दो साल पहले ये ही दिन था जब मैंने अपना ब्लॉग शुरू किया. इसके एक साल पूरे करने के बाद मैंने एक पोस्ट डाली थी "नमन नमस्ते नमस्कार" उम्मीद है सुधि पाठक उसे भूल गए होंगे. वैसे भी आज के युग में सिर्फ काम की चीजें याद रक्खी जातीं हैं ,अनर्गल प्रलाप वाली नहीं.
मैं आपको वो पोस्ट पढने की दावत नहीं दे रहा बल्कि ये बता रहा हूँ की उस पोस्ट में जितने भी महानुभावों के नाम आये थे अब दूसरे साल के समापन पर उनकी संख्या में अप्रत्याशित बढोतरी हुई है.
( गैर शायराना किस्म के लोग कृपया नोट करें, लेकिन दिल पर ना लें )
दो साल और लगभग ढेड सौ पोस्ट...क्या कहते हैं ? ब्लॉग ठीक चल रहा है ना? मेरे विचार से तो बहुत ही बढ़िया चल रहा है. मैं खुश हूँ और इस ख़ुशी का कारण आप पाठक हैं. आते हैं पढ़ते हैं हौसला बढाते हैं सिखाते हैं...और क्या चाहिए?
दो साल और लगभग ढेड सौ पोस्ट...क्या कहते हैं ? ब्लॉग ठीक चल रहा है ना? मेरे विचार से तो बहुत ही बढ़िया चल रहा है. मैं खुश हूँ और इस ख़ुशी का कारण आप पाठक हैं. आते हैं पढ़ते हैं हौसला बढाते हैं सिखाते हैं...और क्या चाहिए?
...लेकिन हकीकत वो नहीं है जो नज़र आती है...सोच नहीं पा रहा की इसे आगे चलाया जाये या रोक दिया जाये... :)) कारण....ब्लॉग के दो साल पूरे होने पर जो आवाज़ मेरे दिल से आ रही है उसे ही ग़ज़ल पैरोडी के रूप में पेश कर रहा हूँ...ग़ज़ल पैरोडी का रदीफ़ जगजीत सिंह और चित्र सिंह जी की आवाज में गायी एक ग़ज़ल से प्रभावित है...(मारा हुआ है)
( ये ग़ज़ल पैरोडी सिर्फ मेरे ब्लॉग के लिए ही है इसे अपने लिए न समझें , ऐसा करने पर कहीं आपका अंतर्मन जाग गया तो?
झूटी सच्ची बात बताना, कब तक आखिर आखिर कब तक
उल्टी सीधी हांके जाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
गीत नये सब ब्लोगर गाते, गा कर सबको खूब रिझाते
तेरा मेंडक सा टर्राना, कब तक आखिर आखिर कब तक
एक बरस में दो इक पेलो, मत हर हफ्ते ग़ज़लें ठेलो
पाठक को बेबात सताना, कब तक आखिर आखिर कब तक
साल गुज़ारे दो ये माना, खा हर पल बीवी से ताना
खा कर ताना ब्लॉग चलाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
हम जा कर जिस को टिपियाये, क्या बदले में वो भी आये
इसमें 'नीरज' ध्यान लगाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
( अरे ये क्या आप तो सिरिअस हो गए...हम तो केवल मजे के लिए ये ग़ज़ल लिखें हैं...बोलो तारारारा... )
अपना कर्म बस, करते जाना, जब तक जीवन, जग है जब तक.
ReplyDeleteखूब रचेगा ताना-बाना, जब तक लिखिये, पाठक हैं जब तक.
ब्लाग की दूसरी वर्षगाँठ पर शुभकामनाएँ.
