दर्शन में जा रहा हूँ जा नहीं रहा हूँ राज साहब ने भेज दिया है। लोग मानें या न मानें, पूरी ईमानदारी से कह रहा हूँ कि राज साहब की पहली ई-मेल से ही उनसे कुछ ऐसा रिश्ता बना है कि उनका नाम आते ही उर्जा और स्फूर्ति स्वत: आ जाती है। बहुत विस्तीर्ण उर्जा क्षेत्र है उनका।
तिलक राज कपूर
bahut hi badhiya..
ReplyDeleteनीरज जी,
ReplyDeleteशेर का एक ये रंग-
गैर का साथ गैर के किस्से
ये तो हद हो गई सताने की
और
साथ फूलों के वो रहा जिसने
ठान ली खार से निभाने की
सारी खुशियों को लील जाती है
होड़ सबसे अधिक कमाने की
ग़ज़ल आपकी सलाहियतों का द्स्तावेज है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शानदार गजल! और ये शेर तो गजब है, भैया...
ReplyDeleteफैंक दरवाज़े तोड़ कर 'नीरज'
देख फिर शान आशियाने की
शादी की सालगिरह के लिए आप दोनों को ढेर शुभकामनाएं.
मुबारक हो गज़ल और वर्षगाँठ दोनो ।
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब। पर इस शेर ने नचा दिया।
ReplyDeleteनाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
बहुत बेहतरीन।
और हाँ आपसे बात करके बहुत ही अच्छा लगा। और आपकी सुरीली सी आवाज कान में मिशरी घोल गई। वैसे मैंने सोचा था कि आपकी आवाज मोटी होगी। मेरे जैसी:)
वाह वाह! क्या बात है सर? बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteफिर से हाजिरी लगा रहा हूँ. अलग अलग मेज़ पर बधाई के गुलदस्ते रखा आया हूँ.
ReplyDeleteयूँ तो आप मेरे पिता के उम्र के हैं और गज़लकारी में भी हम जैसो के पिता हैं. फिर भी एक शे'र अर्ज़ करता हूँ -
चाभी है 'नीरज' के हाथ एक ग़ज़ल के खजाने की
यहाँ जिक्रे शायरी में ही लोग मदहोश हुए जाते हैं
- सुलभ
गैर का साथ गैर के किस्से
ReplyDeleteये तो हद हो गई सताने की
ये तो कमाल का शेर है!!
गैर का साथ गैर के किस्से
ReplyDeleteये तो हद हो गई सताने की
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
वाह वाह!
सारी खुशियों को लील जाती है
ReplyDeleteहोड़ सबसे अधिक कमाने की
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ है यह
हुज़ूर....!!
ReplyDeleteआपने अपने ब्लॉग पर लिख रक्खा है....
"दे दाता के नाम तुझ को अल्लाह रक्खे..."
लेकिन
मैं कुछ देने नहीं, कुछ मांगने आया हूँ... ):
कुछ अदद
क़ीमती ,
दिल-फरेब ,
चुनिन्दा
अलफ़ाज़ बख्श दीजिये इस बेचारे मुफ़लिस को
ताकि ऐसी
नायाब ,
पुर-असर,
मुरस्सा ग़ज़ल के लिए
कुछ कहने लायक़ हो जाऊं .....
"दे दाता के नाम, तुझको अल्लाह रक्खे"
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
ReplyDeleteफ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
हमेशा की तरह खूबसूरत गज़ल ।
नीरज जी,
ReplyDeleteचाह कुछ भी नहीं है पाने की
खासियत बस यही दिवाने की
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
साफ़ कह दीजिये नहीं आना
आड़ मत लीजिये बहाने की
बहुत सुन्दर..................... छोटे बहर को खूबसूरती से निभा गए आप !
आपने जिस बड़प्पन के साथ मेरी ग़ज़ल की तारीफ की है..........बहुत हौसला मिला ! आप की तारीफ का अंदाज इतना निराला है कि कोई भी अपने आपको सामर्थ्यवान महसूस कर सकता है...... शुक्रिया तहे दिल से
भईया प्रणाम
ReplyDeleteबहुते दिल को करीब सामायिक गजल. अद्भुत लेखनी.
मुझे आपकी सभी गजलें बहुत पसंद आई.
सालगिरह की आपको ढेरो बधाइयाँ और भाभी को भी प्रणाम.
सुंदर गज़ल
ReplyDeleteनाचिये, थाप जब उठे दिल से
फ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
कबीर का अनहद नाद सुनाई देता है इस शेर से।
-बधाई।
मुझे आपकी सभी कविताये अच्छी लगती हैं ,सरल प्रस्तुति ,गहरे भाव लिए प्रभावित करती है ।
ReplyDeleteमुझे आपकी सभी कविताये अच्छी लगती हैं ,सरल प्रस्तुति ,गहरे भाव लिए प्रभावित करती है ।
ReplyDeleteमैँ हूँ नीरज के सुखन का क़द्र दान
ReplyDeleteहैँ जो बर्की नाज़िश-ए-हिंदोस्तान
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
शानदार! हमेशा की तरह्।
ReplyDeleteजब मैं अपने लिखे पर इतराना शुरु करता हूँ, तो आप ऐसे ऐसे शेर लेकर आ जाते हैं कि मैं अपनी औकात में आ जाता हूं।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ग़ज़ल है नीरज जी...बहुत ही सुंदर। एकदम निराला नया अंदाज गुरुवर। विशेष कर "गैर का साथ" और "आड़ मत लीजिये" वाला शेर तो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़!
नाचिये, थाप जब उठे दिल से
ReplyDeleteफ़िक्र मत कीजिये ज़माने की
bilkul ji dik ki baat kah di hai aapne
बहुत सुंदर ग़ज़ल...देर से पढ़ने के लिए क्षमा
ReplyDeleteनीरज जी छा गए !!! बहुत उम्दा शेर हैं !!! हो सके तो इन्हें sikkim@radiomisty.co.in पर भेज दें !! बड़ी मेहरबानी होगी!!
ReplyDeleteगैर का साथ गैर के किस्से
ReplyDeleteये तो हद हो गई सताने की
bahut khoob neeraj ji
गुड मोर्निंग श्रीमती एवं श्री नीरज जी
ReplyDeleteसबसे पहले आपको शादी की सालगिरह मुबारिक ....
इतना भी लेट नहीं हुआ जी.....
:)
और गजल......
हर शे'र में नीरजपन
सब के सब शेर नायाब,,,
कह रहे थे मुफलिस जी कई दिन से....
नीरज जी की नयी गजल देखी...देखी...देखी...
देर से ही सही....पर मिस नहीं हुई...