मज्जेदार ग़ज़ल है ये तो.. इस लाईन को तो १०० नंबर "पाठक को बेबात सताना, कब तक आखिर आखिर कब तक"
ReplyDeleteआपको सर्वप्रथम हार्दिक बधाई देता हूँ सर जी दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में । आपका लेखन लाजवाब है ।
ReplyDeleteवाह वाह नीरज जी बहुत बहुत बधाई बलाग की वर्षगाँठ पर । बलाग तो अब अपने बच्चों से प्यारा लगता है इससे भाग कर अब कहाँ जाया जा सकता है और किसी नये बच्चे बलागर से पूछ कर देखें उसे अपनी महबूबा से भी प्यारा लगता होगा।अब आप इस परिवार को छोड कर जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते वैसे आपकी रचना इशारों इशारों मे ब्लाग्गिन्ग के दर्द को बखूबी ब्यान कर रही है जो कि हम सब का ही है । बधाई और शुभकामनायें भगवान आपको इस परिवार को झेलने की शक्ति दे।
ReplyDeleteता रा रा ता रा रा रा ........... जबतक आप लिखोगे पढ़ते रहेंगे तब तक , ग़ज़ल लिखो रुबाई लिखो या लिखो खट पट बोलो ता रा रा रा ता रा रा रा
ReplyDeleteआप लिखते रहे हम पढ़ते रहेंगे तब तक बधाई जी आपको बहुत बहुत ..:)
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपको अपने ब्लाग के दो वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत बधाई, रचना बहुत ही अच्छी लिखी आपने उसके लिये आभार् आप तो बस यूं ही लिखते रहिये हम पढ़ते रहेंगे ।
ReplyDeleteधन्यवाद
congrats happy blogging....
ReplyDeleteब्लॉगिंग के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई!
बड़े तुर्रमखान निकले जनाब... फिलहाल आगे बोर करने के लिए... एक लाइन
ReplyDeleteकब तक आखिर, आखिर कब तक !:)
... (मजाक कर रहा था)
हम जा कर जिस को टिपियाये, क्या बदले में वो भी आये
ReplyDeleteइसमें 'नीरज' ध्यान लगाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
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क्या बात है?! हमने इकहत्तर टिप्पणियां की और आपने उनसठ! नहीं तो गिन लीजिये और बराबर करिये! :)
डब्बल साल पूरा होना मुबारक!
ब्लॉग की दूसरी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं. आप जब तक लिखेंगे तब तक लोग पढेंगे. जब नहीं लिखेंगे तो आकर शिकायत करेंगे कि क्यों नहीं लिख रहे? आपके ब्लॉग का हिंदी ब्लॉग-जगत में बहुत विशिष्ट स्थान है. हम सौभाग्यशाली हैं जो आप का लिखा हुआ पढ़ने को मिलता है.
ReplyDelete..................................
"गैर शायराना किस्म के लोग कृपया नोट करें, लेकिन दिल पर ना लें"
वैसे, यह बात आपने क्या मेरे लिए कही है?......:-)
नीरज जी आप को ब्लांग की दुसरी सालगिरह की बधाई, बस युही हमे सुंदर सुंदर रचनाये पढाते रहे, चित्र दिखते रहे. नमस्कार
ReplyDeleteब्लॉग की दूसरी सालगिरह पर ढेरो शुभकामनाएं.ऐसे ही लिखते रहे .......
ReplyDeleteएक बरस में दो इक पेलो, मत हर हफ्ते ग़ज़लें ठेलो
ReplyDeleteपाठक को बेबात सताना, कब तक आखिर आखिर कब तक
doosri साल girah mubaarak neeraj जी ........... kripya कर के अपनी perodi को अपने oopar मत लेना ......... हम लाजवाब, behatreen gazlon से mahroom नहीं hona chaahte ..........
आपको 10 में से 10 मिलते हैं,
ReplyDeleteबस याद रहे ये नंबर
तब तक ही जब तक आप लिखते रहेंगे,
आप लिखते रहेंगे हम पढ़ने आते रहेंगे...।
वाह वाह क्या बात बनी है...वाह
बधाई, दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ।
ReplyDeleteब्लॉगिंग सालगिरह की लख लख बधाईयाँ
ReplyDeleteमै आपके लिखे हर शब्दसे सहमत हूँ ...और क्या कहूँ ? हमेशा कतारमे खड़ी होती हूँ ..आज २० के अन्दर हूँ...वरना तो ४० से पहले क्रमांक नही लगता...
ReplyDeleteअपनी इतनी पसंदीदा गजल का ये मोर्डन संस्करण देख ...पहले तो हम बहुत भिन भिनाये.पर फिर दिल पे ना ले वाली बात मानके हमने मूड का गेयर चेंज किया ......इधर हम तारा रा नहीं करेगे ......हम कहेगे चल चल सडको पे होगी धन धन....टन टे टन
ReplyDeletejab tak chalti hai saansen
ReplyDeletetab tak haan tab tak.........
बधाई v शुभकामनाएं neeraj ji .
ReplyDeletemadhubala gazab dhaati hain...yahan :)
बधाई ! लेकिन पैरोडी में आप उन चपरासी महोदय को भूल गए जिन्होंने एक बार आपको गलत समझ लिया था !
ReplyDeleteहम जा कर जिस को टिपियाये, क्या बदले में वो भी आये
ReplyDeleteइसमें 'नीरज' ध्यान लगाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
ब्लॉग की दूसरी सालगिरह पर शुभकामनायें
ब्लागजगत में दो साल पूरे होने की बधाई। आपका ब्लाग चलते रहना हमारे ब्लाग के लिये बहुत आवश्यक है। अगर यहां गजल न लिखीं गयीं तो हम आगे पैरोडी किसकी बनायेंगे? जो आपके ब्लाग पर टिपियाने में नानुकुर करे आप उसे मेरे ब्लाग पर भेजियेगा। एक बार आयेगा तो वापस आपके यहां भागता हुआ जायेगा वापस- वाह-वाह करने!
ReplyDeleteदो साल की हार्दिक बधाई जी, और पाठक को अब और ज्यादा सताना शुरु कर दिजिये, सताया हुआ पाठक बात मान लेता है.:)
ReplyDeleteरामराम.
नीरज जी, ब्लाग की द्वितीय वर्षगांठ के अवसर पर आपको बहुत सारी बधाई......
ReplyDelete"एक बरस में दो इक पेलो, मत हर हफ्ते ग़ज़लें ठेलो।
पाठक को बेबात सताना, कब तक आखिर आखिर कब तक।।"
ये आपने बिल्कुल खरी कही:)
वाह ! कमाल है साहब...कमाल!
ReplyDeleteसतत
लेखन
और सधी ===हुई ===बातें ===हम=== तक===
निरंतर पहुँचने का शुक्रिया
=======================================
अक्षर रहे ये सिलसिला.
शुभकामनायें
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
इक दूजे की पीठ खुजाना,
ReplyDeleteकब तक आखिर आखिर कब तक.
रो-रो कर ये ब्लाग चलाना ,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
सुअरों को आईना दिखाना
कबतक आखिर आखिर कब तक.
अपना सब से सर फुड़वाना,
कब तक आखिर, आखिर कब तक.
इक दूजे की पीठ खुजाना,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
इक पंक्षी भी हाथ न आना,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
मेरी ग़ज़लों को पढ़कर के,
मेरे ही यारों से देखो.
उसका हँस कर के फँस जाना,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
बातों ही के तीर चलाना,
मन की मन ही में रह जाना,
चुपके चुपके तन्हाई में,अश्क बहाना
कबतक आखिर आखिर कब तक.
हम काँटों से दूरी रखना,पाठक का
फूलों पर जाकर, ये मड़राना,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
बैठे ठाले आग लगाना,
पत्नी का हम पर चिल्लाना,
फिर भी अपनी पेल जाना,
कब तक आखिर आखिर कब तक.
नीरज तुमने दिल को छू लिया ट्रांसफर तो अहमदाबाद से हो गया पत्नी जी कहती हैं ब्लाग लिखना बंद कर दो मान जाओ कहीं सरकारी नौकरी से निकाले न जाओ,दोस्त भी समझाते हैं यार काहे चुपचाप नहीं रहते.
पर नीरज है क्या करें इस ब्लागिंग का,
छुटती नहीं है काफिर ये मुँह की लगी हुई,
रामदेव बाबा कोई आसन या प्राणायाम बतायें हम ये बबाल छोड़ना तो चाहते हैं पर छोड़ नहीं पाते और कमबख्त पाठकों का इश्क ले न डूबे, एक हम हैं कि उनकी राह में बिछाये रहते हैं और वे तितली और गुलों पे जान दे रहे हैं.
आप ने सोये जज़्बात जगा दिये.मश्कूर हूँ जनाब आपकी कलम का.
बधाई, दो वर्ष पूरे होने के और अनन्त शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteभाई नीरज जी.
ReplyDeleteअप्रत्याशित रूप से आज शनिवार को आपकी मेल और उस मेल में सोमवार के बजाय आज शनिवार को ही पोस्ट देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ की नियमितता, निरंतरता भंग हुई तो आखिर कैसे?
पढ़ कर ज्ञान में वृद्धि हुई, अज्ञान का आवरण हटा, दूसरी साल गिरह तो मनानी ही होगी, ये अपनी भी तो नियमितता और निरंतरता चाहती है वह. भी तब तक, जब तक जानें जां. आपके ब्लाग की इस दूसरी सालगिरह पर मेरी हार्दिक बधाई, और आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि आप का ब्लाग निरंतर आगे भी यूँ ही अपनी नियमितता बनाये रखेगा, वैसे भी तो आपने
ग़ज़लों को ठेला फकत महीने में दो ही तो है
इतना कम लिखना कब तक, आखिर कब तक
आप से अनुरोध है कि आप अपनी पैरोडी नुमा ग़ज़ल को इतना सीरियसली न लें, बढ़ती हुई टिप्पणियों कि संख्यां स्वतः आपके ब्लाग कि रोचकता बयां कर रही है, आपने पाठकों को अपनी नित नयी रचनाओं से मरहूम करने कि गुस्ताखी तो हरगिज़ न करें, मेरी बस यही इल्तिजा है.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
बदले में हम भी आये :)
ReplyDeleteब्लॉग की दूसरी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं.
ब्लॉग की दूसरी सालगिरह पर बधाई.
ReplyDeleteब्लॉग की दूसरी वर्षगांठ बहुत बहुत मुबारक हो नीरज जी ... वाकई ये एक मिल का पत्थर सी बात है के दो साल में १५० पोस्ट ... आपकी ग़ज़लों का तो हमेशा से ही मुरीद रहा हूँ... और होऊं भी क्यूँ ना उस्ताद शाईर का पढने को मिलता है और बेशक सिखने को भी बहुत सारी चीजें...आप से.. इस ग़ज़ल से एक शे'र छोड़ कर बाकी मुझे अपने पे लगे फिर सोचा कोई नहीं चलता है अब मैं भी हूँ तो लोगों को झेलना तो पड़ेगा ही मुझको... हा हा हा ... सलाम हुजूर चलता हूँ...
ReplyDeleteआपका
अर्श
नीरज जी बहुत ही सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteक्या बात कही है नीरज जी,
ReplyDeleteसुभान अल्लाह
कब तक आखिर, आखिर कब तक
आपके ब्लाग पर Number of comments देख कर साफ दिखता है, के आपके ब्लाग को पढ़ने वाले कितने हैं
2 साल में इतने लोग जुड़े आपके ब्लाग से बहुत बड़ी उपलब्धी है। हमारे ब्लोग पर इतने लोग नहीं आते।
http://tanhaaiyan.blogspot.com
दो साल पूरा करने की बहुत बहुत बधाई !!
ReplyDeletedo saal pure hone ki bahut badhai.
ReplyDeleteham to keval is liye badhai de rahe hai ki aap bhee hamaaraa dhyaan rakhe aur tippadee karte rahe
ReplyDeletehamaaraa aur koi pryojan nahi hai :)
150 post aur 2 saal ki bloging bahut bahut mubaarak ho
happy bloging
venus kesari
ब्लॉगिंग के दो वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteदो वर्ष पूरे करने पर बहुत बहुत बधाई। धासूं पोस्टों में एक और ……
ReplyDeleteये देखकर अच्छा लगा कि इन दो वर्षों मे आप अपने को नहीं भूले. मेरी बधायी और प्रणाम स्वीकारें.
ReplyDeleteआपके ब्लोग के दो साल पूरे होने पर खूब सारी बधाईयाँ। आपके लिखते रहिए हम पढते रहेगे।
ReplyDeleteHello Neeraj Uncle..
ReplyDeleteThis was again surprisingly different from all your previous posts..
Many Congrats 2 wonderful years with blogging... and I wish it that by next year your poems comes in the form of book in market and also we get to hear some of your work coming in flims.. really..
And, I am so happy to see the way manage your blog. The way keep it always updated and interesting for your readers..
Thank You so much for giving us few moments of joy...
And ya.. aajkal festive season hai with Ramadan, Navaratre (abt to come), Ganesh Pooja..
I think u shud write something abt how these festivals bring ppl of different religion together.. something which includes all religion... and bringing people from all sects together..
Jai Ho....
-R
नमन नमस्ते नमस्कार नीरज जी,
ReplyDeleteदो सालों के इस यादगार सफ़र के लिए बधाई और आगे की यात्रा के लिए शुभकामनायें.
Blog ka b'day mubarak ho :-)
ReplyDeleteदूसरी सालगिरह पर हार्दिक बधाई. एक ही दिन में इतनी प्रतिक्रियाएं पाकर तो कोई शिकायत हो ही नहीं सकती. लीजिये आज से हम भी आपके फोलोवर बन गए.
ReplyDeleteजमाये रहिये :)
ReplyDeleteबोलो तारारारा....
ReplyDeleteमुबारक हो नीरज भाई साहब लीजिये
हम ने भी तारारारा बोल दिया जी :)
हम आपकी लेखनी तथा बातों को
ध्यान से पढ़ रहे हैं -
- जारी रखें
ये मन की मौज और कभी गंभीर बातें भी
स्नेह सहित
- लावण्या
E-mail received from Shri Om Prakash Sapra Ji:-
ReplyDeleteshri neraj ji
namastey,
you have raised a good and interesting question as to whether to continue blog or discontinue it.
All other issues and reasons are not justified and should not come in your was, except one which is as under:
साल गुज़ारे दो ये माना, खा हर पल बीवी से ताना
खा कर ताना ब्लॉग चलाना, कब तक आखिर आखिर कब तक
because this is internal matter like a country does not interefere in other country's matters.
Any way we are encroaching our limit and request our
RESPECTED BHABHI JI TO EXTEND FULL SPORT AND STRENGTH SHRI NEERAJ JI. FOR DOING LITERARY SERVICE THROUGH BLOGS.
God may bless you because your blog is worth continuing.
congrats,
-om sapra, delhi-9
दूसरी वर्षगाँठ की बधाई... पैरोडी गजब है..!
ReplyDeleteबेसिर पैर की हांकने वालों के सही सलाह। दूसरी वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
DOOSREE VARSHGAANTH PAR AAPKO AUR
ReplyDeleteAAPKE GURUVAR SHRI PANKAJ SUBEER
KO BAHUT-BAHUT AASHIRWAD.AAPKAA
BLOG SAFALTA KEE NAYEE-NAYEE MANZILON KO CHHOOYE,MEREE SHUBH
KAMNA HAI.
भैया प्रणाम
ReplyDeleteब्लॉगिंग के दो वर्ष और ढेड सौ पोस्ट होने के उपलक्ष्य में
बहुत-बहुत बधाई!
नीरज जी ,
ReplyDeleteनमस्कार,
सबसे पहले तो ब्लाग के दो वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत बधाई...२ वर्ष में आप ने इतनी प्रसिद्धि पाई है,जो शायद ब्लाग नहीं होता तो उतनी नही मिल पाती।फिर ब्लाग का गुणगान करते हुए भी एक पैरोडी लिखिए न.....
वैसे मैंने तो टिपिया दिया ,आप कब आ रहे हैं,,
दो वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत बधाई, रचना बहुत ही अच्छी लिखी आपने बस युही हमे सुंदर सुंदर रचनाये पढाते रहे|
ReplyDeleteCongts. for 2 yrs. happy blogging.
ReplyDeleteBol diya ji tara ram paam. ab apni dainiki jaree rakhiyega.
ReplyDeleteआपकी जिंदादिली कायम रहे. बधाई.
ReplyDeleteवैसे मुझे भी दो साल से ऊपर हो गए... शौक कब परवान चढा पता न चला...
नीरज जी ..स्वाद आ गया .....haha
ReplyDeleteबात तो कई जगहों पर सच हैं...लेकिन पाठकों का मन बहल जाये तो ये भी तो पुन्य का काम हुआ ना?:))
तो आप तो ये पुन्य कमाते रहें यही अभिलाषा है .
सादर !!
नीरज जी !
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाइयाँ ब्लॉग के दो साल पूरे होने पर और इतने पाठकों का स्नेह पाने के लिए !
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल बना दी है जनाब आपने !
ऐसे ही लिखते सुनते रहिये और पाठकों की टेंशन न लीजिये ! वो सब मेनेज कर के पढ़ लेंगे ....:):)
respected Neeraj bhiya,CONGS.
ReplyDeleteVery intresting gazal lekin Hasya kaviyon dwara Hasya kavi sammelanon mein,hasya rachnaon mein BIWI KI YUN HANSI UDANA KAB TAK AAKHIR ,AAKHIR KAB TAK?
beharhaal MAZAAQ KHUD KA UDANA KOI MAZAQ NAHIN!
mujhe ek chini saying yaad aa rahi hai...JO SAMAY CHINTAA MEIN GAYAA,KUDE MEIN GAYAA:JO CHINTAN MEIN GAYAA,TIJORI MEIN GAYAA.
Aapke blog ki tijori hamesha bhari rahe inhi shubhkaamnaon ke saath
ur sister ...PINKI
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
ReplyDeletedoosree varshganth kee badhai
ReplyDeleteaap jaise log kisee bhee aandolan kee oxygen hote hain
atah aap ka lagatar bane rhna bahoot zarooree hai
ब्लॉगिंग के दूसरे वर्ष पूरे होने पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! आपका हर एक पोस्ट लाजवाब है!
ReplyDeletehardik badhai............ham seeriyas nhi huye.........
ReplyDeleteझकास !!
ReplyDeleteझकास !!
ReplyDeleteदो साल पूरे होने पर बोलो तारारारा!
ReplyDeleteशुभकामनायें!
दो साल पूरे होने पर हार्दिक बधाई नीरज जी और इस लाजवाब पैरोडी के लिये....अहा! क्या कहूँ!!!
ReplyDeleteआप सबसे चहेते ब्लौगर हैं इस ब्लौ-जगत के!
.
ReplyDeleteजब तब ब्लॉग पर रचनाएँ लिखते जाओगे नीरज जी
होगा मुरझाना मुसकाना, तब तक आखिर तब तक!
नीरज जी,
दूसरी सालगिरह पर हार्दिक बधाई!!
Man gaye apki jindadili ko...ap yun hi likhte rahen...!!
ReplyDeleteदो बर्ष पूरे होने की खूब बधाई । ----लिखते रहिये तब तक जब तक शमा से शमा न जल उठे ,दिए से दिया न बल उठे ,प्रेम से प्रेम न खिल उठे ,यह कारवां एक दूसरे को सुनने सुनाने का बढ़ता ही चला जाए । लिखते रहिये अंदाज़ प्रशंसनीय है .
ReplyDeleteवाह भाई साहब! आपका हँसमुख स्वभाव (जोकि आपके चेहरे से और रचनाओं में झलकता है) और उम्दा रचनाएँ बरबस ही खींच लाती हैं यहाँ। तो भाभीजी के ताने सुनते रहिए और हम पाठकों की खातिर लिखते रहिए। आदाब!
ReplyDelete